विष्णु प्रभाकर Vishnu Prabhakar

विष्णु प्रभाकर Vishnu Prabhakar

विष्णु प्रभाकर Vishnu Prabhakar जीवन परिचय – साहित्यिक परिचय – रचनाएं – कहानियाँ – एकांकी – नाटक – बाल साहित्य – भाषा शैली – पुरस्कार एवं सम्मान

जीवन परिचय

अन्य नाम – विष्णु दयाल

जन्म -21 जून, 1912

जन्म भूमि- मीरापुर, ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर, उत्तर प्रदेश

मृत्यु -11 अप्रैल, 2009

मृत्यु स्थान -नई दिल्ली (प्रभाकर जी ने अपनी वसीयत में मृत्यूपरांत अपने संपूर्ण अंगदान करने की इच्छा व्यक्त की थी। इसीलिए उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया, बल्कि उनकी पार्थिव देह को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को सौंप दिया गया।)

अभिभावक -दुर्गा प्रसाद (पिता), महादेवी (माता)

पत्नी – सुशीला

काल: -आधुनिक काल

विधा: -गद्य

विषय:- कहानी, उपन्यास, नाटक

साहित्यिक परिचय

रचनाएं : विष्णु प्रभाकर Vishnu Prabhakar

कविता संग्रह

चलता चला जाऊँगा

कहानी संग्रह

‘संघर्ष के बाद’

‘धरती अब भी धूम रही है’

‘मेरा वतन’,

‘खिलौने’, 1981

‘एक और कुंती’,1985

‘जिन्दगी: एक रिहर्सल’ 1986

‘आदि और अन्त’,

‘एक आसमान के नीचे’,

‘अधूरी कहानी’,

‘कौन जीता कौन हारा’,

‘तपोवन की कहानियाँ’,

‘पाप का घड़ा’,

‘मोती किसके’

एक कहानी का जन्म

रहमान का बेटा

जिंदगी के थपेड़े

सफर के साथी

खंडित पूजा

साँचे और कला

पुल टूटने से पहले

आपकी कृपा

उपन्यास

(ऐतिहासिक/व्यक्तिवादी उपन्यासकार)

‘ढलती रात’,

‘स्वप्नमयी’,

‘अर्द्धनारीश्वर’, 1992 (इस उपन्यास पर 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला)

‘होरी’,

‘कोई तो’,

‘निशिकान्त’, 1955

‘तट के बंधन’,

‘स्वराज्य की कहानी’

‘संकल्प-1993

तट के बंधन

दर्पण का व्यक्ति

परछाई

कोई तो

आत्मकथा

‘क्षमादान’ और ‘पंखहीन’ नाम से उनकी आत्मकथा 3 भागों में राजकमल प्रकाशन से 2004 में प्रकाशित हो चुकी है।

‘पंछी उड़ गया’, 2004

‘मुक्त गगन में’ 2004

नाटक : विष्णु प्रभाकर Vishnu Prabhakar

‘समाधि’,

‘सत्ता के आर-पार’, 1981

‘नवप्रभात’,

‘डॉक्टर’,

‘लिपस्टिक की मुस्कान’,

अब और नही,

टूट्ते परिवेश,

गान्धार की भिक्षुणी और

‘रक्तचंदन’,

‘युगे युगे क्रान्ति’,

‘बंदिनी’

‘श्वेत कमल’
– ‘डॉक्टर’ एक मनोवैज्ञानिक सामाजिक नाटक है,जिसमें डॉ. अनीला के संदर्भ में भावना और नैतिक कर्तव्य का संघर्ष दिखाया गया है |
-‘बंदिनी’ प्रभात कुमार मुखोपाध्याय द्वारा रचित कहानी ‘देवी’ का नाट्य रूपान्तरण है|

एकांकी

प्रकाश और परछाई,

इंसान,

बारह एंकाकी,

क्या वह दोषी था,

दस बजे रात,

ये रेखाएँ ये दायरे,

ऊँचा पर्वत गहरा सागर

जीवनी : विष्णु प्रभाकर Vishnu Prabhakar

आवारा मसीहा (नाथूराम शर्मा प्रेम के कहने से शरच्चंद्र पर आवारा मसीहा नामक जीवनी लिखी। इसे लिखने में 14 वर्ष का समय लगा। यह जीवनी 1974 में प्रकाशित हुई। इसके 3 भाग है-

दिशांत

दिशा की खोज

दिशा हारा

अमर शहीद भगत सिंह

सरदार वल्लभभाई पटेल

काका कालेलकर संस्मरण : जाने-अनजाने

कुछ शब्द : कुछ रेखाएँ

यादों की तीर्थयात्रा

मेरे अग्रज : मेरे मीत

समांतर रेखाएँ

मेरे हमसफर

राह चलते-चलते

निबंध

जन-समाज और संस्कृति : एक समग्र दृष्टि

क्या खोया क्या पाया

बाल साहित्य : विष्णु प्रभाकर Vishnu Prabhakar

मोटेलाल

कुंती के बेटे

रामू की होली

दादा की कचहरी

जब दीदी भूत बनी

जीवन पराग

बंकिमचंद्र

अभिनव एकांकी

स्वराज की कहानी

हड़ताल

जादू की गाय

घमंड का फल

नूतन बाल एकांकी

हीरे की पहचान

मोतियों की खेती

पाप का घड़ा

गुड़िया खो गई

ऐसे-ऐसे

तपोवन की कहानियाँ

खोया हुआ रतन

बापू की बातें

हजरत उमर

बद्रीनाथ

कस्तूरबा गांधी

ऐसे थे सरदार

हमारे पड़ोसी

मन के जीते जीत

कुम्हार की बेटी

शंकराचार्य

यमुना की कहानी

रवींद्रनाथ ठाकुर

मैं अछूत हूँ

एक देश एक हृदय

मानव अधिकार

नागरिकता की ओर

यात्रा वृतान्त

ज्योतिपुन्ज हिमालय

जमुना गंगा के नैहर में

पुरस्कार एवं सम्मान : विष्णु प्रभाकर Vishnu Prabhakar

मूर्तिदेवी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार

सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार

महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार

पद्म भूषण

आदिकाल के साहित्यकार

भक्तिकाल के प्रमुख साहित्यकार

आधुनिक काल के साहित्यकार

Social Share Buttons and Icons powered by Ultimatelysocial