संज्ञा Sangya

संज्ञा Sangya

संज्ञा Sangya की परिभाषा, संज्ञा के भेद, संज्ञा के उदाहरण, प्रकार, संज्ञा की पहचान, हिंदी व्याकरण में संज्ञा संपूर्ण जानकारी सहित परीक्षोपयोगी तथ्य

प्रयोग के आधार पर हिन्दी में शब्दों के दो भेद किए जाते हैं।

(i) विकारी (Vikari Shabad)

(ii) अविकारी या अव्यय शब्द (Avikari Shabad)

(i) विकारी शब्द वे शब्द होते हैं, जिनका रूप लिंग, वचन, कारक और काल के अनुसार परिवर्तित हो जाता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं विकारी शब्दों में समस्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द आते हैं।

(ii) अविकारी या अव्यय शब्द वे शब्द होते हैं, जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार कोई विकार उत्पन्न नहीं होता अर्थात् इन शब्दों का रूप सदैव वही बना रहता है। ऐसे शब्दों को अविकारी या अव्यय शब्द कहते हैं। अविकारी शब्दों में क्रियाविशेषण, सम्बन्धबोधक अव्यय, समुच्चय बोधक अव्यय तथा विस्मयादिबोधक अव्यय आदि शब्द आते हैं। विस्तृत विवरण इस प्रकार है-

संज्ञा Sangya की परिभाषा

परिभाषा

किसी प्राणी, वस्तु स्थान, भाव अवस्था, गुण या दशा के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे राम, नदी, आगरा, स्वतंत्रता, बचपन, मिठास, खटास आदि।

संज्ञा Sangya के भेद

संज्ञा मुख्यतः तीन प्रकार की होती है

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा (2) जातियाचक संज्ञा (3) भाववाचक संज्ञा

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा Sangya

व्यक्ति विशेष, वस्तु विशेष अथवा स्थान विशेष के नाम को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे

व्यक्ति विशेष : जय, गौतम, रमेश, नीलेश।

वस्तु विशेष : रामायण, रविपंखा, उषामशीन।

स्थान विशेष : बीकानेर, गंगा, मीनाक्षी मंदिर, हिमालय।

व्यक्तिवाचक संज्ञा में रहने वाले शब्दों की पहचान

(i)  व्यक्तियों के नाम

(ii) दिशाओं के नाम

(iii) देशों के नाम

(iv) पहाड़ों के नाम

(v) समुद्रों के नाम

(vi) नदियों के नाम

(vii) दिनों के नाम

(viii) महीनों के नाम

(ix) पुस्तकों के नाम

(x) समाचार पत्रों के नाम

(xi) त्योहारों/उत्सवों के नाम

(xii) नगरों के नाम

(xiii) सड़कों के नाम

(xiv) चौकों के नाम

(xv) ऐतिहासिक युद्धों के नाम

(xvi) राष्ट्रीय जातियों के नाम

कतिपय परिस्थितियों में व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द भी जातिवाचक संज्ञा के रूप में स्वीकार किए जाते हैं

व्यक्तिवाचक संज्ञा का कोई शब्द जब अपने साथ अन्य नामों का भी बोध कराता है तो वहाँ जातिवाचक संज्ञा मानी जाती है- जैसे

समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।

उक्त उदाहरण में नेपोलियन शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा का उदाहरण है परंतु यहाँ अन्य नामो का बोध कराने के कारण यह जातिवाचक संज्ञा माना गया है।

अन्य उदाहरण –

कलियुग के भीम

कविता हमारे घर की लक्ष्मी है

देश में जयचन्दों की कमी नहीं है।

तीसरे उदाहरण में ‘लक्ष्मी’ संज्ञा जातिवाचक है, क्योंकि उससे विष्णु की स्त्री का बोध नहीं होता, किंतु लक्ष्मी के समान एक गुणवती स्त्री का बोध होता है। इसी प्रकार   ‘भीम’ भी जातिवाचक संज्ञा हैं। “गुप्तों की शक्ति क्षीण होने पर यह स्वतंत्र हो गया था”। इस वाक्य में “गुप्तों” शब्द से अनेक व्यक्तियों का बोध होने पर भी वह नाम व्यक्तिवाचक संज्ञा है, क्योंकि इससे किसी व्यक्ति के विशेष धर्म का बोध नहीं होता, किंतु कुछ व्यक्तियोंके एक विशेष समूह का बोध होता है। (उद्धृत – हिंदी व्याकरण पंडित कामताप्रसाद गुरु पृ. सं. 80)

(2) जातिवाचक संज्ञा Sangya

जिस संज्ञा से किसी प्राणी, वस्तु अथवा स्थान की जाति या पूरे वर्ग का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे –

प्राणी : मानव, लड़का, घोड़ी, मोर, फौज, भीड़।

वस्तु : पुस्तक, पंखा, चाय, साबुन, सोना,पर्वत, गेंहूँ।

स्थान : नदी, गांव, विद्यालय।

जातिवाचक संज्ञा में रहने वाले शब्दों की पहचान-

I. पदों के नाम- राष्ट्रपति, सभापति, जिलाधीश, तहसीलदार, प्रधानाचार्य, अध्यापक।

II. व्यवसाय के नाम- डाॅक्टर, वकील, मजदूर आदि।

III. सामाजिक संबंधों के नाम- दादा, दादी, भाई, पिताजी, माताजी आदि।

IV. प्राकृतिक आपदाओं के नाम- आँधी, तूफान, भूकम्प आदि।

V. फर्नीचर के नाम- मेज, कुर्सी, चारपाई आदि।

कतिपय परिस्थितियों में जातिवाचक संज्ञा शब्द भी व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में स्वीकार किए जाते हैं

जब कोई जातिवाचक संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति विशेष के अर्थ में रूढ़ हो जाता है तो वहाँ व्यक्तिवाचक संज्ञा मानी जाती है। कुछ जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं के समान होता है।

जैसे-

पुरी = जगन्नाथ

देवी = दुर्गा

दाऊ = बलराम

संवत् = विक्रमी संवत् इत्यादि ।

इसी वर्ग में वे शब्द शामिल हैं जो मुख्य नामों के बदले उपनाम के रूप में आते हैं। जैसे-

सितारे – हिंद = राजा शिवप्रसाद

भारतेन्दु = बाबू हरिश्चन्द्र

गुसाईजी = गोस्वामी तुलसीदास इत्यादि।

बहुत सी योगरूढ़ संज्ञा, जैसे, गणेश, हनुमान, हिमालय, गोपाल, इत्यादि मूल में जातिवाचक संज्ञाएँ हैं, परंतु अब इनका प्रयोग जातिवाचक अर्थ में प्रायः नहीं होता। (उद्धृत – हिंदी व्याकरण पंडित कामताप्रसाद गुरु पृ. सं. 80-81)

अन्य उदाहरण –

नेताजी ने जय हिंद का नारा दिया।

उक्त उदाहरण में नेताजी शब्द जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत है। क्योंकि नेताजी शब्द का अपने सामान्य अर्थ में कोई भी नेताजी हो सकते हैं, परंतु उक्त वाक्य में ऐसा नहीं है।यहां नेताजी शब्द सुभाषचंद्र बोस के लिए रूढ़ हो गया है, अतः यहां नेताजी शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा माना जाएगा।

बापू ने आजादी के लिए चरखा चलाया।

सरदार ने देश को संगठित किया।

देश हमें प्राणों से प्यारा है।

(3) भाववाचक संज्ञा Sangya

किसी भाव. अवस्था, गुण अथवा दशा के नाम को भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे-सुख, दु:ख, बचपन, जवानी, तरुणाई, बुढा़पा,  सुन्दरता, आजादी, गुलामी, स्वतंत्रता, मिठास, खटास।

कतिपय परिस्थितियों में भाववाचक संज्ञा शब्द भी जातिवाचक संज्ञा के रूप में स्वीकार किए जाते हैं

कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के समान होता है, जैसे-

“उसके आगे सब निरादर है”।

इस वाक्य में “निरादर” शब्द से”निरादर-योग्य ‘स्त्री’ का बोध होता है ।

“ये सब कैसे अच्छे पहिरावे है”।

यहाँ “पहनावे” का अर्थ बहुत करके“पहनने के वस्त्र” है ।

(उद्धृत – हिंदी व्याकरण पंडित कामताप्रसाद गुरु पृ. सं. 81)

सामान्य परिस्थितियों में भाववाचक संज्ञा का प्रयोग  एकवचन में ही होता है। परंतु यदि भाववाचक संज्ञा को बहुवचन में प्रयुक्त कर दिया जाये तो वहाँ पर जातिवाचक संज्ञा मानी जाती है।

अब तो दूरियाँ भी नजदीकियाँ बन गयी हैं।

आजकल चोरियाँ बहुत हो रही हैं।

सबकी प्रार्थनाएँ व्यर्थ नहीं जायेंगी।

उक्त उदाहरणों में दूरियां, नज़दीकियां, चोरियां,प्रार्थनाएं आदि विशेषण शब्द है, परंतु बहुवचन में प्रयुक्त होने के कारण जातिवाचक संज्ञा माने गए हैं।

विशेष: कुछ विद्वान अंग्रेजी व्याकरण की नकल करते हुए हिन्दी में भी संज्ञा के निम्नलिखित दो भेद और मानते हैं

(1) समुदायवाचक संज्ञा Sangya (Collective Noun)-

जिन संज्ञा शब्दों से व्यक्तियों, वस्तुओं आदि के समूह का बोध हो, उन्हें समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे –

(अ) व्यक्तियों का समूह- भीड़, कक्षा, दल, सभा, सेना, फौज, जत्था, सम्मेलन, गिरोह, संगोष्टी मंडली, टीम, दल, वृन्द।

(ब) वस्तुओं का समूह- गुच्छा, मंडल, झुण्ड, ढेर, कुंज, आगार।

(2) द्रव्यवाचक संज्ञा Sangya (Material Noun)-

जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव्य आदि पदार्थों का बोध हो, उन्हें द्रव्य वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-

तेल, सोना, चाँदी, चावल, घी, पीतल, गेहूँ, कोयला, लकड़ी आदि।

किन्तु हिन्दी में उक्त दोनों भेद जाति-वाचक संज्ञा के अन्तर्गत आते है।

भाववाचक संज्ञा बनाना –

जातिवाचक संज्ञा, सर्वनाम विशेषण, क्रिया तथा कुछ अव्यय पदों के साथ प्रत्यय के मेल से भाववाचक संज्ञा बनती हैं। तथा –

1- संज्ञा से भाववाचक संज्ञा –

  • ता प्रत्यय के मेल से

मानव-मानवता

मित्र-मित्रता

प्रभु-प्रभुता

पशु-पशुता

  • त्व प्रत्यय के मेल से

पशु-पशुत्व

कवि- कवित्व

गुरु- गुरुत्व

मनुष्य– मनुष्यत्व

  • पन प्रत्यय के मेल से

लड़का-लड़कपन

बच्चा – बचपन

  • अ प्रत्यय के मेल से

शिशु-शैशव

गुरु-गौरव

वैभव – वैभव

  • इ प्रत्यय के मेल से

भक्त-भक्ति।

  • ई प्रत्यय के मेल से

नौकर – नौकरानी

चोर-चोरी

  • आपा प्रत्यय के मेल से

बूढ़ा – बुढ़ापा

बहन – बहनापा

2- सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा :

(अ) त्व  प्रत्यय के मेल से –

अपना-अपनत्व

निज – निजत्व

स्व-स्वत्व

(आ) पन प्रत्यय के मेल से –

अपना – अपनापन

पराया – परायापन

कार प्रत्यय के मेल से –

अहं – अहंकार

(इ)स्व  प्रत्यय के मेल से –

सर्व – सर्वस्व

3- विशेषण से भाववाचक संज्ञा :

(अ) आई प्रत्यय के मेल से –

साफ – सफाई

अच्छा – अच्छाई

बुरा – बुराई

(आ) आस प्रत्यय के मेल से –

खट्टा – खटास

मीठा – मिठास

(इ) ता प्रत्यय के मेल से –

उदार – उदारता

वीर – वीरता

सरल – सरलता

(ई) य प्रत्यय के मेल से –

मधुर – माधुर्य

सुन्दर – सौन्दर्य

स्वस्थ – स्वास्थ्य

(उ) पन प्रत्यय के मेल से –

खट्टा – खट्टापन

पीला – पीलापन

(ऊ) त्व प्रत्यय के मेल से –

वीर – वीरत्व।

(ए) ई प्रत्यय के मेल से –

लाल – लाली

4. क्रिया से भाववाचक संज्ञा :

(अ) अ प्रत्यय के मेल से –

खेलना – खेल

लूटना – लूट,

जीतना-जीत।

(आ) ई प्रत्यय के मेल से –

हँसना-हँसी

(इ) आई प्रत्यय के मेल से –

चढ़ना-चढ़ाई

पढ़ना-पढ़ाई

लिखना-लिखाई

(ई) आवट प्रत्यय के मेल से –

बनाना – बनावट

थका – थकावट

लिखना – लिखावट

(उ) आव प्रत्यय के मेल से –

चुनना – चुनाव

(ऊ) आहट प्रत्यय के मेल से –

घबराना – घबराहट

गुनगुनाना – गुनगुनाहट

(ए) न प्रत्यय के मेल से –

लेना-देना – लेन-देन

खाना-खान।

5- अव्यय से भाववाचक संज्ञा

(अ) ई प्रत्यय के मेल से –

भीतर – भीतरी

ऊपर – ऊपरी

दूर – दूरी

(आ) य प्रत्यय के मेल से –

समीप – सामीप्य

(इ) इक प्रत्यय के मेल से –

परस्पर – पारस्परिक

व्यवहार -व्यावहारिक

(ई) ता प्रत्यय के मेल से –

निकट – निकटता

शीघ – शीघ्रता

इन्हें भी अवश्य पढ़िए-

संज्ञा

विशेषण

क्रिया विशेषण

कारक

स्वर सन्धि

व्यंजन संधि

विसर्ग सन्धि