आदिकाल की प्रमुख पंक्तियाँ

आदिकाल की प्रमुख पंक्तियाँ हिंदी साहित्य की इस पोस्ट में आप जानेंगे आदिकाल के प्रमुख कवियों की महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख पंक्तियाँ 1- “नाद न बिंदु न रवि न शशि मंडल, चिअराअ सहावै मूक्ल”— सरहपा 2- “पंडिअ सअल सत्त बक्खाणई। देहहि बुद्ध बसंत न जाणइ”— सरहपा 3- “भल्ला हुआ जू मारिया बहिणि महारा कंत लज्जेजं तु … Read more

आदिकाल में गद्य साहित्य Aadikal ka gadya sahitya

आदिकाल में गद्य साहित्य aadikal ka gadya sahitya काव्य रचना के साथ-साथ आदिकाल में गद्य साहित्य रचना के भी प्रयास लक्षित होते हैं जिनमें कुवलयमाला, राउलवेल, उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण, वर्ण रत्नाकर उल्लेखनीय रचनाएं हैं। कुवलयमाला — उद्योतनसूरि (9 वीं सदी) “कुवलयमाला कथा में ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें बोलचाल की तात्कालिक भाषा के नमूने मिलते हैं।”— आचार्य हजारी … Read more

साहित्यिक ग्रन्थों के भाग या छंद

साहित्यिक ग्रन्थ व उनके भाग या छंद साहित्यिक ग्रन्थों के भाग या छंद अथवा दोहों की संख्या, शब्द, अध्याय आदि की संख्या की पूरी जानकारी| सूरज प्रकाश- 7500 छंद खुमाण रासौ- 08 खंड / 3500 छ्न्द संगत रासौ- 943 छंद वीर सतसई- 713 दोहे बिहारी सतसई- 713 दोहे राजस्थानी शब्द कोश- 10 खंड/2 लाख शब्द … Read more

जैन साहित्य ( Jain Sahitya ) की जानकारी

जैन साहित्य ( Jain Sahitya ) की जानकारी जैन साहित्य ( Jain Sahitya ) की जानकारी – जैन साहित्य ( Jain Sahitya ) की विशेषताएं, प्रमुख जैन कवि एवं आचार्य, जैन साहित्य का वर्गीकरण एवं जैन साहित्य की रास परंपरा आदि के बारे में इस पोस्ट में विस्तृत जानकारी मिलेगी। हिंदी कविता के माध्यम से … Read more

नाथ साहित्य (Nath Sahitya ) एक परिचय

नाथ साहित्य ( Nath Sahitya ) एक परिचय वज्रयानी सिद्धों के भोग प्रधान योग साधना की प्रतिक्रिया स्वरुप विकसित नाथ मत में जो साहित्य जन भाषा में लिखा है, हिंदी के नाथ साहित्य  ( Nath Sahitya ) की सीमा में आता है। ‘ नाथ साहित्य एक परिचय ’ में हम जानेंगे- सब नाथों में प्रथम … Read more

आदिकाल की उपलब्ध सामग्री

आदिकाल की उपलब्ध सामग्री आदिकालीन हिंदी साहित्य की उपलब्ध सामग्री के दो रूप हैं- प्रथम वर्ग में वे रचनाएं आती हैं, जिनकी भाषा तो हिंदी है, परंतु वह अपभ्रंश के प्रभाव से पूर्णत: मुक्त नहीं हैं, और द्वितीय प्रकार की रचनाएं वे हैं, जिनको अपभ्रंश के प्रभाव से मुक्त हिंदी की रचनाएं कहा जा सकता … Read more

आदिकालीन अपभ्रंश साहित्य

आदिकालीन अपभ्रंश साहित्य आदिकालीन अपभ्रंश साहित्य के अंतर्गत आदिकालीन अपभ्रंश के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएं पढने के साथ-साथ आदिकालीन अपभ्रंश साहित्य की विशेषताएं एवं प्रमुख प्रवृत्तियां आदि भी जानेंगे। डॉ. हरदेव बाहरी ने सातवीं शती से ग्यारहवीं शती के अंत तक के काल को ‘अपभ्रंश का स्वर्णकाल’ माना है। अपभ्रंश में तीन प्रकार के … Read more

आदिकाल Aadikal का सामान्य परिचय

आदिकाल Aadikal का सामान्य परिचय इस पोस्ट में आदिकाल Aadikal का सामान्य परिचय, हिंदी का प्रथम कवि, हिंदी का प्रथम ग्रंथ, आदिकाल से संबंधित विभिन्न विद्वानों के प्रमुख कथन एवं महत्त्वपूर्ण कथन शामिल हैं। आदिकाल का नामकरण — प्रस्तोता चारण काल — जॉर्ज ग्रियर्सन प्रारंभिक काल — मिश्रबंधु, डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त बीजवपन काल — आ. … Read more

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख पद्धतियाँ

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख पद्धतियाँ हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख पद्धतियाँ चार रही हैं। साहित्य, समाज, विज्ञान, संस्कृति, भूगोल, मानव विकास आदि सभी क्षेत्रों इतिहास और विकास को समझने के लिए उसका विश्लेषण करना आवश्यक है। विश्लेषण करने वाले विद्वानों का पृथक-पृथक दृष्टिकोण होता है। साहित्येतिहास लेखन में भी साहित्येतिहासकारों … Read more

नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ

नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ रीतिकाल में काव्यशास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना हुई। यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के विभिन्न अंगों को लेकर लिखे गए। इनमें से कुछ ग्रंथ सर्वांग निरूपक ग्रंथ थे जबकि कुछ विशेषांग निरूपक थे। इस आलेख में नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ की पूरी जानकारी मिलेगी। विशेषांग निरूपक ग्रंथों में ध्वनि … Read more

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