कविता जब हम रो नही पाते सुख से सो नही पाते जब हम खो नही पाते तब बचपन याद आता है जब चिंता सताती है हमारे तन को खाती है जब भी मन नही मिलता तब बचपन याद आता है जब हम टूट जाते है जब अपने रूठ जाते है जब सपने सताते है तब बचपन याद आता है बच्चे हम रह नही पाते बड़े हम हो नही पाते खड़े भी रह नही पाते तब बचपन याद आता है किसी को सह नही पाते अकेले रह नही पाते किसी को कह नही पाते तब बचपन याद आता है Reply
कविता
जब हम रो नही पाते
सुख से सो नही पाते
जब हम खो नही पाते
तब बचपन याद आता है
जब चिंता सताती है
हमारे तन को खाती है
जब भी मन नही मिलता
तब बचपन याद आता है
जब हम टूट जाते है
जब अपने रूठ जाते है
जब सपने सताते है
तब बचपन याद आता है
बच्चे हम रह नही पाते
बड़े हम हो नही पाते
खड़े भी रह नही पाते
तब बचपन याद आता है
किसी को सह नही पाते
अकेले रह नही पाते
किसी को कह नही पाते
तब बचपन याद आता है
खूबसूरत अभिव्यक्ति