श्रीधर पाठक की जीवनी एवं साहित्य
श्रीधर पाठक की जीवनी, साहित्य, रचनाएं, प्रबन्धात्मक काव्य, मौलिक प्रबन्धात्मक रचनाएं तथा श्रीधर पाठक से संबंधित विशेष तथ्य
जन्म- 11 जनवरी 1859
निधन- 13 सितम्बर 1928
जन्म स्थान- जोधरी, आगरा, उत्तरप्रदेश, भारत
काल- आधुनिक काल (द्विवेद्वी युग)
श्रीधर पाठक की रचनाएं : श्रीधर पाठक की जीवनी एवं साहित्य
(क) प्रबन्धात्मक काव्य(अनुदित):-
एकान्तवासी योगी- 1886 ई- अंग्रेजी साहित्य के गोल्डस्मिथ द्वारा रचित ‘हरमीट’ का हिंदी अनुवाद|
ऊजड़ ग्राम- 1889 ई.- गोल्डस्मिथ द्वारा रचित ‘डेजर्टिड विलिज’ का हिंदी अनुवाद|
श्रान्त पथिक-1902 ई.- गोल्डस्थिम द्वारा रचित ‘ट्रेवलर’ का हिंदी अनुवाद|
ऋतुसंहार ( संस्कृत के कालीदास की नाट्य रचना का अनुवाद)
(ख) मौलिक प्रबंधात्मक रचनाएं
जगत सचाई सार- 1887 ई.
काश्मीर सुषमा- 1904 ई.
आराध्य-शोकांजलि- 1906-( यह रचना इन्होंने अपने पिता की मृत्यु पर लिखी|)
जार्ज वंदना- 1912
भक्ति-विभा- 1913
गोखले प्रशस्ति- 1915
देहरादून- 1915
गोपिका गीत- 1916
भारत-गीत- 1928
मनोविनोद
वनाष्टक
बालविधवा
भारतोत्थान
भारत-प्रशंसा
गुनवंत हेमंत
स्वर्ग-वीणा
नोट:- ‘जगत सचाई सार’,’ सुथरे साइयों के सधुक्कड़ी’ ढंग पर लिखा गया है यथा:-
“जगत है सच्चा, तनिक न कच्चा, समझो बच्चा इसका भेद|” यह 51 पदों की लम्बी कविता है|
– ‘स्वर्ग वीणा’ मे परोक्ष सत्ता के रहस्य संकेत मिलते है|
श्रीधर पाठक के बारे में विशेष तथ्य
श्रीधर पाठक जी भारतेंदु हरिश्चंद्र का महावीर प्रसाद द्विवेदी दोनों के समकालीन रहे|
अपने समय के कवियों में प्रकृति का वर्णन पाठक जी ने सबसे अधिक किया, इससे हिंदी प्रेमियों में यह ‘प्रकृति के उपासक कवि’ नाम से प्रसिद्ध हुए|
गांव को काव्यवस्तु के रूप में लाने का श्रेय है पाठक जी को दिया जाता है|
रामचंद्र शुक्ल के अनुसार आधुनिक खड़ी बोली पद्य की पहली पुस्तक ‘एकांतवासी योगी’ मानी जाती है|, जो लावनी या ख्याल के ढंग पर लिखी गई है|
यह आधुनिक खडी बोली के प्रथम कवि माने जाते हैं|
श्रीधर पाठक की जीवनी, साहित्य, रचनाएं, प्रबन्धात्मक काव्य, मौलिक प्रबन्धात्मक रचनाएं तथा श्रीधर पाठक से संबंधित विशेष तथ्य