अपवाह तंत्र Drainage System

अपवाह तंत्र Drainage System

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निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जल प्रवाह को “अपवाह” कहते हैं।

उक्त वाहिकाओं के जाल को “अपवाह तंत्र” कहते हैं।

जल ग्रहण क्षेत्र– एक नदी विशिष्ट क्षेत्र से अपना जल बहा कर लाती है जिसे “जल ग्रहण क्षेत्र” कहते हैं।

अपवाह द्रोणी– एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को “अपवाह द्रोणी” कहते हैं।

एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करने वाली सीमा को “जल विभाजक” या “जल संभर” कहते हैं।

बड़ी नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र को नदी द्रोणी तथा छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित जल को जल संभर कहा जाता है।

हिमालय से निकलने वाली मुख्य सभी नदियां सदा वाहिनी है, जबकि दक्कन के पठार में बहने वाली सभी नदियां मोसमी नदियां हैं।

अपवाह तंत्र की प्रमुख नदियाँ : अपवाह तंत्र का आशय एवं प्रतिरूप

सिंधु नदी तंत्र

सिन्धु नदी

सिंधु नदी तिब्बत के मानसरोवर के निकट कैलास पर्वत श्रेणी में बोखर चू के निकट एक ग्लेशियर से निकलती है।

तिब्बत में इसे सिंगी खंबान या शेर मुख कहते हैं।

भारत में सिंधु नदी के बल्ले जिले में बहती है। फिर पाकिस्तान में तथा वहां से अरब सागर में गिर जाती है।

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अपवाह तंत्र आशय प्रतिरूप

सिंधु नदी की पाँच महत्त्वपूर्ण सहायक नदियां हैं-

सिंधु नदी की सहायक नदियों का उत्तर से दक्षिण की तरफ का क्रम-

झेलम

चिनाब

रावी

व्यास

सतलुज

पाकिस्तान के पठानकोट में पाँचों नदियां जाकर सिंधु नदी में मिल जाती है।

जिसे पंचनंद कहा जाता है।

पाकिस्तान की वाणिज्यिक राजधानी कराची सिंधु के किनारे स्थित है।

सिन्धु नदी तंत्र में 2 नदियां तिब्बत से आती है –

सिंधु नदी

सतलुज नदी

सिंधु व सतलुज दोनों ही नदियां मानसरोवर के निकट से निकलती है, परन्तु ग्लेशियर अलग-अलग है।

सिन्धु नदी-सानोख्याबाब (सिन-का-बाब) हिमनद

सतलुज नदी- राक्षसताल हिमनद

मिथुनकोट- पाँचों सहायक नदियों का मिलन स्थल है। (व्यास नदी को छोड़कर)

सिंधु नदी की कुल लंबाई 2880 किलोमीटर है, जबकि भारत में इसकी लंबाई 1114 किलोमीटर है।

यह हिमालय की सबसे पश्चिमी नदी है।

झेलम नदी-

यह नदी पीर पंजाल पर्वत में स्थित वेरीनाग झरने से निकलती है।

कश्मीर की राजधानी श्रीनगर इस नदी के किनारे है।

डल तथा वूलर झील में बहती हुई है।

यह नदी पाकिस्तान में झंग के निकट चेनाब में मिल जाती है।

परियोजना- किशनगंगा (20 दिसंबर 2013 विवाद)।

तुलबुल परियोजना और उरी परियोजना।

इसी नदी को श्रीनगर की लाइफ लाइन कहते हैं।

चिनाब नदी-

यह नदी चंद्र तथा भागा दो नदियों के मेल से बनती है।

इनका मेल हिमाचल प्रदेश में केलांग के निकटतम तांडी में होता है।

यह भारत में 1180 किलोमीटर तक बहती है।

परियोजना-

बगलिहार परियोजना – जम्मू कश्मीर 2. दुलहस्ती परियोजना – जम्मू कश्मीर

सलाल परियोजना

पाकुलदुल परियोजना – जम्मू कश्मीर (मारू संदर नदी जम्मू कश्मीर पर बनाई गई है।)

रावी नदी-

यह हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है।

पाकिस्तान में प्रवेश कर यह चेनाब में मिल जाती है।

इस नदी के तट पर पाकिस्तान का लाहौर नगर बसा हुआ है।

परियोजना- थीन परियोजना – हिमाचल प्रदेश व पंजाब

व्यास नदी-

यह रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से निकलती है।

पंजाब में यह हरिके के पास सतलुज नदी में जा मिलती है।

सिंधु अपवाह की एकमात्र बड़ी सहायक नदी जो अपना जल पाकिस्तान नहीं ले जाती है।

परियोजना- पोंग बांध परियोजना -हिमाचल प्रदेश

सतलुज नदी-

यह तिब्बत में मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से निकलती है।

जहां इसे लॉगचेन खंबाब के नाम से जाना जाता है।

यह नदी शिपकिला दर्रे से होकर भारत में प्रवेश करती है।

परियोजना- भाखड़ा बांध का निर्माण (गुरदासपुर पंजाब)

इंदिरा गांधी नहर परियोजना (राजस्थान)

गंग नहर परियोजना (राजस्थान)

नाथपा झाकरीपरियोजना – हिमाचल प्रदेश

भाखड़ा नांगल बांध परियोजना (कंक्रीट का बना हुआ है)

कोलडैम परियोजना – मंडी हिमाचल प्रदेश

गोविंद सागर जलाशय – हिमाचल प्रदेश (सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।)

यह भाखड़ा नंगल परियोजना के  नहर तंत्र का पोषण करती है।

दोआब के क्षेत्र

सिंधु झेलम दोआब क्षेत्र सिंधु दोआब/सिंधु सरोवर।

झेलम चिनाब – चेज दोआब

चिनाब रावी – रचना दोआब

रावी व्यास – बारी दोआब

व्यास सतलुज – बिस्त दोआब

गंगा जमुना का अपवाह तंत्र : अपवाह तंत्र का आशय एवं प्रतिरूप

गंगा नदी

भागीरथी नदी गंगोत्री हिमनद से गोमुख नामक स्थान से निकलती है ।

अलकनंदा नदी बद्रीनाथ के पास सतोपंथ ग्लेशियर से निकलती है ।

देव प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी नदी मिलती है और वहां से गंगा नदी के नाम से जानी जाती है।

देव प्रयाग से पहले अलकनंदा नदी में पंचप्रयागों (सभी उत्तराखण्ड में) में अलग-अलग नदियां मिलती हैं-

विष्णु प्रयाग (जोशीमठ) में – अलकनंदा + धौलीगंगा

नन्द प्रयाग में – अलकनंदा + नंदाकिनी

कर्ण प्रयाग में – अलकनंदा + पिण्डर

रूद्रप्रयाग में – अलकनंदा + मंदाकिनी

देव प्रयाग में – अलकनंदा + भागीरथी

गंगा भारत की सबसे लम्बी नदी है।

इसकी लंबाई 2525 किलोमीटर है।

यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है।

कानपुर, बनारस, पटना तथा हरिद्वार गंगा नदी के किनारे बसे हैं ।

गंगा नदी सबसे पहले हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में आती है।

पश्चिम बंगाल में गंगा नदी 2 भागों में बट जाती है। एक भाग हुगली नदी कहलाता है, जिसके किनारे कलकत्ता शहर बसा है।

दुसरा भाग बांग्लादेश में प्रवेश कर जाता है और वहां इसे पद्मा के नाम से पुकारा जाता है।

अंततः ये बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। यहीं पर ये विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा बनाती है जिसे सुंदरवन डेल्टा कहा जाता है।

गंगा नदी भारत में 5 राज्यों से होकर गुजरती है –

उत्तराखण्ड (उद्गम स्थल)

उत्तर प्रदेश (सबसे अधिक लम्बाई)

बिहार

झारखण्ड (सबसे कम लम्बाई)

पश्चिम बंगाल

टिहरी बांध भागीरथी भीलांगाना नदी (उत्तराखंड) में निर्मित भारत का सबसे ऊंचा बांध है।

इस नदी पर पश्चिम बंगाल में फ़रक्का बांध का निर्माण किया गया है।

गंगा नदी में बांई ओर से मिलने वाली अंतिम नदी महानंदा नदी (दार्जिलिंग) है।

प्रथम नदी जहान्वी नदी है।

गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया है।

इसमें निवास करने वाले जीवो में गंगेय डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलचर जीव घोषित किया गया है।

गंगा की सहायक नदियां

सरयू नदी- अयोध्या नगरी इस नदी के तट पर स्थित है।

यमुना नदी- उद्गम यमुनोत्री ग्लेशियर (बंदरपूंछ ग्लेशियर)

इस नदी पर वर्तमान में रेणुका जी बांध परियोजना का निर्माण सिरमौर हिमाचल प्रदेश में किया जा रहा है।

यह भारत के 6 राज्यों राजस्थान उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश की परियोजना है।

नदी के तट पर आगरा, दिल्ली व मथुरा नगर बसे हैं।

दिल्ली और आगरा के बीच  अत्यधिक प्रदूषण और के कारण इस नदी को हरा सूप कहा जाता है।

टोंस नदी- उद्गम स्थल पर यमुना नदी में मिलती है।

गोमती नदी- इस नदी के तट पर लखनऊ नगर बसा है।

सोन नदी- उद्गम अमरकंटक पहाड़ी छत्तीसगढ़ से।

सबसे लंबा पुल – महात्मा गांधी सेतु (बिहार)

सोन की एक सहायता रिहद नदी पर रिहंद परियोजना का निर्माण किया गया है- (उत्तर प्रदेश)

लाभ- उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार।

कोसी नदी – इस नदी को बिहार का शोक कहा जाता है।

इस नदी पर काशनु बांध बना है। (हनुमान बराज – नेपाल)

दामोदर नदी – इसको बंगाल का शोक कहा जाता है।

दामोदर घाटी परियोजना – 1948

देश के प्रथम बहुत देश है।

लाभ- झारखंड, पश्चिम बंगाल।

औद्योगिक प्रदूषण के कारण इस नदी को जैविक रेगिस्तान कहा जाता है।

ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र : अपवाह तंत्र का आशय एवं प्रतिरूप

ब्रह्मपुत्र नदी-

उद्गम- विश्व की सबसे बड़ी नदियों में से एक ब्रह्मपुत्र का उद्गम कैलाश पर्वत श्रेणी में मानसरोवर झील के निकट चेमायुँगडुंग (Chemayungdung) हिमनद में है।

तिब्बत में इसे सांग्पो (Tsangpo) के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ‘शोधक’।

भारत में प्रवेश- थानयाक दर्रा (अरुणाचल प्रदेश)

तिब्बत में किस नदी का नाम यारलंग साग्पो।

अरुणाचल प्रदेश में – देहांग नदी।

असम में- ब्रह्मपुत्र।

बांग्लादेश में- जमुना नदी है।

विश्व का सबसे बड़ा नदीय माजोली द्वीप (असम) जिस पर लोग निवास करते हैं।

अन्य प्रमुख नदियां

स्वर्णरेखा नदी-

इस नदी पर जमशेदपुर नगर झारखंड में अवस्थित है।

इस नदी के निकट टाटा स्टील प्लांट की स्थापना की गई है।

यह नदी मुख्यतः झारखंड और पश्चिम बंगाल में प्रवाहित होती है।

ब्राह्मणी नदी-

इस नदी के किनारे राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना उड़ीसा में की गई है।

महानदी-

इस नदी को उड़ीसा का शोक कहा जाता है।

इस नदी पर हीराकुंड बांध (उड़ीसा) का निर्माण किया गया है, जो कि विश्व का सबसे लंबा बांध है।

नदी कृत विवाद – छत्तीसगढ़-उड़ीसा के बीच है।

महानदी का उद्गम सिहावा की पहाड़ियों छत्तीसगढ़ से होता है।

महानदी डेल्टा के दक्षिण में (उड़ीसा) चिल्का झील स्थित है, जो भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है।

गोदावरी नदी-

इसे दक्षिण भारत की गंगा/वृद्ध गंगा भी कहा जाता है।
उद्गम स्थल- नासिक की पहाड़ी (महाराष्ट्र)
प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है।

कृष्णा नदी-

तुंगभद्रा परियोजना कर्नाटक में।
नागार्जुन सागर परियोजना आंध्र प्रदेश में।

कावेरी नदी-

शिवसमुद्रम जलप्रपात (कर्नाटक) भारत का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात है।
भारत की प्रथम सफल विद्युत परियोजना।
विवाद- कर्नाटक व तमिलनाडु के मध्य।

श्रावती नदी-

जोग जलप्रपात/गरसोपा जलप्रपात/महात्मा गांधी जलप्रपात (कर्नाटक)
यह भारत का सबसे ऊंचा जलप्रपात है।

प्रमुख झीलें : अपवाह तंत्र का आशय एवं प्रतिरूप

बेरीनाग झील – जम्मू कश्मीर

राक्षसताल झील, नैनीताल झील – उत्तराखंड

हुसैन सागर झील – आंध्र प्रदेश

लोकटक झील – मणिपुर

शेषनाग झील – जम्मू कश्मीर

देवताल झील – उत्तराखंड

अष्टमुदी झील – केरल

चौलामु झील – सिक्किम

भारत की सबसे ऊंची झील है।

इसी झील से ताप्ती नदी का उद्गम।

चिल्का झील – खारे पानी की भारत में सबसे बड़ी झील

विश्व की सबसे बड़ी झील – कैस्पियन सागर

बैकाल झील – विश्व की सबसे गहरी झील

विश्व का सबसे निचला स्थल – मृत सागर विश्व की सबसे ऊंची झील – टिटिकाका झील

सबसे बड़ी काल्डेरा झील – टोबा झील (इंडोनेशिया)

नर्मदा नदी भ्रंश घाटी में बहती है

नर्मदा नदी को बचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा “नमामि देवि नर्मदे – एक यात्रा” योजना प्रारंभ की गई है।

नमामी गंगे परियोजना

यह एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘प्रमुख कार्यक्रम’ के रूप में अनुमोदित किया गया। इसमें राष्ट्रीय नदी गंगा से संबंधित दो उद्देश्य हैं- प्रदूषण के प्रभाव को कम करना तथा उसके संरक्षण और कायाकल्प को पूरा करना।

नमामी गंगे कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ हैं-

सीवेज ट्रीटमेंट व्यवस्था

नदी-किनारे का विकास नदी सतह

सफ़ाई

जैव विविधता

वनीकरण

जन जागरूकता

औद्योगिक अपशिष्ट निगरानी

गंगा ग्राम।

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कोसी नदी अपना मार्ग बदलने के लिए कुख्यात रही है।

राष्ट्रीय जलमार्ग II – यह राजमार्ग ब्रह्मपुत्र नदी में 891 किलोमीटर की दूरी तक विस्तृत है।

जो सतिया से डिब्रूगढ़ (असम) 123 किलोमीटर

डिब्रूगढ़ से गुवाहाटी 508 किलोमीटर

गुवाहाटी से धुबरी 260 किलोमीटर है।

राष्ट्रीय जलमार्ग I – गंगा नदी पर है। हल्दिया से इलाहाबाद 1620 किमी

विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा – सुंदरवन डेल्टा।

वायुदाब

पवनें

वायुमण्डल

चट्टानें अथवा शैल

जलवायु

चक्रवात-प्रतिचक्रवात

भौतिक प्रदेश

अपवाह तंत्र