सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या – प्रांतीय भाषा-बोलियाँ

सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या – प्रांतीय भाषा-बोलियाँ श्री सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या के अनुसार प्रांतीय भाषा-बोलियाँ का महत्त्व भाषा-बोलियाँ का महत्त्व ‘प्रांतीय भाषाओं के पुनरुद्धार से हिन्दी का आंतरप्रदेशिक महत्व किसी तरह कम नहीं हो सकता | पच्छाहीं के लोगों ने बेशक हिंदी का थोड़ा बहुत फैलाव किया है और टूटी फूटी व्याकरण-भ्रष्ट हिंदी को अपनाकर पच्छाहीं के आसपास … Read more

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