हिमांशु जोशी जीवन परिचय

हिमांशु जोशी जीवन परिचय

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जन्म:-4 मई, 1935
उत्तराँचल, भारत
मृत्यु:-22 नवम्बर 2018 हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार हिमांशु जोशी का लंबी बीमारी के बाद 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. गुरुवार रात उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक है. उनका जन्म उत्तराखंड के खेतीखान में हुआ था.
काल:-आधुनिक काल

हिमांशु जोशी का साहित्य

हिमांशु जोशी की रचनाएं

उपन्यास

अरण्य,

महासागर

छाया मत छूना मन,

कगार की आग,

समय साक्षी है,

तुम्हारे लिए ,

सु-राज

कहानी संग्रह

अंततः तथा अन्य कहानियां

मनुष्य-चिह्न तथा अन्य कहानियां

जलते हुए डैने तथा अन्य कहानियां

रथ-चक्र

हिमांशु जोशी की चुनी हुई कहानियां

तपस्या तथा अन्य कहानियां

गन्धर्व-गाथा

चर्चित कहानियां

आंचलिक कहानियां

श्रेष्ठ प्रेम कहानियां

इस बार फिर बर्फ गिरी तो

नंगे पांवों के निशान

दस कहानियां

प्रतिनिधि लोकप्रिय कहानियां

इकहत्तर कहानियां

सागर तट के शहर

स्मृतियाँ

परिणति तथा अन्य कहानियां

कविता संग्रह

अग्नि-सम्भव

नील नदी का वृक्ष

एक आँख की कविता

जीवनी तथा खोज-अमर शहीद अशफाक उल्ला खां,

यात्रा वृतांत

यातना-शिविर में (अंडमान की अनकही कहानी), रेडियो-नाटक-सु-राज तथा अन्य एकांकी, कागज की आग तथा अन्य एकांकी, समय की शिला पर, बाल साहित्य-अग्नि संतान आदि।

वैचारिक संस्मरण

उत्तर-पर्व

आठवां सर्ग

विशेष तथ्य

हिमांशु जोशी ने वर्ष 1956 से पत्रकारिता में कदम रखा.वे ‘कादम्बिनी’,‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’.दूरदर्शन व आकाशवाणी से भी जुड़े रहे थे.

कोलकत्ता से प्रकाशित साहित्यिक मासिक पत्रिका ‘वागार्थ’ के संपादक भी रहे थे.

उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी लेखन कार्य किया था.

सम्मान एवं पुरस्कार

‘छाया मत छूना मन’, ‘अरण्य’, ‘मनुष्य चिह्न’ ‘श्रेष्ठ आंचलिक कहानियां’ तथा ‘गन्धर्व कथा’ को ‘उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान’ से पुरस्कार.

‘हिमांशु जोशी की कहानियां’ तथा ‘भारत रत्न : पं. गोविन्द बल्लभ पन्त’ को ‘हिंदी अकादमी’ दिल्ली का सम्मान.

‘तीन तारे’ राजभाषा विभाग बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत.

पत्रकारिता के लिए ‘केंद्रीय हिंदी संसथान’ (मानव संसाधन मंत्रालय) द्वारा ‘स्व. गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’ से सम्मानित.

आदिकाल के प्रमुख साहित्यकार

भक्तिकाल के प्रमुख साहित्यकार

आधुनिक-काल के साहित्यकार