मृदुला गर्ग जीवन परिचय
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जन्म -25 अक्तूबर, 1938
जन्म भूमि- कोलकाता, पश्चिम बंगाल
शिक्षा – एम.ए. (अर्थशास्त्र)
मृदुला गर्ग की रचनाएं
उपन्यास
‘उसके हिस्से की धूप’1975 (पहला उपन्यास)
‘वंशज’
‘चितकोबरा'( मृदुला गर्ग का उपन्यास ’चित्रकोबरा’ बहुत विवादास्पद है और लोकप्रिय भी। उसमें भी नायिका के विवाहेत्तर संबंध होते है। उस उपन्यास के कारण मृदुला गर्ग पर मुकदमा भी चला था।)
‘अनित्या’
‘मैं और मैं’1984
‘कठगुलाब’1996
मिलजुल मन
निबंध संग्रह
‘रंग ढंग’
‘चुकते नहीं सवाल’
कविता संग्रह
‘कितनी कैदें’
‘टुकड़ा टुकड़ा आदमी’
‘डैफोडिल जल रहे हैं’
‘ग्लेशियर से’
‘शहर के नाम’
यात्रा संस्मरण
कुछ अटके कुछ भटके
व्यंग्य संग्रह
‘कर लेंगे सब हजम’
कहानियां
‘रूकावट’1972 ( सारिका पत्रिका में, इनकी पहली कहानी)
‘दुनिया का कायदा’
‘उसका विद्रोह’
‘उर्फ सेम’1986
‘शहर के नाम’ 1990
‘समागम’1996
‘मेरे देश की मिट्टी अहा’2001
‘संगति विसंगति’2004 (दो खण्ड)
‘जूते का जोड़ गोभी का तोड़’
‘कितनी कैदें’
‘टुकड़ा-टुकड़ा आदमी’
‘डेफोडिल जल रहें हैं’
नाटक
‘एक और अजनबी’1978
‘जादू का कालीन’1993
‘तीन कैदें’1996 ( इस नाट्य संग्रह में तीन नाटक संगृहीत है- कितनी कैदें, दूसरा संस्करण, दुलहिन एक पहाड़ की)
‘साम दाम दंड भेद’
सम्मान और पुरस्कार
मृदुला गर्ग को हिंदी अकादमी द्वारा 1988 में साहित्यकार सम्मान|
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान|
2003 में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान|
2004 में ‘कठगुलाब’ के लिए व्यास सम्मान|
2003 में ‘कठगुलाब’ के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार
वर्ष 2013 का साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी उनकी कृति ‘मिलजुल मन’ उपन्यास के लिए प्रदान किया गया है।
‘उसके हिस्से की धूप’ उपन्यास को 1975 में तथा ‘जादू का कालीन’ को 1993 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है।
विशेष तथ्य
इन्होंने इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा।
ये संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में 1990 में आयोजित एक सम्मेलन में हिंदी साहित्य में महिलाओं के प्रति भेदभाव विषय पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं।
इनकी रचनाओं के अनुवाद जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेज़ी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में हो चुके हैं।