0-9:Computer Abbreviations acronyms full-form

0-9:Computer Abbreviations acronyms full-form

0-9:Computer abbreviations, Acronyms and full-form of 0-9 and A-Z List of Computer science, IT-Information Technology, internet and technology

μ (mu)- Micro (10-6)

10B2— 10BASE-2

10B5— 10BASE-5

10B-F— 10BASE-F

10B-FB— 10BASE-FB

10B-FL— 10BASE-FL

10B-FP— 10BASE-FP

10B-T— 10BASE-T

100B-FX— 100BASE-FX

100B-T— 100BASE-T

100B-TX— 100BASE-TX

100BVG— 100BASE-VG

1GL- 1st Generation Language

24/7- 24 hours a day/7 days a week

2D- 2-Dimensional

2D- Double Density

2G- 2nd Generation (14.4 kbps)

2GL- 2nd Generation Language

2HD- 2 sides, High Density

2S- 2 Sides

computer full form in hindi, computer full form list, computer acronyms list, computer acronyms and abbreviations, computer abbreviations list, computer abbreviations full form, computer abbreviations a to z, computer a to z full form
a to z computer full form

2S2D- 2 Sides, Double Density

2SHD- 2 Sides, High Density

3D- 3-Dimensional

3G- 3rd Generation (300-400 kbps)

3GIO- 3rd Generation Input Output

3GL- 3rd Generation Language

4G- 4th Generation

4GL- 4th Generation Language

4GT- 4 Gigabyte memory Tuning

5GL- 5th Generation Language

8B10BLF— 8 Byte 10 Byte Local Fiber

See Full form of-

0-9     A    B     C    D    E    F    G    H     I     J     K     L     M     N     O     P     Q     R     S     T     U     V     W     X     Y     Z

कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रथम

कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रथम

First in Computer Field in Word कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रथम प्रिंटर, लैपटाॅप, पर्सनल कम्प्यूटर, प्रथम कम्पनी पहले कम्प्यूटर की अवधारणा आदि

1822 में चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया गया पहला मैकेनिकल कंप्यूटर वास्तव में ऐसा नहीं था, जो आज का कंप्यूटर है।

जैसे जैसे समय बीतता गया तकनीक और अधिक विकसित होती गई और उसका स्‍वरूप हमारे सामने है।

आने वाले समय और अधिक विकसित होगा।

कम्‍प्‍यूटर क्षेत्र में कब, किसने, क्‍या योगदान दिया, आइए जानते हैं-

कम्प्यूटर के आविष्कारक Charles Babbage हैं।

कंप्यूटर’ शब्द का पहली बार इस्तेमाल कब किया गया था? When was the term ‘computer’ first time used?

1613-  रिचर्ड ब्रेथवेट की एक पुस्‍तक ‘योंग मैन्‍स ग्‍लानिंग्‍स’ “कंप्यूटर” शब्द का पहली बार उपयोग 1613 में किया गया था।

इसमें मूल रूप से एक ऐसे इंसान का वर्णन था जिसने गणना या अभिकलन किया था।

पहला मैकेनिकल कंप्यूटर या स्वचालित कंप्यूटिंग इंजन अवधारणा- The first concept of mechanical computer or automatic computing engine.

1822- Charles Babbage ने पहली स्वचालित कंप्यूटिंग मशीन अवधारणा 1822 में की थी  और इस पर कार्य करना शुरू किया।

Difference Engine कई सेटों की गणना करने और परिणामों की हार्ड कॉपी बनाने में सक्षम था।

बैबेज को एडा लवलेस से डिफरेंस इंजन के विकास में कुछ मदद मिली, किंतु धन और बिजली की कमी के कारण  बैबेज इस मशीन को पूर्ण नहीं कर सके।

1837 में चार्ल्स बैबेज ने पहले सामान्य Mechanical Computer, Analytical Engine का प्रस्ताव रखा।

एनालिटिकल इंजन में एक ALU- Arithmetic Logic Unit (अंकगणित तर्क इकाई), Flow Control, Ouch Card (Jacquard Loom से प्रेरित) और Integrated Memory शामिल थी।

यह पहली सामान्य-प्रयोजन कंप्यूटर की अवधारणा मानी जाती है किंतु दुर्भाग्य से फंडिंग के कारण  यह कंप्यूटर भी कभी नहीं बन पाया था।

कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रथम
कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रथम

पहला प्रोग्रामेबल कंप्यूटर (First Programmable Computer)

Z1 को जर्मन कोनराड ज़्यूस ने 1936 और 1938 के बीच अपने माता-पिता के लिविंग रूम में बनाया।

यह पहला Electro-mechanical Binary Programmable Computer  कंप्यूटर माना जाता है।

पहली अवधारणा जिसे हम एक आधुनिक कंप्यूटर मानते हैं (First Concept of Modern Computer)

ट्यूरिंग मशीन पहली बार 1936 में एलन ट्यूरिंग द्वारा प्रस्तावित की गई थी और कंप्यूटिंग और कंप्यूटर के बारे में सिद्धांतों की नींव बन गई। मशीन एक उपकरण था जिसने कागज के टेप पर प्रतीकों को इस तरह से मुद्रित किया कि Logical Instructions की एक श्रृंखला के बाद एक व्यक्ति का अनुकरण किया। इन बुनियादी बातों के बिना आज का कंप्यूटर नहीं हो सकता।

  

पहला इलेक्ट्रिक प्रोग्रामेबल कंप्यूटर (First Electric Programmable Computer)

कोलोसस मार्क 2

कोलोसस पहला इलेक्ट्रिक प्रोग्रामेबल कंप्यूटर था, जिसे टॉमी फ्लावर्स द्वारा विकसित किया गया था और पहली बार दिसंबर 1943 में प्रदर्शित किया गया था।

ब्रिटिश कोड तोड़ने वाले जर्मन संदेशों को पढ़ने में मदद करने के लिए कोलोसस बनाया गया था।

  

पहला डिजिटल कंप्यूटर (First Digital Computer)

Atanasoff Berry Computer प्रोफेसर जॉन विंसेंट अटानासॉफ और 1937 में स्नातक छात्र क्लिफ बेरी द्वारा शुरू किया और यह 1942 तक जारी रहा।

Atanasoff Berry Computer एक इलेक्ट्रिकल कंप्यूटर था जो डिजिटल गणना के लिए 300 से अधिक वैक्यूम ट्यूबों का उपयोग करता था,

जिसमें बाइनरी गणित और बूलियन तर्क शामिल थे और इसमें कोई सीपीयू (प्रोग्राम करने योग्य) नहीं था।

19 अक्टूबर, 1973 को यूएस फेडरल जज अर्ल आर लार्सन ने अपने फैसले पर हस्ताक्षर किए कि जे प्रीपर एकर्ट और जॉन मौचली द्वारा ENIAC पेटेंट अमान्य था।

फैसले में लार्सन ने एटानासॉफ को एकमात्र आविष्कारक का नाम दिया।

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में जे प्रिस्पर एकर्ट और जॉन मौचली द्वारा ENIAC का आविष्कार किया गया था और 1943 में इसका निर्माण शुरू कर दिया और यह 1946 तक पूरा हुआ।

ENIAC ने लगभग 1,800 वर्ग फुट स्‍थान घेर लिया और इसमें लगभग 50 टन वजन के 18,000 वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया गया।

Atanasoff Berry Computer कंप्यूटर पहला डिजिटल कंप्यूटर था, फिर भी कई लोग ENIAC को पहला डिजिटल कंप्यूटर मानते हैं।

 

पहला संग्रहीत प्रोग्राम कंप्यूटर (First Stored Program Computer)

सर्वप्रथम इलेक्ट्रॉनिक रूप से संगृहीत कार्यक्रम जिसे कंप्यूटर द्वारा निष्पादित किया जाता है,

जिसे एसएस किम के लिए 1948 में टॉम किलबर्न द्वारा लिखा गया था।

किसी प्रोग्राम को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टोर और निष्पादित करने वाला पहला कंप्यूटर

SSEM – Small Scale Experimental Machine (स्मॉल-स्केल एक्सपेरिमेंटल मशीन) था, जिसे 1948 में “बेबी” या “मैनचेस्टर बेबी” के रूप में भी जाना जाता था।

इसका डिजाइन फ्रेडरिक विलियम्स ने तैयार किया गया था।

दूसरा संग्रहीत प्रोग्राम कंप्यूटर भी इंग्लैंड में कैम्ब्रिज गणितीय प्रयोगशाला के विश्वविद्यालय में मौरिस विल्क्स द्वारा निर्मित और डिज़ाइन किया गया था जिसका नाम EDSAC था। EDSAC ने 6 मई, 1949 को अपनी पहली गणना की।

यह एक ग्राफिकल कंप्यूटर गेम, “OXO” चलाने वाला पहला कंप्यूटर भी था,

जिसमें 6-इंच कैथोड रे ट्यूब पर प्रदर्शित टिक-टैक-टो का कार्यान्वयन था।

EDSAC मैनचेस्टर मार्क 1

उसी समय, मैनचेस्टर मार्क 1 एक और कंप्यूटर था जो संग्रहीत प्रोग्राम चला सकता था।

विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर में निर्मित,

मार्क 1 कंप्यूटर का पहला संस्करण अप्रैल 1949 में प्रारंभ हो गया था तथा उसी वर्ष 16 व 17 जून को बिना किसी त्रुटि के नौ घंटे तक मेर्सन की खोज के लिए एक कार्यक्रम चलाने के लिए मार्क 1 का उपयोग किया गया था।

 

पहली कंप्यूटर कंपनी (First Computer Company)

पहली कंप्यूटर कंपनी, इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल्स कंपनी थी।

इसकी स्थापना 1949 में ENIAC कंप्यूटर बनाने में मदद करने वाले जे प्रिस्पर एकर्ट और जॉन मौचली ने की।

बाद में इसी कंपनी का नाम बदलकर EMCC या Eckert-Mauchly Computer Corporation कर दिया गया और UNFCAC नाम के तहत मेनफ्रेम कंप्यूटर की एक श्रृंखला जारी की।

 

मेमोरी में संग्रहीत प्रोग्राम वाला पहला कंप्यूटर (First Memory Stored Program Computer)

UNIVAC 1101

पहली बार 1950 में संयुक्त राज्य सरकार को दिया गया, UNIVAC 1101 या ERA 1101 को मेमोरी से प्रोग्राम चलाने और चलाने में सक्षम पहला कंप्यूटर माना जाता है।

 

पहला कमर्शियल कंप्यूटर (First Commercial Computer)

1942 में, कोनराड ज़ूस ने Z4 पर काम करना शुरू किया जो बाद में बन गया।

इस  कंप्यूटर को 12 जुलाई, 1950 को स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ज्यूरिख के गणितज्ञ एडुआर्ड स्टिफ़ेल को बेचा गया था।

 

आईबीएम का पहला कंप्यूटर (First Computer of IBM)

7 अप्रैल, 1953 को आईबीएम ने सार्वजनिक रूप से अपना पहला व्यावसायिक Scientist-701 पेश किया।

 

रैम वाला पहला कंप्यूटर (First Computer with RAM)

MIT ने 8 मार्च, 1955 को Whirlwind मशीन शुरू की,

एक क्रांतिकारी कंप्यूटर था जो चुंबकीय कोर रैम और वास्तविक समय ग्राफिक्स वाला पहला डिजिटल कंप्यूटर था।

 

पहला ट्रांजिस्टर कंप्यूटर (First Transited Computer)

ट्रांजिस्टर्स TX-0 (ट्रांजिस्टराइज्ड एक्सपेरिमेंटल कंप्यूटर)

1956 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रदर्शित होने वाला पहला ट्रांजिस्टरकृत कंप्यूटर है।

 

पहला मिनीकंप्यूटर (First Minicomputer)

1960 में, डिजिटल उपकरण निगम ने अपने कई पीडीपी कंप्यूटरों में से पहला, पीडीपी-1 जारी किया।

संपूर्ण वर्ष के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दिवसों की जानकारी तथा अन्य परीक्षोपयोगी सामग्री के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए

 

पहला डेस्कटॉप और मास-मार्केट कंप्यूटर (First Desktop and Mass Market Computer)

1964 में, पहला डेस्कटॉप कंप्यूटर, प्रोग्राम 101, को न्यूयॉर्क वर्ल्ड फेयर में जनता के लिए अनावरण किया गया।

इसका आविष्कार पियर गियोर्जियो पेरोटो द्वारा किया गया था और इसका निर्माण ओलिवेट्टी ने किया था।

लगभग 44,000 प्रोग्राम101 कंप्यूटर बेचे गए, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 3,200 डॉलर थी।

1968 में, HP (Hewlett Packard) ने HP-9100A का व्‍यवसाय शुरू किया, जिसे पहले बड़े पैमाने पर विपणन डेस्कटॉप कंप्यूटर माना जाता था।

 

पहला वर्कस्टेशन (First Workstation)

1974 में शुरू किए गए पहले वर्कस्टेशन को Xerox Alto माना जाता है।

इस कंप्यूटर में पूरी तरह कार्यात्मक कंप्यूटर, डिस्प्ले और माउस शामिल थे।

यह कंप्यूटर आज के  कंप्यूटरों की तरह संचालित है, जो अपने ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए एक इंटरफेस के रूप में विंडोज़, मेनू और आइकन का उपयोग करते हैं।

9 दिसंबर, 1968 को डगलस एंगेलबर्ट द्वारा द मदर ऑफ ऑल डेमोस में कंप्यूटर की कई क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया था।

 

पहला माइक्रोप्रोसेसर (First Microprocessor)

इंटेल 15 नवंबर, 1971 को पहले माइक्रोप्रोसेसर, इंटेल 4004 को पेश करता है।

 

पहला माइक्रो कंप्यूटर (First Micro-computer)

वियतनामी-फ्रांसीसी इंजीनियर एंड्रे ट्रूंग ट्रोंग थी ने फ्रेंकोइस गर्नले के साथ मिलकर 1973 में माइक्रो कंप्यूटर विकसित किया

इसे पहले माइक्रो कंप्यूटर के रूप में माना जाता है।

इसमें इंटेल 8008 प्रोसेसर का उपयोग किया गया था और यह पहला वाणिज्यिक गैर-असेंबली कंप्यूटर था।

यह $ 1,750 में बिका।

 

पहला पर्सनल कंप्यूटर (First Personal Computer)

1975 में एड रॉबर्ट्स ने “पर्सनल कंप्यूटर” शब्द रचा और Altair-8800 को पेश किया।

हालाँकि, कुछ लोग काइनाक-1 को पहला पर्सनल कंप्यूटर मानते हैं, जिसे पहली बार 1971 में $ 750 में पेश किया गया था।

लाईट की एक श्रृंखला को चालू और बंद करके डेटा और आउटपुट डेटा इनपुट करने के लिए स्विच था।

 

पहला लैपटॉप या पोर्टेबल कंप्यूटर (First Laptop OR Portable Computer)

IBM 5100 पहला पोर्टेबल कंप्यूटर जिसे सितंबर 1975 में जारी किया गया।

कंप्यूटर का वजन 55 पाउंड था और इसमें पांच इंच का CRT डिस्प्ले, टेप ड्राइव, 1.9 मेगाहर्ट्ज PALM प्रोसेसर और 64 KB की रैम थी।

वास्‍तव में Osborne-I को पोर्टेबल कंप्यूटर या लैपटॉप माना जाता है,

जिसे अप्रैल 1981 में रिलीज़ किया गया था और एडम ओसबोर्न द्वारा विकसित किया गया था।

ओसबोर्न I का वजन 24.5 पाउंड था, इसमें 5 इंच का डिस्प्ले, 64 केबी मेमोरी, दो 5 1/4 “फ्लॉपी ड्राइव, सीपी / एम 2.2 ऑपरेटिंग सिस्टम था, जिसमें एक मॉडेम भी शामिल था, और इसकी कीमत $ 1,795 थी।

IBM PCD (PC Division) ने बाद में 1984 में IBM पोर्टेबल जारी किया,

इसका पहला पोर्टेबल कंप्यूटर जिसका वजन 30 पाउंड था।

बाद में 1986 में, IBM PCD ने अपना पहला लैपटॉप कंप्यूटर, PC परिवर्तनीय घोषित किया, जिसका वजन 12-पाउंड था।

अंत में, 1994 में, आईबीएम ने आईबीएम थिंकपैड 775CD को पेश किया, जो एक एकीकृत सीडी-रोम के साथ पहला नोटबुक था।

 

पहला Apple कंप्यूटर (First Apple Computer)

Apple I (Apple 1) पहला Apple कंप्यूटर था जो मूल रूप से $ 666.66 में बेचा गया था।

1976 में स्टीव वोज्नियाक द्वारा इस कंप्यूटर की किट विकसित की गई थी और इसमें 6502 8-बिट प्रोसेसर और 4 केबी मेमोरी थी, जो विस्तार कार्ड का उपयोग करके 8 या 48 केबी तक बढ सकती थी।

Apple के पास पूरी तरह से इकट्ठे सर्किट बोर्ड थे लेकिन किट को अभी भी बिजली की आपूर्ति, प्रदर्शन और कीबोर्ड की आवश्यकता थी।

 

पहला IBM पर्सनल कंप्यूटर (First IBM Personal Computer)

IBM PC-5150 आईबीएम ने अपना पहला पर्सनल कंप्यूटर, आईबीएम पीसी, 1981 में पेश किया।

इस कंप्यूटर का नाम Code-Acorn था।

इसमें 8088 प्रोसेसर, 16 केबी की मेमोरी दी गई थी, जो 256 तक विस्तार योग्य थी और एमएस-डॉस का उपयोग करती थी।

 

पहला पीसी क्लोन (First PC Clone)

Compaq Portable को पहला पीसी क्लोन माना जाता है और मार्च 1983 में कॉम्पैक द्वारा रिलीज़ किया गया।

कॉम्पैक पोर्टेबल IBM कंप्यूटर के साथ 100% संगत था और आईबीएम कंप्यूटर के लिए विकसित किसी भी सॉफ्टवेयर को चलाने में सक्षम था।

 

पहला मल्टीमीडिया कंप्यूटर (First Multimedia Computer)

1992 में, Tandy Radio Shack ने MC00 XL / 2 और M4020 SX को एमपीसी मानक की सुविधा देने वाले पहले कंप्यूटरों के बीच जारी किया।

 

अन्य कंप्यूटर कंपनी सबसे पहले (Other Computer Companies First) : कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रथम

तोशिबा – 1954 में, तोशिबा ने अपना पहला कंप्यूटर, “टीएसी” डिजिटल कंप्यूटर पेश किया।

NEC – 1958 में, NEC ने अपना पहला कंप्यूटर “NEAC 1101.” बनाया।

हेवलेट पैकर्ड (HP) – 1966 में, हेवलेट पैकर्ड ने अपना पहला सामान्य कंप्यूटर “HP-2115” जारी किया।

कमोडोर – 1977 में, कमोडोर ने अपना पहला कंप्यूटर, “कमोडोर पीईटी” पेश किया।

कॉम्पैक – मार्च 1983 में, कॉम्पैक ने अपना पहला कंप्यूटर और पहला 100% आईबीएम-संगत कंप्यूटर “कॉम्पैक पोर्टेबल” जारी किया।

डेल – 1985 में, डेल ने अपना पहला कंप्यूटर “टर्बो पीसी” पेश किया।

First in Computer Field in Word कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रथम प्रिंटर, लैपटाॅप, पर्सनल कम्प्यूटर, प्रथम कम्पनी पहले कम्प्यूटर की अवधारणा आदि

कम्प्यूटर क्षेत्र में विश्व में प्रथम (First in computer field in the World)

Google का नाम Google ही क्यों पड़ा?

कंप्यूटर वायरस क्या है? What is computer virus?

सुंदर पिचई का जीनव परिचय (Biography of Sundar Pichai)

सर्च इंजिन क्या है?

पहला सर्च इंजिन कौनसा था?

अतः हमें आशा है कि आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। इस प्रकार जी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://thehindipage.com पर Visit करते रहें।

Google का नाम Google ही क्यों पड़ा?

Google का नाम Google

Google का नाम Google ही क्यों पड़ा? Google का नाम Google ही क्यों रखा गया? Google के लोगो का कलर और इसकी विशेषता

इंटरनेट का विचार दिमाग में आते ही हमें स्क्रीन पर Google की कल्पना होने लगती है।

बिना Google हम इंटरनेट की कल्पना भी नहीं कर सकते।

इन सब के बीच में एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि

Google का नाम Google ही क्यों रखा गया?

Google से हम हर विषय पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, साहित्य, मनोरंजन, शोधकार्य आदि सभी में हमारी सहायता करता है। दुनिया का सबसे बड़ा Search Engine – Google। गूगल ने हमारे जीवन को इतना प्रभावित कर दिया है कि आज के युग में जब भी हमें किसी प्रकार की जरूरत होती है तो हम Google पर उसका समाधान कुछ क्षणों में ही ढूंढ लेते हैं। आज के समय में Google Search Engine बहुत ही शक्तिशाली सहायक सिद्ध हो रहा है।

क्या इसे हम आज से गुगोल (Googol) कह कर पुकारें?

Googol कैसा रहेगा?

Googol नाम से असहज से हो जाते हैं,

क्योंकि हमारे मस्तिष्क में गूगल नाम का ही अस्तित्व है।

जैसे किसी का नाम राम हो तो हम उसे मोहन नहीं पुकार सकते।

गुगोल नाम अटपटा सा लगता है।

किंतु सर्वप्रथम Google का नाम Googol ही रखा गया था। हाँ जी, गुगोल।

Googol एक गणितीय शब्द है

गूगल के फाउंडर लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने गूगल की शुरूआत की तो उन्होंने गूगल का नाम गुगोल ही रखा था।

Edward Kasner और James Newman के द्वारा लिखे गए किताब Mathematics and Imagination में लिखे गए शब्द ‘GOOGOL’  से प्रेरित होकर Larry Page और Sergey Brian ने अपने सर्च इंजन का नाम चुना।

गुगोल = 10100

गुगोल एक गणितीय शब्द है, जिसको हम 10100 (दस की घात सौ) इस प्रकार लिख या दर्शा सकते हैं। इसका अर्थ है कि 1 के बाद 100 शून्य (जीरो) होते हैं। इस प्रकार- 10, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000 , 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000,000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000, 000.

इसका उद्देश्य है कि जब कोई Google पर कुछ भी Search करे तो गूगल उस सर्च किए गए Content को 100 Pages में सर्च करे और User को कम से कम 100 Results Show करे ताकि यूजर को उसकी मनचाही सूचना प्राप्त हो सके।

गलती के कारण

गूगल नामक Search Engine बनाने का कारण भी यही था कि यह सूचना को बेहतरीन तरीके से ढूंढ कर लाये।

गूगोल की स्पेलिंग GOOGOL थी, लेकिन एक छोटी सी गलती के कारण ये GOOGLE बन गया।

बाद में इस गलती को सुधारा नहीं गया और इसका नाम GOOGLE ही रहने दिया गया।

गूगल को बनाने का उद्देश्य था कि एक ऐसा सर्च इंजिन बनाया जाये जो किसी भी बेवसाइट को अच्छे तरीके से खोजकर सूचनाएं प्रदर्शित कर सके।

सर्च इंजिन क्या है?

पहला सर्च इंजिन कौनसा था?

Google के लोगो का कलर और इसकी विशेषता

Google के Logo में Rainbow Color दिया गया है।

इसका कारण है कि Rainbow (इन्द्रधनुष) कलर से मनुष्य का दिमाग सदैव खुशी प्राप्त करता रहता है।

इसी कारण गूगल यूजर्स एवं गूगल के कर्मचारी कार्य करते समय हमेशा खुशी एवं ऊर्जावान होकर कार्य कर सकें।

इसके अलावा ये कलर पूरी स्क्रीन पर अन्य सभी कलर से अलग और आकर्षित लगते हैं।

वर्तमान में गूगल के CEO भारतीय मूल के सुन्दर पिचाई हैं। सुंदर पिचई के बारे में जानने के लिए क्लिक करें।

भारत में सर्वप्रथम इंटरनेट का इस्तेमाल 15 अगस्त 1995 को किया गया था।

गूगल कम्पनी के बारे में

गूगल कैलिफाॅर्निया में स्थित एक अमेरिकी कम्पनी है।

Google का पूरा नाम क्या है?

गूगल का फुल फॉर्म है- GLOBAL ORGANIZATION of ORIENTED GROUP LANGUAGE of EARTH

कम्प्यूटर क्षेत्र में विश्व में प्रथम (First in computer field in the World)

Google का नाम Google ही क्यों पड़ा?

कंप्यूटर वायरस क्या है? What is computer virus?

सुंदर पिचई का जीनव परिचय (Biography of Sundar Pichai)

सर्च इंजिन क्या है?

पहला सर्च इंजिन कौनसा था?

अतः हमें आशा है कि आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। इस प्रकार जी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://thehindipage.com पर Visit करते रहें।

कंप्यूटर वायरस Computer virus

कंप्यूटर वायरस क्या है? What is computer virus?

कंप्यूटर वायरस Computer virus क्या है?, कंप्यूटर वायरस का इतिहास, दुनिया का पहला कंप्यूटर वायरस, कंप्यूटर वायरस फैलने के कारण, वायरस के लक्षण, कंम्प्यूटर पर पड़ने वाले प्रभाव, कंप्यूटर वायरस के प्रकार, कंप्यूटर वायरस से बचने के उपाय

आज के समय में शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जो कम्प्यूटर या लैपटाॅप से अछूता हो? कम्प्यूटर या लैपटाॅप हार्डवेयर के अतिरिक्त यदि कोई समस्या आती है तो वह अधिकतर वायरस के कारण ही आती है।

VIRUS का पूरा नाम

सर्वप्रथम VIRUS का पूरा नाम जानते हैं- Vital Information Resources Under Siege है, जिसका हिन्दी रूपान्तरण ‘घेराबंदी के तहत महत्वपूर्ण सूचना संसाधन’ है।

वायरस एक प्रकार के कम्प्यूटर प्रोग्राम ही होते हैं जो कि कम्प्यूटर को अलग-अलग तरीकों से नुकसान पहुँचाने के लिए बनाये जाते हैं। ये किसी भी प्रकार से कम्प्यूटर प्रोग्राम में घुसकर उसे नुकसान पहुँचाकर कम्प्यूटर की कार्यविधि को प्रभावित करते हैं, वायरस कहलाते हैं। ये एक प्रकार के Electronic code होते हैं। वायरस स्वचलित प्रोग्राम (Auto Execute Program) होते हैं अर्थात् वायरस तुरंत या समय आने पर अपने को क्रियान्वित (Activate) कर लेते हैं।

कंप्यूटर वायरस Computer virus
कंप्यूटर वायरस Computer virus

वायरस का इतिहास एवं दुनिया का पहला वायरस

VIRUS शब्द का प्रयोग सबसे पहले कैलिफाॅर्निया विश्वविद्यालय में पढने वाले विद्यार्थी फ्रेडरिक बी. कोहेन ने अपने एक शोध पत्र में किया था, जिसमें बताया गया था कि एक ऐसा प्रोग्राम कैसे तैयार किया जाए जो कम्प्यूटर में घुसकर उसे नुकसान पहुँचाए तथा कम्प्यूटर पर आक्रमण करके उसकी कार्यप्रणाली को बुरी तरह प्रभावित करे। हालाँकि लोगों ने इस बात को सहजता से स्वीकार नहीं किया कि ऐसा कोई कम्प्यूटर प्रोग्राम हो सकता है। फ्रेडरिक बी. कोहेन ने एक छोटे कार्यक्रम को एक प्रयोग के रूप में लिखा, जो कंप्यूटरों को संक्रमित कर सकता था, खुद की प्रतियां बना सकता था और एक मशीन से दूसरी मशीन में फैल सकता था। यह एक बड़े, वैध कार्यक्रम के अंदर छिपा हुआ था, जिसे एक फ्लॉपी डिस्क पर कंप्यूटर में लोड किया गया था।

Search engine क्या है?

कम्प्यूटर वायरस की शुरूआत हुई तो गणितज्ञ जाॅन वाॅन न्यूमैन ने 1949 में एक सेल्फ रीप्लीकेटिंग प्रोग्राम बनाया, जिसे पहला वायरस माना जाता है। यह कम्प्यूटर में अपने आप बढता चला जाता था।

क्रीपर

1970 में इसी सेल्फ रीप्लीकेटिंग प्रोग्राम का उपयोग करके बाॅब थाॅमस ने सबसे पहला वायरस क्रीपर बनाया था जो अरपानेट (ARPANET) पर खोजा गया, जो 1970 के दशक की शुरुआत में इंटरनेट से पहले आया था। यह टेनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा फैला और यह कंप्यूटर को नियंत्रित और संक्रमित करने के लिए किसी भी जुड़े मॉडम का उपयोग कर सकता था। यह संदेश प्रदर्शित कर सकता है कि ‘मैं क्रीपर हूँ, यदि पकड़ सकते हो तो मुझे पकडो’ (I Am The Creeper, Catch Me If You Can)

इस मैसेज को डिलीट करने के लिए रीपर प्रोग्राम बनाया गया। शुरू-शुरू में वायरस को खोजना इतना आसान नहीं था, क्योंकि लोगों को 1980 के दशक तक तो इसके बारे में पता ही नहीं था।

1982 में नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले Richard Skrenta ने elk cloner वायरस अपने दोस्तों के साथ मजाक करने के लिए बनाया था। Richard Skrenta ने अपने Apple टू कंप्यूटर में कंप्यूटर पर कोड लिखा और गेम के फ्लॉपी डिस्क के जरिए वायरस को फैलाया जब कोई Richard Skrenta का दोस्त इस को 85 बार ओपन करता तो यह वायरस एक्टिवेट हो जाता था।

C Brain

आधुनिक वायरस में C Brain नाम का पहला वायरस माना जाता है, जो पूरी दुनिया में व्यापक स्तर पर फैला था। इस Virus को एक समाचार का रूप मिला था, क्योंकि इस Virus में वायरस बनाने वाले का नाम, पता तथा इसका विशेषाधिकार वर्ष (1986) मौजूद था। इस वायरस को पाकिस्तान के लाहौर में बनाया गया था। इस वायरस को दो भाइयों ने मिलकर IBM के लि बनाया था। जिनके नाम अमजद फारूक अल्वी और बासित फारूक अल्वी थे।

बाद में लोगों से पता चला कि उन्होंने यह वायरस अपने मेडिकल सॉफ्टवेयर को पायरेसी से बचाने के लिए बनाया था। जब कोई भी अवैध तरीके से इस सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करता था तो उनको एक चेतावनी दिखाई देती थी और वह मैसेज के साथ दिखाई देती थी। उस मैसेज में उसका फोन नंबर भी दिखाई देता था। फिर लोग जब भी इस Virus का शिकार होते थे तो उस स्क्रीन के ऊपर दिखाए गए फोन नंबर के ऊपर फोन करके बात करते थे और अपनी दिक्कत के बारे में बताते थे और इस समस्या का समाधान पाते थे।

फोन कॉल से बासित और अमजद को पता चल जाता कि इस सॉफ्टवेयर का उपयोग दुनिया में कहां पर हो रहा है यह वायरस कंप्यूटर के बूट सेक्टर प्रभावित करता कंप्यूटर को स्लो भी कर देता। यह वायरस कंप्यूटर के फ्लॉपी बूट सेक्टर को एक वायरस कॉपी से रिप्लेस कर देता था। Actual boot sector को किसी गलत जगह पर रख देता था। इस वायरस से प्रभावित डिस्क में लगभग 5 किलोबाइट्स बाद सेक्टर होता था। इस वायरस के कारण डिस्क का लेबल C Brain हो जाता था और कुछ अनचाहे मैसेज आने लगते थे। यह वायरस फ्लॉपी डिस्क को काफी धीमा कर देता था और DOS का लगभग सात किलोबाइट्स मेमोरी को हटा देता था।

शांति वायरस

1988 के प्रारम्भ में मैकिन्टोश शांति वायरस आया। यह वायरस एक पत्रिका मैकमैग (MacMag) के प्रकाशक रिचर्ड ब्रेनड्रा (Richard Brando) की ओर से था। इस वायरस को मैकिन्टोश आपरेटिंग सिस्टम को बाधित करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था। 2 मार्च 1988 को एक सन्देश स्क्रीन पर आया, वह संदेश था- ‘‘रिचर्ड ब्रेनडा मैकमैग के प्रकाशक तथा इसके कर्मचारी दुनिया के लिए समस्त मैकिन्टोश प्रयोक्ताओ को विश्व शांति का सन्देश देना चाहते है।’’

 

वायरस फैलने के कारण या वायरस कैसे फैलता है?

वर्तमान में इंटरनेट के बढते प्रभाव के कारण जहाँ पर हमें अकल्पनीय लाभ हो रहें हैं वहीं इंटरनेट के कारण बहुत से वायरस भी पनप रहें हैं। अनजान ई-मेल लिंक से अटैच फाइलों के कारण वायरस फैलते जाते हैं। virus कुछ websites के link, advertisement, image placement, video के साथ attached रहते है। वेबसाइट की इन सामग्री पर click करने से malicious code आपके computer या मोबाइल पर automatically download हो जाता है, इसके अलावा यह आपको किसी malicious website पर भी भेज सकता है। वायरस फैलने के कई कारण हैं, जैसे-

  • Internet चलाते समय असावधानी के कारण।
  • सिस्टम में Antivirus का न होना या एंटीवायरस का आउटडेटेड हो जाना।
  • अप्रमाणित लिंक या पोर्न वेबसाइट चलाने से।
  • फ्री में लाभ देने वाले लिंक पर क्लिक करने से।
  • कोई भी पैन ड्राइव को बिना स्कैन किये उपयोग करने से।
  • अनजान E-mail Open करने से, खासतौर पर स्पैम।
  • फ्री में गेम या मूवी Download करने या देखने वाले लिंक पर क्लिक करने से।
  • कोई भी ऐसी फाइल डाउनलोड करने से जिसमें वायरस मौजूद हो, हालांकि इसका पता नहीं चलता है।
  • मोबाइल या अन्य स्टोरेज डिवाइस को बिना स्कैन किये System में Open करने से।

 

वायरस के लक्षण अथवा कम्प्यूटर पर पड़ने वाले प्रभाव : कंप्यूटर वायरस Computer virus

वायरस के कारण Computer System बुरी तरह प्रभावित होता है। इससे बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है। कम्प्यूटर सिस्टम को हानि पहुंचाने वाला वायरस Malware होता है, जो सिस्टम में आ जाये तो इसे Delete करना फाफी मुश्किल हो जाता है। नीचे बताई गई बातों में से यदि एक-दो या अधिक बातें आपको लगती है कि सिस्टम में हो गई हैं तो आपको समझ जाना चाहिए कि ये सब वायरस के कारण हो रहा है। वायरस किस प्रकार सिस्टम को प्रभावित करता है? ये लक्षण निम्नलिखित है-

  • कम्प्यूटर को Hang कर देना।
  • कम्प्यूटर की Speed कम कर देना।
  • सिस्टम का Crash हो जाना।
  • कम्प्यूटर की सूचनाएं Delete कर देना।
  • सिस्टम को Shutdown करते समय समस्या आना।
  • हार्ड डिस्क या अन्य अटैच होने वाले Storage Device को Format कर देना।
  • Booting System अर्थात् कम्प्यूटर के स्टार्ट होने की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर देना।
  • अनचाहे विज्ञापन (Advertisement) दिखाना।
  • अनचाहे फाइल अथवा फोल्डर बनाना।
  • फाइलों को क्रियान्वित (Execute) न होने देना।
  • फाइलों के आकार में परिवर्तन कर देना।
  • स्क्रीन पर बेकार की सूचनाएं देना।
  • फाइलों के Data को नष्ट करना या बदल देना।
  • फाइल के Path में परिवर्तन कर देना।
  • की-बोर्ड के Keys का कार्य बदल देना।

 

वायरस के प्रकार (Types of Virus) : कंप्यूटर वायरस Computer virus

  1. Web scripting virus-

    इस प्रकार के वायरस सबसे प्रचलित है। यह virus कुछ websites के link, advertisement, image placement, video के साथ attached रहते है। वेबसाइट की इन सामग्री पर click करने से malicious code आपके computer या मोबाइल पर automatically download हो जाता है। इसके अलावा यह आपको किसी malicious website पर भी भेज सकता है। इस प्रकार के computer virus उन वेबसाइटों पर पाये जाते है, जिनका उपयोग social networking उद्देश्यों के लिए किया जा रहा हो।

  2. Network virus-

    नेटवर्क वायरस internet और स्थानीय नेटवर्क क्षेत्र (LAN) के माध्यम से फैलता है. इस प्रकार के वायरस network की performance को कम करने की क्षमता रखते है।

  3. Encrypted virus-

    encrypted malicious code का उपयोग करने के कारण इसे Detect करना एंटीवायरस के लिए भी कठिन होता है।

  4. Browser Hijacker Virus–

    वर्तमान समय में यह बहुत तेज गति से फैलने वाला वायरस है। यह गेम, वेबसाइट या फाइल आदि के माध्यम से सिस्टम में प्रवेश करके फाइलों की गति को अपने नियंत्रण में कर लेता है और उनकी गति कम कर देता है। फलस्वरूप फाइलें धीरे-धीरे नष्ट भी हो जाती है।

  5. Maltipartite virus-

    यह computer virus सबसे तेजी से फैलने वाला वायरस माना जाता है। अधिकांश virus या तो boot sector, system या program files को infect करते है, परन्तु यह वायरस एक ही समय मे बूट सेक्टर और प्रोग्राम फाइलों दोनों को प्रभावित कर सकता है।

  6. Resident Virus–

    यह वायरस कम्प्यूटर को अपडेट नहीं होने देता तथा सिस्टम को शटडाउन करने में समस्या पैदा करता है। काॅपी-पेस्ट करने में भी समस्या उत्पन्न करता है।

  7. Overwrite Virus-

    यह वायरस असली डेटा को नष्ट करके एक इन्फेक्टेड फाइल बना देता है।

  8. Direct Action Virus–

    यह वायरस कम्प्यूटर में उपस्थित सभी फाइल एवं फोल्डर को डिलीट कर देता है।

  9. File Infectors–

    यह वायरस रनिंग फाइल को प्रभावित करता है और उसे नष्ट कर देता है। इसे बहुत ही खतरनाक वायरस माना जाता है।

  10. Boot Virus–

    यह वायरस हार्ड डिस्क तथा फ्लाॅपी को क्षतिग्रस्त करता है एवं इनको चलने नहीं देता है।

  11. Directory Virus–

    यह वायरस फाइलों के की लोकेशन या पाथ को उल्टफेर कर देता है जिससे कोई भी फाइल या फोल्डर किसी भी फाइल या फोल्डर में चले जाते हैं।

वायरस से कैसे बचें?

आपने जाना कि वायरस क्या है और इसके लक्षण एवं कारण क्या हैं? इससे यह स्पष्ट हो गया कि वायरस हानि पहुंचाते ही हैं तो जो यूजर है उसे यह भी पता होना चाहिए कि वायरस से कैसे बचें?
निम्नलिखित तरीकों से हम वायरस से बच सकते हैं-

  1. सिस्टम में Antivirus रखना चाहिए। उसे भी प्रोग्राम के निर्देशानुसार Update करना चाहिए।
  2. Operating System को समयानुसार अपडेट करना चाहिए।
  3. पैन ड्राईव या अन्य स्टोरेज डिवाइस से डेटा लेने से पहले उन्हें स्कैन अवश्य कर लें।
  4. संदिग्ध (Suspicious) वेबसाइट पर कभी न जाएं।
  5. Malware स्कैनर का हमेशा प्रयोग करना चाहिए।
  6. विण्डोज का Firewall हमेशा On रखें।
  7. मैलीसियस प्रोग्राम को जानकारी रखनी चाहिए।
  8. Free या Offer देने वाली वेबसाइटों से कभी भी कुछ भी न डाउनलोड करें।
  9. महत्त्वपूर्ण डेटा का Backup लेते रहें ताकि डेटा सुरक्षित रहे।
  10. अनचाहे ई-मेल के अटैचमेंट पर कभी क्लिक न करें।
  11. किसी फाइल में वायरस हो तो ऐसी फाइल को शेयर करने से पहले स्कैन अवश्य करें।

 

कुछ प्रकार के एंटीवायरस : कंप्यूटर वायरस Computer virus

  • Norton
  • Avg antivirus
  • Quick Heal
  • Avast
  • Kaspersky internet security
  • BitDefender
  • McAfee
  • Guardian total security
  • K7 antivirus
  • Avira

कंप्यूटर वायरस Computer virus क्या है?, कंप्यूटर वायरस का इतिहास, दुनिया का पहला कंप्यूटर वायरस, कंप्यूटर वायरस फैलने के कारण, वायरस के लक्षण, कंम्प्यूटर पर पड़ने वाले प्रभाव, कंप्यूटर वायरस के प्रकार, कंप्यूटर वायरस से बचने के उपाय

कम्प्यूटर क्षेत्र में विश्व में प्रथम (First in computer field in the World)

Google का नाम Google ही क्यों पड़ा?

कंप्यूटर वायरस क्या है? What is computer virus?

सुंदर पिचई का जीनव परिचय (Biography of Sundar Pichai)

सर्च इंजिन क्या है?

पहला सर्च इंजिन कौनसा था?

अतः हमें आशा है कि आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। इस प्रकार जी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://thehindipage.com पर Visit करते रहें।

Search Engine सर्च इंजन

Search Engine सर्च इंजन

सर्च इंजन ( Search Engine ) क्या है?, सर्च इंजन कितने प्रकार के हैं?, इंटरनेट का पहला सर्च इंजन कौनसा है?, सर्च इंजन के उपयोग, भारतीय सर्च इंजन के नाम एवं सर्च इंजन की लिस्ट आदि

Search Engine क्या है? यह कैसे कार्य करता है?

हमारे मन में कोई भी प्रश्न उठता है तो हम उसे Internet पर तुरंत खोजते हैं और Internet पर हमें बहुत उत्तर मिलते हैं। Internet सूचनाओं का एक महासागर है जिसका कोई ओर-छोर नहीं है और ये सूचनाएं सीमित नहीं हैं, बल्कि प्रतिदिन इन सूचनाओं में वृद्धि होती रहती है, इसी कारण हम Internet पर किसी भी Topic के बारे में Search करते है और हजारों लाखों सूचनाएं हमें पलक झपकते ही मिल जाती हैं। यहाँ पर कई प्रश्न उत्पन्न होते हैं-

यह कैसे संभव है?

हम मनोवांछित जानकारी Internet से कैसे प्राप्त कर लेते है?

Internet कैसे सूचनाएं हमारे सामने प्रस्तुत कर देता है?

इतनी सारी सूचनाओं में से Internet हमारे द्वारा चाही गई सूचना को ही कैसे हमारे सामने ला देता है?

इस प्रश्न के उत्तर में भी हमें कई प्रश्न मिलते हैं।

इन सभी कार्यों को करता है- Search engine.

ये Search Engine क्या है?

इसका क्या कार्य है?

यह कैसे कार्य करता है?

इस प्रकार के कई प्रश्नों जानकारी आपको मिलने वाली है।

"<yoastmark

Search Engine एक ऐसा Software Program होता है जो User (यूजर) द्वारा चाही गई सूचनाओं को Phrase (वाक्यांश) या Key-word की सहायता से Internet से खोज निकालता है, और इससे संबंधित सभी रिजल्ट की सूचियां हमारे सामने प्रदर्शित कर देता है। ये सूचना किसी भी प्रकार की हो सकती है, जैसे- वीडियो, आडियो, इमेज, डाॅक्यूमेंट आदि। Search Engine सूचनाओं के डेटाबेस के आधार पर एल्गोरिदम (Algorithm) तैयार करता है फिर हमें सूचना देता है।

Search Engine सभी सूचनाओं में से सबसे अच्छी जानकारी सबसे पहले दर्शाता है, फिर उससे कम वाली सूचना, इस प्रकार यह क्रम चलता है। हमारे द्वारा पूछे गए एक प्रश्न पर हजारों लाखों सूचनाओं का संग्रह Search Engine हमें प्राप्त करवाता है।

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया के अनुसार Search Engine की परिभाषा-

वेब खोजी इंजन (Web Search Engine) वह सॉफ्टवेयर है जो विश्वव्यापी जाल (World Wide Web) पर संग्रहित सूचनाओं को खोजने के काम आता है। खोज के परिणामस्वरूप ये Search Engine वांछित सूचना से सम्बन्धित वेब पेज, छवियाँ, तथा अन्य प्रकार की फाइलें प्रस्तुत करते हैं। कुछ वेब खोजी इंजन डेटाबेस तथा खुली डायरेक्टरी में उपलब्ध आँकडे भी प्रस्तुत करते हैं।

A web search engine or Internet search engine is a software system that is designed to carry out web search (Internet search), which means to search the World Wide Web in a systematic way for particular information specified in a textual web search query. The search results are generally presented in a line of results, often referred to as search engine results pages (SERPs). The information may be a mix of links to web pages, images, videos, info-graphics, articles, research papers, and other types of files. Some search engines also mine data available in databases or open directories. Unlike web directories, which are maintained only by human editors, search engines also maintain real-time information by running an algorithm on a web crawler. Internet content that is not capable of being searched by a web search engine is generally described as the deep web.

एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार Search Engine की परिभाषा-

Search engine, कंप्यूटर प्रोग्राम सूचनाओं के संग्रह में प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए, जो एक लाइब्रेरी कैटलॉग या डेटाबेस हो सकता है, लेकिन आमतौर पर वर्ल्ड वाइड वेब है। एक web search engine ‘पेज’ की एक सूची तैयार करता है। वेब पर सूचीबद्ध फाइलें, जिसमें क्वेरी में शब्द होते हैं। अधिकांश खोज इंजन उपयोगकर्ता को प्रश्नों को परिष्कृत करने के लिए और, या नहीं के साथ जुड़ने की अनुमति देते हैं। वे विशेष रूप से छवियों, वीडियो या समाचार लेखों या वेब साइटों के नामों के लिए भी खोज सकते हैं।

Search engine, computer program to find answers to queries in a collection of information, which might be a library catalog or a database but is most commonly the World Wide Web- A Web search engine produces a list of pages, computer files listed on the Web, that contain the terms in a query- Most search engines allow the user to join terms with and, or, and not to refine queries. They may also search specifically for images, videos, or news articles or for names of Web sites.

सर्च इंजन कार्य कैसे करता है?

सर्च इंजिन दो तरीकों से सर्च करता है-

1. कीवर्ड सर्च (Key-word Search)

हमें जो सूचना चाहिए उससे संबंधित शब्द या शब्द समूह (Phrase) को Search Engine में टाईप करते हैं तो उसके Database के आधार पर रिजल्ट अर्थात् साईट, वेबपेज आदि की सूची प्रदर्शित कर देता है। Key-word search में google सर्वाधिक उपयोग किया जाता है।

2. डायरेक्टरी सर्च (Directory Search)

इसमें चाही गई सूचना को डायरेक्टरी-सब डायरेक्टरी-विषय-टाॅपिक आदि प्रकार से सर्च करते हैं। याहू इस सर्च के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

कुछ प्रमुख Search Engine

List of Search Engines In the World-

सर्च इंजिन Search Engine
सर्च इंजिन Search Engine

Google

Google search engine दुनिया का सबसे अच्छा search engine है

और यह गूगल के सबसे लोकप्रिय उत्पादों में से एक है।

लगभग 70 प्रतिशत सर्च इंजन बाजार का अधिग्रहण गूगल द्वारा किया गया है।

गूगल उपयोगकर्ता को सर्वोत्तम परिणाम प्रदान करने के लिए खोज इंजन एल्गोरिदम में सुधार कर रहा है।

Bing

गूगल के लिए Bing, Microsoft का विकल्प है और इसे 2009 में लॉन्च किया गया था।

Bing Microsoft के वेब ब्राउजर में डिफॉल्ट Search engine है।

बिंग में, वे इसे बेहतर खोज इंजन बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं, लेकिन Google से प्रतियोगिता करने के लिए इसे एक लंबा रास्ता तय करना है।

Microsoft का Search engine नक्शे के साथ-साथ छवि, वेब और वीडियो खोज सहित विभिन्न सेवाएँ प्रदान करता है।

Yahoo

Yahoo और Bing, google के साथ एक दूसरे के साथ अधिक प्रतिस्पर्धा करते हैं।

Baidu

Baidu चीन में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला Search engine है

और जनवरी, 2000 में चीनी उद्यमी, एरिक जू द्वारा स्थापित किया गया था।

यह वेब खोज वेबसाइट, ऑडियो फाइलों और छवियों के लिए परिणाम देने के लिए बनाई गई है।

यह नक्शे, समाचार, क्लाउड स्टोरेज और बहुत कुछ सहित कुछ अन्य सेवाएं प्रदान करता है।

Yandex

1997 में लॉन्च किया गया, Yandex रूस में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला Search engine है।

Yandex की यूक्रेन, कजाकिस्तान, बेलारूस और तुर्की में भी अच्छी मौजूदगी है।

DuckDuckGo

DuckDuckGo एक लोकप्रिय Search engine है जो उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता की रक्षा करने के लिए जाना जाता है।

Ask.com के विपरीत, वे खोज परिणामों को उत्पन्न करने के लिए उपयोग करने वाले लोगों के बारे में काफी खुले हैं,

उन्होंने Yahoo, Bing और युमली के साथ भागीदारी की है।

इसकी स्थापना 2008 में कैलिफोर्निया में गेब्रियल वेनबर्ग द्वारा की गई थी

और इसका राजस्व याहू-बिंग खोज गठबंधन नेटवर्क और सहयोगी कंपनियों से आता है।

Ask.com

1995 में स्थापित, Ask.com, जिसे पहले आस्क जीव्स के रूप में जाना जाता था।

उनकी मुख्य अवधारणा एक सरल प्रश्न-उत्तर web प्रारूप के आधार पर खोज परिणाम देना था।

यह एक प्रश्न और उत्तर समुदाय है जहां आप अपने प्रश्न के उत्तर प्राप्त कर सकते हैं

और यह आपके प्रश्न का उत्तर देने के लिए बड़ी मात्रा में संग्रह Data को एकीकृत करता है।

AOL.com

AOL.com भी शीर्ष Search engines में से एक है।

ये वे लोग हैं जो अपने Browser और Modem Software को स्थापित करने के लिए अपने PC पर लोड करने के लिए सीडी का उपयोग करते थे।

इसे 1983 में कंट्रोल वीडियो कॉर्पोरेशन के रूप में वापस शुरू किया गया था।

इसे 1991 में अमेरिका ऑनलाइन और 2009 में AOLink के रूप में नामित किया गया था।

AOL एक वैश्विक जन मीडिया कंपनी है जो न्यूयॉर्क में स्थित है।

Lycos

Lycos की Search engine उद्योग में अच्छी प्रतिष्ठा है।

इसके प्रमुख क्षेत्र ईमेल, वेब होस्टिंग, सोशल नेटवर्किंग और मनोरंजन वेबसाइट हैं।

WolframAlpha

WolframAlpha एक कम्प्यूटेशनल ज्ञान Search engine है जो खोज परिणामों के रूप में दस्तावेजों या वेब पेजों की सूची नहीं देता है।

परिणाम उस Query के बारे में तथ्यों और Data पर आधारित होते हैं।

उनका मिशन वक्तव्य सभी व्यवस्थित ज्ञान को कम्प्यूटेबल और व्यापक रूप से सुलभ बनाना है।

Internet Archive

 Internet Archive एक अमेरिकी Digital Library है जिसमें ‘‘सभी ज्ञान तक सार्वभौमिक पहुंच’’ के मिशन के साथ है।

यह वेबसाइट, सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन, गेम्स, संगीत, मूवी, वीडियो, मूविंग इमेज और लाखों पुस्तकों सहित डिजीटल सामग्रियों के संग्रह के लिए मुफ्त सार्वजनिक उपयोग प्रदान करता है।

Chacha.com

Chacha.com एक मानव-निर्देशित खोज इंजन है और 2006 में इसकी स्थापना की गई थी।

दिसंबर 2016 में घटते विज्ञापन के कारण चचा बंद हो गया।

उपर्युक्त जानकारी प्राप्त करने के बाद अंत में यह भी प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि

दुनिया का First Search Engine कौनसा था? कब बना? आदि।

"<yoastmark

दुनिया के First Search Engine का नाम Google नहीं बल्कि Archie (आर्ची) था।

जब Archie बना था तो Google अस्तित्व में भी नहीं आया था।

दुनिया के First Search Engine Archie को Alan Emtage ने गूगल से 6 साल पहले यानि 10 सितंबर 1990 को ही बना लिया था।

Alan Emtage का जन्म 27 नवंबर 1964 को हुआ था।

ये मांट्रियल, क्यूबेक (कनाडा) के McGill University में कम्प्यूटर सांइस के विद्यार्थी थे।

इसकी कार्यविधि public File Transfer Protocol (FTP) archives को Index करके बनाई गई थी।

इसी आधार पर बाद में गूगल और याहू जैसे Search Engine लोकप्रिय हुए।

अतः हमें आशा है कि आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। इस प्रकार जी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://thehindipage.com पर Visit करते रहें।