कुंवर नारायण की जीवनी
कुंवर नारायण का जीवन-परिचय, साहित्यिक-परिचय भाषा शैली, कविता कोश, रचनाएं, खंडकाव्य, मान-सम्मान एवं विशेष तथ्य आदि की जानकारी
जन्म- 19 सितम्बर, 1927
मृत्यु- 15 नवंबर 2017
जन्म भूमि- फैजाबाद, उत्तर प्रदेश
कर्म-क्षेत्र- कवि, लेखक
युग- प्रयोगवाद व नई कविता युग के कवि
कुंवर नारायण की रचनाएं : कुंवर नारायण जीवन-परिचय साहित्यिक-परिचय
कुंवर नारायण की कविताएं या कविता संग्रह
चक्रव्यूह (1956),
तीसरा सप्तक (1959),
परिवेश : हम-तुम(1961),
अपने सामने (1979),
कोई दूसरा नहीं(1993),
इन दिनों(2002)।
कुंवर नारायण के खण्डकाव्य
आत्मजयी (1965)
वाजश्रवा के बहाने (2007)
कुंवर नारायण कहानी संग्रह
आकारों के आसपास (1973)
कुंवर नारायण के समीक्षा विचार
आज और आज से पहले(1998)
मेरे साक्षात्कार (1999)
साहित्य के कुछ अन्तर्विषयक संदर्भ (2003)
कुंवर नारायण के संकलन
कुंवर नारायण-संसार(चुने हुए लेखों का संग्रह) 2002,
कुँवर नारायण उपस्थिति (चुने हुए लेखों का संग्रह)(2002),
नारायण चुनी हुई कविताएँ (2007),
कुँवर नारायण- प्रतिनिधि कविताएँ (2008)
इन दिनों
कुंवर नारायण के पुरस्कार एवं सम्मान : कुंवर नारायण जीवन-परिचय साहित्यिक-परिचय
ज्ञानपीठ पुरस्कार-2005
साहित्य अकादमी पुरस्कार-1995
व्यास सम्मान
कुमार आशान पुरस्कार,
प्रेमचंद पुरस्कार,
राष्ट्रीय कबीर सम्मान,
शलाका सम्मान,
मेडल ऑफ़ वॉरसा यूनिवर्सिटी,
पोलैंड और रोम के अन्तर्राष्ट्रीय प्रीमियो फ़ेरेनिया सम्मान
पद्मभूषण -2009
कुंवर नारायण के विशेष तथ्य : कुंवर नारायण जीवन-परिचय साहित्यिक-परिचय
‘चक्रव्यूह’ इनका सबसे पहला काव्य संग्रह है|
‘आत्मजयी’ प्रबंध काव्य श्रेणी की रचना है| यह ‘कठोपनिषद्’ के यम-नचिकेता संवाद पर आधारित है इसमे नचिकेता प्रबुद्ध नयी चेतना का प्रतीक है जबकि ‘बाजश्रवा’ पुराने मूल्यों की वाहक पीढी़ का प्रतीक है|
‘वाजश्रवा के बहाने’ कृति में अपनी विधायक संवेदना के साथ जीवन के आलोक को रेखांकित किया है। यह कृति आज के इस बर्बर समय में भटकती हुई मानसिकता को न केवल राहत देती है, बल्कि यह प्रेरणा भी देती है कि दो पीढ़ियों के बीच समन्वय बनाए रखने का समझदार ढंग क्या हो सकता है।
‘कोई दुसरा नहीं’ रचना – 1995 साहित्य आकादमी पुरस्कार मिला|
हिंदी में सम्पूर्ण योगदान के लिए 2005 ई. में ‘भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार’ मिला|