COVID-19 and False Negative

COVID-19 and False Negative

COVID-19 and False Negative क्या है, के इंक्यूबेशन पीरियड, False Negative के कारण, False Negative के प्रभाव, False Negative के उपाय सावधानियां

COVID-19 क्या है?

वर्ष 2019 के अंतिम महीनों में चीन में एक नयेवायरस का पता चला

जिसके कारण चीन में अनेक लोग बीमार पड़े और कई सारे मौत की गोद में समा गये 2020 की शुरुआत में वायरस ने चीन में एक महामारी का रूप ले लिया

कुछ ही दिनों में विश्व के 200 से अधिक देशों में फैल गया यह कोरोनावायरस ही मनुष्य को कोविड-19 नामक बीमारी देता है

WHO के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या 19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष ) को चिह्नित करता है।

वायरस का पहला हमला गले की कोशिकाओं पर होता है

इसके बाद वह श्वास नली और फेफड़ों पर हमला करता है और अपनी संख्या तेजी से बढ़ता है।

अधिकांश लोगों में बीमारी के जो लक्षण दिखाई देते हैं

अभी बुखार खांसी बदन दर्द गले में खराश और सिरदर्द आदि होते हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर

88 प्रतिशत में बुखार,

68 प्रतिशत में खांसी,

38 प्रतिशत में थकान,

18 प्रतिशत में सांस लेने में तकलीफ,

14 प्रतिशत में बदन दर्द और सिरदर्द

11 प्रतिशत में ठंड लगना और 4 प्रतिशत में डायरिया के लक्षण दिखते हैं।

इंक्यूबेशन पीरियड

शरीर जब किसी वायरस के संपर्क में आता है तो तुरंत बीमारी के लक्षण दिखाई दे जाए ऐसा जरूरी नहीं है बीमारी के लक्षण दिखने में कुछ समय लगता है

अलग-अलग बीमारियों में यह समय सीमा अलग अलग होती है।

कोरोना के मामले में यह अवधि 14 दिन की है

अतः जो समय किसी बीमारी के लक्षण दिखने में लगता है उसे इंक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है

इनकी इंक्यूबेशन पीरियड के दौरान भी संक्रमित व्यक्ति किसी को भी संक्रमित कर सकता है।

False Negative क्या है?

जिस प्रकार इंक्यूबेशन पीरियड के अंतर्गत COVID 19 के लक्षण देखने में समय लगता है

और अलग-अलग व्यक्ति में यह समय सीमा अलग अलग होती है,

उसी प्रकार इस तथ्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि

जिस व्यक्ति के पहले परीक्षण में वायरस से संक्रमित होने के बाद भी किन्ही कारणों से परीक्षण में संक्रमित होने की पुष्टि नहीं होती है अर्थात टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आ सकती है इसी स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में फॉल्स नेगेटिव कहा जाता है ऐसा व्यक्ति भी संक्रमण फैला सकता है।

False Negative के कारण

फॉल्स नेगेटिव परिणाम के कई कारण हो सकते हैं

जैसे परीक्षण के लिए जो नमूने लिए गए थे वे सही तरीके से नए लिए गए हो नमूने सही लिए गए हों

परंतु परीक्षण सही तरीके से ने किया गया हो अथवा न हो पाया हो।

परीक्षण के लिए नमूना शरीर के जिस अंग से लिया गया हो उस समय वहां वायरस मौजूद ही नहीं हो

जैसे संक्रमण फेफड़ों में हो तथा नमूना नाक से लिया जाए तो संभव है कि परीक्षण का परिणाम नकारात्मक आये।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कोई भी लैब टेस्ट शत प्रतिशत सही नहीं हो सकता है।

कई अध्ययनों के अनुसार परीक्षण हेतु दिए गए प्रारंभिक नमूने सदैव सटीक परीक्षण प्रदान करने के लिए पर्याप्त आनुवंशिक पदार्थ एकत्र नहीं कर सकता

यह समस्या उन रोगियों के साथ होने की संभावना अधिक रहती है जिनमें परीक्षण के समय कोई लक्षण नहीं होता है।

फोन सेटिंग का एक कारण परीक्षा किट का दोषपूर्ण होना भी हो सकता है जिसके कारण परिणाम प्रभावित हो सकते हैं

जैसे भारत में कुछ राज्यों की शिकायत के बाद आई सी एम आर की जांच में 50 प्रतिशत टेस्ट किट को अमानक स्वीकार किया गया है।

परीक्षण करने वाला कितना प्रशिक्षित है तथा परीक्षण के दौरान गाइडलाइन का कितना पालन हुआ है जांच का परिणाम इस पर भी निर्भर करता है।

सैंपल लैब तक पहुंचने में लगने वाला समय परीक्षण के  परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

False Negative का प्रभाव

फॉल्स नेगेटिव COVID 19 महामारी के संक्रमण का बहुत बड़ा वाहक है।

विशेषज्ञों के अनुसार लगभग 30 प्रतिशत लोग फॉल्स नेगेटिव के शिकार हो सकते हैं

और यह आंकड़ा इससे अधिक भी हो सकता है दुर्भाग्यवश हमारे पास इस संदर्भ में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं है।

फॉल्स नेगेटिव के कारण संक्रमित व्यक्ति निश्चिंत हो जाता है

और लोगों से संपर्क करता रहता है जिससे संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

फॉल्स नेगेटिव परिणाम के कारण इस वैश्विक महामारी से लड़ने की चुनौती कड़ी होती जा रही है।

False Negative सावधानियां और उपाय

फॉल्स नेगेटिव परिणाम के कारण उत्पन्न विकट परिस्थिति से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि नेगेटिव परिणाम के बावजूद रोगी से दूरी बनाए रखी जाए और समय-समय पर अगली जांच हो।

फॉल्स नेगेटिव के संबंध में अधिकाधिक शोध हों।

स्वास्थ्य कर्मियों को और अधिक प्रशिक्षण दिया जाए।

सैम्पल को लैब तक पहुंचाने का उचित प्रबंध हो।

नमूने लेने में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं की जाए कोशिश की जाएगी जो अंग संक्रमित हैं वहीं से नमूना लिया जाए।

जांच के उपकरण और किट विश्वसनीय होनी चाहिए।

कोविड-19 वैश्विक महामारी से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पुलिस कर्मियों तथा अन्य कार्मिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि आने वाले चुनौतीपूर्ण समय मे सारी व्यवस्थाएँ सुचारू रूप से चलायी जा सकें।

कोविड-19 वैश्विक महामारी का सामना करने के लिए आने वाले समय में अधिक संसाधनों की आवश्यकता होगी

इसलिए सरकार को चाहिए कि वह सभी प्रकार के संसाधनों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करे।

स्रोत WHO, बी बी सी हिंदी, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर, अमर उजाला

COVID-19 and False Negative

कोरोना वायरस शब्दावली

कोरोना वायरस शब्दावली

कोरोना वायरस की शब्दावली

COVID COrona VIrus Disease | कोरोना वायरस की शब्दावली | कोविड-19 (COVID-19) | नोवेल कोरोनावायरस | आइसोलेशन | सोशल डिस्टेंसिंग | लॉकडाउन आदि

(COVID – COrona VIrus Disease)

कोविड-19 वैश्विक महामारी तेजी से फैल रही है। समय के साथ-साथ इस पर काबू पा लिया जाएगा। दुनिया भर में इस पर अनेक शोध हो रहे हैं। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की फौज इसका अंत करने का प्रयास कर रही है। जैसे-जैसे महामारी विश्व में फैली है वैसे वैसे ही इससे संबंधित नये-नये शब्द हमारे सामने आए हैं, जिन्हें कोरोना की पारिभाषिक शब्दावली कहा जा रहा है।

दिसंबर 2019 से पहले जिन शब्दों का हमारे लिए कोई खास महत्त्व नहीं था, आज वही शब्द हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हो गये हैं और सभी की जुबान पर चढ़ गए हैं। इनमें से कई शब्द आपस में मिलते जुलते हैं परंतु अर्थ अलग-अलग है तो कई शब्दों के अर्थ भी मिलते जुलते हैं, परंतु सूक्ष्म अंतर लिए हुए हैं। आम से लेकर खास तक सभी लोग इन सभी शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन सभी के पास इन का अर्थ और मिलते जुलते शब्दों के अर्थ का अंतर नहीं है। आज हम ऐसे ही कुछ शब्दों के बारे में जानेंगे और उनके अर्थ और उनके अंतर को समझेंगे।

1 नोवेल कोरोनावायरस

नोवेल कोरोनावायरस कई प्रकार के वायरस का एक समूह है। ऐसे वायरस होते हैं जो मानव के श्वसन तंत्र में संक्रमण पैदा करते हैं। वायरस का उत्पत्ति स्थल चीन के हुबेई प्रांत के वुहान के शहर की सी-फूड मार्केट को माना जाता है। नये वायरस में लगभग 70 प्रतिशत जीनोम कोरोनावायरस से मिलते हैं।

कोरोना वायरस के प्रकार

कोरोनावायरस सामान्यतः निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं-

  1. 229E अल्फा कोरोनावायरस (Alpha Coronavirus)
  2. NL63 अल्फा कोरोनावायरस (Alpha Coronavirus)
  3. OC43 बीटा कोरोनावायरस (Beta Coronavirus)
  4. HKU1 बीटा कोरोनावायरस (Beta Coronavirus

चार सामान्य कोरोनावायरस के अतिरिक्त निम्नलिखित दो विशिष्ट कोरोनावायरस होते हैं-

कोरोनावायरस-मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Middle East Respiratory Syndrome-MERS)

कोरोनावायरस-सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome- SARS)

कोरोनावायरस मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Middle East Respiratory Syndrome- MERS CoV):

पहली बार MERS Cov का संक्रमण वर्ष 2012 में सऊदी अरब में देखा गया था।

इस कारण इस वायरस को मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (MERS CoV) कहा जाता है।

MERS Cov से प्रभावित अधिकतर रोगियों में बुखार, जुकाम और श्वसन समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।

सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (Severe Acute Respiratory Syndrome- SARS CoV):

SARS CoV से पहली बार वर्ष 2002 में दक्षिण चीन के ग्वांगडोंग प्रांत (Guangdong Province) में मानव में संक्रमण पाया गया।

SARS CoV से प्रभावित अधिकतर रोगियों में इन्फ्लूएंज़ा, बुखार, घबराहट, वात-रोग, सिरदर्द, दस्त, कंपन जैसी समस्याएँ पाई जाती हैं।

2 कोविड-19 (COVID-19)

नोवेल कोरोना वायरस से उत्पन्न बीमारी को कोविड-19 नाम दिया गया है। WHO के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या 19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष ) को चिह्नित करता है।

नोवेल-कोरोना वायरस और कोविड-19 में अंतर

नोवेल कोरोनावायरस कोरोना नामक वायरस समूह का एक वायरस है। कोरोनावायरस नाम से एक नहीं अपितु अनेक वायरस है जिनमें से नोवेल कोरोनावायरस अभी तक ज्ञात वायरसों में सबसे नया वायरस है, जो सर्दी जुकाम जैसी साधारण बीमारी से लेकर मृत्यु तक का कारण बन सकता है।
कोविड-19 कोरोनावायरस से फैलने वाली बीमारी है जिससे लोगों में बुखार, खांसी, बदन दर्द, सिर दर्द, गले में खराश आदि लक्षण दिखाई देते हैं। सामान्य लगने वाले ये रोग इंसान को मौत तक पहुंचा सकते हैं।

3 महामारी : COVID COrona VIrus Disease

महामारी शब्द का प्रयोग उस रोग के लिए किया जाता है

जो एक ही समय में विश्व के अनेक देशों में फैल रहा हो।

किसी रोग के लिए उक्त परिभाषा तब दी जाती है

जब वह संक्रमणकारी बीमारी बहुत तेज गति से कई देशों में लोगों के बीच फैलती है।

एपिडेमिक

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुरुआत में कोरोना वायरस को एपिडेमिक घोषित किया था।

एपिडेमिक का हिंदी में अर्थ एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रहने वाली बीमारी होता है।

पैनडेमिक

पैनडेमिक बीमारी की वह स्थिति है जिसमें में बीमारी का विस्तार तेजी से एक देश से दूसरे देश तक होता है।

इसका अर्थ एक ही बीमारी से दुनिया के कई देश संक्रमित हो जाएं।

इसलिए कोरोना वायरस को डब्लूएचओ ने बाद में पैनडेमिक घोषित कर दिया।

4 इंक्यूबेशन पीरियड

शरीर जब किसी वायरस के संपर्क में आता है तो तुरंत बीमारी के लक्षण दिखाई दे जाए ऐसा जरूरी नहीं है।

बीमारी के लक्षण दिखने में कुछ समय लगता है अलग-अलग बीमारियों में यह समय सीमा अलग अलग होती है।

कोरोना के मामले में यह अवधि 14 दिन की है

अतः जो समय किसी बीमारी के लक्षण दिखने में लगता है उसे इंक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है

इनकी इंक्यूबेशन पीरियड के दौरान भी संक्रमित व्यक्ति किसी को भी संक्रमित कर सकता है।

5 फॉल्स नेगेटिव

जिस प्रकार इंक्यूबेशन पीरियड के अंतर्गत कोरोना 19 के लक्षण देखने में समय लगता है और अलग-अलग व्यक्ति में यह समय सीमा अलग अलग होती है उसी प्रकार इस तथ्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जिस व्यक्ति के पहले परीक्षण में वायरस से संक्रमित होने के बाद भी किन्ही कारणों से परीक्षण में संक्रमित होने की पुष्टि नहीं होती है अर्थात टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आ सकती है इसी स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में फॉल्स नेगेटिव कहा जाता है ऐसा व्यक्ति भी संक्रमण फैला सकता है। फॉल्स नेगेटिव की स्थिति बहुत खतरनाक स्थिति होती है क्योंकि इसमें संक्रमित लोगों की वास्तविक स्थिति का पता नहीं चल पाता है और एक विस्फोटक स्थिति उत्पन्न हो सकती है इस स्थिति में वायरस को काबू पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है।

6 फॉल्स पॉजिटिव

फॉल्स पॉजिटिव फॉल्स नेगेटिव के बिल्कुल विपरीत स्थिति होती है

इस स्थिति में व्यक्ति कोरोनावायरस से संक्रमित न होने पर भी टेस्ट के परिणाम में वह संक्रमित आ जाता है।

7 क्वॉरेंटीन

क्वॉरेंटाइन की स्थिति में संदिग्ध व्यक्ति घर में एक अलग कमरे में रहता है

उस कमरे में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं जाता है।

परिवार के सदस्य या अन्य किसी भी व्यक्ति से वह संदिग्ध व्यक्ति कोई संपर्क नहीं रखता है।

संदिग्ध व्यक्ति का प्रयोग किया गया स्नानघर, शौचालय, बर्तन, कपड़े तथा अन्य सामग्री के नियमित सफाई की जाती है तथा

कोई दूसरा व्यक्ति इसका प्रयोग नहीं करता है।

8 आइसोलेशन

आइसोलेशन की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाता है।

परिवार के लोग या कोई भी बाहरी व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति से संपर्क नहीं कर सकता है।

संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयोग की गई वस्तुएं अन्य व्यक्तियों के द्वारा प्रयोग में नहीं लायी जाती है।

क्वॉरेंटीन और आइसोलेशन में अंतर

क्वॉरेंटाइन के अंतर्गत संदिग्ध व्यक्ति को अलग रखा जाता है जबकि आइसोलेशन के अंतर्गत संक्रमित व्यक्ति को अलग रखा जाता है।

आइसोलेशन के अंतर्गत संक्रमित व्यक्ति को घर में आइसोलेटेड किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त अस्पताल या अन्य आइसोलेशन सेंटर में भी उसे रखा जा सकता है।

सेल्फ क्वॉरेंटीन और सेल्फ आइसोलेशन

सेल्फ क्वॉरेंटीन या सेल्फआइसोलेशन वह स्थिति है जिसमें संदिग्ध या संक्रमित व्यक्ति स्वयं ही स्वयं को क्वॉरेंटाइन या आइसोलेट कर लेता है।

9 सोशल डिस्टेंसिंग

सोशल डिस्टेंसिंग का सीधा और सरल अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की दूरी अवश्य बनाए रखें यदि संभव हो तो इसका पालन घर में भी किया जाए अन्यथा सार्वजनिक स्थलों पर तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य रूप से हो तथा भीड़ इकट्ठा न की जाए सोशल डिस्टेंसिंग से वायरस की कड़ी को तोड़ा जा सकता है और महामारी पर काबू पाया जा सकता है।

10 लॉकडाउन

लॉकडाउन एक आपातकालीन प्रोटोकॉल या व्यवस्था है जो सरकार द्वारा किसी महामारी आपदा या अन्य विकट परिस्थिति में लागू की जाती है।
महामारी अधिनियम 1897 के तहत लॉकडाउन को लागू किया जाता है। जब केंद्र और राज्य सरकार को ये विश्वास हो जाए कि कोई बड़ा संकट या महामारी देश या राज्य में आ चुकी है और सभी नागरिकों की जान को इससे खतरा हो सकता है तब इसको लागू किया जाता है। महामारी अधिनियम 1897 की धारा 2 राज्य सरकार को कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां प्रदान करती है, जिसके तहत केंद्र और राज्य सरकारें बीमारी की रोकथाम के लिए अस्थायी रूप से कोई नियम बना सकती हैं।

लॉकडाउन में आवश्यक सेवाओं जैसे पुलिस, अग्निशमन, मेडिकल, पैरामेडिकल, बस टर्मिनल, बस स्टैंड, सुरक्षा सेवाएं, पोस्टल सेवाएं, पेट्रोल पंप, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, टेलीकॉम एवं इंटरनेट सेवाएं, बैंक, एटीएम, पानी, बिजली, नगर निगम, मीडिया, डिलीवरी, ग्रॉसरी और दूध आदि सेवाओं को लॉकडाउन से छूट दी गई है ताकि अव्यवस्था ना फैले।

11 पेशेंट 31

पेशेंट 31 शब्द दक्षिण कोरिया से आया है

दक्षिण कोरिया में 20 जनवरी 2020 को पहला कोरोना संक्रमित व्यक्ति मिला था।

दक्षिण कोरिया में संक्रमित पाए गए पहले 30 पेशेंट ने शुरू से ही डॉक्टर की सलाह को माना और अपने आपको आइसोलेट कर लिया

तथा संक्रमण को आगे फैलने से लगभग रोक दिया था।

दक्षिण कोरिया में कोरोनावायरस से संक्रमित 31 वां पेशेंट मिला वह एक 61 वर्षीय महिला थी

जिसने किसी तरह की कोई सावधानी नहीं बरती और ना ही खुद को आइसोलेट किया तथा सबसे से मिलती रही।

दक्षिण कोरिया सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार इस दौरान वह महिला लगभग 1160 लोगों के संपर्क में आयी।

फरवरी 2020 के दूसरे सप्ताह तक आते-आते दक्षिण कोरिया में संक्रमितों का आंकड़ा बहुत बड़ा हो चुका था।

बढ़े हुए संक्रमितों के आंकड़े की जिम्मेदारी इसी 31 वी पेशेंट को माना गया है।

इस शब्द का इस्तेमाल किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए होता है

जिसने संक्रमित होने के बावजूद कई लोगों से सम्पर्क किया हो,

और इस वजह से वायरस को काफी फैला दिया हो।

12 हर्ड इम्युनिटी (Herd immunity) : COVID COrona VIrus Disease

हर्ड (Herd) शब्द का अर्थ होता है झुंड, समूह, यूथ आदि।

जब लोगों का एक बड़ा समूह किसी संक्रामक बीमारी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है, तो उसे हर्ड इम्युनिटी कहा जाता है।

ये शब्द सिर्फ संक्रामक रोगों के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रतिरोधक क्षमता का विकास किसी प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने वाली वैक्सीन के कारण हो सकता है

अथवा किसी संक्रामक बीमारी से व्यक्ति संक्रमित हो और ठीक होने के बाद उसका शरीर इम्यूनिटी विकसित कर सकता है।

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स्रोत – newsnetwork

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