लेखिका चित्रा मुद्गल-Chitra Mudgal

लेखिका चित्रा मुद्गल-Chitra Mudgal

लेखिका चित्रा मुद्गल-Chitra Mudgal – जीवन परिचय – साहित्य – रचनाएं – कहानी संग्रह – कहानियाँ – व्यक्तित्व – बालकथा – पुरस्कार एवं सम्मान

जीवन परिचय

जन्म- 10 सितंबर 1944 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था।

शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में स्थित निहाली खेड़ा और उच्च शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय में हुई।

काल-आधुनिक काल

विधा- गद्य

विवाह:- 17 फरवरी 1965 को प्रखर कथाकार-कवि-पत्रकार श्री अवधनारायण मुद्गल से।

चित्रा मुद्गल का साहित्य

चित्रा जी पहली कहानी स्त्री-पुरुष संबंधों पर थी।

पहली कहानी सफेद सेनारा (1964) में प्रकाशित हुई।

उनके अब तक तेरह कहानी संग्रह, तीन उपन्यास, तीन बाल उपन्यास, चार बाल कथा संग्रह, पांच संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

रचनाएं : लेखिका चित्रा मुद्गल-Chitra Mudgal

उपन्यास

एक जमीन अपनी

आवां

गिलिगडु

कहानी संग्रह

भूख

जहर ठहरा हुआ

लाक्षागृह

अपनी वापसी

इस हमाम में

ग्यारह लंबी कहानियाँ

जिनावर

लपटें

जगदंबा बाबू गाँव आ रहे हैं

मामला आगे बढ़ेगा अभी

केंचुल

आदि-अनादि

लघुकला संकलन

बयान

कथात्मक रिपोर्ताज

तहकानों मे बंद

लेख

बयार उनकी मुठ्ठी में

बाल उपन्यास

जीवक

माधवी कन्नगी

मणिमेख

नवसाक्षरों के लिए – जंगल

बालकथा संग्रह

दूर के ढोल

सूझ बूझ

देश-देश की लोक कथाएँ

नाट्य रूपांतर

पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक, सद्गगति तथा अन्य नाटक, बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक

पुरस्कार एवं सम्मान : लेखिका चित्रा मुद्गल-Chitra Mudgal

व्यास सम्मान

इंदु शर्मा कथा सम्मान

साहित्य भूषण

वीर सिंह देव सम्मान

चित्रा मुद्गल संबंधी विशेष तथ्य : लेखिका चित्रा मुद्गल-Chitra Mudgal

2003 में तेरहवां व्यास सम्मान पाने वाली देश की प्रथम लेखिका हैं। उन्हें ये सम्मान उपन्यास ‘आवां’ के लिए दिया गया।

उपन्यास ‘आवां’ आठ भाषाओं में अनूदित तथा देश के 6 प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत है।

चित्रा मुद्गल को उदयराज सिंह स्मृति पुरस्कार से सन् 2010 में सम्मानित किया गया।

बहुचर्चित उपन्यास ‘एक ज़मीन अपनी’ के लिए सहकारी विकास संगठन मुंबई द्वारा फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ सम्मान से सम्मानित।

गरीब, पीड़ित और शोषित महिलाओं के हितों की रक्षा करने वाली संस्था ‘जागरण’ की 1965 से 1972 तक सक्रिय सदस्य रहीं।

मुंबई की एक मजदूर यूनियन, कामगार आघाही की भी सक्रिय कार्यकर्ता रहीं।

सन् 1979 से 1983 तक महिलाओं को स्वावलंबन का पाठ पढ़ानेवाली संस्था ‘स्वाधार’ की सक्रिय कार्यकर्ता रहीं।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की ‘वूमेन स्टडीज़ यूनिट’ की कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तक योजनाओं जैसे दहेज-दावानल, बेगम हज़रत महल, स्त्री समता आदि में 1986 से 1990 तक

दिल्ली दूरदर्शन के लिए फ़िल्म ‘वारिस’ का निर्माण।

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