प्लेटो का अनुकरण सिद्धांत – Imitation Theory of Plato
यह आलेख प्लेटो का अनुकरण सिद्धांत, प्लेटो का काव्य सिद्धांत, काव्य अनुकरण सिद्धांत, अरस्तु एवं प्लेटो के अनुकरण सिद्धांत में अंतर के बारे जानकारी देगा।
अनुकरण शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘इमिटेशन’ (IMITATION) का हिंदी रूपांतरण है।
‘इमिटेशन’ शब्द यूनानी (ग्रीक) भाषा के ‘मिमेसिस’ (MIMESIS) का अंग्रेजी रूपांतरण है।
अनुकरण का सामान्य अर्थ एवं परिभाषा
इसका सामान्य अर्थ– नकल, प्रतिलिपि या प्रतिच्छाया है।
इसका मान्य अर्थ– “अभ्यास के लिए लेखकों और कवियों को उपलब्ध उत्कृष्ट रचनाओं का अध्ययन अनुसरण करना है।”
ग्रीक दार्शनिक एवं विचारक प्लेटो ने अपनी पुस्तक ‘रिपब्लिक’ में काव्य को मूल प्रत्यय के अनुकरण का अनुकरण कहा है।
प्लेटो ने अनुकरण को अलग-अलग अर्थों में प्रयोग किया है। प्लेटो ने इसका प्रयोग सस्ती, घटिया और त्रुटिपूर्ण अनुकृति (नकल) के रूप में किया है।
कहीं अनुकरण को सभी कलाओं की मौलिक विशेषता बताया है तो कहीं कल्पना तथा रचनात्मक शक्ति के अर्थ में प्रयोग किया है।
प्लेटो ने संसार को ईश्वर की अनुकृति (नकल) बताया है तथा काव्य को संसार की अनुकृति (नकल) कहा है।
प्लेटो की मान्यता है कि कवि अनुकृति (नकल) की अनुकृति (नकल) करता है।
डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त- ‘‘प्लेटो ने कविता को अनुकृति बताकर काव्य-मीमांसा के क्षेत्र में एक ऐसे सिद्धांत की प्रतिष्ठा की जो परवर्ती युग में विकसित होकर काव्य-समीक्षा का आधार बना।’’
अनुकरण संबंधी प्लेटो की मान्यताएं
ईश्वर सृष्टा है उसके द्वारा रचित प्रत्यय जगत् ही सत्य है।
वस्तु जगत्, प्रत्यय जगत् की अनुकृति/नकल या छाया है अतः मिथ्या या असत्य है अर्थात सांसारिक वस्तुएं ईश्वरी संसार की नकल करके बनाई गई हैं अतः यह असत्य है।
संसार का सत्य केवल ईश्वरीय या प्रत्यय जगत है।
कला जगत् वस्तु जगत् का अनुकरण है, अतः यह अनुकरण का भी अनुकरण है।
अतः और भी मिथ्या है/असत्य हैं। कलाकार अनुकर्ता (नकल करने वाला) है।
प्लेटो द्वारा काव्य पर लगाए गए आरोप : प्लेटो का अनुकरण सिद्धांत
काव्य अनुकृति (नकल) की अनुकृति (नकल) है।
कवि अज्ञानी तथा अज्ञान का प्रसारक भी है।
काव्य क्षुद्र (हीन) मानवीय भावों और कल्पना पर आधारित होता है।
कलात्मक रचनाएं समाज के लिए अनुपयोगी है।
काव्य है वासनामय भावों को जगाता है।
कवि समाज में अनाचार एवं दुर्बलता का पोषण करने का अपराधी है।
प्लेटो ऐसी कविताओं को महत्त्वपूर्ण, उचित एवं प्रभावोत्पादक मानता है जिसमें वीर पुरुषों की गाथा हो या देवताओं के श्लोक हों।