नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ
रीतिकाल में काव्यशास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना हुई। यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के विभिन्न अंगों को लेकर लिखे गए। इनमें से कुछ ग्रंथ सर्वांग निरूपक ग्रंथ थे जबकि कुछ विशेषांग निरूपक थे। इस आलेख में नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ की पूरी जानकारी मिलेगी।
विशेषांग निरूपक ग्रंथों में ध्वनि संबंधी ग्रंथ, रस संबंधी ग्रंथ, अलंकार संबंधी ग्रंथ, छंद शास्त्र संबंधी ग्रंथ, इत्यादि ग्रंथों का प्रणयन हुआ।
1. हिततरंगिनी (1541 ई.) ― कृपाराम
2. साहित्य लहरी (1550 ई.) – सूरदास
3. रस मंजरी (1591 ई.) – नंददास
4. रसिकप्रिया (1591 ई.) – केशवदास
5. बरवे नायिका भेद (1600 ई.) – रहीम
6. सुंदर श्रृंगार निर्णय (1631 ई) – सुंदर
7. सुधानिधि (1634 ई.) – तोष
8. कविकुलकल्पतरु (1680 ई) – चितामणि
9 भाषा भूषण (1650 ई) – जसवन्त सिंह
10. रसराज (1710 ई) – मतिराम
11. रसिक रसाल (1719 ई.) – कुमारमणि शास्त्री
12. भावविलास, रसविलास, भवानीविलास एवं सुखसागर तरंग (18वीं शती का उत्तराद्धी – देव
13. रस प्रबोध (1742 ई.) – रसलीन
14. श्रृंगार निर्णय (1750 ई.)- भिखारीदास
15. दीप प्रकाश (1808 ई.) – ब्रह्मदत्त
16. जगद्विनोद (1810 ई.) – पद्माकर
17. नवरस तरंग (1821 ई.) – बेनी प्रवीन
18. व्यंग्यार्थ कौमुदी (1825 ई.) –प्रतापसाहि
19. रसिक विनोद (1846 ई.) ― चन्द्रशेखर वाजपेयी
20. रस मोदक हजारा (1848 ई.) – स्कन्दगिरि
नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ
21. श्रृंगार दर्पण (1872 ई.)– नन्दराम
22. महेश्वर विलास (1879 ई.) – लछिराम
23. रस कुसुमाकर (1872 ई.) –प्रतापनारायण सिंह
24. रसमौर (1897 ई.) – दौलतराम
25. रसवाटिका (1903 ई.) – गंगाप्रसाद अग्निहोत्री
26. भानु काव्य प्रभाकर (1910 ई.) – जगन्नाथप्रसाद
27. हिन्दी काव्य में नवरस (1926 ई.) – बाबूराम बित्थरियाका
28. रूपक रहस्य (1931 ई.) – श्यामसुंदरदास
29. रसकलश (1931 ई.) – हरिऔध
30. नवरस (1934 ई.) – गुलाबराय
31. साहित्यसागर (1937 ई.) – बिहारीलाल भट्ट
32. काव्यकल्पद्रुम (1941 ई.) – कन्हैयालाल पोद्दार
33. ‘ब्रजभाषा साहित्य नायिका-भेद’ (1948 7ई.) – प्रभुदयाल मीतल
उक्त ग्रंथों में से कतिपय ग्रंथों में नायिका भेद के अतिरिक्त ‘रस’ का भी वर्णन मिलता है, लेकिन प्रमुखता नायिका भेद की ही रही है अतः यहां पर वह ग्रंथ भी शामिल किए गए हैं जिनमें नायिका भेद तथा रस दोनों का वर्णन मिलता है