संख्यावाची विशिष्ट गूढार्थक शब्द Sankhyavachi Vishisht Gudharthak Shabad
संख्यावाची विशिष्ट गूढार्थक शब्द Sankhyavachi Vishisht Gudharthak Shabad हिंदी में कुछ संख्यावाची शब्द प्रचलित हैं, जिनका अर्थ प्रयोग विशेष.
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पर्यायवाची शब्द – Paryayvachi Shabd – महा भण्डार
संख्यावाची शब्द किसे कहते हैं?
हिंदी में कुछ संख्यावाची शब्द प्रचलित हैं, जिनका अर्थ प्रयोग विशेष संदर्भ में होता है, इन्हें संख्यावाची गूढार्थक शब्द कहते हैं।
हमारी भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में इनका एक विशिष्ट अर्थ है, जिसे जानना जरुरी है।
जैसे- त्रिदेव, चारधाम, पंचगव्य, सप्तऋषि, नौ निधि, सोलह शृंगार, छप्पन भोग, 64 कलाएं आदि।
इसी धारा प्रवाह में आपके लिए कुछ ऐसे ही शब्द प्रस्तुत हैं।
एक (1) : संख्यावाची विशिष्ट गूढार्थक शब्द
एक ईश्वर- सूर्य, पृथ्वी, गणेश का दाँत, ब्रह्म
दो (2)
दो पक्ष- कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष
दो मार्ग- प्रवृत्ति मार्ग, निवृत्ति मार्ग
दो उपासना पद्धति- सगुण उपासना पद्धति, निर्गुण उपासना पद्धति
तीन (त्रि) (3)
त्रिदेव, त्रिमूर्ति- ब्रह्मा, विष्णु, महेश
तीन दुःख- दैहिक दुःख, दैविक दुःख, भौतिक दुःख
त्रिलोक- आकाश, पृथ्वी, पाताल
त्रिगुण- सतगुण, रजगुण, तमगुण
त्रिदोष (आयुर्वेद में)- वात, पित्त, कफ
त्रिघट- स्थूल, सूक्ष्म, कारण
त्रिकटुक- (तीन कड़वी वस्तुएं) सोंठ, पीपर, मिर्च
त्रिकर्मा- यज्ञ, दान, वेदाध्ययन
त्रिकाल- भूत, वर्तमान, भविष्य अथवा प्रातः, दोपहर, सांय
त्रिभवन- जन्मकुण्डली का लग्न से पांचवां और नौवां घर
त्रिक्षार- सुहागा, जौखार, सज्जी
पर्यायवाची शब्द – Paryayvachi Shabd – महा भण्डार
त्रिधातु- सोना, चाँदी, तांबा
त्रिपथ- ज्ञान, कर्म, उपासना
त्रिपत्र- तुलसी, बेल, कुंद
त्रिपिंड- पिता, पितामह, प्रपितामह के श्राद्ध
त्रिपुटी- ज्ञान, ज्ञाता, ज्ञेय
त्रिपुर- स्वर्ग, अंतरिक्ष एवं पृथ्वी
त्रिफला- हरड़, बहेड़ा, आँवला
त्रिमधु- घी, शहद एवं चीनी
त्रियुग- सतयुग, द्वापर एवं त्रेता
त्रिवर्ग- (पहला- धर्म, अर्थ एवं काम), (दूसरा- सत, रज, तम), (तीसरा- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैष्य), (चौथा– क्षय, स्थिति एवं वृद्धि)
त्रिवेणी- गंगा, यमुना एवं सरस्वती
त्रिशक्ति- इच्छा, ज्ञान एवं क्रिया
त्रिसंध्य- प्रातः, मध्याह्न एवं सांय
त्रिस्थली- काशी, गया एवं प्रयाग
त्रिस्थान- सिर, गरदन एवं वक्ष
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चार (चतुष्) (4)
चार वेद- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद
चार धाम- रामेश्वरम, बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी
चार कुंभ स्थल- उज्जैन, नासिक, हरिद्वार, प्रयाग
चार वर्ण- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र
चार आश्रम- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास
पर्यायवाची शब्द – Paryayvachi Shabd – महा भण्डार
चार फल- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष
चतुष्ठय उपाय- साम, दाम, दण्ड, भेद
चार खलीफा- अबूबक्र, उमर, उस्मान, अली
चार सूफी सम्प्रदाय- चिश्तिया, कादिरिया, सुहरवर्दिया, नक्शबन्दिया
पाँच (पंच) (5)
पंच महायज्ञ- ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, भूतयज्ञ, पितृयज्ञ, नृपयज्ञ
पंचमहाव्रत- अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, सूनृता, अस्तेय
पंच तत्त्व- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
पंच देव- शिव, गणेश, विष्णु, सूर्य, दुर्गा
पंच देवी- दुर्गा, लक्ष्मी, राधा, वाणी, शाकम्भरी
पंच ज्ञानेन्द्रियाँ- आँख, कान, नाक, जिह्वा, त्वचा
पंच कर्मेन्द्रियाँ- मुख, लिंग, गुदा, हाथ, पैर
पंचामृत- दूध, दही, घी, शक्कर, शहद
पंच कन्या- सीता, मंदोदरी, अहल्या, द्रौपदी, तारा
पंच पवन- प्राण वायु, उदान वायु, व्यान वायु, समान वायु, अपान वायु
पंच तिक्त- गलोय, कटकारि, सोंठ, कुट, चिरायता
पंच वाण- द्रवण, शोषण, तापन, मोचन, उन्माद
पंच पुष्पवाण- कमल, अशोक, आम्र, नवमल्लिका, नीलोत्पल
पंच नद- झेलम, रावी, चिनाब, सतलज, व्यास
पंच रत्न- सोना, हीरा, नीलम, लाल, मोती
पंच पीर- जाहर, नरसिंह, भज्जू ग्वारपहरिया, घोड़ा बालाभंजी, रुहर दलेले
पंच ‘ग’कार (वैष्णवों के)- गंगा, गीता, गाय, गोविंद, गायत्री
पंच ‘म’कार (सिद्धों के)- मत्स्य, मांस, मद्य, मुद्रा, मैथुन
पंचकोष- (वेदांत के अनुसार) अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, आनंदमय
पंचगव्य- दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र
पंचजन- (पहला- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, निषाद), (दूसरा- गंधर्व, पितर, देव, असुर, राक्षस)
पंचतन्मात्र- शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध
पंचद्रविड़- दक्षिण में महाराष्ट्र, तैलंग, गुर्जर, द्रविड़ एवं कर्णाट क्षेत्र के ब्राह्मण
पंचनद- सतलुज, व्यास, रावी, चनाब, झेलम
पंचपल्लव (पत्ते)– पीपल, बड़ या आम, गूलर, जामुन, बेल
पंचप्राण- प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान
पंचमहापातक- ब्रह्महत्या, सुरापान (शराब सेवन), चोरी, गुरु पत्नी से गमन, इन चारों से मेल-जोल
पंचरंग- हल्दी, सुरवाली, मेंहदी का चूरा, अबीर (गुलाल), बुक्का (अबरक का चूर्ण)
पंचरत्न- हीरा, नीलम, मूंगा, मणि, पद्मराग
पंचशील- (पहला- अस्तेय, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, सत्य, मादक पदार्थों का त्याग), (दूसरा- प्रभुसत्ता, अखंडता, समानता, आक्रमण न करना, हस्तक्षेप न करना)
पंचबाण (कामदेव के)- सम्मोहन, उन्मादन, शोषण, तापन, स्तम्भन
छह (षड्/षष्ट्/षट्) (6) : संख्यावाची विशिष्ट गूढार्थक शब्द
षड्ऋतु- ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशर, हेमंत, वसंत
षड् रिपु- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर
षड् रस- कड़वा, तीखा, खट्टा, मीठा, कसैला, खारी
षट् रस- मधुर, तीक्ष्ण, तिक्त, कटु, कषाय, अम्ल
षड्शास्त्र- मीमांसा, न्याय, वैशेषिक, योग, सांख्य, वेदांत
षड्दर्शन- सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व मीमांसा, उत्तर मीमांसा
षड्ंग- (पहला- शिक्षा, व्याकरण, निरुक्त, छंद, कल्प, ज्योतिष), (दूसरा- दो हाथ, दो पैर, सिर, धड़)
षट्कर्म- अध्ययन, अध्यापन, यजन, याजन, दान, प्रतिग्रह
षट्चक्र– मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा योग
छह अकाल- अतिवृष्टि, अनावृष्टि, चूहों की अधिकता, दूसरे राजा की चढ़ाई, टिड्डी दल का आना, पक्षियों की अधिकता
छह हास्य- स्मित, हसित, विहसित, अवहसित, अपहसित, अतिहसित
सत (सप्त) (7)
सप्तऋषि
महाभारत के अनुसार- मरीचि, अंगिरा, अत्रि, अगस्त्य, भृगु, वशिष्ठ, मनु
शतपथ ब्राह्मण के अनुसार- गौतम, भारद्वाज, विश्वामित्र, यमदाग्नि, वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि
सप्तमातृका- ब्रह्मी, इंद्राणी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, चामुण्डा
सप्तभुवन- भूलोक, भुवलोक, स्वर्गलोक, महालोक, जनलोक, तपलोक, सत्यलोक
सप्तपुरी अथवा सप्ततीर्थ- अयोध्या, मथुरा, मायानगरी, काशी, काँचीपुरम, उज्जयिनी, द्वारका
सात रंग (सूर्य प्रकाश में)- नीलोत्पल, नीलाभ, आसमानी, नीला, हरा
सात चिंरजीवी- अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम
सप्त द्वीप (विष्णु पुराण अनुसार)- जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप
सप्तसिन्धु- सिन्धु, गंगा, यमुना, सरस्वती, परुष्णी (रावी), शतुद्री (सतलुज), वितस्ता (झेलम)
सप्तसागर (विष्णु पुराण अनुसार)- खारे पानी का सागर, इक्षुरस का सागर, मदिरा का सागर, घृत का सागर, दधि का सागर, दुग्ध का सागर, मीठे जल का सागर
सप्तपर्वत- हिमालय, निषघ, विन्ध्य, माल्यवान्, पारियात्रक, गन्धमादन, हेमकूट
सप्तसुर- सा, रे, गा, मा, पा, ध, नि
सप्त स्वर- षड्ज, श्रषभ, गान्धार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद या सप्तम्
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आठ (अष्ट) (8)
अष्ट सिद्धि
योग की- अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशत्व, वशित्व
पुराणों की- अंजन, गुटका, पादुका, धातु-भेद, वेताल, वज्र, रसायन, योगिनी
सांख्य की- तार, सुतार, तारतार, रम्यक, आदि भौतिक, आदि दैविक, आध्यात्मिक, आदि दैहिक
अष्ट भैरव- महाभैरव, संहारभैरव, असितांग भैरव, रुरु भैरव, काल भैरव, क्रोध भैरव, ताम्रचूड़ भैरव, चन्द्रचूड़ भैरव
अष्टकुल (नागों के)- वासुक, तक्षक, कुलक, कर्कोटक, पद्म, शंखचूड़, महापद्म, धनंजय
अष्टगन्ध- चन्दन, अगर, देवदारु, केसर, कपूर, शैलज, जटामासी, गोरोचन
अष्ट धातु- सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा, राँगा, जस्ता, पारा, लोहा
अष्टांग- हाथ, पैर, सिर, छाती, घुटना, वचन, दृष्टि, बुद्धि
अष्टांग योग- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा, समाधि
अष्टांग आयुर्वेद- शल्य, शालाक्य, कायचिकित्सा, भूतविद्या, कौमारभृत्य, अगदतंत्र, रसायनतंत्र और वाजीकरण
आठ विवाह- देव विवाह, ब्रह्म विवाह, आर्ष विवाह, असुर विवाह, पिशाच विवाह, गन्धर्व विवाह, स्वयंवर
अष्ट सखियाँ (राधा की)- ललिता, विशाखा, चित्रा, चम्पकलता, इन्दुलेखा, तुंगविद्या, रंगदेवी, वसुदेवी
अष्टवसु- प्रभास, अनल, अनिल, धर, सोम, ध्रुव, विष्णु, प्रत्यूष
आठ पहर- (4 दिन के- पूर्वाह्न या प्रातः, मध्याह्न, अपराह्न, सांय) (चार रात्रि के- प्रदोष या रजनीमुख, निशीथ, त्रियामा, उषा भोर या ब्रह्ममुहूर्त)
अष्ट अंग (राज्य के)- राजा, अमात्य (मंत्री), सुहृत, कोष, राष्ट्र, दुर्ग, बल (सेना आदि), पौर समूह (पुरवासियों का समूह)
अष्टताल- आड़, दोज, ज्योति, चन्द्रशेखर, गंजन, पंचताल, रूपक, समताल
नौ (नव) (9)
नवग्रह- सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु
नवनिधि- कच्छप, खर्व, नद, नील, पद्म, महापद्म, मकर, मुकुट, शंख
नवरस- शृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत, शान्त
नवद्वार (शरीर के)- दो आँखें, दो कान, दो नासिका, एक मुख, गुदा, जननेन्द्रिय
नवदुर्गा- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महाकाली, सिद्धिधात्री
नवरत्न- मोती, पन्ना, माणिक, गोमेद, हीरा, मूँगा, लहसुनियाँ, पद्मराग, नीलम
नवरत्न (विक्रमादित्य के दरबार के)- क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, वेताल भट्ट, घटखर्पर, कालिदास, वराह मिहिर, धन्वंतरि, वररुचि
नवखण्ड- भारत, किंपुरुष, भद्र, हरि, हिरण्य, केतुमाल, इलावृत, कुश, रम्य
नवकन्या- कुमारी, त्रिमूत्ति, कल्याणी, रोहिणी, कालिका, शांभवी, दुर्गा, चंडिका, सुभद्रा
नवशक्ति- वैष्णवी, ब्रह्माणी, रौद्री, माहेश्वरी, नारसिंही, वाराही, इन्द्राणी, कार्तिकी, सर्वमंगला
नवधा भक्ति- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पदसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सेव्य, आत्म-निवेदन
दस (दश) (10)
दशमहाविद्या- काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगला, मातंगी, कमला
दशावतार- मच्छ, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि
दशधाभक्ति- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पदसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सेव्य, आत्म-निवेदन, प्रेम-लक्षणा
दस धर्म लक्षण- धैर्य, क्षमा, दया, अस्तेय, शौच, इन्द्रिय निग्रह, अहिंसा, सत्य, अक्रोध, विद्या
दस दिशाएँ- पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य, ऊध्र्व, अधो
दश छिद्र- दो आँख, दो कान, दो नासिका, मुख, गुदा, लिंग, ब्रह्माण्ड
ग्यारह (एकादश) (11)
एकादश रुद्र- प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान, नाम, कूकल, कूर्म, देवदत्त, धनंजय, आत्मा
एकादश गण (अग्निपुराण में गंधर्वों के)- शूर्यवर्चा, कृधु, हस्त, सुहस्त, स्वन्, मर्धन्या, आश्राज्य, अंधारि, वंभारि, विश्वावसु, कृशानु
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बारह (द्वादश) (12)
द्वादश राशियाँ- मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन
बारह महीने- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, भादों, क्वार, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ, फाल्गुन
द्वादश वन- मधुवन, तालवन, वृंदावन, कामवन, कोटवन, चन्दनवन, लोहवन, महावन, खदिरवन, बेलवन, भाण्डारीवन
द्वाद्वश भानुकला- तपिनी, तापिनी, पूसा, मरिची, ज्वालिनी, रुचि, रुचिनिम्ना, मोगदा, विश्व-बोधिनी, धारिणी, क्षमा, शोषिणी
द्वादश ज्योतिर्लिंग- सोमनाथ, द्वारका, महाकालेश्वर, श्रीशैल, भीमाशंकर, ओमकारेश्वर, केदारनाथ, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, रामेश्वरम, घृष्णेश्वर, बैद्यनाथ
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द्वादश आदित्य- सविता, भग, शक्र, उरुक्रम, धाता, विधाता, विवस्वान्, अर्यमा, तवष्टा, पूषा, मित्र, वरुण
चतुर्दश (14)
चौदह विद्याएँ- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, धर्मशास्त्र, पुराण, मीमांसा, तर्कशास्त्र
चौदह लोक- तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह
चौदह रत्न (समुद्र मंथन से प्राप्त)- श्री, रम्भा, विष, वारुणी, अमृत, शंख, हाथी, धेनु, धन्वन्तरि, चन्द्रमा, कल्पद्रुम, कौस्तुभमणि, धनु, बाजि
चतुर्दश यम- यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैयस्वत, नील, दघ्न, काल, सर्वभूतक्षय, परमेष्टि, वृकोदर, औदुम्बर, चित्र, चित्रगुप्त
चतुर्दश ताल- चिह्नताल, चन्द्रमात्रा, देवमात्रा, अर्द्ध ज्योतिका, स्वर्गसार, क्षमाष्ट, धराधरा, वसन्त वाक्, काक कला, वीर शब्दा, ताण्डवी, हर्ष धारिका, भाषा, अर्द्धमात्रा
पन्द्रह (15)
पन्द्रह तिथियाँ- प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दसमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा
सोलह (षोडश) (16)
षोडश शृंगार- उबटन, स्नान, वस्त्र धारण, केश प्रसाधन, अंजन, सिंदूर, महावर, तिलक, ठोडी पर तिल बनाना, मेंहदी, सुगंधित द्रव्य, आभूषण, पुष्पहार, पान, मिस्सी
षोडश कलाएं (चन्द्रमा की)- अमृता, मानदा, पूषा, पुष्टि, तुष्टि, रति, धृति, शातिनी, चन्द्रिका, कांति, ज्योत्स्ना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूषणा, पूर्णा
षोडश मातृका- गौरी, पद्मा, शची, मेधा, सावित्री, विजया, जया, देवसेना, स्वधा, स्वाहा, शालि, पुष्टि, तुष्टि, मातृ, आत्मदेवता
सोलह संस्कार- गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारम्भ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, विवाह, अन्त्येष्टि
सोलह पूजा विधि- आवाहन, स्थापन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, सिंहासन, स्नान, चन्दन, धूप, फूल, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, प्रदक्षिणा, नमस्कार, आरती
अठारह (18)
अठारह पुराण- ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण, शिव पुराण, पद्म पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, अग्नि पुराण, मार्कण्डेय पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, लिंग पुराण, स्कंद पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण
अठारह दानव- द्विमूद्र्धा, तापन, शम्बर, अरिष्ट, हयग्रीव, विभावसु, अयोमुख, शंकुशिरा, स्वर्मानु, कपिल, अरुण, पुलोमा, वृषपव्र्वा, एकचक्र, विरूपाक्ष, धूम्रकेश, विप्रचित्ति, दुर्जय
अठारह विद्याएं- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष, छन्द, ऋग्वेद, यतुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, मीमांसा, न्याय, धर्मशास्त्र, पुराण, आयुर्वेद, धनुर्वेद, गान्धर्ववेद, अर्थशास्त्र
अठारह व्यसन- मृयया, जुआ खेलना, दिन में सोना, दूसरे का दोष कहना, स्त्रियों में आसक्ति, नशेबाजी, बाजा बजाना, नाचना, गाना, व्यर्थ घूमना, चुगली करना, दुस्साहस, द्रोह, ईष्र्या, असूया, दूसरे की वस्तु हरण, कटुभाषण, अत्यन्त ताड़ना देना
चौबीस (24)
चौबीस अवतार- सनकादि, वाराह अवतार, नारद, नर-नारायण, कपिल, दत्तात्रेय, यज्ञपुरुष, ऋषभ, पृथु, मतस्य, कूर्म, धन्वन्तरि, मोहिनी, नृसिंह, वामन, परशुराम, व्यास, हंस, राम, कृष्ण, हयग्रीव, हरि, बुद्ध, कल्कि
सत्ताईस (27) : संख्यावाची विशिष्ट गूढार्थक शब्द Sankhyavachi Vishisht Gudharthak Shabad
सत्ताईस नक्षत्र- अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्ति, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, श्रावण, घनिष्ठा, शतभिषी, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद, रेवती, मूल
ये भी जानिए- हाइकु कविता (Haiku)
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उनचास (49)
उनचास पवन- श्वसन, स्पर्शन, मातरिश्वा, सदागति, पृषदश्व, गन्धवह, अनिल, आशुग, समीर, मारुत, मरुत्, जगत्प्राण, समीरण, नमस्वान्, वात, पवन, पवमान, प्रभंजन, अजगत्प्राण, खश्वास, वहि, धूलिध्वज, फरिप्रिय, वाति, नमप्राण, भोगिकान्त, स्वकम्पन, अक्षति, कम्पलक्ष्ना, शसीनि, आवक, हरि, वास, मुखाश, मृगवाहन, सार, चंचल, विहग, प्रकम्पन, नमस्वर, निश्वासक, स्तनून, पृषतांपति, प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान, सूक
इक्यावन (51)
इक्यावन शक्तिपीठ- हिंगलाज, भवानी, शर्कररे, सुगंध, अमरनाथ, ज्वाला जी, त्रिपुर मालिनी, अम्बाजी, गुजयेश्वरी, दाक्षायनी, विमला, गंडकी चंडी, बाहुला, मंगल चंद्रिका, त्रिपुरसुंदरी, छत्राल भवानी, भ्रामरी, कामाख्या, जुगाड़्या, कालीघाट, ललिता, जयंती, विमला, किरीट, विशालाक्षी, श्रावणी, सावित्री, गायत्री, महालक्ष्मी, श्रीशैल, देवगर्भ, बीरभूमि, अमरकंटक, नर्मदा, शिवानी, उमा, नारायणी, वाराही, अपर्णा, श्री सुंदरी, कपालिनी, चंद्रभागा, अवंति, भ्रामरी, नासिक, विश्वेश्वरी, अम्बिका, कुमारी, उमा, मिथिला, कालिका, जयदुर्गा, महिषमर्दिनी, यशोरेश्वरी, फुल्लरा, नंदिनी, इंद्राक्षी
छप्पन (56)
छप्पन भोग- रसगुल्ला, चन्द्रकला, रबड़ी, मूली, दधि, भात, दाल, चटनी, कढ़ी, साग-कढ़ी, मठरी, बड़ा, कोणिका, पूरी, खजरा, अवलेह, वाटी, सिखरिणी, मुरब्बा, मधुर, कषाय, तिक्त, कटु पदार्थ, अम्ल (खट्टा पदार्थ), शक्करपारा, घेवर, चीला, मालपुआ, जलेबी, मेसूब, पापड़, सीरा, मोहनथाल, लौंगपूरी, खुरमा, गेहूं दलिया, पारिखा, सौंफलघा, लड्डू, दुधीरुप, खीर, घी, मक्खन, मलाई, शाक, शहद, मोहनभोग, अचार, सूबत, मंड़का, फल, लस्सी, मठ्ठा, पान, सुपारी, इलायची
चौंसठ (64) : संख्यावाची विशिष्ट गूढार्थक शब्द Sankhyavachi Vishisht Gudharthak Shabad
चौंसठ कलाएँ- पर्यायवाची शब्द – Paryayvachi Shabd – महा भण्डार
गीत
वाद्य
नृत्य
नाट्य
चित्रकारी
विशेष कच्छेद (तिल के साँचे बनाना)
तन्दुल कुसुमावली विचार (चावलों एवं फूलों का चाॅक पूरना)
पुष्पास्तरण (पुष्पों की सेज रचना)
दशन वसनांग (दाँतों, वस्त्रों और अंगों को रंगना)
मणि भूमिका कर्म (ऋतु के अनुसार घर को सजाना)
शयन रचना
उदक वाद्य (जल तरंग बजाना)
उदक घात (पिचकारी गुलाबपाश से काम लेने की विद्या)
चित्र योग (विचित्र औषधियों का प्रयोग)
माल्य ग्रन्थन विकल्प
केश शेखर की पीड़ योजना (केश प्रसाधन वेणी बंधन द्वारा)
नेपथ्य प्रयोग (देशकाल के अनुरूप वस्त्राभूषण पहनना)
कर्णपत्र भंग (कानों के लिए आभूषण बनाना)
गंध युक्ति (सुगंध बनाना)
भूषण योजन
इन्द्रजाल
कौचुमार योग (उबटन आदि लगाना)
हस्त लाघव (हाथ की सफाई)
चित्र शाक यूष भक्ष्य-विकार क्रिया (अनेक प्रकार के भोजन की विविध सामग्री बनाना)
पानक रस रागासव योजन (अनेक प्रकार के पेय बनाना)
सूची कर्म (सीना, पिरोना, जाली बुनना आदि)
सूत्र कर्म (कसीदा)
प्रहेलिका (पहेली बुझाना)
प्रीतिमाला (अन्त्याक्षरी)
दुर्वाचक योग (कठिन शब्दों या पदों का अर्थ करना)
पुस्तक वाचन
नाटक आख्यायिक दर्शन
काव्य समस्या पूर्ति
पट्टिका वेगवान विकल्प (चारपाई आदि बुनना)
तक्षकर्म
तक्षण (बढ़ई)
वास्तु विद्या
रूप्य रतन परीक्षा
धातुवाद
मणि राग ज्ञान
आकर ज्ञान (खानों की विद्या का ज्ञान)
वृक्षायुर्वेद योग
मेष-कुक्कुट-लावक युद्ध
शुक-सारिका प्रलापन
उत्सादन (उबटन लगाना, सिर, हाथ, पैर आदि दबाना)
केश मार्जन कौशल
अक्षर मुष्टिका कथन
म्लेक्षित कला विशेष (विदेशी भाषा का ज्ञान)
देश भाषा ज्ञान
पुष्प सकटिका निमित्त ज्ञान (दैव लक्षण देखकर भविष्यवाणी करना)
यन्त्र मातृका (यन्त्र निर्माण)
धारण मातृका (स्मरण शक्ति बढ़ाना)
सापठ्य (दूसरे को पढ़ते सुनकर उसी तरह पढ़ लेना)
मानसी काव्य क्रिया (दूसरे के मन के भाव जानकर कविता बनाना)
क्रिया विकल्प (क्रिया के प्रभाव को पलटना)
वस्त्र गापन (वस्त्रों की रक्षा)
अभिधान कोष (छन्दों को ज्ञान)
छलितक योग (ऐय्यारी करना)
द्यूत विशेष
आकर्ष क्रीड़ा (पासा फेंकना)
बाल क्रीड़ा कर्म
वैनायिकी विद्या-ज्ञान (शिष्टाचार)
वैतालिकी विद्या-ज्ञान
व्यायामिक विद्या ज्ञान
चौंसठ कलाएँ विकीपीडिया- https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%B8%E0%A4%A0_%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81
चौंसठ योगिनी-
गौरी | शाकम्भरी | भीमा | रक्तदंतिका | पार्वती | दुर्गा | कात्यायनी | महादेवी | चन्द्रघण्टा | महाविद्या | महातपा | भ्रामरी | सावित्री | ब्रह्मवादिनी | भद्रकाली | विशालाज्ञी | रुद्राणी | कृष्णपिंगला | अग्निज्वाला | रौद्रमुखी | कालरात्रि | तपस्विनी | मेघस्वना | सहस्राक्षी | विष्णुमाया | जलोदरी | महोदरी | मुक्तकेशी | घोररूपा | महाबला | श्रुति | स्मृति | धृति | तुष्टि | पुष्टि | मेधा | विद्या | लक्ष्मी | सरस्वती | अपर्णा | अम्बिका | योगिनी | डाकिनी | शाकिनी | हारिणी | हाकिनी | लाकिनी | त्रिदशेश्वरी | महाषष्टी | सर्वमंगला | लज्जा | कौशिकी | ब्रह्माणी | ऐन्द्री | नारसिंही | बाराही | चामुण्डा | शिवदूती | विष्णुमाया | मातृका | कार्तिकी | विनायकी | कामाक्षी | नारायणी | पर्यायवाची शब्द – Paryayvachi Shabd – महा भण्डार
चौरासी सिद्ध (84) : संख्यावाची विशिष्ट गूढार्थक शब्द Sankhyavachi Vishisht Gudharthak Shabad
- डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार-
- लुइपा – कायस्थ
- लीलापा
- विरूपा
- डोम्बिपा – क्षत्रिय
- शबरपा- क्षत्रिय
- सरहपा – ब्राह्मण
- कंकालीपा – शूद्र
- मीनपा- मछुआ
- गोरक्षपा
- चोरंगिपा – राजकुमार
- वीणापा – राजकुमार
- शान्तिपा – ब्राह्मण
- तंतिपा तँतवा
- चमारिपा – चर्मकार
- खड्गपा – शूद्र
- नागार्जुन – ब्राह्मण
- कण्हपा – कायस्थ
- कर्णरिपा
- थगनपा – शूद्र
- नारोपा – ब्राह्मण
- शलिपा – शूद्र
- तिलोपा-ब्राह्मण
- छत्रपा-शूद्र
- भद्रपा- ब्राह्मण
- दोखंधिपा
- अजोगिपा – गृहपति
- कालपा
- धम्मिपा – धोबी
- कंकणपा – राजकुमार
- कमरिपा
- डेंगिपा – ब्राह्मण
- भदेपा
- तंधेपा – शूद्र
- कुक्कुरिपा – ब्राह्मण
- कुचिपा – शूद्र
- धर्मपा – ब्राह्मण
- महीपा – शूद्र
- अचितपा – लकड़हारा
- भलहपा क्षत्रिय
- नलिनपा
- भुसुकिपा – राजकुमार
- इन्द्रभूति – राजा
- मेकोपा – वणिक्
- कुठालिपा
- कमरिपा – लोहार
- जालंधरपा – ब्राह्मण
- राहुलपा- शूद्र
- मेदनीपा
- धर्वरिपा
- धोकरिपा – शूद्र
- पंकजपा – ब्राह्मण
- घंटापा – क्षत्रिय
- जोगीपा डोम
- चेकुलपा- शूद्र
- गुंडरिपा – चिड़मार
- लुचिकपा – ब्राह्मण
- निर्गुणपा – शूद्र
- जयानन्त – ब्राह्मण
- चर्पटीपा – कहार
- चम्पकपा
- भिखनपा – शूद्र
- भलिपा – कृष्ण घृत वणिक्
- कुमरिपा
- चवरिपा
- मणिभद्रा – (योगिनी) गृहदासी
- मेखलापा (योगिनी) गृहपति कन्या
- कनपलापा (योगिनी) गृहपति कन्या
- कलकलपा – शूद्र
- कंतालीपा – दर्जी
- धहुलिपा – शूद्र
- उधलिपा – वैश्य
- कपालपा – शूद्र
- किलपा – राजकुमार
- सागरपा–राजा
- सर्वभक्षपा – शूद्र
- नागबोधिपा- ब्राह्मण
- दारिकपा- राजा
- पुतुलिपा- शूद्र
- पनहपा- चमार
- कोकालिपा – राजकुमार
- अनंगपा -शूद्र
- लक्ष्मीकरा – (योगिनी) राजकुमारी
- समुदपा
- भलिपा – ब्राह्मण।
पर्यायवाची शब्द – Paryayvachi Shabd – महा भण्डार
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