जलवायु Jalvayu – Climate

जलवायु की परिभाषा, अर्थ एवं वर्गीकरण

जलवायु Jalvayu – Climate की परिभाषा, अर्थ, वर्गीकरण, प्रकार सहित जलवायु प्रदेश एवं कोपेन का जलवायु वर्गीकरण की संपूर्ण जानकारी

परिभाषा एवं अर्थ

किसी स्थान विशेष के मौसम की औसत दशा को जलवायु कहते हैं। मोंकहाऊस (Monkhouse) के अनुसार “जलवायु वस्तुतः किसी स्थान विशेष की दीर्घकालीन मौसमी दशाओं के विवरण को सम्मिलित करती है। जलवायु में एक विस्तृत क्षेत्र में दीर्घकाल की वायुमण्डलीय अवस्थाओं का विवरण होता है अतः मौसम की तुलना में जलवायु शब्द का अर्थ व्यापक होता है।

जलवायु का वर्गीकरण

विश्व की जलवायु के वर्गीकरण का पहला प्रयास प्राचीन यूनानियों ने किया था उन्होंने तापमान के आधार पर विश्व को तीन कटिबंधों 1. उष्ण कटिबंध, 2 शीतोष्ण कटिबंध व 3. शीत कटिबंध में विभाजित किया था।

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जलवायु अर्थ वर्गीकरण प्रकार

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

कोपेन का वर्गीकरण तापमान, वर्षण तथा उनकी ऋतुवत् विशेषताओं पर आधारित है। इसमें उन्होंने जलवायु और प्राकृतिक वनस्पति के बीच संबंधों को भी जोड़ा है। कोपेन ने अपने वर्गीकरण में विश्व को पाँच विस्तृत जलवायु वर्गों में विभाजित किया है।
संसार की जलवायु को कोपेन ने पाँच मुख्य भागों में बाँटने के लिए अंग्रेजी के बड़े अक्षरों A, B, C, D तथा E का प्रयोग करते हुए उपविभाग किये गये हैं, जिनके लिए बड़े अक्षरों के साथ छोटे अक्षरों का प्रयोग किया गया है। ये जलवायु वर्ग व उपवर्ग इस प्रकार हैं-

1. A ऊष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु-

यहाँ पर वर्ष के प्रत्येक महीने में औसत तापमान 18°C से अधिक रहता है इस जलवायु में शीत ऋतु का अभाव होता है। यहाँ वर्षभर वाष्पीकरण की अपेक्षा वर्षा अधिक होती है। वर्षा, ताप तथा शुष्कता के आधार पर इसके तीन उप भाग किये गये हैं।
(i) Af- ऊष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु- जहाँ पर वर्ष भर वर्षा हो, वार्षिक तापान्तर बिल्कुल नहीं होता तथा शुष्कता का अभाव हो।
(ii) Am- ऊष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु- वर्षा की अधिकता के कारण वन भी अधिक मिलते हैं। यहाँ एक लघु शुष्क ऋतु पाई जाती है
(iii) Aw- ऊष्ण कटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु – इसे ऊष्ण कटिबंधीय सवाना जलवायु भी कहते हैं। यहाँ पर वर्ष भर उच्च तापमान रहता है। यहाँ पर ग्रीष्मकाल में वर्षा तथा शीतकाल शुष्क रहता है।

2. B शुष्क जलवायु-

इसमें वर्षा की अपेक्षा वाष्पीकरण अधिक होता है अतः यहाँ जल की कमी रहती है।
तापमान तथा वर्षा के आधार पर इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(i) BS- स्टैपी प्रदेश- यहाँ वर्षा की मात्रा शुष्क घास के लिए पर्याप्त रहती है।
(ii) BW- मरुस्थलीय प्रदेश- यहाँ वर्षा की मात्रा कम होती है।
स्टैपी तथा मरूस्थलीय जलवायु को तापमान के आधार पर दो-दो उप भागों में बाँटा गया है-
(i) BSh- ऊष्ण कटिबंधीय स्टैपी जलवायु (ii) BSk- शीत स्टैपी जलवायु
(iii) BWh- ऊष्ण कटिबंधीय मरूस्थलीय जलवायु
(iv) BWk- शीत कटिबंधीय मरूस्थलीय जलवायु

3 C ऊष्ण शीतोष्ण आर्द्र जलवायु-

इसे सम शीतोष्ण आर्द्र जलवायु भी कहते हैं। यहाँ पर सबसे ठण्डे महीने का औसत तापमान 18°C से कम तथा तथा 30 से अधिक होता है। यहाँ पर ग्रीष्म व शीत दोनों ऋतु पाई जाती है। इसमें शीत ऋतु कठोर नहीं होती। वर्षा के मौसमी वितरण के आधार पर निम्नलिखित तीन भाग किये गये है-

(i) CF- वर्ष पर्यन्त वर्षा
(ii)Cw- ग्रीष्मकाल में अत्यधिक वर्षा
(iii) Cs- शीतकाल में अधिक वर्षा

इसके अन्य उप विभाग-

a- गर्म ग्रीष्म काल
b- शीत ग्रीष्म काल
c- अल्पकालिक ग्रीष्म काल।

4. D शीत शीतोष्ण जलवायु-

इस जलवायु में सर्वाधिक ठण्डे महिने का तापमान – 3°C कम होता है तथा सबसे गर्म महिने का औसत तापमान 10°C से अधिक होता है। यहाँ पर कोणधारी बन पाये जाते हैं। इसके दो मुख्य उप विभाग है-
(i) Dr- वर्ष पर्यन्त वर्षा
(ii) Dw- ग्रीष्मकाल में वर्षा, शीत ऋतु शुष्क

5. E ध्रुवीय जलवायु-

(i) ET- टुण्ड्रा तुल्य जलवायु- इसमें ग्रीष्मकालीन तापमान 0°C से 10°C के मध्य रहता है।
(ii) EF- हिमाच्छादित जलवायु- यहाँ ग्रीष्मकालीन तापमान 0°C से कम रहता है। यहाँ पर वर्ष भर बर्फ जमीं रहती है।

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