गिरिजाकुमार माथुर जीवन परिचय
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जीवन परिचय
जन्म- 22 अगस्त, 1919 (ncert-1918)
जन्म भूमि- गुना ज़िला, मध्य प्रदेश
मृत्यु -10 जनवरी, 1994
मृत्यु स्थान- नई दिल्ली
अभिभावक -श्री देवीचरण माथुर और श्रीमती लक्ष्मीदेवी
पत्नी – शकुन्त माथुर
युग- प्रयोगवाद (तार-सप्तक-1943 के कवि)
पुरस्कार
-1991 में कविता-संग्रह “मै वक्त के हूँ सामने” के लिए हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार
-1993 में के. के. बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित व्यास सम्मान
-शलाका सम्मान
कविता संग्रह
मंजीर, 1941
नाश और निर्माण, 1946
धूप के धान, 1954
जनम कैद, 1957
मुझे और अभी कहना है, 1991
शिलापंख चमकीले, 1961
जो बंध नहीं सका,
मैं वक्त के हूँ सामने, 1990
भीतरी नदी की यात्रा,
छाया मत छूना मन
पृथ्वीकल्प (खण्ड काव्य)
नाटक
कल्पांतर-1883
जन्म कैद
एकांकी
उमर कैद
कुमार संभव
मेघ की छाया
पिकनिक
लाउड स्पीकर
मध्यस्थ
विक्रमादित्य
विषपान
वासवदत्ता
रस की जीत
शांति विश्वदेवा
आलोचना
नयी कविता: सीमाएं और संभावनाएं-1966
विशेष तथ्य : गिरिजाकुमार माथुर जीवन परिचय
– यह ‘रोमानी मिजाज के कवि’ माने जाते है।
– इन्होंने अंग्रेजी के ‘We shell over come’ गीत का हिंदी अनुवाद, ‘हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन’ शीर्षक से किया।
– ये मध्यप्रदेश आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के उपमहानिदेशक भी रहे थे।
– इन्होंने ‘गंगाजल’ नामक पत्रिका का संपादन कार्य भी किया।
– उनकी प्रारंभिक कविताओं में रोमांस और सौंदर्य लिप्सा की अभिव्यक्ति हुई है तथा उन पर छायावादी शैली का भी पर्याप्त प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
-डा. शिवकुमार मिश्र के अनुसार इनकी कविताओं पर निराशा, विषाद, असफलता और रुग्णता की छाप पायी जाती हैं।
-सन् 1940 में इनका विवाह दिल्ली में कवयित्री शकुन्त माथुर से हुआ।
-1941 में प्रकाशित अपने प्रथम काव्य संग्रह ‘मंजीर’ की भूमिका उन्होंने सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ से लिखवायी।
-इनकी रचना का प्रारम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं से युक्त है तथा भारत में चल रहे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रभावित है।