रीतिकालीन छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ
रीतिकाल में काव्यशास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना हुई। यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के विभिन्न अंगों को लेकर लिखे गए। इनमें से कुछ ग्रंथ सर्वांग निरूपक ग्रंथ थे जबकि कुछ विशेषांग निरूपक थे। इस आलेख में रीतिकालीन छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ की जानकारी।
विशेषांग निरूपक ग्रंथों में ध्वनि संबंधी ग्रंथ, रस संबंधी ग्रंथ, अलंकार संबंधी ग्रंथ, छंद शास्त्र संबंधी ग्रंथ, इत्यादि ग्रंथों का प्रणयन हुआ।
छंद ― छंदशास्त्र की व्यवस्थित परंपरा का सूत्रपात छंदशास्त्र के प्रवर्त्तक पिगलाचार्य के छंद सूत्र’ (ई. पू. 200 के लगभग) से माना जाता है।
रीतिकालीन हिन्दी के छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ
1. छंदमाला – केशवदास (हिंदी में छंदशास्त्र की प्रथम रचना)
2. वृत्तकौमुदी / छंदसार (पिंगल-संग्रह) – मतिराम
3. छंदविचार (17वीं श.ई. पूर्वा.) – चिंतामणि
4. वृत्तविचार (1671 ई.)- सुखदेव
5. छंदविलास या श्रीनाग पिंगल- (1703 ई.) – माखन
6. छंदोर्णव (1742 ई.) – भिखारीदास
7. छंदसार (1772 ई.) – नारायणदास
8. वृत्तविचार (1799 ई.) दशरथ
9. वृत्ततरंगिणी (1816 ई.) रामसहाय
10. वृत्तचंद्रिका (1801 ई.) कलानिधि
11. छंदसारमंजरी (1801 ई.) पद्माकर
12 पिंगलप्रकाश (1801 ई.) नंदकिशोर
13. छंदोमंजरी (1883 ई.) गदाधर भट्ट
14. छंदप्रभाकर (1922 ई.) जगन्नाथ प्रसाद भानु
15. रसपीयूषनिधि (1737 ई.) सोमनाथ
16. शब्दरसायन – देव
17. फजल अली प्रकाश फजल
आधुनिक युग के छंदशास्त्रीय ग्रंथ
18. पिंगलसार – नारायण प्रसाद
19. पद्म रचना – रामनरेश त्रिपाठी
20. नवीन पिंगल – अवध उपाध्याय
21. छंदशिक्षा – परमेश्वरानंद
22 पिंगल पीयूष – परमानंद शास्त्री
23. हिंदी छंद प्रकाश – रघुनंदन शास्त्री