कामायनी के विषय में कथन

कामायनी के विषय में कथन

इस आलेख में कामायनी के विषय में कथन, Kamayani पर महत्त्वपूर्ण कथन, Kamayani पर किसने क्या कहा? कामायनी पर विभिन्न साहित्यकारों एवं आलोचकों के विचार आदि के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

कामायनी पर महत्त्वपूर्ण कथन

Kamayani पर किसने क्या कहा?

कामायनी को छायावाद का उपनिषद किसने कहा?

Kamayani पर विभिन्न साहित्यकारों एवं आलोचकों के विचार

कामायनी के विषय में कथन | कामायनी पर महत्त्वपूर्ण | कामायनी पर किसने क्या कहा? | कामायनी पर विभिन्न साहित्यकारों एवं आलोचकों के विचार |
Kamayani कामायनी

कामायनी पर महत्वपूर्ण कथन

जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित महाकाव्य कामायनी के संबंध में प्रमुख आलोचकों एवं साहित्यकारों के प्रमुख कथन-

कामायनी के बारे में संपूर्ण संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए

नगेन्द्र- कामायनी मानव चेतना का महाकाव्य है। यह आर्ष ग्रन्थ है।

मुक्तिबोध- कामायनी फैंटेसी है।

इन्द्रनाथ मदान- कामायनी एक असफल कृति है।

नन्द दुलारे वाजपेयी- कामायनी नये युग का प्रतिनिधि काव्य है।

सुमित्रानन्दन पंत- कामायनी ताजमहल के समान है

नगेन्द्र- कामायनी एक रूपक है

श्यामनारायण पाण्डे- कामायनी विश्व साहित्य का आठवाँ महाकाव्य है

रामधारी सिंह दिनकर- कामायनी दोष रहित, दोष सहित रचना है

डॉ नगेन्द्र- कामायनी समग्रतः में समासोक्ति का विधान लक्षित करती है

नामवार सिंह- कामायनी आधुनिक सभ्यता का प्रतिनिधि महाकाव्य है

हरदेव बाहरी- कामायनी आधुनिक हिन्दी साहित्य का सर्वोत्तम महाकाव्य है

रामरतन भटनागर- कामायनी मधुरस से सिक्त महाकाव्य है

विश्वंभर मानव- कामायनी विराट सांमजस्य की सनातन गाथा है

कामायनी का कवि दूसरी श्रेणी का कवि है -हजारी प्रसाद द्विवेदी

कामायनी वर्तमान हिन्दी कविता में दुर्लभ कृति है- हजारी प्रसाद द्विवेदी

रामचन्द्र शुक्ल- कामायनी में प्रसाद ने मानवता का रागात्मक इतिहास प्रस्तुत किया है जिस प्रकार निराला ने तुलसीदास के मानस विकास का बड़ा दिव्य और विशाल रंगीन चित्र खींचा है

शांति प्रिय द्विवेदी- कामायनी छायावाद का उपनिषद् है

रामस्वरूप चतुर्वेदी- कामायनी को कंपोजिशन की संज्ञा देने वाले

बच्चन सिंह- मुक्तिबोध का कामायनी संबंधी अध्ययन फूहड़ मार्क्सवाद का नमूना है

Kamayani Par Kathan

मुक्तिबोध- कामायनी जीवन की पुनर्रचना है

नगेन्द्र- कामायनी मनोविज्ञान की ट्रीटाइज है

रामस्वरूप चतुर्वेदी- कामायनी आधुनिक समीक्षक और रचनाकार दोनों के लिए परीक्षा स्थल है

रामनाथ सुमन- कामायनी आधुनिक हिंदी कविता का रामचरित मानस है

आचार्य नंददुलारे वाजपेयी- कामायनी में प्रसाद ने मानवता का रागात्मक इतिहास प्रस्तुत किया है कामायनी मानवता का रागात्मक इतिहास एवं नवीन युग का महाकाव्य है

नामवर सिंह- कामायनी में नारी की लज्जा का जो भव्य चित्रण हुआ, वह सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में दुर्लभ है।

निराला- कामायनी संपूर्ण जीवन चरित्र है, यह मानवीय कमजोरियों पर मानव की विजय की गाथा है।

नामवर सिंह- मानस ने वाल्मीकि रामायण और कामायनी ने मानस के पाठकों के लिए बदल दिया है

आ. रामचंद्र शुक्ल- यदि मधुचर्या का अतिरेक और रहस्य की प्रवृति बाधक नहीं होती तो कामायनी के भीतर मानवता की योजना शायद अधिक पूर्ण और सुव्यवस्थित रूप में चित्रित होती।

नामवर सिंह- कामायनी मार्क्सवाद की प्रस्तुती हैं।

रामधारी सिंह दिनकर- कामामनी नारी की गरिमा का महाकाव्य है।

डॉ धीरेन्द्र वर्मा- कामामनी एक विशिष्ट शैली का महाकाय है, शिल्प की प्रौढ़ता कामायनी की मुख्य विशेषता है।

अवधी भाषा का विकास व रचनाएं

ब्रजभाषा साहित्य का विकास

रीतिकाल के प्रमुख ग्रंथ

कालक्रमानुसार हिन्दी में आत्मकथाएं

राघवयादवीयम् ग्रन्थ

भाषायी दक्षता

‘रासो’ शब्द की व्युत्पत्ति – विभिन्न मत

हालावाद विशेष

संस्मरण और रेखाचित्र

कामायनी के विषय में कथन

कामायनी महाकाव्य की जानकारी

भारत का स्वर्णिम अतीत : तेल्हाड़ा विश्वविद्यालय

हिन्दी साहित्य विभिन्न कालखंडों के नामकरण

हिन्दी साहित्य काल विभाजन

भारतीय शिक्षा अतीत और वर्तमान

मुसलिम कवियों का कृष्ण प्रेम

हाइकु कविता (Haiku)

संख्यात्मक गूढार्थक शब्द

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

भीष्म साहनी

भीष्म साहनी की जीवनी

भीष्म साहनी की जीवनी, साहित्य, बाल साहित्य, भाषा शैली, विशेष तथ्य एवं संपूर्ण जानकारी

पूरा नाम- भीष्म साहनी

जन्म-8 अगस्त, 1915 ई.

जन्म भूमि-रावलपिण्डी (वर्तमान पाकिस्तान)

मृत्यु-11 जुलाई, 2003

मृत्यु स्थान-दिल्ली

पिता- हरबंस लाल साहनी

माता- लक्ष्मी देवी

पत्नी-शीला

कर्म-क्षेत्र-साहित्य

विषय-कहानी, उपन्यास, नाटक, अनुवाद।भाषा-हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत, पंजाबी

भीष्म साहनी जीवनी साहित्य : रचनाएं

भीष्म साहनी के कहानी संग्रह

भाग्य रेखा-1953

चीफ़ की दावत-1956

पहला पाठ-1957

अपने अपने बच्चे-1957

भटकती राख-1966

पटरियाँ-1973

‘वाङचू’-1978

शोभायात्रा-1981

निशाचर-1983

मेरी प्रिय कहानियाँ

अहं ब्रह्मास्मि

अमृतसर आ गया

इन्द्रजाल

पाली- 1989

डायन-1998

खून का रिश्ता

भीष्म साहनी जीवनी साहित्य
भीष्म साहनी जीवनी साहित्य

भीष्म साहनी के उपन्यास

झरोखे-1967 (निम्न मध्यवर्गीय परिवार की दुःख पीड़ाओं का अंकन)

कड़ियाँ-1970 (पुरुष प्रधान समाज में स्त्री के हिस्से आनेवाली पीड़ाओं और अत्याचारों का अंकन)

तमस-1973 (पंजाब विभाजन पर)

बसन्ती-1980 (यह उपन्यास महानगरीय जीवन की खोखली चमक-दमक पर आधारित)

मायादास की माड़ी-1988

कुन्ती-1993

नीलू ,निलीमा, निलोफर-2000

भीष्म साहनी के नाटक संग्रह (साहनी जी ने कुल छह नाटक लिखे)

हानूस-1977 (इसकी रचना चेकोस्लोवाकिया की पृष्ठभूमि पर की गई है।)

कबिरा खड़ा बाज़ार में-1981 (महान संत कबीर के जीवन के आधार पर मध्यकालीन भारत के समाज में विद्यमान विद्रूपता को अभिव्यक्त किया है।)

माधवी-1984 (महाभारत की कथा के एक अंश को आधार बनाया गया है। यह ययाति की पुत्री माधवी के जीवन की कथा है।)

मुआवज़े-1993 (सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि को आधार बनाकर लिखा गया है)

आलमगीर-1996 (औरंगजेब के चरित्र पर आधारित)

मेरा रंग दे बसंती चोला-1999 (जलियांवाला बाग हत्याकांड पर आधारित नाटक)

भीष्म साहनी के बाल साहित्य

गुलेल का खेल

वापसी

अनुवाद : टालस्टाय के उपन्यास ‘रिसरेक्शन’ सहित लगभग दो दर्जन रूसी पुस्तकों का सीधे रूसी से हिंदी में अनुवाद

भीष्म साहनी की आत्मकथाएं

बलराज माई ब्रदर्स

आज के अतीत

भीष्म साहनी के पुरस्कार एवं सम्मान

साहित्य अकादमी पुरस्कार-1975

लेखक शिरोमणि पुरस्कार-1975

सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार-1983

पद्मभूषण-1998

भीष्म साहनी संबंधी विशेष तथ्य

‘तमस’ उपन्यास के लिए इनको 1975 ई.मे साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ| इसी उपन्यास पर फिल्म भी बनी है

‘आलमगीर’ और ‘रंग दे बसंती चोला’ इनके मात्र दस्तावेजी नाटक बनकर रह गए थे।

भारत विभाजन के बाद ये अमृतसर आकर रहने लगे।

इनके भाई बलराज साहनी बॉलीवुड में फिल्म अभिनेता रहे।

भीष्म साहनी ने भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) में भी काम किया। बाद में अमृतसर में अध्यापक पद पर काम किया|

ये दिल्ली विश्वविद्यालय में साहित्य के प्रोफेसर भी रहे|

साहनी प्रगतिशील लेखक संघ और अफ्रो-एशियाई लेखक संघ से भी जुड़े रहे|

भीष्म साहनी ने 1965 से दो साल तक ‘नयी कहानी पत्रिका’ का संपादन किया|

भीष्म साहनी की जीवनी, साहित्य, बाल साहित्य, भाषा शैली, विशेष तथ्य एवं संपूर्ण जानकारी

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

धर्मवीर भारती

धर्मवीर भारती की जीवनी

धर्मवीर भारती की जीवनी, साहित्य, कविताएं, कहानी, उपन्यास, निबंध, नाटक, यात्रा विवरण, पत्र-पत्रिकाओं का संपादन, पुरस्कार एवं मान-सम्मान तथा विशेष तथ्य आदि

जन्म- 25 दिसंबर 1926

जन्म भूमि- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

मृत्यु -4 सितंबर, 1997

मृत्यु स्थान- मुम्बई, महाराष्ट्र

अभिभावक – चिरंजीवलाल वर्मा, चंदादेवी

धर्मवीर भारती जीवनी साहित्य
धर्मवीर भारती जीवनी साहित्य

पति/पत्नी- कांता कोहली, पुष्पलता शर्मा (पुष्पा भारती)

संतान- परमीता, प्रज्ञा भारती (पुत्री), किन्शुक भारती (पुत्र)

कर्म भूमि- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

कर्म-क्षेत्र – लेखक, कवि, नाटककार

काल- आधुनिक काल (प्रयोगवाद काल)

नोट- भारती दुसरा-सप्तक में शामिल कवि थे|

धर्मवीर भारती की रचनाएं : धर्मवीर भारती की जीवनी एवं साहित्य

धर्मवीर भारती की कविताएं

ठंडा लोहा (1952)

सात गीत वर्ष (1959)

कनुप्रिया (1959)

सपना अभी भी (1993)

आद्यन्त (1999)

धर्मवीर भारती के पद्यनाटक अथवा गीतिनाट्य

अंधायुग (1954)

धर्मवीर भारती के कहानी संग्रह

मुर्दों का गाँव (1946)

स्वर्ग और पृथ्वी (1949)

चाँद और टूटे हुए लोग (1955)

बंद गली का आख़िरी मकान (1969)

साँस की क़लम से (पुष्पा भारती द्वारा संपादित सम्पूर्ण कहानियाँ ) (2000)

धर्मवीर भारती के रेखाचित्र

कुछ चेहरे कुछ चिंतन (1997)

धर्मवीर भारती के संस्मरण

शब्दिता (1997)

धर्मवीर भारती के उपन्यास

गुनाहों का देवता(1949)

सूरज का सातवाँ घोडा (1952)

ग्यारह सपनों का देश (प्रारंभ और समापन) 1960

धर्मवीर भारती के निबंध : धर्मवीर भारती की जीवनी एवं साहित्य

ठेले पर हिमालय (1958)

कहनी अनकहनी (1970)

पश्यंती (1969)

साहित्य विचार और स्मृति (2003)

धर्मवीर भारती के रिपोर्ताज : धर्मवीर भारती की जीवनी एवं साहित्य

मुक्त क्षेत्रे : युद्ध क्षेत्रे (1973)

युद्ध यात्रा (1972)

धर्मवीर भारती की आलोचनाएं

प्रगतिवाद: एक समीक्षा (1949)

मानव मूल्य और साहित्य (1960)

धर्मवीर भारती के एकांकी नाटक

नदी प्यासी थी (1954)

धर्मवीर भारती द्वारा अनुवाद

ऑस्कर वाइल्ड की कहानियाँ (1946)

देशांतर (21 देशों की आधुनिक कवितायें ) 1960

धर्मवीर भारती के यात्रा विवरण

यात्रा चक्र (1994)

धर्मवीर भारती की मृत्यु के बाद प्रकाशित रचनाएं

2001- धर्मवीर भारती की साहित्य साधना (संपादन पुष्पा भारती)

1998- धर्मवीर भारती से साक्षात्कार (संपादन पुष्पा भारती)

अक्षर अक्षर यज्ञ (पत्र : संपादन पुष्पा भारती 1998)

धर्मवीर भारती द्वारा पत्र-पत्रिकाओं का संपादन : धर्मवीर भारती की जीवनी एवं साहित्य

अभ्युदय

संगम

हिन्दी साहित्य कोष (कुछ अंश)

आलोचना

निकष

धर्मयुग

धर्मवीर भारती के सम्मान एवं पुरस्कार : धर्मवीर भारती की जीवनी एवं साहित्य

1967 संगीत नाटक अकादमी सदस्यता – दिल्ली

1984 हल्दीघाटी श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार – राजस्थान

1985 साहित्य अकादमी रत्न सदस्यता – दिल्ली

1986 संस्था सम्मान – उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान

1988 सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार – संगीत नाटक अकादमी, दिल्ली

1988 सर्वश्रेष्ठ लेखक सम्मान – महाराणा मेवाड़ फ़ाउंडेशन – राजस्थान

1989 गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार – केंद्रीय हिन्दी संस्थान – आगरा

1989 राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान – बिहार सरकार

1990 भारत भारती सम्मान – उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान

1990 महाराष्ट्र गौरव – महाराष्ट्र सरकार

1991 साधना सम्मान – केडिया हिन्दी साहित्य न्यास – मध्यप्रदेश

1992 महाराष्ट्राच्या सुपुत्रांचे अभिनंदन – वसंतराव नाईक प्रतिष्ठान- महाराष्ट्र

1994 व्यास सम्मान – के. के. बिड़ला फ़ाउंडेशन – दिल्ली

1996 शासन सम्मान – उत्तर प्रदेश सरकार – लखनऊ

1997 उत्तर प्रदेश गौरव – अभियान संस्थान – बम्बई

धर्मवीर भारती संबंधी विशेष तथ्य : धर्मवीर भारती की जीवनी एवं साहित्य

ये प्रारंभ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक रहे|

ये 1987 ईस्वी तक धर्मयुग पत्रिका के संपादक रहे|

उनकी कविताओं के प्रमुख विषय रूपा शक्ति, उद्दाम कामवासना एवं सबच्छंद विलास है|

कनुप्रिया रचना में राधा की परंपरागत चरित्र को नए रुप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है|

साहित्यकारों की सहायतार्थ आप ने 1943 ईस्वी में ‘परिमल’ नामक संस्था की स्थापना की थी|

आपने सिद्ध साहित्य पर शोध उपाधि प्राप्त की थी |

आपके द्वारा रचित सूरज का सातवां घोड़ा रचना पर एक टीवी धारावाहिक सात कड़ियों में भी प्रसारित हुआ था|

विकिपीडिया- https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0_%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

रांगेय राघव (त्र्यंबक वीर राघवाचार्य)

रांगेय राघव (त्र्यंबक वीर राघवाचार्य) की जीवनी

आधुनिक काल के साहित्यकार रांगेय राघव के जीवन-परिचय के साथ-साथ हम इनके साहित्य, काव्य, उपन्यास, कहानी, भाषा शैली, पुरस्कार एवं अन्य तथ्य सहित पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।

पूरा नाम- तिरूमल्लै नंबकम् वीरराघव आचार्य (टी.एन.बी.आचार्य)

जन्म -17 जनवरी, 1923

जन्म भूमि- आगरा, उत्तर प्रदेश

मृत्यु -12 सितंबर, 1962

मृत्यु स्थान- मुंबई, महाराष्ट्र

अभिभावक -श्री रंगनाथ वीर राघवाचार्य श्रीमती वन-कम्मा

पत्नी – सुलोचना

कर्म-क्षेत्र -उपन्यासकार, कहानीकार, कवि, आलोचक, नाटककार और अनुवादक

भाषा -हिन्दी, अंग्रेज़ी, ब्रज और संस्कृत

विद्यालय -सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा विश्वविद्यालय

शिक्षा -स्नातकोत्तर, पी.एच.डी

काल- आधुनिक काल (प्रगतिवादी युग)

रांगेय राघव जीवन-परिचय साहित्य
रांगेय राघव जीवन-परिचय साहित्य

रांगेय राघव की रचनाएं

जीवन-परिचय एवं साहित्य : रांगेय राघव के काव्य

अजेय खंडहर-1944 ( किस रचना को निम्न तीन शीर्षकों में बांटा गया है – 1. झंकार 2. ललकार 3. हुँकार)

पिघलते पत्थर-1946 (मुक्तक काव्य)

मेधावी-1947

राह के दीपक-1947

पांचाली-1955

रूपछाया

जीवन-परिचय एवं साहित्य : रांगेय राघव के उपन्यास

घरौंदा-1946

विषाद मठ

मुरदों का टीला (मोहनजोदड़ो का गणतंत्र)-1948

सीधा साधा रास्ता

हुजूर

चीवर-1951

प्रतिदान

अँधेरे के जुगनू (आंचलिक श्रेणी का उपन्यास )-1953

काका

उबाल

पराया

आँधी की नावें

अँधेरे की भूख

बोलते खंडहर

कब तक पुकारूँ (ब्रज के नटों के जीवन का वर्णन)

पक्षी और आकाश

बौने और घायल फूल

राई और पर्वत

बंदूक और बीन

राह न रुकी

जब आवेगी काली घटा-1958

छोटी सी बात

पथ का पाप

धरती मेरा घर

आग की प्यास

कल्पना

प्रोफेसर

दायरे

पतझर

आखिरी आवाज

रांगेय राघव के जीवनी प्रधान उपन्यास

डॉ. रांगेय राघव जी ने 1950 ई. के पश्चात् कई जीवनी प्रधान उपन्यास लिखे हैं, इनका पहला उपन्यास सन् 1951-1953 ई. के बीच प्रकाशित हुआ।

भारती का सपूत -जो भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की जीवनी पर आधारित है।

लखिमा की आंखें -जो विद्यापति के जीवन पर आधारित है।

मेरी भव बाधा हरो -जो बिहारी के जीवन पर आधारित है।

रत्ना की बात- जो तुलसी के जीवन पर आधारित है।

लोई का ताना -जो कबीर- जीवन पर आधारित है।

धूनी का धुंआं -जो गोरखनाथ के जीवन पर कृति है।

यशोधरा जीत गई (1954)-जो गौतम बुद्ध पर लिखा गया है।

देवकी का बेटा’ -जो कृष्ण के जीवन पर आधारित है।

रांगेय राघव के कहानी संग्रह

साम्राज्य का वैभव

देवदासी

समुद्र के फेन

अधूरी मूरत

जीवन के दाने

अंगारे न बुझे

ऐयाश मुरदे

इन्सान पैदा हुआ

पाँच गधे

एक छोड़ एक

रांगेय राघव की कहानियाँ

गदल ( राजस्थानी परिवेश से प्रेम की निगूढ़ अभिव्यक्ति)

रांगेय राघव के नाटक

स्वर्णभूमि की यात्रा

रामानुज

विरूढ़क

रांगेय राघव के रिपोर्ताज

तूफ़ानों के बीच

रांगेय राघव की आलोचनाएं

भारतीय पुनर्जागरण की भूमिका

भारतीय संत परंपरा और समाज

संगम और संघर्ष

प्राचीन भारतीय परंपरा और इतिहास

प्रगतिशील साहित्य के मानदंड

समीक्षा और आदर्श

काव्य यथार्थ और प्रगति

काव्य कला और शास्त्र

महाकाव्य विवेचन

तुलसी का कला शिल्प

आधुनिक हिंदी कविता में प्रेम और शृंगार

आधुनिक हिंदी कविता में विषय और शैली

गोरखनाथ और उनका युग

रांगेय राघव के सम्मान एवं पुरस्कार

हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार (1947)

डालमिया पुरस्कार (1954)

उत्तर प्रदेश शासन पुरस्कार (1957 तथा 1959)

राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार (1961)

महात्मा गाँधी पुरस्कार (1966)

रांगेय राघव संबंधी विशेष तथ्य

इन्हे हिंदी का शेक्सपीयर कहा जाता है|

प्रसिद्ध लेखक राजेंद्र यादव ने कहा है – ‘‘उनकी लेखकीय प्रतिभा का ही कमाल था कि सुबह यदि वे आद्यैतिहासिक विषय पर लिख रहे होते थे तो शाम को आप उन्हें उसी प्रवाह से आधुनिक इतिहास पर टिप्पणी लिखते देख सकते थे।”

दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक विभास चन्द्र वर्मा ने कहा कि आगरा के तीन ‘र‘ का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान है और ये हैं रांगेय राघव, रामविलास शर्मा और राजेंद्र यादव। वर्मा ने कहा कि रांगेय राघव हिंदी के बेहद लिक्खाड़ लेखकों में शुमार रहे हैं। उन्होंने क़रीब क़रीब हर विधा पर अपनी कलम चलाई और वह भी बेहद तीक्ष्ण दृष्टि के साथ।

उन्हें हिन्दी का पहला मसिजीवी क़लमकार भी कहा जाता है जिनकी जीविका का साधन सिर्फ़ लेखन था।

1942 में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद एक रिपोर्ताज लिखा- तूफ़ानों के बीच।

आधुनिक काल के साहित्यकार रांगेय राघव के जीवन-परिचय के साथ-साथ हम इनके साहित्य, काव्य, उपन्यास, कहानी, भाषा शैली, पुरस्कार एवं अन्य तथ्य सहित पूरी जानकारी प्राप्त की।

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

श्रीधर पाठक

श्रीधर पाठक की जीवनी एवं साहित्य

श्रीधर पाठक की जीवनी, साहित्य, रचनाएं, प्रबन्धात्मक काव्य, मौलिक प्रबन्धात्मक रचनाएं तथा श्रीधर पाठक से संबंधित विशेष तथ्य

जन्म- 11 जनवरी 1859

निधन- 13 सितम्बर 1928

जन्म स्थान- जोधरी, आगरा, उत्तरप्रदेश, भारत

काल- आधुनिक काल (द्विवेद्वी युग)

श्रीधर पाठक की रचनाएं : श्रीधर पाठक की जीवनी एवं साहित्य

(क) प्रबन्धात्मक काव्य(अनुदित):-

एकान्तवासी योगी- 1886 ई- अंग्रेजी साहित्य के गोल्डस्मिथ द्वारा रचित ‘हरमीट’ का हिंदी अनुवाद|

ऊजड़ ग्राम- 1889 ई.- गोल्डस्मिथ द्वारा रचित ‘डेजर्टिड विलिज’ का हिंदी अनुवाद|

श्रान्त पथिक-1902 ई.- गोल्डस्थिम द्वारा रचित ‘ट्रेवलर’ का हिंदी अनुवाद|

ऋतुसंहार ( संस्कृत के कालीदास की नाट्य रचना का अनुवाद)

(ख) मौलिक प्रबंधात्मक रचनाएं

जगत सचाई सार- 1887 ई.

काश्मीर सुषमा- 1904 ई.

आराध्य-शोकांजलि- 1906-( यह रचना इन्होंने अपने पिता की मृत्यु पर लिखी|)

जार्ज वंदना- 1912

भक्ति-विभा- 1913

गोखले प्रशस्ति- 1915

देहरादून- 1915

गोपिका गीत- 1916

भारत-गीत- 1928

मनोविनोद

वनाष्टक

बालविधवा

भारतोत्थान

भारत-प्रशंसा

गुनवंत हेमंत

स्वर्ग-वीणा
नोट:- ‘जगत सचाई सार’,’ सुथरे साइयों के सधुक्कड़ी’ ढंग पर लिखा गया है यथा:-
“जगत है सच्चा, तनिक न कच्चा, समझो बच्चा इसका भेद|” यह 51 पदों की लम्बी कविता है|
– ‘स्वर्ग वीणा’ मे परोक्ष सत्ता के रहस्य संकेत मिलते है|

श्रीधर पाठक के बारे में विशेष तथ्य

श्रीधर पाठक जी भारतेंदु हरिश्चंद्र का महावीर प्रसाद द्विवेदी दोनों के समकालीन रहे|

अपने समय के कवियों में प्रकृति का वर्णन पाठक जी ने सबसे अधिक किया, इससे हिंदी प्रेमियों में यह ‘प्रकृति के उपासक कवि’ नाम से प्रसिद्ध हुए|

गांव को काव्यवस्तु के रूप में लाने का श्रेय है पाठक जी को दिया जाता है|

रामचंद्र शुक्ल के अनुसार आधुनिक खड़ी बोली पद्य की पहली पुस्तक ‘एकांतवासी योगी’ मानी जाती है|, जो लावनी या ख्याल के ढंग पर लिखी गई है|

यह आधुनिक खडी बोली के प्रथम कवि माने जाते हैं|

श्रीधर पाठक की जीवनी, साहित्य, रचनाएं, प्रबन्धात्मक काव्य, मौलिक प्रबन्धात्मक रचनाएं तथा श्रीधर पाठक से संबंधित विशेष तथ्य

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

श्रीकांत वर्मा

श्रीकांत वर्मा की जीवनी एवं साहित्य

श्रीकांत वर्मा की जीवनी एवं साहित्य, काव्य रचनाएं, उपन्यास, कहानी, साक्षात्कार, भाषाशैली, रचनावली, पुरस्कार एवं सम्मान तथा विशेष तथ्य

जन्म- 18 सितम्बर, 1931

जन्म भूमि- बिलासपुर, छत्तीसगढ़

मृत्यु- 26 मई, 1986

मृत्यु स्थान- न्यूयार्क (जीवन के अंतिम क्षणों में श्रीकांत वर्मा जी को अनेक बीमारियों ने घेर रखा था। अमेरिका में वे कैंसर का इलाज कराने के लिए गए थे। 26 मई, 1986 को न्यूयार्क में उनका निधन हुआ।)

अभिभावक – राजकिशोर वर्मा

काल- नई कविता आन्दोलन के कवि

श्रीकांत वर्मा का साहित्य

श्रीकांत वर्मा की काव्य रचनाएं

भटका मेघ (1957),

मायादर्पण (1967),

दिनारंभ (1967),

जलसाघर (1973),

मगध (1983)

और गरुड़ किसने देखा (1986)

श्रीकांत वर्मा के उपन्यास

दूसरी बार (1968)

श्रीकांत वर्मा के कहानी संग्रह

झाड़ी (1964),

संवाद (1969),

घर (1981),

दूसरे के पैर (1984),

अरथी (1988),

ठंड (1989),

वास (1993)

और साथ (1994)

श्रीकांत वर्मा के यात्रा वृत्तांत

संकलन – प्रसंग।

श्रीकांत वर्मा के संकलन

जिरह (1975)

श्रीकांत वर्मा का साक्षात्कार

बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में (1982)।

अनुवाद – ‘फैसले का दिन’ रूसी कवि आंद्रे बेंज्नेसेंस्की की कविता का अनुवाद।

श्रीकांत वर्मा के पुरस्कार एवं सम्मान : श्रीकांत वर्मा जीवनी साहित्य

‘तुलसी पुरस्कार’ (1973) – मध्य प्रदेश सरकार।

‘आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’ (1983)

‘शिखर सम्मान’ (1980)

‘कुमार आशान राष्ट्रीय पुरस्कार’ (1984) – केरल सरकार।

‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (1987) – ‘मगध’ नामक कविता संग्रह के लिए मरणोपरांत।

श्रीकांत वर्मा के विशेष तथ्य : श्रीकांत वर्मा जीवनी साहित्य

1954 में उनकी भेंट गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ से हुई। उनकी प्रेरणा से बिलासपुर में श्रीकांत वर्मा ने नवलेखन की पत्रिका ‘नयी दिशा’ का संपादन करना शुरू किया।

1956 से नरेश मेहता के साथ प्रख्यात साहित्यिक पत्रिका ‘कृति’ का दिल्ली से संपादन एवं प्रकाशन कार्य किया।

ये 1976 में राज्य सभा में निर्वाचित हुए थे।

वर्ष 1965 से 1977 तक उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ़ इण्डिया’ से निकलने वाली पत्रिका ‘दिनमान’ में संवाददाता की हैसियत से कार्य किया।

बाद के समय में श्रीकांत वर्मा कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हो गए और उन्हें ‘दिनमान’ से अलग होना पड़ा। 1969 में वे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के काफ़ी क़रीब आये।

वे कांग्रेस के महासचिव भी बनाये गये थे। 1976 में वे मध्य प्रदेश से राज्य सभा में निर्वाचित हुए। इसके बाद 1980 में कांग्रेस प्रचार समीति के अध्यक्ष नियुक्त हुए। राजीव गाँधी के शासन काल में उन्हें 1985 में महासचिव के पद से हटा दिया गया।

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

कुंवर नारायण

कुंवर नारायण की जीवनी

कुंवर नारायण का जीवन-परिचय, साहित्यिक-परिचय भाषा शैली, कविता कोश, रचनाएं, खंडकाव्य, मान-सम्मान एवं विशेष तथ्य आदि की जानकारी

जन्म- 19 सितम्बर, 1927

मृत्यु- 15 नवंबर 2017

जन्म भूमि- फैजाबाद, उत्तर प्रदेश

कर्म-क्षेत्र- कवि, लेखक

युग- प्रयोगवाद व नई कविता युग के कवि

कुंवर नारायण की रचनाएं : कुंवर नारायण जीवन-परिचय साहित्यिक-परिचय

कुंवर नारायण की कविताएं या कविता संग्रह

चक्रव्यूह (1956),

तीसरा सप्तक (1959),

परिवेश : हम-तुम(1961),

अपने सामने (1979),

कोई दूसरा नहीं(1993),

इन दिनों(2002)।

कुंवर नारायण के खण्डकाव्य

आत्मजयी (1965)

वाजश्रवा के बहाने (2007)

कुंवर नारायण कहानी संग्रह

आकारों के आसपास (1973)

कुंवर नारायण के समीक्षा विचार

आज और आज से पहले(1998)

मेरे साक्षात्कार (1999)

साहित्य के कुछ अन्तर्विषयक संदर्भ (2003)

कुंवर नारायण के संकलन

कुंवर नारायण-संसार(चुने हुए लेखों का संग्रह) 2002,

कुँवर नारायण उपस्थिति (चुने हुए लेखों का संग्रह)(2002),

नारायण चुनी हुई कविताएँ (2007),

कुँवर नारायण- प्रतिनिधि कविताएँ (2008)

इन दिनों

कुंवर नारायण के पुरस्कार एवं सम्मान : कुंवर नारायण जीवन-परिचय साहित्यिक-परिचय

ज्ञानपीठ पुरस्कार-2005

साहित्य अकादमी पुरस्कार-1995

व्यास सम्मान

कुमार आशान पुरस्कार,

प्रेमचंद पुरस्कार,

राष्ट्रीय कबीर सम्मान,

शलाका सम्मान,

मेडल ऑफ़ वॉरसा यूनिवर्सिटी,

पोलैंड और रोम के अन्तर्राष्ट्रीय प्रीमियो फ़ेरेनिया सम्मान

पद्मभूषण -2009

कुंवर नारायण के विशेष तथ्य : कुंवर नारायण जीवन-परिचय साहित्यिक-परिचय

‘चक्रव्यूह’ इनका सबसे पहला काव्य संग्रह है|

‘आत्मजयी’ प्रबंध काव्य श्रेणी की रचना है| यह ‘कठोपनिषद्’ के यम-नचिकेता संवाद पर आधारित है इसमे नचिकेता प्रबुद्ध नयी चेतना का प्रतीक है जबकि ‘बाजश्रवा’ पुराने मूल्यों की वाहक पीढी़ का प्रतीक है|

‘वाजश्रवा के बहाने’ कृति में अपनी विधायक संवेदना के साथ जीवन के आलोक को रेखांकित किया है। यह कृति आज के इस बर्बर समय में भटकती हुई मानसिकता को न केवल राहत देती है, बल्कि यह प्रेरणा भी देती है कि दो पीढ़ियों के बीच समन्वय बनाए रखने का समझदार ढंग क्या हो सकता है।

‘कोई दुसरा नहीं’ रचना – 1995 साहित्य आकादमी पुरस्कार मिला|

हिंदी में सम्पूर्ण योगदान के लिए 2005 ई. में ‘भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार’ मिला|

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रामविलास शर्मा

रामविलास शर्मा की जीवनी

रामविलास शर्मा जीवन-परिचय, साहित्य-परिचय, आलोचना दृष्टि, निबंध, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा, कविता संग्रह, भाषा शैली, रामविलास शर्मा की आत्मकथा आदि की संपूर्ण जानकारी

जन्म -10 अक्टूबर, 1912

जन्म भूमि -उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश

मृत्यु -30 मई, 2000

कर्म-क्षेत्र -आलोचक, निबंधकार, विचारक, कवि

भाषा -हिंदी और अंग्रेज़ी

विद्यालय -लखनऊ विश्वविद्यालय

शिक्षा -एम.ए. (अंग्रेज़ी), पी.एचडी.

युग- प्रयोगवादी युग (तार सप्तक-1943 के कवि)

रामविलास शर्मा की रचनाएं : रामविलास शर्मा जीवन-परिचय साहित्य-परिचय

लगभग 100 महत्वपूर्ण पुस्तकों का सृजन।

रामविलास शर्मा के कविता संग्रह

तार सप्तक (1943) में संकलित कविताएँ

रूप तरंग

सदियों के सोये जाग उठे

प्रतिनिधि कविताएं

रामविलास शर्मा के उपन्यास

चार दिन

रामविलास शर्मा के नाटक

पाप के पुजारी

रामविलास शर्मा की आत्मकथा

अपनी धरती अपने लोग (1996, 3 खंड)

घर की बात

रामविलास शर्मा की आलोचना/निबंध

-निराला जी की कविता(1934) (सर्वप्रथम आलोचनात्मक लेख)

-प्रेमचंद (1941, पहली पुस्तक)

-प्रेमचंद और उनका युग (1941),

-भाषा और साहित्य में पाकिस्तान (1941)

-भारतेंदु हरिश्चन्द्र (1942),

-गोस्वामी तुलसीदास और मध्यकालीन भारत (1944)

-निराला (1946),

-राष्ट्रभाषा हिन्दी और हिन्दू राष्ट्रवाद (1948)

-साहित्य और संस्कृति (1949)

-भारत की भाषा समस्या (1949)

-लोकजीवन और साहित्य (1951)

-‘भारतेंदु युग और हिन्दी साहित्य का विकास’

-प्रगति और परम्परा (1953),

-जातीय भाषा के रूप में हिन्दी का प्रसार (1953)

-हिन्दी-उर्दू समस्या (1953)

भाषा, साहित्य और संस्कृति (1954),

-प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं (1955)

-आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1956)

-आस्था और सौन्दर्य (1956)(निबंध)

-उर्दू समस्या (1958)

-भाषा और समाज (1961),

-भाषा की समस्या और मज़दूर वर्ग (1965)

-भारत की राजभाषा अंग्रेज़ी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (1965)

निराला की साहित्य साधना (तीन-भाग) – (1969, 1967-76, साहित्य अकादमी पुरस्कार-1970),

-नई कविता और अस्तित्ववाद (1975)

-महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण (1977),

-‘भारत में अँग्रेजी राज्य और मार्क्सवाद (1982, 2 खंड)’,

-मार्क्सवाद और प्रगतिशील साहित्य (1985)

-हिन्दी जाति का इतिहास (1986)

-इतिहास-दर्शन (1995)

-भारतीय नवजागरण और यूरोप (1996)

-भारतीयसाहित्य की भूमिका (1996),

-भारतीय संस्कृति और हिन्दी प्रदेश (1999, 2 खंड)’,

-परम्परा का मूल्यांकन,

-‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी (3 खंड, व्यास सम्मान-1991)’

-‘गाँधी, आंबेडकर और लोहिया (2000)’,

-‘पश्चिमी एशिया और ऋग्‍वेद’ (1994),

-‘भारतीय साहित्य और हिन्दी जाति के साहित्य की अवधारणा’

-भारतीय सौन्दर्य बोध और तुलसीदास (2001)

-भारतेंदु हरिश्चन्द्र और हिन्दी नवजागरण की समस्याएं (1984)

-मार्क्स और पिछड़े समाज

-मेरे साक्षात्कार

-घर की बात

-धूल

-ऐतिहासिक भाषाविज्ञान और हिन्दी

-सन् सत्तावन की राजक्रान्ति और मार्क्सवाद

-पाश्चात्य दर्शन और सामाजिक अन्तरविरोध : थाल्स से मार्क्स तक लेख

-हिन्दी जाति के सांस्कृतिक इतिहास की रूपरेखा (1977)

-प्रगतिशील कविता की वैचारिक भूमिका

रामविलास शर्मा के सम्मान एवं पुरस्कार : रामविलास शर्मा जीवन-परिचय साहित्य-परिचय

वर्ष 1986-87 में हिन्दी अकादमी के प्रथम सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। इसके अतिरिक्त 1991 में इन्हें प्रथम व्यास सम्मान से भी सम्मानित किया गया।

रामविलास शर्मा संबंधी विशेष तथ्य : रामविलास शर्मा जीवन-परिचय साहित्य-परिचय

– यह आचार्य शुक्ल के प्रबल समर्थक माने जाते हैं|

– समालोचक पत्रिका मासिक, आगरा, प्रधान सम्पादक रहे|

– रामविलास शर्मा ने यद्यपि कविताएँ अधिक नहीं लिखीं, पर हिन्दी के प्रयोगवादी काव्य-आन्दोलन के साथ वे घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध रहे हैं। ‘अज्ञेय’ द्वारा सम्पादित ‘तारसप्तक’ (1943 ई.) के एक कवि रूप में इनकी रचनाएँ काफ़ी चर्चित हुई हैं।

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आधुनिक काल के साहित्यकार

यशपाल

यशपाल जीवन परिचय

यशपाल के जीवन परिचय और साहित्य की संपूर्ण जानकारी-

जन्म -3 दिसम्बर, 1903 ई.

जन्म भूमि – फ़िरोजपुर छावनी, पंजाब, भारत

मृत्यु -26 दिसंबर, 1976 ई.

अभिभावक- हीरालाल, प्रेमदेवी

कर्म-क्षेत्र -उपन्यासकार, लेखक, निबंधकार

नोट:- ये साम्यवादी या प्रगतिवादी उपन्यासकार है|

यशपाल साहित्य परिचय

यशपाल के जीवन परिचय और साहित्य की संपूर्ण जानकारी निम्न प्रकार है-

कहानी संग्रह

ज्ञानदान 1944 ई.

अभिशप्त 1944 ई.

तर्क का तूफ़ान 1943 ई.

भस्मावृत

चिनगारी 1946 ई.

वो दुनिया 1941 ई.

फूलों का कुर्ता 1949 ई.

धर्मयुद्ध 1950 ई.

उत्तराधिकारी 1951 ई.

चित्र का शीर्षक 1952 ई.

पिंजरे की उडान

उत्तमी की माँ

सच बोलने की भूल

तुमने क्यों कहा कि मैं सुन्दर हूँ

यशपाल की कहानियां : जीवन परिचय और साहित्य

चक्कर क्लब

परदा

आदमी और खच्चर

कुत्ते की पूँछ

यशपाल के उपन्यास : जीवन परिचय और साहित्य

दादा कामरेड 1941 ई.

देशद्रोही 1943 ई.

पार्टी कामरेड 1947 ई.

दिव्या 1945 ई.

मनुष्य के रूप 1949 ई.

अमिता 1956 ई.

झूठा सच-1960. (दो भाग प्रथम-1958, वतन और देश, द्वितीय-1960- देश का भविष्य)

मेरी तेरी उसकी बात-1974 (1942 की क्रांति पर आधारित)

अप्सरा का शाप 2010 ई.

यशपाल के निबंध संग्रह

न्याय का संघर्ष 1940 ई.

गाँधीवाद की शव परीक्षा-1941 ई.

चक्कर क्लब 1942 ई.

बात-बात में बात 1950 ई.

देखा, सोचा, समझा 1951 ई.

मार्क्सवाद

सिंहावलोकन -1951 (तीन खंड) आत्मकथा

संस्मरण – कुछ संस्मरण-1990

यशपाल के पुरस्कार व सम्मान

इनकी साहित्य सेवा तथा प्रतिभा से प्रभावित होकर रीवा सरकार ने ‘देव पुरस्कार’ (1955)

सोवियत लैंड सूचना विभाग ने ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ (1970)

हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ (1971)

भारत सरकार ने ‘पद्म भूषण’ की उपाधि प्रदान कर इनको सम्मानित किया है।

यशपाल संबंधी विशेष तथ्य

यह प्रगतिवादी उपन्यास परंपरा के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार माने जाते हैं।

झूठा सच देश विभाजन की त्रासदी पर आधारित इनका सर्वश्रेष्ट चर्चित उपन्यास है।

अपने उपन्यासों में इन्होंने नारी की समस्या को भी पूरी सहानुभूति से प्रस्तुत किया है।

इन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया ये सुखदेव और भगत सिंह के सहयोगी थे।क्रांतिकारी आंदोलन के कारण इन्हे जेल भी जाना पड़ा|

जेल से मुक्त होने के बाद इन्होंने ‘विप्लव’ मासिक पत्र निकाला।

इन्होने ‘पिंजरे की उड़ान’ और ‘वो दुनियाँ’ की कहानियाँ जेल में ही लिखी थी।

अंततः आशा है कि आपके लिए यशपाल का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय उपयोगी सिद्ध हुआ होगा।

आदिकाल के साहित्यकार
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भारतेंदु हरिश्चंद्र

इसमें हम भारतेंदु हरिश्चंद्र की जीवनी और संपूर्ण साहित्य की जानकारी प्राप्त करेंगे जो प्रतियोगी परीक्षाओं एवं हिंदी साहित्य प्रेमियों हेतु ज्ञानवर्धक सिद्ध होने की आशा है।

भारतेंदु हरिश्चंद्र की जीवनी

पूरा नाम- बाबू भारतेन्दु हरिश्चंद्र

जन्म- 9 सितम्बर सन् 1850

जन्म भूमि- वाराणसी, उत्तर प्रदेश

मृत्यु- 6 जनवरी, सन् 1885

Note:- मात्र 35 वर्ष की अल्प आयु में ही इनका देहावसान हो गया था|

मृत्यु स्थान- वाराणसी, उत्तर प्रदेश

अभिभावक – बाबू गोपाल चन्द्र

कर्म भूमि वाराणसी

कर्म-क्षेत्र- पत्रकार, रचनाकार, साहित्यकार

उपाधी:- भारतेंदु

नोट:- डॉक्टर नगेंद्र के अनुसार उस समय के पत्रकारों एवं साहित्यकारों ने 1880 ईस्वी में इन्हें ‘भारतेंदु’ की उपाधि से सम्मानित किया|

Bhartendu Harishchandra
Bhartendu Harishchandra

भारतेंदु हरिश्चंद्र के सम्पादन कार्य

इनके द्वारा निम्नलिखित तीन पत्रिकाओं का संपादन किया गया:-

कवि वचन सुधा-1868 ई.– काशी से प्रकाशीत (मासिक,पाक्षिक,साप्ताहिक)

हरिश्चन्द्र चन्द्रिका- 1873 ई. (मासिक)- काशी से प्रकाशीत

आठ अंक तक यह ‘हरिश्चन्द्र मैगजीन’ नाम से तथा ‘नवें’ अंक से इसका नाम ‘हरिश्चन्द्र चन्द्रिका’ रखा गया|

हिंदी गद्य का ठीक परिष्कृत रूप इसी ‘चंद्रिका’ में प्रकट हुआ|

3. बाला-बोधिनी- 1874 ई. (मासिक)- काशी से प्रकाशीत – यह स्त्री शिक्षा सें संबंधित पत्रिका मानी जाती है|

भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचनाएं

इनकी कुल रचनाओ की संख्या 175 के लगभग है-

नाट्य रचनाएं:-कुल 17 है जिनमे ‘आठ’ अनूदित एवं ‘नौ’ मौलिक नाटक है-

भारतेंदु हरिश्चंद्र के अनूदित नाटक

विद्यासुंदर- 1868 ई.- यह संस्कृत नाटक “चौर पंचाशिका” के बंगला संस्करण का हिन्दी अनुवाद है|

रत्नावली- 1868 ई.- यह संस्कृत नाटिका ‘रत्नावली’ का हिंदी अनुवाद है|

पाखंड-विडंबन- 1872 ई.- यह संस्कृत में ‘कृष्णमिश्र’ द्वारा रचित ‘प्रबोधचन्द्रोदय’ नाटक के तीसरे अंक का हिंदी अनुवाद है|

धनंजय विजय- 1873 ई.- यह संस्कृत के ‘कांचन’ कवि द्वारा रचित ‘धनंजय विजय’ नाटक का हिंदी अनुवाद है

कर्पुरमंजरी- 1875 ई.- यह ‘सट्टक’ श्रेणी का नाटक संस्कृत के ‘काचन’ कवि के नाटक का अनुवाद|

भारत जननी- 1877 ई.- इनका गीतिनाट्य है जो संस्कृत से हिंदी में अनुवादित

मुद्राराक्षस- 1878 ई.- विशाखादत्त के संस्कृत नाटक का अनुवाद है|

दुर्लभबंधु-1880 ई.- यह अग्रेजी नाटककार ‘शेक्सपियर’ के ‘मर्चेट ऑव् वेनिस’ का हिंदी अनुवाद है|

Trik :- विद्या रत्न पाकर धनंजय कपुर ने भारत मुद्रा दुर्लभ की|

मौलिक नाटक- नौ

वैदिक हिंसा हिंसा न भवति- 1873 ई.- प्रहसन – इसमे पशुबलि प्रथा का विरोध किया गया है|

सत्य हरिश्चन्द्र- 1875 ई.- असत्य पर सत्य की विजय का वर्णन|

श्री चन्द्रावली नाटिका- 1876 ई. – प्रेम भक्ति का आदर्श प्रस्तुत किया गया है|

विषस्य विषमौषधम्- 1876 ई.- भाण- यह देशी राजाओं की कुचक्रपूर्ण परिस्थिति दिखाने के लिए रचा गया था|

भारतदुर्दशा- 1880 ई.- नाट्यरासक

नीलदेवी- 1881 ई.- गीतिरूपक

अंधेर नगरी- 1881 ई.- प्रहसन (छ: दृश्य) भ्रष्ट शासन तंत्र पर व्यंग्य किया गया है|

प्रेम जोगिनी- 1875 ई.– तीर्थ स्थानों पर होनें वाले कुकृत्यों का चित्रण किया गया है|

सती प्रताप- 1883 ई.यह इनका अधुरा नाटक है बाद में ‘ राधाकृष्णदास’ ने पुरा किया|

भारतेंदु हरिश्चंद्र की काव्यात्मक रचनाएं

इनकी कुल काव्य रचना 70 मानी जाती है जिनमे कुछ प्रसिद्ध रचनाएं:-

प्रेममालिका- 1871

प्रेमसरोवर-1873

प्रेमपचासा

प्रेमफुलवारी-1875

प्रेममाधुरी-1875

प्रेमतरंग

प्रेम प्रलाप

विनय प्रेम पचासा

वर्षा- विनोद-1880

गीत गोविंदानंद

वेणु गीत -1884

मधु मुकुल

बकरी विलाप

दशरथ विलाप

फूलों का गुच्छा- 1882

प्रबोधिनी

सतसई सिंगार

उत्तरार्द्ध भक्तमाल-1877

रामलीला

दानलीला

तन्मय लीला

कार्तिक स्नान

वैशाख महात्म्य

प्रेमाश्रुवर्षण

होली

देवी छद्म लीला

रानी छद्म लीला

संस्कृत लावनी

मुंह में दिखावनी

उर्दू का स्यापा

श्री सर्वोतम स्तोत्र

नये जमाने की मुकरी

बंदरसभा

विजय-वल्लरी- 1881

रिपनाष्टक

भारत-भिक्षा- 1881

विजयिनी विजय वैजयंति- 1882

नोट- इनकी ‘प्रबोधनी’ रचना विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की प्रत्यक्ष प्रेरणा देने वाली रचना है|

‘दशरथ विलाप’ एवं ‘फूलों का गुच्छा’ रचनाओं में ब्रजभाषा के स्थान पर ‘खड़ी बोली हिंदी’ का प्रयोग हुआ है|

इनकी सभी काव्य रचनाओं को ‘भारतेंदु ग्रंथावली’ के प्रथम भाग में संकलित किया गया है|

‘देवी छद्म लीला’, ‘तन्मय लीला’ आदि में कृष्ण के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत किया गया है|

भारतेंदु हरिश्चंद्र के उपन्यास

हम्मीर हठ

सुलोचना

रामलीला

सीलावती

सावित्री चरित्र

भारतेंदु हरिश्चंद्र के निबंध

कुछ आप बीती कुछ जग बीती

सबै जाति गोपाल की

मित्रता

सूर्योदय

जयदेव

बंग भाषा की कविता

भारतेंदु हरिश्चंद्र के इतिहास ग्रंथ

कश्मीर कुसुम

बादशाह

विकिपीडिया लिंक- भारतेंदु हरिश्चंद्र

अंततः हम आशा करते हैं कि यह भारतेंदु हरिश्चंद्र की जीवनी और संपूर्ण साहित्य की जानकारी प्रतियोगी परीक्षाओं एवं हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए ज्ञानवर्धक होगी।

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