कामायनी महाकाव्य Kamayani Mahakavya की जानकारी

कामायनी महाकाव्य Kamayani Mahakavya की जानकारी

कामायनी महाकाव्य Kamayani Mahakavya की जानकारी, कामायनी के सर्ग, कामायनी के मुख्य छंद, कामायनी की प्रतीक योजना, आलोचकों के कथन।

जयशंकर प्रसाद द्वारा प्रसिद्ध महाकाव्य कामायनी का संक्षिप्त परिचय।

कामायनी महाकाव्य की जानकारी
कामायनी महाकाव्य की जानकारी

कामायनी के सर्ग

सर्ग – 15

सबसे छोटा – चिंता सर्ग

सबसे बड़ा- आनंद सर्ग

सर्गों का क्रम

चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा, कर्म, ईर्ष्या, इडा, स्वप्न, संघर्ष, निर्वेद, दर्शन, रहस्य, आनंद

कामायनी के मुख्य छंद

मुख्य छंद – तोटक/ताटंक

सर्गों में विशेष छंद

आल्हा छंद – चिंता सर्ग आशा सर्ग स्वप्न सर्ग निर्वेद सर्ग

लावनी छंद – रहस्य सर्ग इडा सर्ग श्रद्धा सर्ग काम सर्ग लज्जा सर्ग

रोला छंद – संघर्ष सर्ग

सखी छंद – आनन्द सर्ग

रूपमाला छंद – वासना सर्ग

कामायनी की प्रतीक योजना

मनु – मन

श्रद्धा – हृदय (रागात्मक बुद्धि)

इड़ा – बुद्धि (व्यावसायिक बुद्धि)

कुमार – मानव

वृषभ (बैल) – धर्म

कैलास मानसरोवर – मोक्ष स्थान

आकुलि–किरात – आसुरी शक्ति

कामायनी के विशेष तथ्य

कामायनी पर प्रसाद को मंगलाप्रसाद पारितोषिक पुरस्कार मिला है।

काम गोत्र में जन्म लेने के कारण श्रद्धा को कामायनी कहा गया है।

प्रसाद ने कामायनी में आदि पुरुष मनु की कथा के साथ साथ युगीन समस्याओं पर प्रकाश डाला है।

कामायनी का अंगीरस शांत रस है।

कामायनी-दर्शन- प्रत्यभिज्ञावाद (शैव दर्शन)

कामायनी की कथा का आधार ऋग्वेद,छांदोग्य उपनिषद् ,शतपथ ब्राहमण तथा श्रीमद्भागवत है।

घटनाओं का चयन शतपथ ब्राह्मण से किया गया है।

कामायनी की पूर्व पीठिका- ‘कामना’ (नाटक), ‘प्रेमपथिक’ है।

‘उर्वशी’ कामायनी की श्रद्धा का पूर्व संस्करण  है।

कामायनी का हृदय ‘लज्जा’ सर्ग है।

‘लज्जा सर्ग’ को कामायनी का ‘हृदय स्थल’ नामवर सिंह ने कहा।

‘आनंद सर्ग’ को कामामनी का ‘हृदय स्थल’ मुक्तिबोध ने कहा।

कामायनी के नामकरण की प्रेरणा, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ से मिली।

कामामनी के ‘चिंता सर्ग’ का कुछ अंश 1928 ई. में ‘सुधा’ पत्रिका में प्रकाशित हो गये थे।

कामायनी के उद्देश्य

समरसतावाद – आनन्दवाद की स्थापना है।
(जयशंकर प्रसाद ‘एक घूँट’ में भी कामायनी से पूर्व आनंदवाद की प्रतिष्ठा कर चुके थे।)

कामायनी पर आलोचकों के कथन जानने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए

कामायनी पर लिखे गये ग्रन्थ

जयशंकर प्रसाद – नन्द दुलारे वाजपेयी

कामायनी एक पुनर्विचार – मुक्तिबोध

कामायनी का पुनर्मूल्यांकन – रामस्वरुप चतुर्वेदी

अवधी भाषा का विकास व रचनाएं

ब्रजभाषा साहित्य का विकास

रीतिकाल के प्रमुख ग्रंथ

कालक्रमानुसार हिन्दी में आत्मकथाएं

राघवयादवीयम् ग्रन्थ

भाषायी दक्षता

‘रासो’ शब्द की व्युत्पत्ति – विभिन्न मत

हालावाद विशेष

संस्मरण और रेखाचित्र

कामायनी के विषय में कथन

कामायनी महाकाव्य की जानकारी

भारत का स्वर्णिम अतीत : तेल्हाड़ा विश्वविद्यालय

हिन्दी साहित्य विभिन्न कालखंडों के नामकरण

हिन्दी साहित्य काल विभाजन

भारतीय शिक्षा अतीत और वर्तमान

मुसलिम कवियों का कृष्ण प्रेम

हाइकु कविता (Haiku)

संख्यात्मक गूढार्थक शब्द

आदिकाल के साहित्यकार
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कामायनी के विषय में कथन

कामायनी के विषय में कथन

इस आलेख में कामायनी के विषय में कथन, Kamayani पर महत्त्वपूर्ण कथन, Kamayani पर किसने क्या कहा? कामायनी पर विभिन्न साहित्यकारों एवं आलोचकों के विचार आदि के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

कामायनी पर महत्त्वपूर्ण कथन

Kamayani पर किसने क्या कहा?

कामायनी को छायावाद का उपनिषद किसने कहा?

Kamayani पर विभिन्न साहित्यकारों एवं आलोचकों के विचार

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Kamayani कामायनी

कामायनी पर महत्वपूर्ण कथन

जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित महाकाव्य कामायनी के संबंध में प्रमुख आलोचकों एवं साहित्यकारों के प्रमुख कथन-

कामायनी के बारे में संपूर्ण संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए

नगेन्द्र- कामायनी मानव चेतना का महाकाव्य है। यह आर्ष ग्रन्थ है।

मुक्तिबोध- कामायनी फैंटेसी है।

इन्द्रनाथ मदान- कामायनी एक असफल कृति है।

नन्द दुलारे वाजपेयी- कामायनी नये युग का प्रतिनिधि काव्य है।

सुमित्रानन्दन पंत- कामायनी ताजमहल के समान है

नगेन्द्र- कामायनी एक रूपक है

श्यामनारायण पाण्डे- कामायनी विश्व साहित्य का आठवाँ महाकाव्य है

रामधारी सिंह दिनकर- कामायनी दोष रहित, दोष सहित रचना है

डॉ नगेन्द्र- कामायनी समग्रतः में समासोक्ति का विधान लक्षित करती है

नामवार सिंह- कामायनी आधुनिक सभ्यता का प्रतिनिधि महाकाव्य है

हरदेव बाहरी- कामायनी आधुनिक हिन्दी साहित्य का सर्वोत्तम महाकाव्य है

रामरतन भटनागर- कामायनी मधुरस से सिक्त महाकाव्य है

विश्वंभर मानव- कामायनी विराट सांमजस्य की सनातन गाथा है

कामायनी का कवि दूसरी श्रेणी का कवि है -हजारी प्रसाद द्विवेदी

कामायनी वर्तमान हिन्दी कविता में दुर्लभ कृति है- हजारी प्रसाद द्विवेदी

रामचन्द्र शुक्ल- कामायनी में प्रसाद ने मानवता का रागात्मक इतिहास प्रस्तुत किया है जिस प्रकार निराला ने तुलसीदास के मानस विकास का बड़ा दिव्य और विशाल रंगीन चित्र खींचा है

शांति प्रिय द्विवेदी- कामायनी छायावाद का उपनिषद् है

रामस्वरूप चतुर्वेदी- कामायनी को कंपोजिशन की संज्ञा देने वाले

बच्चन सिंह- मुक्तिबोध का कामायनी संबंधी अध्ययन फूहड़ मार्क्सवाद का नमूना है

Kamayani Par Kathan

मुक्तिबोध- कामायनी जीवन की पुनर्रचना है

नगेन्द्र- कामायनी मनोविज्ञान की ट्रीटाइज है

रामस्वरूप चतुर्वेदी- कामायनी आधुनिक समीक्षक और रचनाकार दोनों के लिए परीक्षा स्थल है

रामनाथ सुमन- कामायनी आधुनिक हिंदी कविता का रामचरित मानस है

आचार्य नंददुलारे वाजपेयी- कामायनी में प्रसाद ने मानवता का रागात्मक इतिहास प्रस्तुत किया है कामायनी मानवता का रागात्मक इतिहास एवं नवीन युग का महाकाव्य है

नामवर सिंह- कामायनी में नारी की लज्जा का जो भव्य चित्रण हुआ, वह सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में दुर्लभ है।

निराला- कामायनी संपूर्ण जीवन चरित्र है, यह मानवीय कमजोरियों पर मानव की विजय की गाथा है।

नामवर सिंह- मानस ने वाल्मीकि रामायण और कामायनी ने मानस के पाठकों के लिए बदल दिया है

आ. रामचंद्र शुक्ल- यदि मधुचर्या का अतिरेक और रहस्य की प्रवृति बाधक नहीं होती तो कामायनी के भीतर मानवता की योजना शायद अधिक पूर्ण और सुव्यवस्थित रूप में चित्रित होती।

नामवर सिंह- कामायनी मार्क्सवाद की प्रस्तुती हैं।

रामधारी सिंह दिनकर- कामामनी नारी की गरिमा का महाकाव्य है।

डॉ धीरेन्द्र वर्मा- कामामनी एक विशिष्ट शैली का महाकाय है, शिल्प की प्रौढ़ता कामायनी की मुख्य विशेषता है।

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