रांगेय राघव (त्र्यंबक वीर राघवाचार्य)

रांगेय राघव (त्र्यंबक वीर राघवाचार्य) की जीवनी

आधुनिक काल के साहित्यकार रांगेय राघव के जीवन-परिचय के साथ-साथ हम इनके साहित्य, काव्य, उपन्यास, कहानी, भाषा शैली, पुरस्कार एवं अन्य तथ्य सहित पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।

पूरा नाम- तिरूमल्लै नंबकम् वीरराघव आचार्य (टी.एन.बी.आचार्य)

जन्म -17 जनवरी, 1923

जन्म भूमि- आगरा, उत्तर प्रदेश

मृत्यु -12 सितंबर, 1962

मृत्यु स्थान- मुंबई, महाराष्ट्र

अभिभावक -श्री रंगनाथ वीर राघवाचार्य श्रीमती वन-कम्मा

पत्नी – सुलोचना

कर्म-क्षेत्र -उपन्यासकार, कहानीकार, कवि, आलोचक, नाटककार और अनुवादक

भाषा -हिन्दी, अंग्रेज़ी, ब्रज और संस्कृत

विद्यालय -सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा विश्वविद्यालय

शिक्षा -स्नातकोत्तर, पी.एच.डी

काल- आधुनिक काल (प्रगतिवादी युग)

रांगेय राघव जीवन-परिचय साहित्य
रांगेय राघव जीवन-परिचय साहित्य

रांगेय राघव की रचनाएं

जीवन-परिचय एवं साहित्य : रांगेय राघव के काव्य

अजेय खंडहर-1944 ( किस रचना को निम्न तीन शीर्षकों में बांटा गया है – 1. झंकार 2. ललकार 3. हुँकार)

पिघलते पत्थर-1946 (मुक्तक काव्य)

मेधावी-1947

राह के दीपक-1947

पांचाली-1955

रूपछाया

जीवन-परिचय एवं साहित्य : रांगेय राघव के उपन्यास

घरौंदा-1946

विषाद मठ

मुरदों का टीला (मोहनजोदड़ो का गणतंत्र)-1948

सीधा साधा रास्ता

हुजूर

चीवर-1951

प्रतिदान

अँधेरे के जुगनू (आंचलिक श्रेणी का उपन्यास )-1953

काका

उबाल

पराया

आँधी की नावें

अँधेरे की भूख

बोलते खंडहर

कब तक पुकारूँ (ब्रज के नटों के जीवन का वर्णन)

पक्षी और आकाश

बौने और घायल फूल

राई और पर्वत

बंदूक और बीन

राह न रुकी

जब आवेगी काली घटा-1958

छोटी सी बात

पथ का पाप

धरती मेरा घर

आग की प्यास

कल्पना

प्रोफेसर

दायरे

पतझर

आखिरी आवाज

रांगेय राघव के जीवनी प्रधान उपन्यास

डॉ. रांगेय राघव जी ने 1950 ई. के पश्चात् कई जीवनी प्रधान उपन्यास लिखे हैं, इनका पहला उपन्यास सन् 1951-1953 ई. के बीच प्रकाशित हुआ।

भारती का सपूत -जो भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की जीवनी पर आधारित है।

लखिमा की आंखें -जो विद्यापति के जीवन पर आधारित है।

मेरी भव बाधा हरो -जो बिहारी के जीवन पर आधारित है।

रत्ना की बात- जो तुलसी के जीवन पर आधारित है।

लोई का ताना -जो कबीर- जीवन पर आधारित है।

धूनी का धुंआं -जो गोरखनाथ के जीवन पर कृति है।

यशोधरा जीत गई (1954)-जो गौतम बुद्ध पर लिखा गया है।

देवकी का बेटा’ -जो कृष्ण के जीवन पर आधारित है।

रांगेय राघव के कहानी संग्रह

साम्राज्य का वैभव

देवदासी

समुद्र के फेन

अधूरी मूरत

जीवन के दाने

अंगारे न बुझे

ऐयाश मुरदे

इन्सान पैदा हुआ

पाँच गधे

एक छोड़ एक

रांगेय राघव की कहानियाँ

गदल ( राजस्थानी परिवेश से प्रेम की निगूढ़ अभिव्यक्ति)

रांगेय राघव के नाटक

स्वर्णभूमि की यात्रा

रामानुज

विरूढ़क

रांगेय राघव के रिपोर्ताज

तूफ़ानों के बीच

रांगेय राघव की आलोचनाएं

भारतीय पुनर्जागरण की भूमिका

भारतीय संत परंपरा और समाज

संगम और संघर्ष

प्राचीन भारतीय परंपरा और इतिहास

प्रगतिशील साहित्य के मानदंड

समीक्षा और आदर्श

काव्य यथार्थ और प्रगति

काव्य कला और शास्त्र

महाकाव्य विवेचन

तुलसी का कला शिल्प

आधुनिक हिंदी कविता में प्रेम और शृंगार

आधुनिक हिंदी कविता में विषय और शैली

गोरखनाथ और उनका युग

रांगेय राघव के सम्मान एवं पुरस्कार

हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार (1947)

डालमिया पुरस्कार (1954)

उत्तर प्रदेश शासन पुरस्कार (1957 तथा 1959)

राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार (1961)

महात्मा गाँधी पुरस्कार (1966)

रांगेय राघव संबंधी विशेष तथ्य

इन्हे हिंदी का शेक्सपीयर कहा जाता है|

प्रसिद्ध लेखक राजेंद्र यादव ने कहा है – ‘‘उनकी लेखकीय प्रतिभा का ही कमाल था कि सुबह यदि वे आद्यैतिहासिक विषय पर लिख रहे होते थे तो शाम को आप उन्हें उसी प्रवाह से आधुनिक इतिहास पर टिप्पणी लिखते देख सकते थे।”

दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक विभास चन्द्र वर्मा ने कहा कि आगरा के तीन ‘र‘ का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान है और ये हैं रांगेय राघव, रामविलास शर्मा और राजेंद्र यादव। वर्मा ने कहा कि रांगेय राघव हिंदी के बेहद लिक्खाड़ लेखकों में शुमार रहे हैं। उन्होंने क़रीब क़रीब हर विधा पर अपनी कलम चलाई और वह भी बेहद तीक्ष्ण दृष्टि के साथ।

उन्हें हिन्दी का पहला मसिजीवी क़लमकार भी कहा जाता है जिनकी जीविका का साधन सिर्फ़ लेखन था।

1942 में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद एक रिपोर्ताज लिखा- तूफ़ानों के बीच।

आधुनिक काल के साहित्यकार रांगेय राघव के जीवन-परिचय के साथ-साथ हम इनके साहित्य, काव्य, उपन्यास, कहानी, भाषा शैली, पुरस्कार एवं अन्य तथ्य सहित पूरी जानकारी प्राप्त की।

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