वचन Vachan
वचन Vachan की परिभाषा paribhasha | अर्थ arth | वचन के प्रकार prakar | vachan ke bhed | vachan parivartan ke niyam | vachan ke udaharan
परिभाषा paribhasha – वचन Vachan
व्याकरण में वचन का अर्थ संख्या से लिया जाता है। वह, जिसके द्वारा किसी विकारी शब्द की संख्या का बोध होता है उसे वचन कहते हैं।
वचन Vachan के प्रकार
(i) एकवचन (Ek Vachan)
(ii) बहुवचन (Bahu Vachan)
(i) एकवचन
विकारी पद के जिस रूप से किसी एक संख्या का बोध होता है, उसे एकवचन कहते हैं।
जैसे राम, लड़का, मेरा, काली, जाती आदि।
हिन्दी में निम्न शब्द सदैव एक वचन में ही प्रयुक्त होते हैं-
सोना, चाँदी, लोहा, स्टील, पानी, दूध, जनता, आग, आकाश, घी, सत्य, झूठ, मिठास, प्रेम, मोह, सामान, ताश, सहायता, तेल, वर्षा जल, क्रोध, क्षमा
(ii) बहुवचन
विकारी पद के जिस रूप से किसी की एक से अधिक संख्या का बोध होता है, उसे बहुवचन कहते हैं।
जैसे लड़के, तुम्हारे, काले, जाते हैं।
हिन्दी में निम्न शब्द सदैव बहुवचन में ही प्रयुक्त होते हैं, यथा –
आँसू, होश, दर्शन, हस्ताक्षर, प्राण, भाग्य, दाम, समाचार, बाल, लोग होश, हाल-चाल, आदरणीय व्यक्ति हेतु प्रयुक्त शब्द आप,।
वचन Vachan परिवर्तन parivartan ke niyam
हिन्दी व्याकरण अनुसार एकवचन शब्दों को बहुवचन में परिवर्तित करने हेतु कतिपय नियमों का उपयोग किया जाता है। यथा –
1. शब्दांत ‘आ’ को ‘ए में बदलकर-
कमरा – कमरे
लड़का – लड़के
बस्ता – बस्ते
बेटा – बेटे
पपीता – पपीते
रसगुल्ला – रसगुल्ले
2. शब्दान्त ‘अ’ को ‘एँ’ में बदलकर
पुस्तक – पुस्तकें
दाल – दालें
राह – राहें
दीवार – दीवारें
सड़क – सड़कें
कलम – कलमें
3. शब्दांत में आये ‘आ’ के साथ ‘एँ’ जोड़कर
बाला – बालाएँ
कविता – कविताएँ
कथा – कथाएँ
4. शब्दांत ‘ई’ वाले शब्दों के अन्त में ‘इयाँ’ लगाकर
दवाई – दवाइयाँ
लड़की – लड़कियाँ
साड़ी – साडियाँ
नदी – नदियाँ
स्त्री – स्त्रियाँ
खिड़की – खिड़कियाँ
5. स्त्रीलिंग शब्द के अन्त में आए ‘या’ को ‘याँ’ में बदलकर
चिड़िया – चिड़ियाँ
डिबिया – डिबियाँ
गुड़िया – गुड़ियाँ
6. स्त्रीलिंग शब्द के अन्त में आए ‘उ, ऊ’ के साथ ‘ऐँ’ लगाकर
वधू – वधुएँ
वस्तु – वस्तुएँ
बहू – बहुएँ
7. ‘इ, ई’ स्वरान्त वाले शब्दों के साथ ‘यों’ लगाकर तथा ई की मात्रा को इ में बदलकर
जाति – जातियों
रोटी – रोटियों
अधिकारी – अधिकारियों
लाठी – लाठियों
नदी – नदियों
गाड़ी – गाड़ियों
8. एकवचन शब्द के साथ, जन, गण, वर्ग, वृन्द, हर, मण्डल, परिषद् आदि लगाकर : वचन Vachan
गुरु – गुरुजन
अध्यापक – अध्यापकगण
लेखक – लेखकवृन्द
युवा – युवावर्ग
भक्त – भक्तजन
खेती – खेतिहर
मंत्री – मंत्रिमंडल
9. याकारांत ( ऊनवाचक ) संज्ञाओं के अंत में केवल चन्द्रबिन्दु लगाया जाता है, जैसे-
लुटिया – लुटियाँ
बुढ़िया – बुढियाँ
डिबिया – डिबियाँ
गुड़िया – गुड़ियाँ
खटिया – खटियाँ
विशेष : वचन Vachan
1. सम्बोधन शब्दों में ‘ओं’ न लगा कर ‘ओ’ की मात्रा ही लगानी चाहिए यथा बहनो ! मित्रो! बच्चो ! साथियो! भाइयो!
2. पारिवारिक संबंधवाचक, उपनामवाचक, और प्रतिष्ठा वाचक आकारांत पुल्लिंग शब्दों का रूप दोनों वचनों में एक ही, रहता है; जैसे, काका-काका, आजा-आजा, मामा-मामा, लाला-लाला, इत्यादि, किन्तु भानजा, भतीजा व साला से भानजे, भतीजे व साले शब्द बनते हैं।
3. विभक्ति रहित आकारान्त से भिन्न पुल्लिंग शब्द कभी भी परिवर्तित नहीं होते। जैसे बालक, फूल, अतिथि, हाथी, व्यक्ति, कवि, आदमी, सन्न्यासी, साधु, पशु, जन्तु, डाकू, उल्लू, लड्डू, रेडियो, फोटो, मोर, शेर, पति, साथी, मोती, गुरु, शत्रु, भालू, आलू, चाकू
4. विदेशी शब्दों के हिन्दी में बहुवचन हिन्दी भाषा के व्याकरण के अनुसार बनाए जाने चाहिए। जैसे स्कूल से स्कूलें न कि स्कूल्स, कागज से कागजों न कि कागजात।
5. भगवान के लिए या निकटता सूचित करने के लिए ‘तू’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे – हे ईश्वर! तू बड़ा दयालु है।
6. निम्न शब्द सदैव एक वचन में ही प्रयुक्त होते हैं। जैसे- जनता, वर्षा, हवा, आग
7. ईकारांत और ऊकारांत शब्दों को बहुवचन बनाने पर ‘ई’ का ‘इ’ तथा ‘ऊ’ का ‘उ’ हो जाता है। जैसे-
स्त्री – स्त्रियाँ
देवी – देवियाँ
नदी – नदियाँ
दवाई – दवाइयाँ
हिन्दू – हिन्दुओं
लू – लुएँ
8. आदर प्रकट करने के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है-
गुरु जी आ रहे हैं।
बड़े बाबू नियमों के पक्के हैं।
इन्हें भी अवश्य पढ़िए-