विज्ञान तथा प्रकृति (Science and Nature)

विज्ञान तथा प्रकृति (Science and Nature)

विज्ञान तथा प्रकृति (Science and Nature) भौतिक विज्ञान के व्याख्याता राजमीत ‘इंसां’ द्वारा रचित प्रसिद्ध रचनाएं।

प्रकृति एक ऐसा शब्द जो मानव जीवन का आधार है, मानव जीव का पूरक है, मानव जीवन की कल्पना भी प्रकृति के बिना असंभव है। इन सब बातों को समेकित रूप में कहा जा सकता है कि मानव भी प्रकृति का ही एक अंश है या यूं कहें कि मानव भी प्रकृति ही है। अब बर्फ को भला पानी से अलग कैसे कर सकते हैं? पानी से ही बर्फ का अस्तित्व है या यूं कहें कि बर्फ भी असल में पानी ही है।

प्रकृति की परिभाषा क्या है?

अब बात आती है कि प्रकृति की परिभाषा क्या है? प्रकृति को यदि हम निहारने बैठें तो किसी भी स्थूल या सूक्ष्म को प्रकृति से अलग नहीं किया जा सकता। भले बात करें वायु की, भले जल की, भले प्रकाश, अन्न, मिट्टी की, भले पक्षियों, जीव-जंतुओं की, भले कीड़े-मकौड़ों की, भले पहाड़ों, नदियों, चट्टानों की, भले ग्रह-नक्षत्र, सूर्य, पृथ्वी, चाँद, तारों की, भले अणु-परमाणु की, भले किसी बैक्टीरिया, वायरस, जीवाणु की, ये सब प्रकृति के ही अंश है।

विज्ञान तथा प्रकृति Science and Nature
विज्ञान तथा प्रकृति Science and Nature

मेरे मतानुसार ‘‘इस ब्रह्माण्ड में हमारे चारों ओर जो भी हमें देख, सुन या महसूस कर सकते हैं तथा जो भी हम देख, सुन या महसूस नहीं भी कर सकते वह सब प्रकृति है, और हम स्वयं भी प्रकृति ही हैं।’’

अब सवाल आता है कि यह प्रकृति कहाँ से आयी, किसने बनायी, तो इसका जवाब आज तक विज्ञान को तो मिला नहीं है, परंतु हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथों, ऋषि-मुनियों ने इस प्रकृति की रचना करने वाले को परमात्मा, ईश्वर, गाॅड, खुदा, रब्ब, अदृश्य शक्ति, प्रकाश पुंज इत्यादि नामों से संबोधित किया है।

विज्ञान तथा प्रकृति Science and Nature : विज्ञान का अर्थ या परिभाषा

अब बात आती है मानव और प्रकृति के संबंध की। जैसा कि बताया जा चुका है कि मानव प्रकृति पर पूरी तरह निर्भर है। मानव की एक और बड़ी विशेषता है कि वह हमेशा अपने आसपास की चीजों, वातावरण का निरीक्षण जरूर करता है और फिर उसका अध्ययन कर उससे फायदा लेने की कोशिश करता है। मानव की इसी जिजीविषा ने ‘विज्ञान’ को जन्म दिया है। विज्ञान की एक सर्वसामान्य सी परिभाषा जो प्रचलित है, और वह सही भी है कि ‘‘प्रकृति का क्रमबद्ध, तार्किक और प्रयोगों से प्रमाणित अध्ययन ही विज्ञान है।’’

आज हम विज्ञान की बात करें तो विज्ञान का आधार अध्ययन है। मनुष्य की प्रत्येक गतिविधि जो उसके जीवन जीने को सरलता प्रदान करती है तथा आवश्यक है, विज्ञान है। एक मनुष्य सब कुछ होते हुए भी नंगे पाँव सड़क पर पैदल चल रहा है तथा दूसरे ने चप्पल पहन रखी है तो दूसरा व्यक्ति विज्ञान की समझ रखने वाला कहा जाएगा।

विज्ञान तथा प्रकृति Science and Nature :  लाभ या नुकसान

वर्तमान में विज्ञान के जितने भी आविष्कारों पर नजर दौड़ायें तो सबका आधार प्रकृति ही है, चाहे वह छोटा आविष्कार हो या बड़ा। मानव ने प्रकृति को ही समझा, प्रकृति से ही संसाधन जुटाए तथा प्रकृति के इसी अध्ययन से आविष्कार कर डाले। अब यह आविष्कार मानव को लाभ पहुंचा रहें हैं या नुकसान, यह बात हम बाद में करेंगे।

आज भले हम सुई को देखें या पानी के जहाज को, घर में लगे पंखे को या एसी को, या सड़क पर दौड़ती कार को, मोबाइल को, एक्स-रे मशीन को देखें या ओवर हैड प्रोजेक्टर को, चन्द्रयान को देखें या सोलर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों को, सब प्रकृति का ही अध्ययन है और प्रकृति से ही बने हैं।

विज्ञान तथा प्रकृति Science and Nature : विकास या विनाश

भौतिकी, रसायन, खगोलिकी, जीव विज्ञान, भूगोल आदि विज्ञान की यह सब शाखाएं प्रकृति के ही अलग-अलग रूपों का अध्ययन है। एक तरफ विज्ञान के ये आविष्कार मानव जाति को एक नया आयाम या सुविधाएं प्रदान कर रहें हैं तो दूसरी ओर विनाश का भी कारण बन रहे हैं। आविष्कार तो आविष्कार है, अब यह हमारे लिए लाभप्रद होगा या हानिकारक यह निर्भर करता है उस आविष्कारक और उसका उपयोग करने वाले मानव की प्रकृति पर। बस यहाँ भी बात प्रकृति की ही आ जाती है। नाभिकीय ऊर्जा से भले बिजली उत्पादन कर देश का विकास कर लो या फिर परमाणु बम बनाकर सृष्टि का विनाश, यह निर्भर करता है मानव प्रकृति पर।

विज्ञान ने मनुष्य जाति को बहुत कुछ दिया है और दे रही है। बेहतर हो, हम विज्ञान का उपयोग मानव जाति के कल्याण के लिए करें। विज्ञान के आविष्कारों से हम उस प्रकृति को और बेहतर बनायें जिस प्रकृति से यह विज्ञान आया है और जो प्रकृति हमारा आधार है। यह सब तभी संभव है जब हम सबकी प्रकृति सकारात्मक रहे।

राजेन्द्र सिंह,
व्याख्याता (भौतिक विज्ञान)

विज्ञान तथा प्रकृति Science and Nature

कंप्यूटर वायरस Computer virus

कंप्यूटर वायरस क्या है? What is computer virus?

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आज के समय में शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जो कम्प्यूटर या लैपटाॅप से अछूता हो? कम्प्यूटर या लैपटाॅप हार्डवेयर के अतिरिक्त यदि कोई समस्या आती है तो वह अधिकतर वायरस के कारण ही आती है।

VIRUS का पूरा नाम

सर्वप्रथम VIRUS का पूरा नाम जानते हैं- Vital Information Resources Under Siege है, जिसका हिन्दी रूपान्तरण ‘घेराबंदी के तहत महत्वपूर्ण सूचना संसाधन’ है।

वायरस एक प्रकार के कम्प्यूटर प्रोग्राम ही होते हैं जो कि कम्प्यूटर को अलग-अलग तरीकों से नुकसान पहुँचाने के लिए बनाये जाते हैं। ये किसी भी प्रकार से कम्प्यूटर प्रोग्राम में घुसकर उसे नुकसान पहुँचाकर कम्प्यूटर की कार्यविधि को प्रभावित करते हैं, वायरस कहलाते हैं। ये एक प्रकार के Electronic code होते हैं। वायरस स्वचलित प्रोग्राम (Auto Execute Program) होते हैं अर्थात् वायरस तुरंत या समय आने पर अपने को क्रियान्वित (Activate) कर लेते हैं।

कंप्यूटर वायरस Computer virus
कंप्यूटर वायरस Computer virus

वायरस का इतिहास एवं दुनिया का पहला वायरस

VIRUS शब्द का प्रयोग सबसे पहले कैलिफाॅर्निया विश्वविद्यालय में पढने वाले विद्यार्थी फ्रेडरिक बी. कोहेन ने अपने एक शोध पत्र में किया था, जिसमें बताया गया था कि एक ऐसा प्रोग्राम कैसे तैयार किया जाए जो कम्प्यूटर में घुसकर उसे नुकसान पहुँचाए तथा कम्प्यूटर पर आक्रमण करके उसकी कार्यप्रणाली को बुरी तरह प्रभावित करे। हालाँकि लोगों ने इस बात को सहजता से स्वीकार नहीं किया कि ऐसा कोई कम्प्यूटर प्रोग्राम हो सकता है। फ्रेडरिक बी. कोहेन ने एक छोटे कार्यक्रम को एक प्रयोग के रूप में लिखा, जो कंप्यूटरों को संक्रमित कर सकता था, खुद की प्रतियां बना सकता था और एक मशीन से दूसरी मशीन में फैल सकता था। यह एक बड़े, वैध कार्यक्रम के अंदर छिपा हुआ था, जिसे एक फ्लॉपी डिस्क पर कंप्यूटर में लोड किया गया था।

Search engine क्या है?

कम्प्यूटर वायरस की शुरूआत हुई तो गणितज्ञ जाॅन वाॅन न्यूमैन ने 1949 में एक सेल्फ रीप्लीकेटिंग प्रोग्राम बनाया, जिसे पहला वायरस माना जाता है। यह कम्प्यूटर में अपने आप बढता चला जाता था।

क्रीपर

1970 में इसी सेल्फ रीप्लीकेटिंग प्रोग्राम का उपयोग करके बाॅब थाॅमस ने सबसे पहला वायरस क्रीपर बनाया था जो अरपानेट (ARPANET) पर खोजा गया, जो 1970 के दशक की शुरुआत में इंटरनेट से पहले आया था। यह टेनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा फैला और यह कंप्यूटर को नियंत्रित और संक्रमित करने के लिए किसी भी जुड़े मॉडम का उपयोग कर सकता था। यह संदेश प्रदर्शित कर सकता है कि ‘मैं क्रीपर हूँ, यदि पकड़ सकते हो तो मुझे पकडो’ (I Am The Creeper, Catch Me If You Can)

इस मैसेज को डिलीट करने के लिए रीपर प्रोग्राम बनाया गया। शुरू-शुरू में वायरस को खोजना इतना आसान नहीं था, क्योंकि लोगों को 1980 के दशक तक तो इसके बारे में पता ही नहीं था।

1982 में नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले Richard Skrenta ने elk cloner वायरस अपने दोस्तों के साथ मजाक करने के लिए बनाया था। Richard Skrenta ने अपने Apple टू कंप्यूटर में कंप्यूटर पर कोड लिखा और गेम के फ्लॉपी डिस्क के जरिए वायरस को फैलाया जब कोई Richard Skrenta का दोस्त इस को 85 बार ओपन करता तो यह वायरस एक्टिवेट हो जाता था।

C Brain

आधुनिक वायरस में C Brain नाम का पहला वायरस माना जाता है, जो पूरी दुनिया में व्यापक स्तर पर फैला था। इस Virus को एक समाचार का रूप मिला था, क्योंकि इस Virus में वायरस बनाने वाले का नाम, पता तथा इसका विशेषाधिकार वर्ष (1986) मौजूद था। इस वायरस को पाकिस्तान के लाहौर में बनाया गया था। इस वायरस को दो भाइयों ने मिलकर IBM के लि बनाया था। जिनके नाम अमजद फारूक अल्वी और बासित फारूक अल्वी थे।

बाद में लोगों से पता चला कि उन्होंने यह वायरस अपने मेडिकल सॉफ्टवेयर को पायरेसी से बचाने के लिए बनाया था। जब कोई भी अवैध तरीके से इस सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करता था तो उनको एक चेतावनी दिखाई देती थी और वह मैसेज के साथ दिखाई देती थी। उस मैसेज में उसका फोन नंबर भी दिखाई देता था। फिर लोग जब भी इस Virus का शिकार होते थे तो उस स्क्रीन के ऊपर दिखाए गए फोन नंबर के ऊपर फोन करके बात करते थे और अपनी दिक्कत के बारे में बताते थे और इस समस्या का समाधान पाते थे।

फोन कॉल से बासित और अमजद को पता चल जाता कि इस सॉफ्टवेयर का उपयोग दुनिया में कहां पर हो रहा है यह वायरस कंप्यूटर के बूट सेक्टर प्रभावित करता कंप्यूटर को स्लो भी कर देता। यह वायरस कंप्यूटर के फ्लॉपी बूट सेक्टर को एक वायरस कॉपी से रिप्लेस कर देता था। Actual boot sector को किसी गलत जगह पर रख देता था। इस वायरस से प्रभावित डिस्क में लगभग 5 किलोबाइट्स बाद सेक्टर होता था। इस वायरस के कारण डिस्क का लेबल C Brain हो जाता था और कुछ अनचाहे मैसेज आने लगते थे। यह वायरस फ्लॉपी डिस्क को काफी धीमा कर देता था और DOS का लगभग सात किलोबाइट्स मेमोरी को हटा देता था।

शांति वायरस

1988 के प्रारम्भ में मैकिन्टोश शांति वायरस आया। यह वायरस एक पत्रिका मैकमैग (MacMag) के प्रकाशक रिचर्ड ब्रेनड्रा (Richard Brando) की ओर से था। इस वायरस को मैकिन्टोश आपरेटिंग सिस्टम को बाधित करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था। 2 मार्च 1988 को एक सन्देश स्क्रीन पर आया, वह संदेश था- ‘‘रिचर्ड ब्रेनडा मैकमैग के प्रकाशक तथा इसके कर्मचारी दुनिया के लिए समस्त मैकिन्टोश प्रयोक्ताओ को विश्व शांति का सन्देश देना चाहते है।’’

 

वायरस फैलने के कारण या वायरस कैसे फैलता है?

वर्तमान में इंटरनेट के बढते प्रभाव के कारण जहाँ पर हमें अकल्पनीय लाभ हो रहें हैं वहीं इंटरनेट के कारण बहुत से वायरस भी पनप रहें हैं। अनजान ई-मेल लिंक से अटैच फाइलों के कारण वायरस फैलते जाते हैं। virus कुछ websites के link, advertisement, image placement, video के साथ attached रहते है। वेबसाइट की इन सामग्री पर click करने से malicious code आपके computer या मोबाइल पर automatically download हो जाता है, इसके अलावा यह आपको किसी malicious website पर भी भेज सकता है। वायरस फैलने के कई कारण हैं, जैसे-

  • Internet चलाते समय असावधानी के कारण।
  • सिस्टम में Antivirus का न होना या एंटीवायरस का आउटडेटेड हो जाना।
  • अप्रमाणित लिंक या पोर्न वेबसाइट चलाने से।
  • फ्री में लाभ देने वाले लिंक पर क्लिक करने से।
  • कोई भी पैन ड्राइव को बिना स्कैन किये उपयोग करने से।
  • अनजान E-mail Open करने से, खासतौर पर स्पैम।
  • फ्री में गेम या मूवी Download करने या देखने वाले लिंक पर क्लिक करने से।
  • कोई भी ऐसी फाइल डाउनलोड करने से जिसमें वायरस मौजूद हो, हालांकि इसका पता नहीं चलता है।
  • मोबाइल या अन्य स्टोरेज डिवाइस को बिना स्कैन किये System में Open करने से।

 

वायरस के लक्षण अथवा कम्प्यूटर पर पड़ने वाले प्रभाव : कंप्यूटर वायरस Computer virus

वायरस के कारण Computer System बुरी तरह प्रभावित होता है। इससे बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है। कम्प्यूटर सिस्टम को हानि पहुंचाने वाला वायरस Malware होता है, जो सिस्टम में आ जाये तो इसे Delete करना फाफी मुश्किल हो जाता है। नीचे बताई गई बातों में से यदि एक-दो या अधिक बातें आपको लगती है कि सिस्टम में हो गई हैं तो आपको समझ जाना चाहिए कि ये सब वायरस के कारण हो रहा है। वायरस किस प्रकार सिस्टम को प्रभावित करता है? ये लक्षण निम्नलिखित है-

  • कम्प्यूटर को Hang कर देना।
  • कम्प्यूटर की Speed कम कर देना।
  • सिस्टम का Crash हो जाना।
  • कम्प्यूटर की सूचनाएं Delete कर देना।
  • सिस्टम को Shutdown करते समय समस्या आना।
  • हार्ड डिस्क या अन्य अटैच होने वाले Storage Device को Format कर देना।
  • Booting System अर्थात् कम्प्यूटर के स्टार्ट होने की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर देना।
  • अनचाहे विज्ञापन (Advertisement) दिखाना।
  • अनचाहे फाइल अथवा फोल्डर बनाना।
  • फाइलों को क्रियान्वित (Execute) न होने देना।
  • फाइलों के आकार में परिवर्तन कर देना।
  • स्क्रीन पर बेकार की सूचनाएं देना।
  • फाइलों के Data को नष्ट करना या बदल देना।
  • फाइल के Path में परिवर्तन कर देना।
  • की-बोर्ड के Keys का कार्य बदल देना।

 

वायरस के प्रकार (Types of Virus) : कंप्यूटर वायरस Computer virus

  1. Web scripting virus-

    इस प्रकार के वायरस सबसे प्रचलित है। यह virus कुछ websites के link, advertisement, image placement, video के साथ attached रहते है। वेबसाइट की इन सामग्री पर click करने से malicious code आपके computer या मोबाइल पर automatically download हो जाता है। इसके अलावा यह आपको किसी malicious website पर भी भेज सकता है। इस प्रकार के computer virus उन वेबसाइटों पर पाये जाते है, जिनका उपयोग social networking उद्देश्यों के लिए किया जा रहा हो।

  2. Network virus-

    नेटवर्क वायरस internet और स्थानीय नेटवर्क क्षेत्र (LAN) के माध्यम से फैलता है. इस प्रकार के वायरस network की performance को कम करने की क्षमता रखते है।

  3. Encrypted virus-

    encrypted malicious code का उपयोग करने के कारण इसे Detect करना एंटीवायरस के लिए भी कठिन होता है।

  4. Browser Hijacker Virus–

    वर्तमान समय में यह बहुत तेज गति से फैलने वाला वायरस है। यह गेम, वेबसाइट या फाइल आदि के माध्यम से सिस्टम में प्रवेश करके फाइलों की गति को अपने नियंत्रण में कर लेता है और उनकी गति कम कर देता है। फलस्वरूप फाइलें धीरे-धीरे नष्ट भी हो जाती है।

  5. Maltipartite virus-

    यह computer virus सबसे तेजी से फैलने वाला वायरस माना जाता है। अधिकांश virus या तो boot sector, system या program files को infect करते है, परन्तु यह वायरस एक ही समय मे बूट सेक्टर और प्रोग्राम फाइलों दोनों को प्रभावित कर सकता है।

  6. Resident Virus–

    यह वायरस कम्प्यूटर को अपडेट नहीं होने देता तथा सिस्टम को शटडाउन करने में समस्या पैदा करता है। काॅपी-पेस्ट करने में भी समस्या उत्पन्न करता है।

  7. Overwrite Virus-

    यह वायरस असली डेटा को नष्ट करके एक इन्फेक्टेड फाइल बना देता है।

  8. Direct Action Virus–

    यह वायरस कम्प्यूटर में उपस्थित सभी फाइल एवं फोल्डर को डिलीट कर देता है।

  9. File Infectors–

    यह वायरस रनिंग फाइल को प्रभावित करता है और उसे नष्ट कर देता है। इसे बहुत ही खतरनाक वायरस माना जाता है।

  10. Boot Virus–

    यह वायरस हार्ड डिस्क तथा फ्लाॅपी को क्षतिग्रस्त करता है एवं इनको चलने नहीं देता है।

  11. Directory Virus–

    यह वायरस फाइलों के की लोकेशन या पाथ को उल्टफेर कर देता है जिससे कोई भी फाइल या फोल्डर किसी भी फाइल या फोल्डर में चले जाते हैं।

वायरस से कैसे बचें?

आपने जाना कि वायरस क्या है और इसके लक्षण एवं कारण क्या हैं? इससे यह स्पष्ट हो गया कि वायरस हानि पहुंचाते ही हैं तो जो यूजर है उसे यह भी पता होना चाहिए कि वायरस से कैसे बचें?
निम्नलिखित तरीकों से हम वायरस से बच सकते हैं-

  1. सिस्टम में Antivirus रखना चाहिए। उसे भी प्रोग्राम के निर्देशानुसार Update करना चाहिए।
  2. Operating System को समयानुसार अपडेट करना चाहिए।
  3. पैन ड्राईव या अन्य स्टोरेज डिवाइस से डेटा लेने से पहले उन्हें स्कैन अवश्य कर लें।
  4. संदिग्ध (Suspicious) वेबसाइट पर कभी न जाएं।
  5. Malware स्कैनर का हमेशा प्रयोग करना चाहिए।
  6. विण्डोज का Firewall हमेशा On रखें।
  7. मैलीसियस प्रोग्राम को जानकारी रखनी चाहिए।
  8. Free या Offer देने वाली वेबसाइटों से कभी भी कुछ भी न डाउनलोड करें।
  9. महत्त्वपूर्ण डेटा का Backup लेते रहें ताकि डेटा सुरक्षित रहे।
  10. अनचाहे ई-मेल के अटैचमेंट पर कभी क्लिक न करें।
  11. किसी फाइल में वायरस हो तो ऐसी फाइल को शेयर करने से पहले स्कैन अवश्य करें।

 

कुछ प्रकार के एंटीवायरस : कंप्यूटर वायरस Computer virus

  • Norton
  • Avg antivirus
  • Quick Heal
  • Avast
  • Kaspersky internet security
  • BitDefender
  • McAfee
  • Guardian total security
  • K7 antivirus
  • Avira

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अतः हमें आशा है कि आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। इस प्रकार जी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://thehindipage.com पर Visit करते रहें।

COVID-19 and False Negative

COVID-19 and False Negative

COVID-19 and False Negative क्या है, के इंक्यूबेशन पीरियड, False Negative के कारण, False Negative के प्रभाव, False Negative के उपाय सावधानियां

COVID-19 क्या है?

वर्ष 2019 के अंतिम महीनों में चीन में एक नयेवायरस का पता चला

जिसके कारण चीन में अनेक लोग बीमार पड़े और कई सारे मौत की गोद में समा गये 2020 की शुरुआत में वायरस ने चीन में एक महामारी का रूप ले लिया

कुछ ही दिनों में विश्व के 200 से अधिक देशों में फैल गया यह कोरोनावायरस ही मनुष्य को कोविड-19 नामक बीमारी देता है

WHO के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या 19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष ) को चिह्नित करता है।

वायरस का पहला हमला गले की कोशिकाओं पर होता है

इसके बाद वह श्वास नली और फेफड़ों पर हमला करता है और अपनी संख्या तेजी से बढ़ता है।

अधिकांश लोगों में बीमारी के जो लक्षण दिखाई देते हैं

अभी बुखार खांसी बदन दर्द गले में खराश और सिरदर्द आदि होते हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर

88 प्रतिशत में बुखार,

68 प्रतिशत में खांसी,

38 प्रतिशत में थकान,

18 प्रतिशत में सांस लेने में तकलीफ,

14 प्रतिशत में बदन दर्द और सिरदर्द

11 प्रतिशत में ठंड लगना और 4 प्रतिशत में डायरिया के लक्षण दिखते हैं।

इंक्यूबेशन पीरियड

शरीर जब किसी वायरस के संपर्क में आता है तो तुरंत बीमारी के लक्षण दिखाई दे जाए ऐसा जरूरी नहीं है बीमारी के लक्षण दिखने में कुछ समय लगता है

अलग-अलग बीमारियों में यह समय सीमा अलग अलग होती है।

कोरोना के मामले में यह अवधि 14 दिन की है

अतः जो समय किसी बीमारी के लक्षण दिखने में लगता है उसे इंक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है

इनकी इंक्यूबेशन पीरियड के दौरान भी संक्रमित व्यक्ति किसी को भी संक्रमित कर सकता है।

False Negative क्या है?

जिस प्रकार इंक्यूबेशन पीरियड के अंतर्गत COVID 19 के लक्षण देखने में समय लगता है

और अलग-अलग व्यक्ति में यह समय सीमा अलग अलग होती है,

उसी प्रकार इस तथ्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि

जिस व्यक्ति के पहले परीक्षण में वायरस से संक्रमित होने के बाद भी किन्ही कारणों से परीक्षण में संक्रमित होने की पुष्टि नहीं होती है अर्थात टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आ सकती है इसी स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में फॉल्स नेगेटिव कहा जाता है ऐसा व्यक्ति भी संक्रमण फैला सकता है।

False Negative के कारण

फॉल्स नेगेटिव परिणाम के कई कारण हो सकते हैं

जैसे परीक्षण के लिए जो नमूने लिए गए थे वे सही तरीके से नए लिए गए हो नमूने सही लिए गए हों

परंतु परीक्षण सही तरीके से ने किया गया हो अथवा न हो पाया हो।

परीक्षण के लिए नमूना शरीर के जिस अंग से लिया गया हो उस समय वहां वायरस मौजूद ही नहीं हो

जैसे संक्रमण फेफड़ों में हो तथा नमूना नाक से लिया जाए तो संभव है कि परीक्षण का परिणाम नकारात्मक आये।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कोई भी लैब टेस्ट शत प्रतिशत सही नहीं हो सकता है।

कई अध्ययनों के अनुसार परीक्षण हेतु दिए गए प्रारंभिक नमूने सदैव सटीक परीक्षण प्रदान करने के लिए पर्याप्त आनुवंशिक पदार्थ एकत्र नहीं कर सकता

यह समस्या उन रोगियों के साथ होने की संभावना अधिक रहती है जिनमें परीक्षण के समय कोई लक्षण नहीं होता है।

फोन सेटिंग का एक कारण परीक्षा किट का दोषपूर्ण होना भी हो सकता है जिसके कारण परिणाम प्रभावित हो सकते हैं

जैसे भारत में कुछ राज्यों की शिकायत के बाद आई सी एम आर की जांच में 50 प्रतिशत टेस्ट किट को अमानक स्वीकार किया गया है।

परीक्षण करने वाला कितना प्रशिक्षित है तथा परीक्षण के दौरान गाइडलाइन का कितना पालन हुआ है जांच का परिणाम इस पर भी निर्भर करता है।

सैंपल लैब तक पहुंचने में लगने वाला समय परीक्षण के  परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

False Negative का प्रभाव

फॉल्स नेगेटिव COVID 19 महामारी के संक्रमण का बहुत बड़ा वाहक है।

विशेषज्ञों के अनुसार लगभग 30 प्रतिशत लोग फॉल्स नेगेटिव के शिकार हो सकते हैं

और यह आंकड़ा इससे अधिक भी हो सकता है दुर्भाग्यवश हमारे पास इस संदर्भ में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं है।

फॉल्स नेगेटिव के कारण संक्रमित व्यक्ति निश्चिंत हो जाता है

और लोगों से संपर्क करता रहता है जिससे संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

फॉल्स नेगेटिव परिणाम के कारण इस वैश्विक महामारी से लड़ने की चुनौती कड़ी होती जा रही है।

False Negative सावधानियां और उपाय

फॉल्स नेगेटिव परिणाम के कारण उत्पन्न विकट परिस्थिति से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि नेगेटिव परिणाम के बावजूद रोगी से दूरी बनाए रखी जाए और समय-समय पर अगली जांच हो।

फॉल्स नेगेटिव के संबंध में अधिकाधिक शोध हों।

स्वास्थ्य कर्मियों को और अधिक प्रशिक्षण दिया जाए।

सैम्पल को लैब तक पहुंचाने का उचित प्रबंध हो।

नमूने लेने में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं की जाए कोशिश की जाएगी जो अंग संक्रमित हैं वहीं से नमूना लिया जाए।

जांच के उपकरण और किट विश्वसनीय होनी चाहिए।

कोविड-19 वैश्विक महामारी से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पुलिस कर्मियों तथा अन्य कार्मिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि आने वाले चुनौतीपूर्ण समय मे सारी व्यवस्थाएँ सुचारू रूप से चलायी जा सकें।

कोविड-19 वैश्विक महामारी का सामना करने के लिए आने वाले समय में अधिक संसाधनों की आवश्यकता होगी

इसलिए सरकार को चाहिए कि वह सभी प्रकार के संसाधनों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करे।

स्रोत WHO, बी बी सी हिंदी, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर, अमर उजाला

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