कवि जानकी वल्लभ शास्त्री

कवि जानकी वल्लभ शास्त्री

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जीवन परिचय

जन्म -5 फरवरी 1916

जन्म भूमि- गया, बिहार

मृत्यु -7 अप्रैल 2011

मृत्यु स्थान – मुज़फ्फरपुर, बिहार

पिता- रामानुग्रह शर्मा

पत्नी – छाया देवी

कर्म-क्षेत्र -साहित्य

भाषा- हिन्दी

प्रसिद्धि – कवि, लेखक

जानकी वल्लभ शास्त्री की रचनाएं

जानकी वल्लभ शास्त्री के काव्य संग्रह एवं कविताएं

बाललता

अंकुर

उन्मेष

रूप-अरूप

तीर-तरंग

शिप्रा

अवन्तिका

मेघगीत

गाथा

प्यासी-पृथ्वी

संगम

उत्पलदल

चन्दन वन

शिशिर किरण

हंस किंकिणी

सुरसरी

गीत

वितान

धूपतरी

बंदी मंदिरम्‌

नाटक

देवी

ज़िन्दगी

आदमी

नील-झील

उपन्यास

एक किरण : सौ झांइयां

दो तिनकों का घोंसला

अश्वबुद्ध

कालिदास

चाणक्य शिखा (अधूरा)

कहानी संग्रह

कानन

अपर्णा

लीला कमल

सत्यकाम

बांसों का झुरमुट

ग़ज़ल संग्रह

सुने कौन नग़मा

महाकाव्य

राधा

संस्मरण

अजन्ता की ओर

निराला के पत्र

स्मृति के वातायन

नाट्य सम्राट पृथ्वीराज कपूर

हंस-बलाका

कर्म क्षेत्रे मरु क्षेत्र

अनकहा निराला

ललित निबंध

मन की बात

जो न बिक सकीं

विशेष तथ्य

जानकी वल्लभ शास्त्री का पहला गीत ‘किसने बांसुरी बजाई’ बहुत लोकप्रिय हुआ।

प्रो. नलिन विमोचन शर्मा ने उन्हें प्रसाद, निराला, पंत और महादेवी के बाद पांचवां छायावादी कवि कहा है|

इनकी प्रथम रचना ‘गोविन्दगानम्‌’ है |

निराला ही उनके प्रेरणास्रोत रहे हैं।

पुरस्कार, सम्मान एवं उपाधियाँ

राजेंद्र शिखर पुरस्कार,

भारत भारती पुरस्कार,

शिव सहाय पूजन पुरस्कार

प्रसिद्ध पंक्तियाँ

सब अपनी अपनी कहते है।
कोई न किसी की सुनता है,
नाहक कोई सिर धुनता है।
दिल बहलाने को चल फिर कर,
फिर सब अपने में रहते है।

सबके सिर पर है भार प्रचुर,
सबका हारा बेचारा उर
अब ऊपर ही ऊपर हँसते,
भीतर दुर्भर दुख सहते है।

ध्रुव लक्ष्य किसी को है न मिला,
सबके पथ में है शिला शिला
ले जाती जिधर बहा धारा,
सब उसी ओर चुप बहते हैं।

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