रामविलास शर्मा

रामविलास शर्मा की जीवनी

रामविलास शर्मा जीवन-परिचय, साहित्य-परिचय, आलोचना दृष्टि, निबंध, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा, कविता संग्रह, भाषा शैली, रामविलास शर्मा की आत्मकथा आदि की संपूर्ण जानकारी

जन्म -10 अक्टूबर, 1912

जन्म भूमि -उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश

मृत्यु -30 मई, 2000

कर्म-क्षेत्र -आलोचक, निबंधकार, विचारक, कवि

भाषा -हिंदी और अंग्रेज़ी

विद्यालय -लखनऊ विश्वविद्यालय

शिक्षा -एम.ए. (अंग्रेज़ी), पी.एचडी.

युग- प्रयोगवादी युग (तार सप्तक-1943 के कवि)

रामविलास शर्मा की रचनाएं : रामविलास शर्मा जीवन-परिचय साहित्य-परिचय

लगभग 100 महत्वपूर्ण पुस्तकों का सृजन।

रामविलास शर्मा के कविता संग्रह

तार सप्तक (1943) में संकलित कविताएँ

रूप तरंग

सदियों के सोये जाग उठे

प्रतिनिधि कविताएं

रामविलास शर्मा के उपन्यास

चार दिन

रामविलास शर्मा के नाटक

पाप के पुजारी

रामविलास शर्मा की आत्मकथा

अपनी धरती अपने लोग (1996, 3 खंड)

घर की बात

रामविलास शर्मा की आलोचना/निबंध

-निराला जी की कविता(1934) (सर्वप्रथम आलोचनात्मक लेख)

-प्रेमचंद (1941, पहली पुस्तक)

-प्रेमचंद और उनका युग (1941),

-भाषा और साहित्य में पाकिस्तान (1941)

-भारतेंदु हरिश्चन्द्र (1942),

-गोस्वामी तुलसीदास और मध्यकालीन भारत (1944)

-निराला (1946),

-राष्ट्रभाषा हिन्दी और हिन्दू राष्ट्रवाद (1948)

-साहित्य और संस्कृति (1949)

-भारत की भाषा समस्या (1949)

-लोकजीवन और साहित्य (1951)

-‘भारतेंदु युग और हिन्दी साहित्य का विकास’

-प्रगति और परम्परा (1953),

-जातीय भाषा के रूप में हिन्दी का प्रसार (1953)

-हिन्दी-उर्दू समस्या (1953)

भाषा, साहित्य और संस्कृति (1954),

-प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं (1955)

-आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1956)

-आस्था और सौन्दर्य (1956)(निबंध)

-उर्दू समस्या (1958)

-भाषा और समाज (1961),

-भाषा की समस्या और मज़दूर वर्ग (1965)

-भारत की राजभाषा अंग्रेज़ी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (1965)

निराला की साहित्य साधना (तीन-भाग) – (1969, 1967-76, साहित्य अकादमी पुरस्कार-1970),

-नई कविता और अस्तित्ववाद (1975)

-महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण (1977),

-‘भारत में अँग्रेजी राज्य और मार्क्सवाद (1982, 2 खंड)’,

-मार्क्सवाद और प्रगतिशील साहित्य (1985)

-हिन्दी जाति का इतिहास (1986)

-इतिहास-दर्शन (1995)

-भारतीय नवजागरण और यूरोप (1996)

-भारतीयसाहित्य की भूमिका (1996),

-भारतीय संस्कृति और हिन्दी प्रदेश (1999, 2 खंड)’,

-परम्परा का मूल्यांकन,

-‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी (3 खंड, व्यास सम्मान-1991)’

-‘गाँधी, आंबेडकर और लोहिया (2000)’,

-‘पश्चिमी एशिया और ऋग्‍वेद’ (1994),

-‘भारतीय साहित्य और हिन्दी जाति के साहित्य की अवधारणा’

-भारतीय सौन्दर्य बोध और तुलसीदास (2001)

-भारतेंदु हरिश्चन्द्र और हिन्दी नवजागरण की समस्याएं (1984)

-मार्क्स और पिछड़े समाज

-मेरे साक्षात्कार

-घर की बात

-धूल

-ऐतिहासिक भाषाविज्ञान और हिन्दी

-सन् सत्तावन की राजक्रान्ति और मार्क्सवाद

-पाश्चात्य दर्शन और सामाजिक अन्तरविरोध : थाल्स से मार्क्स तक लेख

-हिन्दी जाति के सांस्कृतिक इतिहास की रूपरेखा (1977)

-प्रगतिशील कविता की वैचारिक भूमिका

रामविलास शर्मा के सम्मान एवं पुरस्कार : रामविलास शर्मा जीवन-परिचय साहित्य-परिचय

वर्ष 1986-87 में हिन्दी अकादमी के प्रथम सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। इसके अतिरिक्त 1991 में इन्हें प्रथम व्यास सम्मान से भी सम्मानित किया गया।

रामविलास शर्मा संबंधी विशेष तथ्य : रामविलास शर्मा जीवन-परिचय साहित्य-परिचय

– यह आचार्य शुक्ल के प्रबल समर्थक माने जाते हैं|

– समालोचक पत्रिका मासिक, आगरा, प्रधान सम्पादक रहे|

– रामविलास शर्मा ने यद्यपि कविताएँ अधिक नहीं लिखीं, पर हिन्दी के प्रयोगवादी काव्य-आन्दोलन के साथ वे घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध रहे हैं। ‘अज्ञेय’ द्वारा सम्पादित ‘तारसप्तक’ (1943 ई.) के एक कवि रूप में इनकी रचनाएँ काफ़ी चर्चित हुई हैं।

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

यशपाल

यशपाल जीवन परिचय

यशपाल के जीवन परिचय और साहित्य की संपूर्ण जानकारी-

जन्म -3 दिसम्बर, 1903 ई.

जन्म भूमि – फ़िरोजपुर छावनी, पंजाब, भारत

मृत्यु -26 दिसंबर, 1976 ई.

अभिभावक- हीरालाल, प्रेमदेवी

कर्म-क्षेत्र -उपन्यासकार, लेखक, निबंधकार

नोट:- ये साम्यवादी या प्रगतिवादी उपन्यासकार है|

यशपाल साहित्य परिचय

यशपाल के जीवन परिचय और साहित्य की संपूर्ण जानकारी निम्न प्रकार है-

कहानी संग्रह

ज्ञानदान 1944 ई.

अभिशप्त 1944 ई.

तर्क का तूफ़ान 1943 ई.

भस्मावृत

चिनगारी 1946 ई.

वो दुनिया 1941 ई.

फूलों का कुर्ता 1949 ई.

धर्मयुद्ध 1950 ई.

उत्तराधिकारी 1951 ई.

चित्र का शीर्षक 1952 ई.

पिंजरे की उडान

उत्तमी की माँ

सच बोलने की भूल

तुमने क्यों कहा कि मैं सुन्दर हूँ

यशपाल की कहानियां : जीवन परिचय और साहित्य

चक्कर क्लब

परदा

आदमी और खच्चर

कुत्ते की पूँछ

यशपाल के उपन्यास : जीवन परिचय और साहित्य

दादा कामरेड 1941 ई.

देशद्रोही 1943 ई.

पार्टी कामरेड 1947 ई.

दिव्या 1945 ई.

मनुष्य के रूप 1949 ई.

अमिता 1956 ई.

झूठा सच-1960. (दो भाग प्रथम-1958, वतन और देश, द्वितीय-1960- देश का भविष्य)

मेरी तेरी उसकी बात-1974 (1942 की क्रांति पर आधारित)

अप्सरा का शाप 2010 ई.

यशपाल के निबंध संग्रह

न्याय का संघर्ष 1940 ई.

गाँधीवाद की शव परीक्षा-1941 ई.

चक्कर क्लब 1942 ई.

बात-बात में बात 1950 ई.

देखा, सोचा, समझा 1951 ई.

मार्क्सवाद

सिंहावलोकन -1951 (तीन खंड) आत्मकथा

संस्मरण – कुछ संस्मरण-1990

यशपाल के पुरस्कार व सम्मान

इनकी साहित्य सेवा तथा प्रतिभा से प्रभावित होकर रीवा सरकार ने ‘देव पुरस्कार’ (1955)

सोवियत लैंड सूचना विभाग ने ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ (1970)

हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ (1971)

भारत सरकार ने ‘पद्म भूषण’ की उपाधि प्रदान कर इनको सम्मानित किया है।

यशपाल संबंधी विशेष तथ्य

यह प्रगतिवादी उपन्यास परंपरा के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार माने जाते हैं।

झूठा सच देश विभाजन की त्रासदी पर आधारित इनका सर्वश्रेष्ट चर्चित उपन्यास है।

अपने उपन्यासों में इन्होंने नारी की समस्या को भी पूरी सहानुभूति से प्रस्तुत किया है।

इन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया ये सुखदेव और भगत सिंह के सहयोगी थे।क्रांतिकारी आंदोलन के कारण इन्हे जेल भी जाना पड़ा|

जेल से मुक्त होने के बाद इन्होंने ‘विप्लव’ मासिक पत्र निकाला।

इन्होने ‘पिंजरे की उड़ान’ और ‘वो दुनियाँ’ की कहानियाँ जेल में ही लिखी थी।

अंततः आशा है कि आपके लिए यशपाल का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय उपयोगी सिद्ध हुआ होगा।

आदिकाल के साहित्यकार
आधुनिक काल के साहित्यकार

भारतेंदु हरिश्चंद्र

इसमें हम भारतेंदु हरिश्चंद्र की जीवनी और संपूर्ण साहित्य की जानकारी प्राप्त करेंगे जो प्रतियोगी परीक्षाओं एवं हिंदी साहित्य प्रेमियों हेतु ज्ञानवर्धक सिद्ध होने की आशा है।

भारतेंदु हरिश्चंद्र की जीवनी

पूरा नाम- बाबू भारतेन्दु हरिश्चंद्र

जन्म- 9 सितम्बर सन् 1850

जन्म भूमि- वाराणसी, उत्तर प्रदेश

मृत्यु- 6 जनवरी, सन् 1885

Note:- मात्र 35 वर्ष की अल्प आयु में ही इनका देहावसान हो गया था|

मृत्यु स्थान- वाराणसी, उत्तर प्रदेश

अभिभावक – बाबू गोपाल चन्द्र

कर्म भूमि वाराणसी

कर्म-क्षेत्र- पत्रकार, रचनाकार, साहित्यकार

उपाधी:- भारतेंदु

नोट:- डॉक्टर नगेंद्र के अनुसार उस समय के पत्रकारों एवं साहित्यकारों ने 1880 ईस्वी में इन्हें ‘भारतेंदु’ की उपाधि से सम्मानित किया|

Bhartendu Harishchandra
Bhartendu Harishchandra

भारतेंदु हरिश्चंद्र के सम्पादन कार्य

इनके द्वारा निम्नलिखित तीन पत्रिकाओं का संपादन किया गया:-

कवि वचन सुधा-1868 ई.– काशी से प्रकाशीत (मासिक,पाक्षिक,साप्ताहिक)

हरिश्चन्द्र चन्द्रिका- 1873 ई. (मासिक)- काशी से प्रकाशीत

आठ अंक तक यह ‘हरिश्चन्द्र मैगजीन’ नाम से तथा ‘नवें’ अंक से इसका नाम ‘हरिश्चन्द्र चन्द्रिका’ रखा गया|

हिंदी गद्य का ठीक परिष्कृत रूप इसी ‘चंद्रिका’ में प्रकट हुआ|

3. बाला-बोधिनी- 1874 ई. (मासिक)- काशी से प्रकाशीत – यह स्त्री शिक्षा सें संबंधित पत्रिका मानी जाती है|

भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचनाएं

इनकी कुल रचनाओ की संख्या 175 के लगभग है-

नाट्य रचनाएं:-कुल 17 है जिनमे ‘आठ’ अनूदित एवं ‘नौ’ मौलिक नाटक है-

भारतेंदु हरिश्चंद्र के अनूदित नाटक

विद्यासुंदर- 1868 ई.- यह संस्कृत नाटक “चौर पंचाशिका” के बंगला संस्करण का हिन्दी अनुवाद है|

रत्नावली- 1868 ई.- यह संस्कृत नाटिका ‘रत्नावली’ का हिंदी अनुवाद है|

पाखंड-विडंबन- 1872 ई.- यह संस्कृत में ‘कृष्णमिश्र’ द्वारा रचित ‘प्रबोधचन्द्रोदय’ नाटक के तीसरे अंक का हिंदी अनुवाद है|

धनंजय विजय- 1873 ई.- यह संस्कृत के ‘कांचन’ कवि द्वारा रचित ‘धनंजय विजय’ नाटक का हिंदी अनुवाद है

कर्पुरमंजरी- 1875 ई.- यह ‘सट्टक’ श्रेणी का नाटक संस्कृत के ‘काचन’ कवि के नाटक का अनुवाद|

भारत जननी- 1877 ई.- इनका गीतिनाट्य है जो संस्कृत से हिंदी में अनुवादित

मुद्राराक्षस- 1878 ई.- विशाखादत्त के संस्कृत नाटक का अनुवाद है|

दुर्लभबंधु-1880 ई.- यह अग्रेजी नाटककार ‘शेक्सपियर’ के ‘मर्चेट ऑव् वेनिस’ का हिंदी अनुवाद है|

Trik :- विद्या रत्न पाकर धनंजय कपुर ने भारत मुद्रा दुर्लभ की|

मौलिक नाटक- नौ

वैदिक हिंसा हिंसा न भवति- 1873 ई.- प्रहसन – इसमे पशुबलि प्रथा का विरोध किया गया है|

सत्य हरिश्चन्द्र- 1875 ई.- असत्य पर सत्य की विजय का वर्णन|

श्री चन्द्रावली नाटिका- 1876 ई. – प्रेम भक्ति का आदर्श प्रस्तुत किया गया है|

विषस्य विषमौषधम्- 1876 ई.- भाण- यह देशी राजाओं की कुचक्रपूर्ण परिस्थिति दिखाने के लिए रचा गया था|

भारतदुर्दशा- 1880 ई.- नाट्यरासक

नीलदेवी- 1881 ई.- गीतिरूपक

अंधेर नगरी- 1881 ई.- प्रहसन (छ: दृश्य) भ्रष्ट शासन तंत्र पर व्यंग्य किया गया है|

प्रेम जोगिनी- 1875 ई.– तीर्थ स्थानों पर होनें वाले कुकृत्यों का चित्रण किया गया है|

सती प्रताप- 1883 ई.यह इनका अधुरा नाटक है बाद में ‘ राधाकृष्णदास’ ने पुरा किया|

भारतेंदु हरिश्चंद्र की काव्यात्मक रचनाएं

इनकी कुल काव्य रचना 70 मानी जाती है जिनमे कुछ प्रसिद्ध रचनाएं:-

प्रेममालिका- 1871

प्रेमसरोवर-1873

प्रेमपचासा

प्रेमफुलवारी-1875

प्रेममाधुरी-1875

प्रेमतरंग

प्रेम प्रलाप

विनय प्रेम पचासा

वर्षा- विनोद-1880

गीत गोविंदानंद

वेणु गीत -1884

मधु मुकुल

बकरी विलाप

दशरथ विलाप

फूलों का गुच्छा- 1882

प्रबोधिनी

सतसई सिंगार

उत्तरार्द्ध भक्तमाल-1877

रामलीला

दानलीला

तन्मय लीला

कार्तिक स्नान

वैशाख महात्म्य

प्रेमाश्रुवर्षण

होली

देवी छद्म लीला

रानी छद्म लीला

संस्कृत लावनी

मुंह में दिखावनी

उर्दू का स्यापा

श्री सर्वोतम स्तोत्र

नये जमाने की मुकरी

बंदरसभा

विजय-वल्लरी- 1881

रिपनाष्टक

भारत-भिक्षा- 1881

विजयिनी विजय वैजयंति- 1882

नोट- इनकी ‘प्रबोधनी’ रचना विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की प्रत्यक्ष प्रेरणा देने वाली रचना है|

‘दशरथ विलाप’ एवं ‘फूलों का गुच्छा’ रचनाओं में ब्रजभाषा के स्थान पर ‘खड़ी बोली हिंदी’ का प्रयोग हुआ है|

इनकी सभी काव्य रचनाओं को ‘भारतेंदु ग्रंथावली’ के प्रथम भाग में संकलित किया गया है|

‘देवी छद्म लीला’, ‘तन्मय लीला’ आदि में कृष्ण के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत किया गया है|

भारतेंदु हरिश्चंद्र के उपन्यास

हम्मीर हठ

सुलोचना

रामलीला

सीलावती

सावित्री चरित्र

भारतेंदु हरिश्चंद्र के निबंध

कुछ आप बीती कुछ जग बीती

सबै जाति गोपाल की

मित्रता

सूर्योदय

जयदेव

बंग भाषा की कविता

भारतेंदु हरिश्चंद्र के इतिहास ग्रंथ

कश्मीर कुसुम

बादशाह

विकिपीडिया लिंक- भारतेंदु हरिश्चंद्र

अंततः हम आशा करते हैं कि यह भारतेंदु हरिश्चंद्र की जीवनी और संपूर्ण साहित्य की जानकारी प्रतियोगी परीक्षाओं एवं हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए ज्ञानवर्धक होगी।

आदिकाल के साहित्यकार
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