मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2019

मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2019

मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2019 के प्रमुख संशोधन, राष्ट्रीय राज्य मानव अधिकार आयोग का संगठन, कार्यकाल, शक्तियां संघ शासित क्षेत्र

प्रमुख संशोधन

1- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का संगठनात्मक ढांचा

(क) मूल अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष केवल सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हो सकता है। संशोधन के बाद उच्चतम न्यायालय का कोई भी पूर्व न्यायाधीश आयोग का अध्यक्ष हो सकता है।
(ख) मूल अधिनियम में ऐसे दो पूर्णकालिक सदस्यों का प्रावधान था, जिन्हें मानव अधिकारों की व्यापक समझ हो। संशोधन के पश्चात ऐसे सदस्यों की संख्या तीन होगी जिनमें से एक सदस्य महिला सदस्य होना आवश्यक है।
(ग) मूल संविधान में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोगए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोगए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोगए राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष ही मानव अधिकार आयोग के सदस्य होते हैं। संशोधन के पश्चात राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोगए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष तथा दिव्यांगों के लिए मुख्य आयुक्त को भी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का सदस्य नियुक्त किया जा सकता है।

2- राज्य मानव अधिकार आयोग का संगठनात्मक ढांचा

मूल अधिनियम में राज्य मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश को ही नियुक्त किया जा सकता है।

संशोधन के पश्चात उच्च न्यायालय का कोई भी पूर्व न्यायधीश राज्य मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त हो सकता है।

3- कार्यकाल

मूल अधिनियम में राष्ट्रीय तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु;

जो भी पहले होद्ध पूर्ण होने तक होता था।

संशोधन के पश्चात कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु;

जो भी पहले हो, कर दिया गया है तथा अध्यक्ष पुनः नियुक्ति का पत्र भी होगा।

4- शक्तियां

मूल संविधान में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के महासचिव तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के सचिव उनकी शक्तियों का उपयोग करते थे जो उन्हें सौंपी जाती थी। संशोधन के बाद महासचिव और सचिव अध्यक्ष के अधीन सभी प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकेंगे, किंतु इनमें न्यायिक शक्तियां शामिल नहीं है।

5 संघ शासित क्षेत्र

संशोधन के बाद संघ शासित क्षेत्र से संबंधित मामलों को केंद्र सरकार राज्य मानव अधिकार आयोग को सौंप सकती है,

किंतु संघ शासित क्षेत्र दिल्ली से संबंधित मामले राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा निपटाए जाएंगे।

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