कामायनी के विषय में कथन
इस आलेख में कामायनी के विषय में कथन, Kamayani पर महत्त्वपूर्ण कथन, Kamayani पर किसने क्या कहा? कामायनी पर विभिन्न साहित्यकारों एवं आलोचकों के विचार आदि के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
कामायनी पर महत्त्वपूर्ण कथन
Kamayani पर किसने क्या कहा?
कामायनी को छायावाद का उपनिषद किसने कहा?
Kamayani पर विभिन्न साहित्यकारों एवं आलोचकों के विचार
कामायनी पर महत्वपूर्ण कथन
जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित महाकाव्य कामायनी के संबंध में प्रमुख आलोचकों एवं साहित्यकारों के प्रमुख कथन-
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नगेन्द्र- कामायनी मानव चेतना का महाकाव्य है। यह आर्ष ग्रन्थ है।
मुक्तिबोध- कामायनी फैंटेसी है।
इन्द्रनाथ मदान- कामायनी एक असफल कृति है।
नन्द दुलारे वाजपेयी- कामायनी नये युग का प्रतिनिधि काव्य है।
सुमित्रानन्दन पंत- कामायनी ताजमहल के समान है
नगेन्द्र- कामायनी एक रूपक है
श्यामनारायण पाण्डे- कामायनी विश्व साहित्य का आठवाँ महाकाव्य है
रामधारी सिंह दिनकर- कामायनी दोष रहित, दोष सहित रचना है
डॉ नगेन्द्र- कामायनी समग्रतः में समासोक्ति का विधान लक्षित करती है
नामवार सिंह- कामायनी आधुनिक सभ्यता का प्रतिनिधि महाकाव्य है
हरदेव बाहरी- कामायनी आधुनिक हिन्दी साहित्य का सर्वोत्तम महाकाव्य है
रामरतन भटनागर- कामायनी मधुरस से सिक्त महाकाव्य है
विश्वंभर मानव- कामायनी विराट सांमजस्य की सनातन गाथा है
कामायनी का कवि दूसरी श्रेणी का कवि है -हजारी प्रसाद द्विवेदी
कामायनी वर्तमान हिन्दी कविता में दुर्लभ कृति है- हजारी प्रसाद द्विवेदी
रामचन्द्र शुक्ल- कामायनी में प्रसाद ने मानवता का रागात्मक इतिहास प्रस्तुत किया है जिस प्रकार निराला ने तुलसीदास के मानस विकास का बड़ा दिव्य और विशाल रंगीन चित्र खींचा है
शांति प्रिय द्विवेदी- कामायनी छायावाद का उपनिषद् है
रामस्वरूप चतुर्वेदी- कामायनी को कंपोजिशन की संज्ञा देने वाले
बच्चन सिंह- मुक्तिबोध का कामायनी संबंधी अध्ययन फूहड़ मार्क्सवाद का नमूना है
Kamayani Par Kathan
मुक्तिबोध- कामायनी जीवन की पुनर्रचना है
नगेन्द्र- कामायनी मनोविज्ञान की ट्रीटाइज है
रामस्वरूप चतुर्वेदी- कामायनी आधुनिक समीक्षक और रचनाकार दोनों के लिए परीक्षा स्थल है
रामनाथ सुमन- कामायनी आधुनिक हिंदी कविता का रामचरित मानस है
आचार्य नंददुलारे वाजपेयी- कामायनी में प्रसाद ने मानवता का रागात्मक इतिहास प्रस्तुत किया है कामायनी मानवता का रागात्मक इतिहास एवं नवीन युग का महाकाव्य है
नामवर सिंह- कामायनी में नारी की लज्जा का जो भव्य चित्रण हुआ, वह सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में दुर्लभ है।
निराला- कामायनी संपूर्ण जीवन चरित्र है, यह मानवीय कमजोरियों पर मानव की विजय की गाथा है।
नामवर सिंह- मानस ने वाल्मीकि रामायण और कामायनी ने मानस के पाठकों के लिए बदल दिया है
आ. रामचंद्र शुक्ल- यदि मधुचर्या का अतिरेक और रहस्य की प्रवृति बाधक नहीं होती तो कामायनी के भीतर मानवता की योजना शायद अधिक पूर्ण और सुव्यवस्थित रूप में चित्रित होती।
नामवर सिंह- कामायनी मार्क्सवाद की प्रस्तुती हैं।
रामधारी सिंह दिनकर- कामामनी नारी की गरिमा का महाकाव्य है।
डॉ धीरेन्द्र वर्मा- कामामनी एक विशिष्ट शैली का महाकाय है, शिल्प की प्रौढ़ता कामायनी की मुख्य विशेषता है।
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