सर्वनाम Sarvanam
सर्वनाम Sarvanam | परिभाषा | भेद | प्रकार | उदाहरण | सर्वनाम किसे कहते हैं | सर्वनाम शब्द | पुरुषवाचक | निजवाचक | सर्वनाम के प्रश्न
परिभाषा
सर्वनाम शब्द का अर्थ है- सब का नाम।
वाक्य में संज्ञा की पुनरुक्ति को दूर करने के लिए संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं जैसे- सीता विद्यालय जाती है।
वह वहाँ पढ़ती है।
पहले वाक्य में सीता’ तथा विद्यालय शब्द संज्ञा है, दूसरे वाक्य में सीता के स्थान पर वह तथा विद्यालय के स्थान पर वहाँ शब्द प्रयुक्त हुए है।
अतः वह और वहाँ शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हुए है इसलिए इन्हे सर्वनाम कहते हैं।
सर्वनाम Sarvanam के भेद
पुरुषवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाले सुनने वाले या अन्य किसी व्यक्ति के स्थान पर किया जाता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है।
पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं –
(1) उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम
वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाला व्यक्ति स्वयं अपने लिए करता है। जैसे – हम, मुझे, मेरा, हमारा, हमें आदि।
(2) मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम
वे सर्वनाम शब्द, जो सुनने वाले के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं।
जैसे- तू, तुम, तुझे, तुम्हें, तेरा, आप, आपका, आपको आदि।
(हिन्दी में अपने से बड़े या आदरणीय व्यक्ति के लिए तुम की अपेक्षा आप सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है।)
(3) अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम
वे सर्वनाम, जिनका प्रयोग बोलने तथा सुनने वाले व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के लिए प्रयुक्त करते हैं।
जैसे– यह, वह, वे, उन्हें, उसे, इसे, उसका इसका आदि।
निश्चयवाचक सर्वनाम Sarvanam
वे सर्वनाम, जो किसी निश्चित वस्तु का बोध कराते है, उन्हें निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे- यह, वह, वे, इस, उस. ये आदि। जैसे-
वह आपकी पुस्तक है, वाक्य में वह पद निश्चयवाचक सर्वनाम है।
इसी प्रकार “यह मेरा घर है” में यह पद निश्चय वाचक सर्वनाम है।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
वे सर्वनाम शब्द, जिनसे किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध नहीं होता बल्कि अनिश्चय की स्थिति बनी रहती है, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे-
कोई जा रहा है।
वह कुछ खा रहा है।
किसी ने कहा था।
वाक्यों में कोई, कुछ, किसी पद अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
प्रश्नवाचक सर्वनाम
वे सर्वनाम, जो प्रश्न का बोध कराते हैं या वाक्य को प्रश्नवाचक बना देते हैं, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे-
कौन गाना गा रही है?
वह क्या लाया?
किसकी पुस्तक पड़ी है?
उक्त वाक्यों में कौन, क्या, किसकी पद प्रश्नवाचक सर्वनाम है।
सम्बन्धवाचक सर्वनाम
सर्वनाम, जो दो पृथक-पृथक बातों के स्पष्ट सम्बन्ध को व्यक्त करते है, उन्हें सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे-जो- वह, जो-सो, जिसकी-उसकी. जितना-उतना, आदि सम्बन्ध वाचक सर्वनाम है। उदाहरणार्थ-
जो पढ़ेगा सो पास होगा।
जितना गुड़ डालोगे उतना मीठा होगा।
निजवाचक सर्वनाम Sarvanam
ये सर्वनाम, जिन्हें बोलने वाला कर्ता स्वयं अपने लिए प्रयुक्त करता है, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
आप अपना, स्वयं, खुद आदि निजवाचक सर्वनाम है।
मैं अपना खाना बना रहा हूँ।
तुम अपनी पुस्तक पढो।
आदि वाक्यों में अपना, अपनी पद निजवाचक सर्वनाम है।
सर्वनाम Sarvanam की सही पहचान
‘आप’ शब्द में सही सर्वनाम
प्रयोग के आधार पर ‘आप’ शब्द में तीन सर्वनाम हो सकते हैं
अत: सही सर्वनाम की पहचान के लिए निम्नलिखित सूत्र अत्यंत उपयोगी है-
मध्यम पुरुषवाचक
यदि ‘आप’ शब्द तू/तुम के आदर रूप में प्रयुक्त होता है तो निश्चय ही वह श्रोता के लिए प्रयुक्त होगा अतः वहाँ यह मध्यमपुरुषवाचक सर्वनाम माना जाता है। जैसे– आप आराम कीजिए।
आप कहाँ जा रहे हैं?
आप क्या खाना पसंद करेंगे?
उपर्युक्त सभी उदाहरणों में आप पद श्रोता के लिएआदर सूचक रूप में ही प्रयुक्त हुआ है,
अतः यहां मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम माना जाएगा।
अन्य पुरुषवाचक
यदि ‘आप’ शब्द का प्रयोग किसी व्यक्ति विशेष का परिचय करवाने के अर्थ में किया जाता है तो वहाँ यह ‘अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम’ माना जाता है।
जैसे– भगत सिंह क्रांतिकारी युवक थे, आपने ‘इन्कलाब जिन्दाबाद’ का नारा बुलंद किया।
उपर्युक्त उदाहरण में भगत सिंह के लिए प्रयुक्त आपने शब्द भगत सिंह के परिचय के रूप में प्रयुक्त हुआ है, अतः यहां अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम माना जाएगा।
इस प्रकार के परिचयात्मक रूप में यदि आप शब्द का प्रयोग किया जाता है और वह व्यक्ति जिस का परिचय दिया जा रहा है वह वहां उपस्थित हो तो भी आप शब्द का प्रयोग अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम ही माना जाएगा। क्योंकि जिस व्यक्ति का परिचय दिया जा रहा है, भले ही वह वहां उपस्थित हो परंतु वह उस बातचीत में शामिल नहीं है। बातचीत में शामिल केवल वक्ता और श्रोता ही है। वह व्यक्ति बातचीत को सुनने के बावजूद भी उस बातचीत का अंग नहीं माना जाता,अतः ऐसी स्थिति में वहां अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम ही माना जाता है।
निजवाचक
यदि ‘आप’ शब्द अपनेपन को प्रकट करता है तो वहाँ वह निजवाचक सर्वनाम माना जाता है।
निजवाचक “आप” का प्रयोग नीचे लिखे अर्थों में होता है-
(अ) किसी संज्ञा या सर्वनाम के उदाहरण के लिए, जैसे
“मैं आप वहीं से आया हूँ ।”
“बनते कभी हम आप योगी।”
(आ) दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए, जैसे –
(अ) “श्रीकृष्ण जी ने ब्राह्मण को विदा किया और आप चलने का विचार करने लगे।”
(आ) “वह अपने को सुधार रहा है।”
(इ) अवधारणा के अर्थ में “आप” के साथ कभी कभी “ही” जोड़ देते हैं, जैसे, “मैं तो आपही आती थी।”
“वह अपने पात्र के सम्पूर्ण गुण अपने ही में भरे हुए अनुमान करने लगता है।”
(ई) कभी-कभी “आप” के साथ उसका रूप “अपना” जोड़ देते हैं –
जैसे, “किसी दिन मैं आप अपने को न भूल जाऊँ ।
“क्या वह अपने आप झुका है ?”
“राजपूत वीर अपने आपको भूल गये।”
(उ) “आप” शब्द कभी-कभी वाक्य में अकेला आता है और अन्य पुरुष का बोधक होता है; जैसे-
“आप कुछ उपार्जन किया ही नहीं, जो था वह नाश हो गया।”
(ऊ) सर्व-साधारण के अर्थ में भी “आप” आता है-
जैसे आप भला तो जग भला ।” (कहावत)
“अपने से बड़ों का आदर करना उचित है।”
ऋ) “आप” के बदले व उसके साथ बहुधा “खुद” (उर्दू), “स्वयं वा स्वतः” (संस्कृत) का प्रयोग होता है। स्वयं, स्वतः और खुद हिंदी में अव्यय हैं और इनका प्रयोग बहुधा क्रिया विशेषण के समान होता है। आदरसूचक ‘आप’ के साथ द्विरुक्ति के निवारण के लिए इनमें से किसी एक का प्रयोग करना आवश्यक है; जैसे-
“आप खुद यह बात समझ सकते हैं।”
“हम आज अपने आपको भी हैं स्वयं भूले हुए ।”
महाराज स्वतः वहाँ गये थे।”
(ए) कभी-कभी “आप” के साथ निज (विशेषण) संज्ञा के समान आता है; पर इसका प्रयोग केवल संबंध-कारक में होता है। जैसे, “हम तुम्हें एक अपने निज के काम मे भेजा चाहते हैं ।
(ऐ) “आप” शब्द का रूप “आपस“, “परस्पर” के अर्थ मे आता है। इसका प्रयोग केवल संबंध और अधिकरण-कारकों मे होता है; जैसे-
“एक दूसरे की राय आपस में नहीं मिलती।”
“आपस की फूट बुरी होती है।”
(ओ) “आपही”, “अपने आप”, “आपसे आप” और “आपही आप का अर्थ “मन से” या “स्वभाव से” होता है और इनका प्रयोग क्रिया विशेषण-वाक्यांश के समान होता है, जैसे-
“ये मानवी यंत्र आपही आप घर बनाने लगे।” (उद्धृत –पं. कामताप्रसाद गुरु)
अन्य उदाहरण-
वह आप ही आ जायेगा।
मैं अपने-आप चला जाऊंगा।
यह/वह/वे शब्दों में पहचान : सर्वनाम Sarvanam
यह/वह/वे का प्रयोग भी प्राय: दो सर्वनामों में किया जाता है अत: सही सर्वनाम की पहचान के लिए निम्नलिखित सूत्र बहुत उपयोगी है। अगर–
वह/वे अन्य पुरुष के रूप में तब आते हैं, जब वह/वे का प्रयोग वक्ता या श्रोता से इतर किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है। जैसे-
वह (कृष्ण) तो गवार ग्वाला है।
वे (कालिदास) असामान्य वैयाकरण थे।
क्या अच्छा होता जो वह इस काम को कर जाते।
वह सौदागर की सब दुकान को अपने घर ले जाना चाहता है।
(ध्यातव्य है कि वह/वे अन्य पुरुष के रूप में तब प्रयुक्त होता है जब वह वह किसी व्यक्ति के लिए प्रयुक्त हो न कि किसी पदार्थ या वस्तु के लिए।)
यदि यह/वह/वे के तुरन्त बाद कोई अन्य शब्द आए तथा उसके बाद ‘संकेतित’ पदार्थ/वस्तु वाक्य में प्रयुक्त हो रहा है तो वहाँ यह/वह/वे शब्दों को निश्चयवाचक सर्वनाम में मानना चाहिए। जैसे-
वह मेरी पुस्तक है।
यह किसकी साइकिल है।
वे सूखे पेड़ कौन ले गया।
उक्त सभी उदाहरणों में यह, वह, वे पद निश्चित वस्तुओं की ओर संकेत कर रहे हैं, अतः यहां निश्चयवाचक माना जाएगा।
(यदि यह, वह,वे शब्दों के तुरंत बाद कोई संज्ञा शब्द आ जाए और वह उन संज्ञा शब्दों की विशेषता प्रकट करें तो वहां संकेतवाचक विशेषण माना जाएगा इसकी विस्तृत चर्चा विशेषण प्रकरण के अंतर्गत की जाएगी।)
इन्हें भी अवश्य पढ़िए