समुच्चयबोधक अव्यय शब्द | Samuchaya Bodhak Avyay
समुच्चयबोधक अव्यय शब्द | Samuchaya Bodhak Avyay | समुच्चयबोधक अव्यय के प्रकार | samuchaya bodhak avyay ke bhed | samuchaya bodhak avyay bhed
प्रयोग के आधार पर हिन्दी में शब्दों के दो भेद किए जाते हैं –
विकारी
विकारी शब्द वे शब्द होते हैं, जिनका रूप लिंग, वचन, कारक और काल के अनुसार परिवर्तित हो जाता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं विकारी शब्दों में समस्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द आते हैं।
अविकारी या अव्यय शब्द
अविकारी या अव्यय शब्द वे शब्द होते हैं, जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार कोई विकार उत्पन्न नहीं होता अर्थात् इन शब्दों का रूप सदैव वही बना रहता है। ऐसे शब्दों को अविकारी या अव्यय शब्द कहते हैं। अविकारी शब्दों में क्रियाविशेषण, सम्बन्धबोधक अव्यय, समुच्चय बोधक अव्यय तथा विस्मयादिबोधक अव्यय आदि शब्द आते हैं। विस्तृत विवरण इस प्रकार है-
Samuchay Bodhak Avyay
समुच्चयबोधक अव्यय शब्द | Samuchaya Bodhak Avyay
वे अव्यय शब्द जो ( क्रिया की विशेषता न बतलाकर ) एक वाक्य का संबंध दूसरे वाक्य से मिलाता है उसे समुच्चय-बोधक अव्यय कहते हैं, जैसे, और, यदि, तो, क्योकि, इसलिए ।
समुच्चयबोधक अव्यय के प्रकार
समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
जिन अव्यय शब्दों के द्वारा मुख्य वाक्यों को जोड़ा जाता है, वे समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय शब्द कहलाते हैं। ये पुनः चार प्रकार के हो जाते हैं।
(क) संयोजक – और, व, एवं, तथा आदि।
(ख) विभाजक – या, वा, अथवा, कि, किंवा, नहीं तो, क्या-क्या, न…..न, कि, चाहे..चाहे, नहीं तो, अपितु आदि।
(ग) विरोधदर्शक – किन्तु, परन्तु, लेकिन, अगर, मगर, पर, बल्कि, वर आदि।
(घ) परिणाम दर्शक – इसलिए, सौ. अतः: अतएव आदि।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय |
जिन अव्यय शब्दों के द्वारा एक मुख्य वाक्य में एक या अधिक आश्रित उपवाक्य जोड़े जाते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय शब्द कहते हैं। ये भी पुनः चार प्रकार के हो जाते हैं –
(क) कारणवाचक – क्योंकि, जोकि, चूँकि, इसलिए, इस कारण आदि।
(ख) उद्देश्यवाचक – कि, जो, ताकि, जिससे कि आदि।
(ग) संकेतवाचक – जो-तो, यदि-तो, यद्यपि-तथापि, चाहे-परन्तु आदि।
(घ) स्वरूपवाचक – अर्थात्, याने, मानो आदि।
स्रोत – हिंदी व्याकरण – पं. कामताप्रसाद गुरु
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सम्बन्ध सूचक अव्यय Sambandh Suchak Avyay