मुद्राराक्षस का जीवन परिचय

मुद्राराक्षस का जीवन परिचय Subhash Chandra Verma Mudrarakshas

सुभाष चन्द्र वर्मा जो कि साहित्य जगत में मुद्राराक्षस के नाम से प्रसिद्ध हैं। तो आइए जानते हैं मुद्राराक्षस का जीवन परिचय, मुद्राराक्षस की संपूर्ण जानकारी, मुद्राराक्षस का साहित्य, रचनाएं, नाटक, उपन्यास आदि के बारे में

मूल नाम -सुभाष चंद्र वर्मा

जन्म -21 जून, 1933

जन्म भूमि -लखनऊ, उत्तर प्रदेश

मृत्यु -13 जून, 2016

पिता― शिवरचणालाल (उत्तरप्रदेश की लुप्तप्राय प्राचीन लोकनाट्य परंपरा “स्वाँग” के एकमात्र वयोवृध्द, नायक, अभिनेता तथा निर्देशक थे। पिता से ही मुद्राराक्षस को संगीत नाटक की प्रेरणा मिली।)

माता― विद्यावती

पत्नी― इंदिरा (रंगमंच के क्षेत्र में नायिका के रूप में पति का सहयोग करती रही हैं।)

प्रसिद्धि -नाटककार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, कहानीकार तथा आलोचक।

शिक्षा― स्नातकोत्तर शिक्षा (एम.ए.) लखनऊ विश्वविद्यालय से

अखिल भारतीय आकाशवाणी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष (1968 में) रहे।

स्वभाव― धुमक्कड तथा अध्ययनशील

सम्प्रति― उत्तरप्रदेश के लोक-संगीत -रूपक जीवनसिंह के स्वाँग के पुनर्जीवन, नवीकरण एवं प्रस्तुति के लिए केंद्र सरकार के सांस्कृतिक विभाग की सीनियर फेलोशिप।

मुद्राराक्षस का साहित्य : मुद्राराक्षस का जीवन परिचय

रचनाएं

उपन्यास

मकबरे

मैडेलिन

अचला एक मन: स्थिति

भगोडा

हम सब मंसाराम

शोकसंवाद

मेरा नाम तेरा नाम

शान्तिभंग

प्रपंचतंत्र

एक और प्रपंचतंत्र

दंडविधान

नाटक : मुद्राराक्षस का जीवन परिचय

तिलचट्टा

मरजीवा

योअर्स फेथफुली

तेंदुआ

संतोला

गुफाएँ

मालविकाग्निमित्र और हम

घोटाला

कोई तो कहेगा

सीढियाँ

आला अफसर

डाकू

आला अफसर (गोगोल के नाटक ‘ द गवर्नमेंट अफसर’ का नाट्य रूपान्तरण)

कहानी संग्रह

शब्द दंश

प्रति हिंसा तथा अन्य कहानियाँ

मेरी कहानियाँ

रेडिओ नाटक

काला आदमी

उसका अजनबी

लालू हरोबा

संतोला : एक छिपकली

उसकी जुराब

काले सूरज की शवयात्रा

विद्रूप

अनुत्तरीत प्रश्न

साहित्य : मुद्राराक्षस का जीवन परिचय

चींटी पूरम के भूलेराम

भारतेन्दु

हास्य व्यंग्य संग्रह

सुनोभाई साधो

मुद्राराक्षस की डायरी

आलोचना

साहित्य समीक्षा : परिभाषाएं और समस्याएँ- 1963

आलोचना का सामजशास्त्र-2004

संपादन

नयी सदी की पहचान (श्रेष्ठ दलित कहानियाँ)

ज्ञानोदय, पत्रिका― कलकत्ता

अंग्रेजी साप्ताहिक अनुव्रत, जीरो, साहित्य बुलेटिन, बेहतर का संपादन

बाल साहित्य

सरला

बिल्लू और जाला

मुद्राराक्षस के मान-सम्मान एवं पुरस्कार : मुद्राराक्षस का जीवन परिचय

‘विश्व शूद्र महासभा’ द्वारा ‘शुद्राचार्य’

‘अंबेडकर महासभा’ द्वारा ‘दलित रत्न’ की उपाधियाँ

‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’

मुद्राराक्षस संबंधी विशेष तथ्य

सन 1951 से मुद्राराक्षस की प्रारंभिक रचनाएं छपनी शुरू हुईं। ये लगभग दो वर्ष में ही जाने-माने लेखक बन गए। ‘ज्ञानोदय’ और ‘अनुव्रत’ जैसी तमाम प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं का कुशल सम्पादन कार्य भी मुद्राराक्षस जी ने किया था।

“आधुनिक हिन्दी नाटककारों में मुद्राराक्षस की अपनी विशिष्ट भंगिमा है । वे एक साथ प्रकृतवाद, अभिव्यंजनावाद, थिएटर आफएल्टी और ऐब्सर्ड नाट्य परम्परा से इस कदर प्रभावित दिखाई देते हैं कि सबका एक मिलाजुला रूप उन्हें औरों से अलग ला खडा कर देता है। हिंसा, सेक्स, आदि मानवीय प्रवृत्तियों के प्रति लगाव, आक्रमक स्थितियाँ, उत्पीडक सत्ता के प्रति आक्रोश, तथा मृत्युबोध, उनके प्रिय विषय कहे जा सकते हैं। साथ ही जीवन और जगत की विसंगतियों को वे ऐसी स्वैर कल्पना के साथ रूपायित करते हैं जो सनकीपन, अतिरंजना, फँतासी और फार्स के मिले-जुले अनुभवों से घोषित लगती है।”― डॉ. गोविंद चातक

आदिकाल के साहित्यकार

भक्तिकाल के प्रमुख साहित्यकार

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