यशपाल

यशपाल जीवन परिचय

यशपाल के जीवन परिचय और साहित्य की संपूर्ण जानकारी-

जन्म -3 दिसम्बर, 1903 ई.

जन्म भूमि – फ़िरोजपुर छावनी, पंजाब, भारत

मृत्यु -26 दिसंबर, 1976 ई.

अभिभावक- हीरालाल, प्रेमदेवी

कर्म-क्षेत्र -उपन्यासकार, लेखक, निबंधकार

नोट:- ये साम्यवादी या प्रगतिवादी उपन्यासकार है|

यशपाल साहित्य परिचय

यशपाल के जीवन परिचय और साहित्य की संपूर्ण जानकारी निम्न प्रकार है-

कहानी संग्रह

ज्ञानदान 1944 ई.

अभिशप्त 1944 ई.

तर्क का तूफ़ान 1943 ई.

भस्मावृत

चिनगारी 1946 ई.

वो दुनिया 1941 ई.

फूलों का कुर्ता 1949 ई.

धर्मयुद्ध 1950 ई.

उत्तराधिकारी 1951 ई.

चित्र का शीर्षक 1952 ई.

पिंजरे की उडान

उत्तमी की माँ

सच बोलने की भूल

तुमने क्यों कहा कि मैं सुन्दर हूँ

यशपाल की कहानियां : जीवन परिचय और साहित्य

चक्कर क्लब

परदा

आदमी और खच्चर

कुत्ते की पूँछ

यशपाल के उपन्यास : जीवन परिचय और साहित्य

दादा कामरेड 1941 ई.

देशद्रोही 1943 ई.

पार्टी कामरेड 1947 ई.

दिव्या 1945 ई.

मनुष्य के रूप 1949 ई.

अमिता 1956 ई.

झूठा सच-1960. (दो भाग प्रथम-1958, वतन और देश, द्वितीय-1960- देश का भविष्य)

मेरी तेरी उसकी बात-1974 (1942 की क्रांति पर आधारित)

अप्सरा का शाप 2010 ई.

यशपाल के निबंध संग्रह

न्याय का संघर्ष 1940 ई.

गाँधीवाद की शव परीक्षा-1941 ई.

चक्कर क्लब 1942 ई.

बात-बात में बात 1950 ई.

देखा, सोचा, समझा 1951 ई.

मार्क्सवाद

सिंहावलोकन -1951 (तीन खंड) आत्मकथा

संस्मरण – कुछ संस्मरण-1990

यशपाल के पुरस्कार व सम्मान

इनकी साहित्य सेवा तथा प्रतिभा से प्रभावित होकर रीवा सरकार ने ‘देव पुरस्कार’ (1955)

सोवियत लैंड सूचना विभाग ने ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ (1970)

हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ (1971)

भारत सरकार ने ‘पद्म भूषण’ की उपाधि प्रदान कर इनको सम्मानित किया है।

यशपाल संबंधी विशेष तथ्य

यह प्रगतिवादी उपन्यास परंपरा के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार माने जाते हैं।

झूठा सच देश विभाजन की त्रासदी पर आधारित इनका सर्वश्रेष्ट चर्चित उपन्यास है।

अपने उपन्यासों में इन्होंने नारी की समस्या को भी पूरी सहानुभूति से प्रस्तुत किया है।

इन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया ये सुखदेव और भगत सिंह के सहयोगी थे।क्रांतिकारी आंदोलन के कारण इन्हे जेल भी जाना पड़ा|

जेल से मुक्त होने के बाद इन्होंने ‘विप्लव’ मासिक पत्र निकाला।

इन्होने ‘पिंजरे की उड़ान’ और ‘वो दुनियाँ’ की कहानियाँ जेल में ही लिखी थी।

अंततः आशा है कि आपके लिए यशपाल का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय उपयोगी सिद्ध हुआ होगा।

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

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