आदिकाल की प्रमुख पंक्तियाँ

आदिकाल की प्रमुख पंक्तियाँ

हिंदी साहित्य की इस पोस्ट में आप जानेंगे आदिकाल के प्रमुख कवियों की महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख पंक्तियाँ

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aadikal ki pramukh panktiyan

1- “नाद न बिंदु न रवि न शशि मंडल, चिअराअ सहावै मूक्ल”— सरहपा

2- “पंडिअ सअल सत्त बक्खाणई। देहहि बुद्ध बसंत न जाणइ”— सरहपा

3- “भल्ला हुआ जू मारिया बहिणि महारा कंत
लज्जेजं तु वयंसिअहु जड़ भग्गा घरु एतु”— हेमचंद्र

4- “बारह बरस लौ कूकर जीवै, अरु तेरह लौं जियै सियार ।
बरस अठारह क्षत्रिय जीवें, आगे जीवन का धिक्कार”— जगनिक

5- “मनहु कला ससिभान……. । कुहिल केस सुदेस….।”— चंदबरदायी

6- “प्रिय प्रिथिराज नरेस जोग……। बज्जिय घोर निसान …..।”—चंदबरदायी

7- “बुरासान मुलतान खंधार मीर……दिक्खंत दिट्ठि उच्चारिय।”—चंदबरदायी

8- “कामिनी करेए सनाने, हरे तहि हृदय हनए पंचबाने।”— विद्यापति

9- “जनम अवधि हम रूप निहारल नयन न तिरपति भेल।”— विद्यापति

आदिकाल की प्रमुख पंक्तियां

10- “माधव हम परिनाम निरासा”— विद्यापति

11- “जोइ-जोइ पिण्डे सोइ ब्रह्माण्डे”— गोरखनाथ

12- “पुस्तक जल्हण हाथ दै चलि गज्जन नृपकाज”— चंदबरदायी

12- “गोरी सोवे सेज पर मुख पर डारे केस।
चल खुसरो घर आपने रैन भइ चहुँ देश”— अमीर खुसरो (गुरु निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु पर)

14- “गोरख जगायो जोग, भक्ति भगायो लोग”— तुलसीदास

15- “नौलख पातरि आगे नाचे पीछे सहज अखाड़ा”— गोरखनाथ

16- “देसिल बयना सब जन मिट्ठा।”—विद्यापति

आदिकाल की प्रमुख पंक्तियां

17- “काआ तरुवर पंच विडाल”— लुइपा

18- “जो जिण सासण भाषि यउ सो भइ कहियड सारु….सो सरि पावइ पारु।”— देवसेन

19- “मेरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल।”— अमीर खुसरो

20- “इणि पर कोइलि कूजइ, पूंजइ युवति मणोर।
विधुर वियोगिनि धूजई, कूजइ मयण किसोर”— बसंत विलास

21- “नोलख पातरि आगे नाचे, पीछे सहज अखाड़ा।”— गोरखनाथ

22- “ऐसे मन ले जोगी खेले, तब अंतरि बसे भंडारा।”— गोरखनाथ

23- “अंजन माहि निरंजन भेट्या, तिलमुख भेटया तेल।
मूरत माहि अमूरत परस्या भया निरंतर खेल।”— गोरखनाथ

24- “हम्मीर कज्ज जज्ज्ल भण्इ फोहानल यह मइ जलउ।
सुलितान सीस करवाल दह तज्जि कलेवर दिअचलेउ।”— शार्ङ्गधर

25- “संदेसा पिन साहिबा, पाछो फिरिय न देह।
पंछी घाल्या पिंज्जरे, छूटण रो सन्देह।”— दलपति विजय

26- “सोरठियो दूहा भलो, भली मरवण री बात।
जोबन छाई धण भली, तारां छायी रात।”— ढोला मारू रा दूहा

27- “चू मन तूतिए-हिन्दुम, अर रास्त पुर्सी।
जे मन हिन्दुई पुर्ख, ता नाज गोयम।”— अमीर खुसरो (इसका अर्थ यह है— मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ, अगर तुम वास्तव में मुझसे कुछ पूछना चाहते हो तो हिन्दवी में पूछो जिसमें मैं कुछ अद्भुत बातें बता सकूँ।)

आदिकाल में गद्य साहित्य

आदिकाल की प्रमुख पंक्तियाँ

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पर्यायवाची शब्द (महा भण्डार)

रीतिकाल के राष्ट्रकवि भूषण का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय

अरस्तु और अनुकरण

कल्पना अर्थ एवं स्वरूप

राघवयादवीयम् ग्रन्थ

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