Search Engine सर्च इंजन

Search Engine सर्च इंजन

सर्च इंजन ( Search Engine ) क्या है?, सर्च इंजन कितने प्रकार के हैं?, इंटरनेट का पहला सर्च इंजन कौनसा है?, सर्च इंजन के उपयोग, भारतीय सर्च इंजन के नाम एवं सर्च इंजन की लिस्ट आदि

Search Engine क्या है? यह कैसे कार्य करता है?

हमारे मन में कोई भी प्रश्न उठता है तो हम उसे Internet पर तुरंत खोजते हैं और Internet पर हमें बहुत उत्तर मिलते हैं। Internet सूचनाओं का एक महासागर है जिसका कोई ओर-छोर नहीं है और ये सूचनाएं सीमित नहीं हैं, बल्कि प्रतिदिन इन सूचनाओं में वृद्धि होती रहती है, इसी कारण हम Internet पर किसी भी Topic के बारे में Search करते है और हजारों लाखों सूचनाएं हमें पलक झपकते ही मिल जाती हैं। यहाँ पर कई प्रश्न उत्पन्न होते हैं-

यह कैसे संभव है?

हम मनोवांछित जानकारी Internet से कैसे प्राप्त कर लेते है?

Internet कैसे सूचनाएं हमारे सामने प्रस्तुत कर देता है?

इतनी सारी सूचनाओं में से Internet हमारे द्वारा चाही गई सूचना को ही कैसे हमारे सामने ला देता है?

इस प्रश्न के उत्तर में भी हमें कई प्रश्न मिलते हैं।

इन सभी कार्यों को करता है- Search engine.

ये Search Engine क्या है?

इसका क्या कार्य है?

यह कैसे कार्य करता है?

इस प्रकार के कई प्रश्नों जानकारी आपको मिलने वाली है।

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Search Engine एक ऐसा Software Program होता है जो User (यूजर) द्वारा चाही गई सूचनाओं को Phrase (वाक्यांश) या Key-word की सहायता से Internet से खोज निकालता है, और इससे संबंधित सभी रिजल्ट की सूचियां हमारे सामने प्रदर्शित कर देता है। ये सूचना किसी भी प्रकार की हो सकती है, जैसे- वीडियो, आडियो, इमेज, डाॅक्यूमेंट आदि। Search Engine सूचनाओं के डेटाबेस के आधार पर एल्गोरिदम (Algorithm) तैयार करता है फिर हमें सूचना देता है।

Search Engine सभी सूचनाओं में से सबसे अच्छी जानकारी सबसे पहले दर्शाता है, फिर उससे कम वाली सूचना, इस प्रकार यह क्रम चलता है। हमारे द्वारा पूछे गए एक प्रश्न पर हजारों लाखों सूचनाओं का संग्रह Search Engine हमें प्राप्त करवाता है।

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया के अनुसार Search Engine की परिभाषा-

वेब खोजी इंजन (Web Search Engine) वह सॉफ्टवेयर है जो विश्वव्यापी जाल (World Wide Web) पर संग्रहित सूचनाओं को खोजने के काम आता है। खोज के परिणामस्वरूप ये Search Engine वांछित सूचना से सम्बन्धित वेब पेज, छवियाँ, तथा अन्य प्रकार की फाइलें प्रस्तुत करते हैं। कुछ वेब खोजी इंजन डेटाबेस तथा खुली डायरेक्टरी में उपलब्ध आँकडे भी प्रस्तुत करते हैं।

A web search engine or Internet search engine is a software system that is designed to carry out web search (Internet search), which means to search the World Wide Web in a systematic way for particular information specified in a textual web search query. The search results are generally presented in a line of results, often referred to as search engine results pages (SERPs). The information may be a mix of links to web pages, images, videos, info-graphics, articles, research papers, and other types of files. Some search engines also mine data available in databases or open directories. Unlike web directories, which are maintained only by human editors, search engines also maintain real-time information by running an algorithm on a web crawler. Internet content that is not capable of being searched by a web search engine is generally described as the deep web.

एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार Search Engine की परिभाषा-

Search engine, कंप्यूटर प्रोग्राम सूचनाओं के संग्रह में प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए, जो एक लाइब्रेरी कैटलॉग या डेटाबेस हो सकता है, लेकिन आमतौर पर वर्ल्ड वाइड वेब है। एक web search engine ‘पेज’ की एक सूची तैयार करता है। वेब पर सूचीबद्ध फाइलें, जिसमें क्वेरी में शब्द होते हैं। अधिकांश खोज इंजन उपयोगकर्ता को प्रश्नों को परिष्कृत करने के लिए और, या नहीं के साथ जुड़ने की अनुमति देते हैं। वे विशेष रूप से छवियों, वीडियो या समाचार लेखों या वेब साइटों के नामों के लिए भी खोज सकते हैं।

Search engine, computer program to find answers to queries in a collection of information, which might be a library catalog or a database but is most commonly the World Wide Web- A Web search engine produces a list of pages, computer files listed on the Web, that contain the terms in a query- Most search engines allow the user to join terms with and, or, and not to refine queries. They may also search specifically for images, videos, or news articles or for names of Web sites.

सर्च इंजन कार्य कैसे करता है?

सर्च इंजिन दो तरीकों से सर्च करता है-

1. कीवर्ड सर्च (Key-word Search)

हमें जो सूचना चाहिए उससे संबंधित शब्द या शब्द समूह (Phrase) को Search Engine में टाईप करते हैं तो उसके Database के आधार पर रिजल्ट अर्थात् साईट, वेबपेज आदि की सूची प्रदर्शित कर देता है। Key-word search में google सर्वाधिक उपयोग किया जाता है।

2. डायरेक्टरी सर्च (Directory Search)

इसमें चाही गई सूचना को डायरेक्टरी-सब डायरेक्टरी-विषय-टाॅपिक आदि प्रकार से सर्च करते हैं। याहू इस सर्च के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

कुछ प्रमुख Search Engine

List of Search Engines In the World-

सर्च इंजिन Search Engine
सर्च इंजिन Search Engine

Google

Google search engine दुनिया का सबसे अच्छा search engine है

और यह गूगल के सबसे लोकप्रिय उत्पादों में से एक है।

लगभग 70 प्रतिशत सर्च इंजन बाजार का अधिग्रहण गूगल द्वारा किया गया है।

गूगल उपयोगकर्ता को सर्वोत्तम परिणाम प्रदान करने के लिए खोज इंजन एल्गोरिदम में सुधार कर रहा है।

Bing

गूगल के लिए Bing, Microsoft का विकल्प है और इसे 2009 में लॉन्च किया गया था।

Bing Microsoft के वेब ब्राउजर में डिफॉल्ट Search engine है।

बिंग में, वे इसे बेहतर खोज इंजन बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं, लेकिन Google से प्रतियोगिता करने के लिए इसे एक लंबा रास्ता तय करना है।

Microsoft का Search engine नक्शे के साथ-साथ छवि, वेब और वीडियो खोज सहित विभिन्न सेवाएँ प्रदान करता है।

Yahoo

Yahoo और Bing, google के साथ एक दूसरे के साथ अधिक प्रतिस्पर्धा करते हैं।

Baidu

Baidu चीन में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला Search engine है

और जनवरी, 2000 में चीनी उद्यमी, एरिक जू द्वारा स्थापित किया गया था।

यह वेब खोज वेबसाइट, ऑडियो फाइलों और छवियों के लिए परिणाम देने के लिए बनाई गई है।

यह नक्शे, समाचार, क्लाउड स्टोरेज और बहुत कुछ सहित कुछ अन्य सेवाएं प्रदान करता है।

Yandex

1997 में लॉन्च किया गया, Yandex रूस में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला Search engine है।

Yandex की यूक्रेन, कजाकिस्तान, बेलारूस और तुर्की में भी अच्छी मौजूदगी है।

DuckDuckGo

DuckDuckGo एक लोकप्रिय Search engine है जो उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता की रक्षा करने के लिए जाना जाता है।

Ask.com के विपरीत, वे खोज परिणामों को उत्पन्न करने के लिए उपयोग करने वाले लोगों के बारे में काफी खुले हैं,

उन्होंने Yahoo, Bing और युमली के साथ भागीदारी की है।

इसकी स्थापना 2008 में कैलिफोर्निया में गेब्रियल वेनबर्ग द्वारा की गई थी

और इसका राजस्व याहू-बिंग खोज गठबंधन नेटवर्क और सहयोगी कंपनियों से आता है।

Ask.com

1995 में स्थापित, Ask.com, जिसे पहले आस्क जीव्स के रूप में जाना जाता था।

उनकी मुख्य अवधारणा एक सरल प्रश्न-उत्तर web प्रारूप के आधार पर खोज परिणाम देना था।

यह एक प्रश्न और उत्तर समुदाय है जहां आप अपने प्रश्न के उत्तर प्राप्त कर सकते हैं

और यह आपके प्रश्न का उत्तर देने के लिए बड़ी मात्रा में संग्रह Data को एकीकृत करता है।

AOL.com

AOL.com भी शीर्ष Search engines में से एक है।

ये वे लोग हैं जो अपने Browser और Modem Software को स्थापित करने के लिए अपने PC पर लोड करने के लिए सीडी का उपयोग करते थे।

इसे 1983 में कंट्रोल वीडियो कॉर्पोरेशन के रूप में वापस शुरू किया गया था।

इसे 1991 में अमेरिका ऑनलाइन और 2009 में AOLink के रूप में नामित किया गया था।

AOL एक वैश्विक जन मीडिया कंपनी है जो न्यूयॉर्क में स्थित है।

Lycos

Lycos की Search engine उद्योग में अच्छी प्रतिष्ठा है।

इसके प्रमुख क्षेत्र ईमेल, वेब होस्टिंग, सोशल नेटवर्किंग और मनोरंजन वेबसाइट हैं।

WolframAlpha

WolframAlpha एक कम्प्यूटेशनल ज्ञान Search engine है जो खोज परिणामों के रूप में दस्तावेजों या वेब पेजों की सूची नहीं देता है।

परिणाम उस Query के बारे में तथ्यों और Data पर आधारित होते हैं।

उनका मिशन वक्तव्य सभी व्यवस्थित ज्ञान को कम्प्यूटेबल और व्यापक रूप से सुलभ बनाना है।

Internet Archive

 Internet Archive एक अमेरिकी Digital Library है जिसमें ‘‘सभी ज्ञान तक सार्वभौमिक पहुंच’’ के मिशन के साथ है।

यह वेबसाइट, सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन, गेम्स, संगीत, मूवी, वीडियो, मूविंग इमेज और लाखों पुस्तकों सहित डिजीटल सामग्रियों के संग्रह के लिए मुफ्त सार्वजनिक उपयोग प्रदान करता है।

Chacha.com

Chacha.com एक मानव-निर्देशित खोज इंजन है और 2006 में इसकी स्थापना की गई थी।

दिसंबर 2016 में घटते विज्ञापन के कारण चचा बंद हो गया।

उपर्युक्त जानकारी प्राप्त करने के बाद अंत में यह भी प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि

दुनिया का First Search Engine कौनसा था? कब बना? आदि।

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दुनिया के First Search Engine का नाम Google नहीं बल्कि Archie (आर्ची) था।

जब Archie बना था तो Google अस्तित्व में भी नहीं आया था।

दुनिया के First Search Engine Archie को Alan Emtage ने गूगल से 6 साल पहले यानि 10 सितंबर 1990 को ही बना लिया था।

Alan Emtage का जन्म 27 नवंबर 1964 को हुआ था।

ये मांट्रियल, क्यूबेक (कनाडा) के McGill University में कम्प्यूटर सांइस के विद्यार्थी थे।

इसकी कार्यविधि public File Transfer Protocol (FTP) archives को Index करके बनाई गई थी।

इसी आधार पर बाद में गूगल और याहू जैसे Search Engine लोकप्रिय हुए।

अतः हमें आशा है कि आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। इस प्रकार जी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://thehindipage.com पर Visit करते रहें।

आदिकाल के प्रमुख कवि

आदिकाल के प्रमुख लेखक, कवि एवं साहित्यकार

आदिकाल लेखक कवि साहित्यकार : आदिकाल के प्रमुख लेखक, आदिकाल के प्रमुख कवि एवं आदिकाल के प्रमुख साहित्यकारों की सूचीबद्ध संपूर्ण जानकारी-

सिद्ध सरहपा

गोरखनाथ 

स्वयम्भू

महाकवि पुष्पदंत

महाकवि चंदबरदाई

विद्यापति

अमीर खुसरो

 

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इन्हें भी अवश्य पढ़िए- भाषा और व्याकरण         संज्ञा     सर्वनाम     विशेषण     क्रिया        क्रियाविशेषण       सम्बन्धबोधक अव्यय        समुच्चय बोधक अव्यय        विस्मयादिबोधक अव्यय       व्यंजन संधि

राष्ट्रीय महिला आयोग

राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission)

राष्ट्रीय महिला आयोग का इतिहास, गठन, अध्यक्ष, सदस्य, पदावधि, सेवा की शर्तें, वेतन-भत्ते, रिक्तियां, समितियां, कृत्य एवं नियम बनाने की शक्तियां आदि का विस्तृत विवरण

यत्रनार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।

मनुस्मृति ३/५६ ।।

  • जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ नारी की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है, वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
  • नारी के प्रति सम्मान की भावना युगो युगो से भारतीय संस्कृति में विद्यमान है परंतु आधुनिकता की चकाचौंध में नारी के सम्मान को भूल गए महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं वैश्विक प्रस्थिति को उचित दिशा एवं दशा देने हेतु संसद 1990 में महिलाओं का राष्ट्रीय आयोग अधिनियम पारित किया ।
  • इस अधिनियम को राष्ट्र की सम्मति 30 अगस्त को प्राप्त हुयी थी।
  • अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार 31 जनवरी 1992 को राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना हुई।
  • राष्ट्रीय महिला आयोग का प्रमुख उद्देश्य महिलाओं के सांविधानिक एवं कानूनी संरक्षण में सुधार, कानूनी उपचार का प्रबन्ध, कल्याणकारी सुविधाएँ प्रदान करना तथा महिलाओं को प्रभावित करने वाली सभी सरकारी नीतियों में सरकार को सुझाव देना है ।

राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अध्याय 2 की धारा 3 के अनुसार राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन-

  • (I) केन्द्रीय सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग के नाम में बात एक निकाय का गठन करेगी जो इस अधिनियम के अधीन उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग और समनुदिष्ट कृत्या का पालन करेगा।
  • (2) यह आयोग निम्नलिखित से मिलकर बनेगा-

(क) केन्द्रीय सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट एक अध्यक्ष, जो महिलाओं के हित के लिए समर्पित हो;

(ख) केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐसे योग्य, सत्यनिष्ठ और प्रतिनिष्ठित व्यक्तियों में से नामनिर्दिष्ट पाँच सदस्य जिन्हें विधि या विधान, व्यवसाय संघ आंदोलन, महिलाओं की नियोजन सम्भाव्यताओं की वृद्धि के लिए समर्पित उद्योग या संगठन के प्रबंध, स्वैच्छिक महिला संगठन (जिनके अंतर्गत महिला कार्यकर्ता भी है), प्रशासन, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा या सामाजिक कल्याण का अनुभव है:परन्तु उनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों में से प्रत्येक का कम से कम एक सदस्य होगा;

(ग) केन्द्रीय सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट एक सदस्य-सचिव जो- (i) प्रबंध, संगठनात्मक संरचना व सामाजिक आदोलन के क्षेत्र में विशेषज्ञ है, या

  • (ii) ऐसा अधिकारी है जो संघ की सिविल सेवा का या अखिल भारतीय सेवा का मदस्य है अथवा संप के अधीन कोई सिविल पद धारण करता है और जिसके पास समुचित अनुभव है।

राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अध्याय 2 की धारा 4 के अनुसारराष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की पदावधि और सेवा की शर्तें-

  • (1) अध्यक्ष और प्रत्येक सदस्य तीन वर्ष से अनधिक ऐसी अवधि के लिए पद धारण करेगा जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे।
  • (2) अध्यक्ष या कोई सदस्य (ऐसे सदस्य -सचिव से भिन्न जो संघ की सिविल सेवा का या अखिल भारतीय सेवा का सदस्य हैं अथवा संघ के अधीन कोई सिविल पद धारण करता है।) केन्द्रीय सरकार को संबोधित लेख द्वारा किसी भी समय, यथास्थिति, अध्यक्ष या सदस्य का पद त्याग सकेगा।
  • (3) केन्द्रीय सरकार, किसी व्यक्ति कोउपधारा (2) में निर्दिष्ट अध्यक्ष या सदस्य के पद से हटा देगी यदि वह-

(क) पूर्णतया दिवालिया हो जाता है:

(ख) ऐसे किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया जायेऔर कारावास सेदण्डित किया जाता है जिसमें केन्द्रीय सरकार की राय में नैतिक पतन वाला हो।

(ग) विकृतचित्त का हो जाता है और सक्षम न्यायालय की ऐसी घोषणा विद्यमान है।

(घ) कार्य करने से इंकार करता है या कार्य करने में असमर्थ हो जाता है।

(ङ) आयोग में अनुपस्थित रहने की इजाजत लिए बिना आयोग के लगातार तीन अधिवशनों में अनुपस्थित रहताहै या

(च) केन्द्रीय सरकार की राय में, उसने अध्यक्ष या सदस्य के पद का इस प्रकार दुरुपयोग किया है कि ऐसे व्यक्ति का पद पर बना रहना लोकहित के लिए अहितकर है।

परन्तु

इस खंड के अधीन किसी व्यक्ति को तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक कि उस व्यक्ति को इस विषय में सुनवाई का उचित अवसर नही दे दिया गया है।

  • (4) उपधारा (2) के अधीन वा अन्यथा होने वाली रिक्ति नए नामनिर्देशन द्वारा भरी जाएगी।
  • (5) अध्यक्ष और सदस्यों को संदेय वेतन और भत्ते, और उनकी सेवा के अन्य निबंधन और शर्तेंवेहोंगी जो विहित की जाए।

धारा 5. आयोग के अधिकारी और अन्य कर्मचारी

(1) केन्द्रीय सरकार, आयोग के लिए ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की व्यवस्था करेगी जो इस अधिनियम के अधीन आयोग के कार्यों का दक्षतापूर्ण पालन करने के लिए आवश्यक हों।

(2) आयोग के प्रयोजनों के लिए नियुक्त अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को संदेय वेतन और भते और उनकी सेवा के अन्य निबंधन और शर्तें ये होंगी जो विहित की जाएं।

धारा 6. वेतन और भत्तों का अनुवान में से संवाद किया जाना : राष्ट्रीय महिला आयोग

अध्यक्ष और सदस्यों को संदेय वेतन और भत्ते तथा प्रशासनिक व्यय, जिनके अन्तर्गत धारा 5 में निर्दिष्ट अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को संदेय वेतन, भत्ते और पेंशन भी हैं, धारा 11 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट अनुदानों में से संदत्त किए जाएंगे।

धारा 7. रिक्तियों आदि से आयोग की कार्यवाहियों का अविधिमान्य न होना-

आयोग का कोई भी कार्य या कार्यवाही आयोग में कोई रिक्ति विद्यमान होने या उसके गठन में त्रुटि होने के आधार पर ही प्रश्नगत या अविधिमान्य नहीं होगी।

धारा 8. आयोग की समितियां : राष्ट्रीय महिला आयोग

(1) आयोग ऐसी समितिया नियुक्त कर सकेगा जो ऐसे विशेष प्रश्नों पर विचार करने के लिए आवश्यक हो जो आयोग द्वारा समय-समय पर उठाए जाएं।

(2) आयोग को उपधारा (1) के अधीन नियुक्त किसी समिति के सदस्यों के रूप में, ऐसे व्यक्तियों में से जो आयोग के सदस्य नहीं हैं, उतने व्यक्ति सहयोजित करने की शक्ति होगी जितने वह उचित समझे और इस प्रकार सहयोजित व्यक्तियों को समिति के अधिवेशनों में उपस्थित रहने तथा उसकी कार्यवाहियों में भाग लेने का अधिकार होगा किन्तु उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होगा।

(3) इस प्रकार सहयोजित व्यक्ति समिति के अधिवेशनों में उपस्थित होने के लिए ऐसे भत्ते प्राप्त करने के हकदार होंगे जो विहित किए जाएं।

धारा 9. प्रक्रिया का बायोग द्वारा विनियमित किया जाना

(1) आयोग या उसकी समिति का अधिवेशन जब भी आवश्यक हो किया जाएगा और वह ऐसे समय और स्थान पर किया जाएगा जो अध्यक्ष ठीक समझे

(2) आयोग अपनी प्रक्रिया तथा अपनी समितियों की प्रक्रिया स्वयं विनियमित करेगा।

(3) आयोग के सभी आदेश और विनिश्चय सदस्य-सचिव द्वारा या इस निमित्त सदस्य-सचिव द्वारा सम्पक रूप से प्राधिकृत आयोग के किसी अन्य अधिकारी द्वारा अधिप्रमाणित किए जाएंगे।

धारा 10. आयोग के कृत्य

  • राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अध्याय 3 की धारा 10 के अनुसार (1)आयोग निम्नलिखित सभी या किन्तु कृत्यों का पालन करेगा, अर्थात –

(क) महिलाओं के लिए संविधान और अन्य विधियों के अधीन उपबंधित रक्षोपायों से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण और परीक्षा करना:

(ख) उन रक्षोपायों के कार्यकरण के बारे में प्रति वर्ष, और ऐसे अन्य समयों पर जो आयोग ठीक समझे, केन्द्रीय सरकार को रिपोर्ट देना।

(ग) ऐसी रिपोटों में महिलाओं की दशा सुधारने के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा उन रक्षोपायों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सिफारिश करना।

(घ) संविधान और अन्य विधियों के महिलाओं को प्रभावित करने वाले विद्यमान उपबंधों का समय-समय पर पुनर्विलोकन करना और उनके संशोधनों की सिफारिश करना जिससे कि ऐसे विधानों में किसी कमी, अप्याप्तता या त्रुटियों को दूर करने के लिए उपचारी विधायी उपायों का सुझाव दिया जा सके।

(ङ) संविधान और अन्य विधियों के उपबंधों के महिलाओं से संबंधित अतिक्रमण के मामलों को समुचित प्राधिकारियों के समक्ष उठाना,

(च) निम्नलिखित से संबंधित विषयों पर शिकायतों की जांच करना और स्वपेरणा से ध्यान देना-

  1. महिला के अधिकारों का वचन:
  2. महिलाओं को संरक्षण प्रदान करने के लिए और ममता तथा विकास का उद्देश्य प्राप्त करने के लिए भी अधिनियमित विधियों का क्रियान्वयन
  3. महिलाओं की कठिनाइयों को कम करने और उनका कल्याण सुनिश्चित करने तथा उनको अनुतोष उपलब्ध कराने के प्रयोजनार्थ नीतिगत विनिश्चयों, मार्गदर्शक सिद्धांतों या अनुदेशों का अनुपालन, और ऐसे विषयों से उद्भूत प्रश्नों को समुचित प्राधिकारियों के समक्ष उठाना

इसके अलावा

(छ) महिलाओं के विरुद्ध विभेद और अत्याचारों से उद्भूत विनिर्दिष्ट समस्याओं या स्थितियों का विशेष अध्ययन या अन्वेषण कराना और बाधाओं का पता लगाना जिससे कि उनको दूर करने की कार्य योजनाओं की सिफारिश की जा सके।

(ज) संवर्धन और शिक्षा गांधी अनुसंधान करना जिससे कि महिलाओं का सभी क्षेत्रों में सम्यक् प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के उपायों का सुझाव दिया जा सके और उनकी उन्नति में अड़चन डालने के लिए उत्तरदायी कारणों का पता लगाना जैसे कि आवास और बुनियादी सेवाओं की प्राप्ति में कमी, उबाऊपन और उपजीविकाजन्य स्वास्थ्य परिसंकटों को कम करने के लिए और महिलाओं की उत्पादकता की वृद्धि के लिए सहायक सेवाओं और प्रौद्योगिकी की अपर्याप्तता।

(झ) महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और उन पर सलाह देना।

(ञ) संघ और किसी राज्य के अधीन महिलाओं के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।

(ट) किसी जेल, सुधार गृह, महिलाओं की संस्था या अभिरक्षा के अन्य स्थान का, जहां महिलाओं को बंदी के रूप में या अन्यथा रखा जाता है, निरीक्षण करना या करवाना, और उपचारी कार्रवाई के लिए, यदि आवश्यक हो, संबंधित प्राधिकारियों से बातचीत करना।

(ठ) बहुसंख्यक महिलाओं को प्रभावित करने वाले प्रश्नों से संबंधित मुकदमों के लिए धन उपलब्ध कराना

(ड) महिलाओं से संबंधित किसी बात के, और विशिष्टतया उन विभिन्न कठिनाइयों के बारे में जिनके अधीन महिलाएं कार्य करती है. सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट देना;

(ढ) कोई अन्य विषय जिसे केन्द्रीय सरकार उसे निर्दिष्ट करे।

(2) केन्द्रीय सरकार,

उपधारा (1) के खंड (ख) में निर्दिष्ट सभी रिपोर्टों को संसद के प्रत्येक सदन के समक्षरखवाएगी और उनके साथ संघ से संबंधित सिफारिशों पर की गई या की जाने के लिए प्रस्तावित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिश अस्वीकृत की गई हैं तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा।

(3) जहां कोई ऐसी रिपोर्ट या उसका कोई भाग किसी ऐसे विषय में संबंधित है जिसका किसी राज्य सरकार से संबंध है यहाँ आयोग ऐसी रिपोर्ट याउसके भाग की एक प्रति उस राज्य सरकार को भेजेगा जो उसे राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगी और उसके साथ राज्य से संबंधित सिफारिशों पर की गयी या की जाने के लिए प्रस्तावित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिशें अस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा।

(4) आयोग को उपधारा

(1) के खंड (क) या खंड (च) के उपखंड (i) में निर्दिष्ट किसी विषय का अन्वेषण करते समय और विशिष्टतया निम्नलिखित विषयों के संबंध में ने सभी शक्तियां होंगी जो वाद का विचारण करने वाले सिविल न्यायालय की हैं, अर्थात् –

(क) भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षाकरना।

(ख) किसी दस्तावेज को प्रकट और पेश करने की अपेक्षा करना ,

(ग) शपथपत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना।

(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतिलिपि की अपेक्षा करना

(ङ) साक्षियों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना; और

(च) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाए।

धारा 11. वित्त, लेखे और लेखापरीक्षा

राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अध्याय 4 की धारा 11 के अनुसार (1)केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुदान केन्द्रीय सरकार, संसद द्वारा इस निमित्त विधि द्वारा किए गए सम्यक विनियोग के पश्चात, आयोग को अनुदानों के रूप में ऐसी धनराशि का संदाय करेगी जो केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए उपयोग किए जाने के लिए ठीक समझे।

(2) आयोग इस अधिनियम के अधीन कृत्यों का पालन करने के लिए उतनी धनराशि खर्च कर सकेगा जितनी वह ठीक समझे और वह धनराशि उपधारा (1) में निर्दिष्ट अनुदानों में से संदेय व्यय माना जाएगा।

धारा 12. लेखे और संपरीक्षा

(1) आयोग, समुचित लेखा और अन्य सुसंगत अभिलेख रखेगा और लेखाओं का वार्षिक विवरण ऐसे प्ररूप में तैयार करेगा जो केन्द्रीय सरकार भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करके विहित करे।

(2) आयोग के सेवाओं की संपरीक्षा नियंत्रक-महालेखापरीक्षक ऐसे अंतरालों पर करेगा जो उसने द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाए और उस परीक्षा के संबंध में उपगत कोई व्यय आयोग द्वारा नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को संदेय होगा।

(3) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक और इस अधिनियम के अधीन आयोग के सेवाओं की परीक्षा के संबंध में उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति को उस संपरीक्षा के संबंध में वही अधिकार और विशेषाधिकार तथा प्राधिकार होंगे जो नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को सरकारी लेखाओं की परीक्षा के संबंध में साधारणतया होते हैं और उसे विशिष्टतया बहियाँ, लेखा संबंधी वाउचरऔरअन्य दस्तावेज और कागज-पत्र पेश किए जाने की मांग करने और आयोग के किसी भी कार्यालय का निरीक्षण करने का अधिकार होगा।

(4) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी अन्य व्यक्ति द्वारा यथाप्रमाणित आयोग का लेखा और साथ ही उस पर संपरीक्षा रिपोर्ट आयोग द्वारा केन्द्रीय सरकार को प्रतिवर्ष भेजी जाएगी।

धारा 13वार्षिक रिपोर्ट

  • आयोग, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट,
  • जिसमें पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान उसके क्रियाकलापों का पूर्ण विवरण होगा,
  • ऐगे प्रण में और ऐसे समय पर,
  • जो विजित किया जाए, तैयार करेगा और उसकी एक प्रति केंद्रीय सरकार को भेजेगा।

धारा 14वार्षिक रिपोर्ट और संपरीक्षा रिपोर्ट का संसद के समक्ष रखा जाना

केन्द्रीय सरकार, वार्षिक रिपोर्ट, रिपोर्ट की प्राप्ति के पश्चात यथाशक्य संसदके प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगी जिसके साथ उसमें अतर्विष्ट सिफारिशों पर जहा तक उनका संबंध केन्द्रीय सरकार से है, की गयी कार्रवाई और यदि कोई ऐसी सिफारिश अरस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारण का ज्ञापन और संपरीक्षा रिपोर्ट होगी।

प्रकीर्ण

धारा 15 आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों और कर्मचारिवृन्द का लोक सेवक होना-

योग का अध्यक्ष, उसके सदस्य, अधिकारी और अन्य कर्मचारी भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थ में लोक सेवक समझे जाएंगे।

धारा 16. केन्द्रीय सरकार आयोग से परामर्श करेगी

केन्द्रीय सरकार, महिलाओं को प्रभावित करने वालेसभी प्रमुख नीतिगत मामलों पर आयोग से परामर्श करेगी।

धारा 17. नियम बनाने की शक्ति : राष्ट्रीय महिला आयोग

(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को क्रियान्वित करने के लिए नियम राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना,

ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात :-

(क) धारा 4 की उपधारा (5) के अधीन अध्यक्षों और सदस्यों को और धारा की उपधारा (2) के अधीन अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को देय वेतन और भत्ते तथा उनकी सेवा के अन्य निबंधन और शर्तें

(2) धारा 8 की उपधारा (3) के अधीन सहयोजित व्यक्तियों द्वारा समिति के अधिवेशनों में उपस्थित होने के लिये भत्ते

(ग) धारा 10 की उपधारा (4) के खंड (च) के अधीन अन्य विषय;

(घ) वह प्रारूप जिसमें लेखाओं का वार्षिक विवरण धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन रखा जाएगा:

(ङ) वह प्रसंग जिसमें और वह समय जब वार्षिक रिपोर्ट धारा 13 के अधीन तैयार की जाएगी.

(च) कोई अन्य विषय जिसे विहित किया जाना अपेक्षित है या किया जाए।

(3) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया : राष्ट्रीय महिला आयोग

  • प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के सम्मुख जब वह सदन सत्र में हो,कुल तीसदिन की अवधि के लिए रखा जाएगा।
  • यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी।
  • यदि उस मास के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए तत्पश्चात वह ऐसेपरिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा।
  • यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाए कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् यह निष्प्रभावी हो जाएगा।
  • किन्तु निगम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभावी होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

स्रोत:- राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990

हाइकु (Haiku) कविता

संख्यात्मक गूढार्थक शब्द

मुसलिम कवियों का कृष्णानुराग

श्री सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या के मतानुसार प्रांतीय भाषाओं और बोलियों का महत्व

संपूर्ण वर्ष के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दिवसों की जानकारी तथा अन्य परीक्षोपयोगी सामग्री के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए

भारत का विधि आयोग (Law Commission, लॉ कमीशन)

मानवाधिकार (मानवाधिकारों का इतिहास)

मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग : संगठन तथा कार्य

भारतीय शिक्षा अतीत और वर्तमान

भटूरे (Bhature)

विज्ञान तथा प्रकृति (Science and Nature)

कम्प्यूटर क्षेत्र में विश्व में प्रथम (First in computer field in the World)

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अतः हमें आशा है कि आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। इस प्रकार जी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://thehindipage.com पर Visit करते रहें।

दिसम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of December

दिसम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of December

परीक्षोपयोगी दृष्टि से दिसम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of December एवं सप्ताह की आवश्यक जानकारी आदि


दिसम्बर का प्रथम शुक्रवार – भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day)

December का प्रथम शनिवार – अंतरराष्ट्रीय स्वयं सेवक दिवस (International Volunteer Day for Economic and Social Development)

दिसम्बर का प्रथम शनिवार – विश्व मृदा दिवस (World Soil Day)

दिसम्बर का दूसरा शुक्रवार – अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस (International Mountain Day)


1 दिसम्बर-

सीमा सुरक्षा बल दिवस (Border Security Force Day)

विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day)

2 दिसम्बर-

विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस (World Computer Literacy Day)

राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस (National Pollution Prevention Day)

अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस (International Day for the Abolition of Slavery)

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3 दिसम्बर-

कृषि शिक्षा दिवस (Agricultural Education Day)

पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती (Former President Dr. Rajendra Prasad’s birth anniversary)

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग जन दिवस (International Day of People with Disability or World Disability Day)

6 दिसम्बर-

नागरिक सुरक्षा दिवस (Civil Defense Day)

डाॅ. अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस (Dr. Ambedkar’s Mahaparinirvan Diwas)

7 दिसम्बर-

सशस्त्र बलों का झण्डा दिवस (Indian Armed Force Flag Day)

अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस (International Civil Aviation Day)

9 दिसम्बर-

अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस (International Anti-Corruption Day)

10 दिसम्बर-

विश्व मानवाधिकार दिवस (World Human Rights Day)

प्रसारण का अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस (International Children’s Day of Broadcasting)

11 दिसम्बर-

यूनीसेफ स्थापना दिवस (UNICEF Day)

14 दिसम्बर-

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (National/Indian Energy Conservation Day)

16 दिसम्बर-

विजय दिवस (Vijay Divas)

18 दिसम्बर-

अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस (International Migrants Day)

भारतीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (National Minority Rights Day)

19 दिसम्बर-

गोवा, दमन व दीव मुक्ति दिवस (Goa, Daman and Diu Liberation Day)

20 दिसम्बर-

अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस (International Human Solidarity Day)

22 दिसम्बर-

राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day)

23 दिसम्बर-

राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmer’s Day or Kisan Diwas)

24 दिसम्बर-

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (National Consumer Day)

25 दिसम्बर-

राष्ट्रीय सुशासन दिवस (National Good Governance Day)

महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म दिवस (Birthday of Mahamana Madan Mohan Malaviya)

क्रिसमस दिन (Christmas Day)

28 दिसम्बर-

कांग्रेस पार्टी स्थापना दिवस (Congress Party Foundation Day)

31 दिसम्बर-

नववर्ष की पूर्वसंध्या (New Year’s Eve)

ये भी जानिए-

जनवरी के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of January

फरवरी के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of February

मार्च के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of March

अप्रैल के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of April

मई माह के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of May

जून के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of June

जुलाई के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of July

अगस्त के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of August

सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September

अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of October

नवम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of November

दिसम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of December

नवम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of November

नवम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of November

नवम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of November एवं सप्ताह की परीक्षोपयोगी दृष्टि से आवश्यक जानकारी आदि


धनतेरस के दिन (धनवंतरी जयंती) – राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस  (National Ayurveda Divas)

नवम्बर के तीसरे रविवार को – सड़क यातायात पीड़ितों की याद के लिए विश्व दिवस (World Day of Remembrance for Road Traffic Victims)

नवम्बर के तीसरे गुरुवार को  – विश्व दर्शन दिवस (World Philosophy Day)


14 से 20 नवम्बर – राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह (नैशनल बुक ट्रस्ट द्वारा) (National Book Week)

19 से 25 नवम्बर – विश्व धरोहर सप्ताह (World heritage week)


1 नवम्बर-

हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व केरल के स्थापना दिवस (Foundation Day of Haryana, Madhya Pradesh, Chhattisgarh, Andhra Pradesh, Karnataka and Kerala)

विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegan Day)

सेना उड्डयन दिवस (Army Aviation Day)

2 नवम्बर-

पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए प्रतिरोध को समाप्त करने करने का अंतरराष्ट्रीय दिवस (International day to end resistance to crimes against journalists)

5 नवम्बर-

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस (World Tsunami Awareness Day)

6 नवम्बर

युद्ध और सशस्त्र संघर्ष में शोषण और पर्यावरण को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict)

7 नवम्बर-

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day)

शिशु सुरक्षा दिवस (Infant Protection Day)

8 नवम्बर-

अंतरराष्ट्रीय रेडियोलाॅजी दिवस (International Radiology Day)

9 नवम्बर-

विश्व विधिक सेवा दिवस (World Legal Service Day)

उत्तराखंड स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day)

10 नवम्बर-

शांति एवं विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस (World Science day for Peace and Development)

सार्वजनिक परिवहन दिवस (Public Transport Day)

11 नवम्बर-

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्मदिन) – (National Education Day)

प्रथम विश्व युद्ध समाप्ति स्मरण दिवस (First World War Ending Remembrance Day)

12 नवम्बर-

अंतरराष्ट्रीय पक्षी दिवस (International bird day)

विश्व निमोनिया दिवस (World Pneumonia day)

लोक सेवा प्रसारण दिवस (Public Service Broadcasting Day)

13 नवम्बर-

विश्व दया (कृपा) दिवस – (World Kindness Day)

14 नवम्बर-

विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस (World Energy Conservation Day)

बाल दिवस (जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन)- (Children’s Day)

विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day)

नवम्बर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस (Important Days of November)
नवम्बर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस (Important Days of November)

15 नवम्बर-

झारखंड स्थापना दिवस (Jharkhand Foundation Day)

भगवान बिरसा मुंडा जयंती (Lord Birsa Munda Jayanti)

16 नवम्बर-

राष्ट्रीय प्रैस दिवस (National press day)

अंतरराष्ट्रीय असहिष्णुता दिवस (International Day for Endurance or Tolerance)

17 नवम्बर-

अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस (International Students Day)

विश्व मिर्गी रोग दिवस (World Epilepsy Disease Day)

19 नवम्बर-

विश्व शौचालय दिवस (World Toilet Day)

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म दिवस (Prime Minister Indira Gandhi’s Birthday)

अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस (International Men’s Day)

राष्ट्रीय एकता दिवस (National Integration Day)

20 नवम्बर-

सार्वभौमिक बाल दिवस (Universal Children’s Day)

अफ्रीका का औद्योगिकीकरण दिवस (Africa’s Industrialization Day)

21 नवम्बर-

विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day)

विश्व मत्स्यिकी दिवस (World Fisheries Day)

वर्ल्ड हैलो दिवस (World Hello Day)

24 नवम्बर-

विश्व जैव विविधता संरक्षण दिवस (World Biodiversity Conservation Day)

एनसीसी (नैशनल कैडेट कोर) स्थापना दिवस (NCC (National Cadet Core) Foundation Day)

25 नवम्बर-

अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस (International Day for the Elimination of Violence Against Women)

विश्व गैर शाकाहारी (मांसाहार) दिन (World Non-Veg day)

26 नवम्बर-

संविधान दिवस/राष्ट्रीय विधि दिवस (National Law Day or National constitution Day)

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (श्वेत क्रांति (अर्थात् दुग्ध उत्पादन) के जनक डाॅ. वर्गीज कुरियन का जन्मदिन) – National Milk Day

29 नवम्बर-

फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकांत का अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day of Solitude with the Palestinian People)

30 नवम्बर-

राष्ट्रीय ध्वज दिवस (National Flag Day)

ये भी जानिए-

जनवरी के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of January

फरवरी के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of February

मार्च के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of March

अप्रैल के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of April

मई माह के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of May

जून के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of June

जुलाई के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of July

अगस्त के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of August

सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September

अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of October

नवम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of November

दिसम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of December

अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of October

अक्टूबर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of October

अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of October | अक्टूबर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस, सप्ताह की परीक्षोपयोगी दृष्टि से आवश्यक जानकारी


धनतेरस के दिन (धनवंतरी जयंती) – राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस  (National Ayurveda Divas)

अक्टूबर का प्रथम सोमवार – विश्व पर्यावास दिवस (World Habitat Day)

अक्टूबर का प्रथम शनिवार – जर्मन एकता दिवस (German Unity Day)

October का दूसरा शनिवार – विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day)

अक्टूबर और मई के दूसरे शनिवार को (वर्ष में दो बार) – विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (World Migratory Birds Day)

October का द्वितीय बृहस्पतिवार – विश्व दृष्टि दिवस (World Sight Day)


अक्टूबर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस Important Days of October की संपूर्ण जानकारी

1 – 7 अक्टूबर – वन्य प्राणी सप्ताह (Wildlife Week)

4-10 अक्टूबर – अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सप्ताह (International Space Week)

6-12 अक्टूबर – सूचना अधिकार सप्ताह (Right to Information Week)

9-15 अक्टूबर – विश्व डाक सप्ताह (World Post Week)

29 अक्टूबर से 3 नवम्बर – सतर्कता जागरूकता सप्ताह (Vigilance Awareness Week)


अक्टूबर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस Important Days of October की संपूर्ण जानकारी

1 अक्टूबर-

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस (National Voluntary Blood Donation Day)

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्मदिवस (Birthday of President of India Ramnath Kovind)

विश्व वृद्धजन दिवस (International Day of the Older Persons)

अंतरराष्ट्रीय काॅफी दिवस (International Coffee Day)

विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegetarian Day)

चीन का राष्ट्रीय दिवस (China National Day)

अक्टूबर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस Important Days of October
अक्टूबर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस Important Days of October

2 अक्टूबर-

लाल बहादुर शास्त्री जयंती & महात्मा गांधी जयंती (Lal Bahadur Shastri & Gandhi Jayanti)

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence)

02 October

3 अक्टूबर-

विश्व प्राकृतिक दिवस (World Natural Day)

4 अक्टूबर-

विश्व पशु कल्याण दिवस (World Animal Welfare Day)

5 अक्टूबर-

विश्व शिक्षक दिवस (World Teacher’s Day)

6 अक्टूबर-

विश्व वन्य प्राणी दिवस (World Wildlife Day)

8 अक्टूबर-

भारतीय वायु सेना दिवस (Indian Air Force Day)

9 अक्टूबर-

विश्व डाक दिवस या विश्व डाकघर दिवस (World Post Day or World Post Office Day)

10 अक्टूबर-

भारतीय डाक दिवस (Indian Postal Day)

11 अक्टूबर-

लोकनायक जयप्रकाश नारायण जयंती (Loknayak Jayaprakash Narayan Jayanti)

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of the Girl Child)

12 अक्टूबर-

विश्व आर्थराइटिस दिवस (World Arthritis Day)

13 अक्टूबर-

आपदा न्यूनीकरण हेतु अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for Natural Disaster Reduction)

14 अक्टूबर-

विश्व मानक दिवस (World Standards Day)

15 अक्टूबर-

विश्व विद्यार्थी दिवस (डाॅ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में) – (World Student’s Day)

विश्व हाथ धुलाई दिवस (Global Hand-washing Day)

अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस (International Rural Women’s Day)

World white cane day (Guiding the blind)

गर्भावस्था और शिशु हानि स्मरण दिवस (Pregnancy and Infant Loss Remembrance Day)

15 October APJ Abdul Kalam Birthday and World Student Day and World Handwashing Day
15 October APJ Abdul Kalam Birthday and World Student Day and World Handwashing Day

16 अक्टूबर-

विश्व खाद्य दिवस (World Food Day)

नैशनल सुरक्षा गार्डस का स्थापना दिवस (Foundation Day for National Security Guards)

17 अक्टूबर-

अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Poverty Eradication Day)

20 अक्टूबर-

विश्व सांख्यिकी दिवस (World statistics day)

विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (World Osteoporosis Day)

राष्ट्रीय एकता दिवस – (National Solidarity day)

21 अक्टूबर-

आजाद हिन्द सरकार स्थापना दिवस (Azad Hind Sarkar Foundation Day)

विश्व आयोडीन न्यूनता निवारण दिवस (World Iodine Deficiency Prevention Day)

पुलिस स्मृति दिवस (Police Memorial Day)

जलवायु परिवर्तन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Climate Change)

23 अक्टूबर-

Mole Day (Special Number in Chemistry)

अक्टूबर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस Important Days of October की संपूर्ण जानकारी

24 अक्टूबर-

विश्व पोलियो दिवस (World polio day)

संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थापना दिवस (United Nations Day)

विश्व सूचना विकास दिवस (World Development Information Day)

27 अक्टूबर

ऑडियो विजुअल हेरिटेज के लिए विश्व दिवस (World day for Audio Visual Heritage)

28 अक्टूबर

अंतरराष्ट्रीय एनिमेशन दिवस (International Animation Day)

30 अक्टूबर

विश्व मितव्यय दिवस (World Thrift Day)

31 अक्टूबर-

राष्ट्रीय एकता दिवस (लौहपुरुष वल्लभभाई पटेल का जन्मदिवस) – Rashtriya Ekta Diwas or National Unity Day

इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि (Indira Gandhi’s Death Anniversary)

विश्व शहर दिवस (World City Day)

हैलोवीन दिवस (Halloween Day)

31 October Sardar Vallabh Bhai Patel
31 October Sardar Vallabh Bhai Patel

ये भी जानिए-

जनवरी के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of January

फरवरी के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of February

मार्च के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of March

अप्रैल के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of April

मई माह के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of May

जून के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of June

जुलाई के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of July

अगस्त के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of August

सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September

अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of October

नवम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of November

दिसम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of December

सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September

सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September

सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September एवं सप्ताह की परीक्षोपयोगी दृष्टि से आवश्यक जानकारी आदि के साथ पूरे वर्ष के दिवस


1 से 7 सितम्बर – राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (National Nutrition Week)

सितम्बर के अंतिम बृहस्पतिवार – विश्व समुद्री दिवस (World Maritime Day)

September का चौथा शनिवार – विश्व गर्भनिरोधक दिवस (World Contraception Day)

सितम्बर का चौथा रविवार – विश्व नदी दिवस (World River Day)


1 सितम्बर-

जीवन बीमा निगम का स्थापना दिवस (Foundation Day of Life Insurance Corporation)

2 सितम्बर-

विश्व नारियल दिवस (World Coconut Day)

3 सितम्बर-

भूमिगत जल संरक्षण दिवस (Underground Water Conservation Day)

गगनचुंबी दिवस (Skyscraper Day)

5 सितम्बर | सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September

शिक्षक दिवस (डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस) (Teacher’s Day – Birthday of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan)

अंतरराष्ट्रीय डे आफ चैरिटी (International Day of Charity)

5 September Sarvepalli Radhakrishnan, important days in hindi, important days in September, important days of September, important days of September in hindi, important days of September in india, September important days, September important days in hindi, September ke mahatvapurn diwas, September ke mahatvpurn diwas, September ke mukhya divas, january to december important days, सितम्बर के दिवस, सितम्बर के महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर के सभी दिवस, सितम्बर महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर महीने के महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर माह के दिवस, सितम्बर माह के महत्वपूर्ण दिवस, जनवरी से दिसंबर तक के महत्वपूर्ण दिवस
5 September Sarvepalli Radhakrishnan

7 सितम्बर-

ब्राजील का स्वतंत्रता दिवस (Brazilian Independence Day)

8 सितम्बर-

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस (International Literacy Day)

विश्व फिजिकल थैरेपी दिवस (World Physical Therapy Day)

विश्व सफाई दिवस (World Cleanup Day)

9 सितम्बर-

हिमालय दिवस (उत्तराखंड सरकार द्वारा घोषित) – (Himalaya Diwas)

10 सितम्बर-

विश्व आत्महत्या निवारण दिवस (World Suicide Prevention Day)

14 सितम्बर | सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September

हिन्दी दिवस (Hindi Divas)

विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस (World First Aid Day)

विश्व बन्धुत्व एवं क्षमायाचना दिवस (World Brotherhood and Apology Day)

14 September Hindi Diwas, important days in hindi, important days in September, important days of September, important days of September in hindi, important days of September in india, September important days, September important days in hindi, September ke mahatvapurn diwas, September ke mahatvpurn diwas, September ke mukhya divas, january to december important days, सितम्बर के दिवस, सितम्बर के महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर के सभी दिवस, सितम्बर महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर महीने के महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर माह के दिवस, सितम्बर माह के महत्वपूर्ण दिवस, जनवरी से दिसंबर तक के महत्वपूर्ण दिवस
14 September Hindi Diwas

15 सितम्बर-

अभियन्ता दिवस (भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वैश्वरैया के जन्म-दिवस की स्मृति में) – (Engineers Day)

अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस (International Day of Democracy)

सितम्बर माह के महत्त्वपूर्ण दिवस Important Days of September, important days in hindi, important days in September, important days of September, important days of September in hindi, important days of September in india, September important days, September important days in hindi, September ke mahatvapurn diwas, September ke mahatvpurn diwas, September ke mukhya divas, january to december important days, सितम्बर के दिवस, सितम्बर के महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर के सभी दिवस, सितम्बर महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर महीने के महत्वपूर्ण दिवस, सितम्बर माह के दिवस, सितम्बर माह के महत्वपूर्ण दिवस, जनवरी से दिसंबर तक के महत्वपूर्ण दिवस
15 September Engineer Day

16 सितम्बर-

विश्व ओजोन दिवस (ओजोन परत संरक्षण हेतु) – (World Ozone Day)

संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for Conservation)

17 सितम्बर-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जन्म-दिवस (Prime Minister Narendra Modi’s Birthday)

विश्व रोगी सुरक्षा दिवस (World Patient Safety Day)

18 सितम्बर

विश्व जल निगरानी दिवस (World Water Monitoring Day)

21 सितम्बर-

विश्व शांति दिवस (World Peace Day)

अंतरराष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस (International Coastal Cleanup Day)

शून्य उत्सर्जन दिवस (Zero Emissions Day)

विश्व अल्जाइमर दिवस (World Alzheimer Day)

22 सितम्बर-

विश्व गेंडा दिवस (World Unicorn Day)

Rose Day (Welfare a cancer patient)

23 सितम्बर

सांकेतिक भाषाओं का अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day of Sign Languages)

25 सितम्बर-

अंत्योदय दिवस (पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्म-दिवस पर) – Antyodaya Day (Birthday of Pt. Deendayal Upadhyay)

विश्व फार्मासिस्ट दिवस (World Pharmacist Day)

26 सितम्बर-

सीएसआईआर (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद) का स्थापना दिवस (CSIR – Council of Scientific and Industrial Research)

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस (World Environmental Health Day)

परमाणु हथियारों के पूर्णतः उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for the Complete Elimination of Nuclear Weapons)

Day of the Deaf

27 सितम्बर-

विश्व पर्यटन दिवस (World Tourism Day)

28 सितम्बर-

सरदार भगत सिंह जन्मदिवस (Sardar Bhagat Singh Birthday) (28.09.1907 to 23.03.1931)

विश्व रेबीज दिवस (लुईस पाश्चर की स्मृति में उनकी पुण्यतिथि पर)- (World Rabies Day)

सूचना के सर्वजन तक पहुंच के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for Access to Public Information)

29 सितम्बर-

विश्व हृदय दिवस (World Heart Day)

30 सितम्बर-

अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस (International Translate Day)

ये भी जानिए-

जनवरी के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of January

फरवरी के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of February

मार्च के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of March

अप्रैल के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of April

मई माह के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of May

जून के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of June

जुलाई के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of July

अगस्त के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of August

सितम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of September

अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of October

नवम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of November

दिसम्बर के महत्त्वपूर्ण दिवस | Important Days of December

मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम Muslim Kaviyon ka Krishan Prem

मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम Muslim Kaviyon ka Krishan Prem

मुस्लिम कवियों में कृष्ण-प्रेम Muslim Kaviyon ka Krishan Prem में आसक्त रसखान, रहीम, ताज बीवी, बेगम शीरी, शेख आलम, मौलाना आजाद अजीमाबादी, हजरत नफीस, मिया वाहिद अली, अहमद खां राणा, रशीद, मिया नजीर एवं जफर अली आदि हैं। आज हम जानेंगे मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम के बारे में।

कृष्ण के उदार, चंचल, माखनचोर, छलिया रूप का वर्णन अनगिनत कवियों ने किया है मध्यकालीन सगुण भक्ति के आराध्य देवताओं में भगवान श्री कृष्ण का स्थान सर्वोपरि है।

कन्हैया भारतीय पुराण और इतिहास दोनों में सर्वाधिक वर्णित भी हुए है जो विद्वान महाभारत को इतिहास की घटना मानते है, वे भारतीय इतिहास का सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्ति कृष्ण को ही ठहराते है।(1)

कान्हा के इसी रसिया, छलिया, प्रेमी तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व ने ना केवल हिन्दु जाति को अपने मोहपाश में बंद किया वरन् मुस्लिम कवियों ने भी उनकी ‘लाम’ पर मुग्ध हो कर इस्लाम खोया है।

माखनचोर पर अपना सब कुछ वारने वाले ऐसे एक नहीं अनेक कवि हुए है।

मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम
मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम

कृष्ण के रूप सौन्दर्य का जादू केवल राधा रानी या गोपियों के सिर चढ़ कर बोला हो ऐसा नहीं है।

रूप सौन्दर्य और प्रेम पाश तो वो मय है जिसने मुस्लिम देवियों को भी प्रेम रस से सराबोर करके मदमस्त कर दिया है।

कृष्ण की ‘लाम’(2) पर अनेक कवियों ने अपने हृदय हारे है, तो अनेक कवियों ने अपना तन-मन दोनों न्यौछावर किया है।

‘लाम’ ने उनके अनुपम सौन्दर्य में चार चाँद लगाये है तो उनकी इस ‘लाम’ ने मुसलमान कवियों का इस्लाम ही छीन लिया है भूपाल की बेगम शीरी जिन्हें कृष्ण की इस ‘लाम’ ने काफिर बना दिया।

मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम Muslim Kaviyon ka Krishan Prem : काफिर बनने की कहानी सुनते है उन्हीं की जुबानी

‘‘काफिर किया मुझको तिरी इस जुल्फ ने काफिर
इस ‘लाम’ ने खोया तिरे, इस्लाम हमारा’’(3)

कृष्ण का रूप माधुर्य शीरी को ऐसा रास आया की वो उसके लिए काफिर हो गई।

ऐसी ही कृष्ण के प्रेम में पगी एक कवयित्री है ताज बेगम

ताज बेगम के बारे में परस्पर अलग-अलग मत प्राप्त होते है आपके 1595(4) में वर्तमान होने का अनुमान है।

इनकी कविताओं में पंजाबी पुट तथा पंजाबी शब्दों की बाहुल्यता को देखते हुए मिश्रबन्धु उन्हें पंजाब अथवा आसपास की स्वीकृत करते हैं।

मिश्र बंधु विनोद में ताज के कई पद भी संकलित है।

एक जनश्रुति के अनुसार ताज दिल्ली की रहने वाली मुगल शहजादी थी।(5)

स्वामी पारसनाथ सरस्वती के आलेख के अनुसार ताज का पूरा नाम ‘ताज बीवी’ था और वे बादशाह शाहजहां की अत्यंत प्रिय बेगम थी लेकिन जितना प्रेम शाहजहाँ ताज से करते थे।

उससे कहीं ज्यादा प्रेम ताज से करती थी उन्होंने लिखा है-

सुनो दिजानी मांडे दिल की कहानी तुम
दस्त ही बिकानी बदनामी भी सहूँगी मैं

देव पूजा ठानी हौ निवाज हूँ भूलानी, तजे
कलमा कुरान सारे गुननि गहूँगी मै।

सांवरा सलोना सिरताज सिर कुल्हे दिये
तेरे नेह दाग में निदाघहै दहूँगी मै

नंद के फरजंद! कुरबान ‘ताज’ सूरत पै
हौ तो तुरकानी हिन्दुआनी है रहूँगी मै(6)

स्वामी पारसनाथ सरस्वती के ‘कल्याण’ में प्रकाशित आलेख में उक्त पद पंजाबी बाहुल्य शब्दावली युक्त प्राप्त होता है।

ताज

श्री बलदेव प्रसाद अग्रवाल के अनुसार ‘ताज’ करौली निवासी थी।

श्री अग्रवाल के अनुसार ताज नहा धोकर मंदिर में भगवान के नित्य दर्शन के पश्चात ही भोजन ग्रहण करती थी।

एक दिन वैष्णवों ने उन्हें मुसलमान होने के कारण विधर्मी मान, मंदिर में दर्शन करने से रोक दिया इससे ताज उस दिन निराहार रह मंदिर के आंगन में ही बैठी रही और कृष्ण के नाम का जाप करती रही।

जब रात हो गई तब ठाकुर जी स्वयं मनुष्य के रूप में, भोजन का थाल लेकर पधारे और कहने लगे तुझे आज थोड़ा सा भी प्रसाद नहीं मिला, ले अब खा।

कल प्रातः काल जब वैष्णव आवें तो उनसे कहना कि तुम लोगों ने मुझे कल ठाकुर जी के दर्शन और प्रसाद का सौभाग्य नहीं दिया।

इससे रात को ठाकुर जी स्वयं मुझे प्रसाद दे गये है और तुम लोगों के लिए संदेश भी दे गये हैं कि ताज को परम वैष्णव समझो।

इसके दर्शन और प्रसाद ग्रहण करने में रुकावट मत डालो।

प्रातःकाल जब वैष्णव आये तब ताज ने सारी घटना कह सुनाई ताज के सामने भोजन का थाल देखकर अत्यन्त चकित हुए वे सभी वैष्णव ताज के पैरों पर गिरकर क्षमा प्रार्थना करने लगे।

तब से ताज मंदिर में पहले दर्शन करती तथा सारे वैष्णव उसके बाद में दर्शन करते।(7)

‘दस्त की बिकानी, बदनामी भी सहूंगी मैं’

‘दस्त की बिकानी, बदनामी भी सहूंगी मैं’ कि घोषणा करने वाली ताज की तुलना मीरा से सहज ही की जा सकती है।

मीरा ने भी ‘लोक-लाज खोई’ कह कर तात्कालिक समाज की मानसिकता को उजागर किया है।

मीरां और ताज दोनों की कन्हैया की प्रेम दीवानी है।

एक ने लोक लाज खोई है तो दुसरी बदनामी सहने को तैयार है परन्तु मीरा को जहां अपनो से प्रताड़ित होना पड़ा है वहीं ताज को पीड़ा देने वाला सारा समाज है।

इसमें हिन्दू और मुसलमान दोनों शामिल है।

मीरा की पीड़ा शायद इस कारण अधिक है क्योंकि उनको पीड़ा पहुँचाने का काम करने वाले उनके परिवार के ही लोग है।

इसलिए ये कष्ट उनके लिए भारी मानसिक आघात लिये हुए है।

मीरां को केवल परिजनों से ही संघर्ष करना पड़ा परन्तु ताज का संघर्ष मीरां से व्यापक है।

क्योंकि उसे तो घर और बाहर दोनों से संघर्ष करना पड़ा है।

तात्कालिक समाज में जब हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य अपनी चरम सीमा पर था उस समय इस तरह से किसी अन्य धर्म की उपासना करना वास्तव में अंगारों पर चलना था।

परिवार में परिजनों का विरोध और ताने सहना बाहर समाज के कटाक्ष और उपेक्षा का शिकार होना एक स्त्री के लिए कितना भयावह हो सकता है।

उसे तो केवल उसे भोगने वाली वो औरत ही बता सकती है।

कन्हैया के छैल छबीले रूप

ताज के पदों को पढ़ कहीं भी ऐसा आभाष नहीं होता कि उस सामाजिक, धार्मिक, मानसिक प्रताड़ता का रजकणांश भी विपरीत प्रभाव हुआ है।

हाँ ये जरुर कहा जा सकता है कि इस प्रताड़ना से उनका कान्हा के प्रति अनुराग और बढ़ता गया तथा काव्य में निखार आता गया है।

कन्हैया के छैल छबीले रूप पर अपना सब कुछ कुरबान करने वाली ताज उन्हें ही अपना साहब मानती है-
छैल जो छबीला सब रंग में रंगीला बड़ा
चित का अड़ीला सब देवताओं में न्यारा है।
माल गले सोहै, नाक मोती सेत सो है, कान
कुण्डल मनमोहे, मुकुट सीस धारा है।।
दुष्ट जन मारे, संत जन रखवारे ‘ताज’
चित हितवारे प्रेम प्रीतिकार वारा है।
नंन्दजू को प्यारा, जिन कंस को पछारा
वृन्दावन वारा कृष्ण साहेब हमारा है।।

 

ताज के हृदय मे अपने बांके छैल छबीले कृष्ण कन्हैया के लिए कितनी आस्था है।

ये उनके पदो से सहज ही सामने आत है।

अपने प्राण प्यारे नंद दुलारे कृष्ण कन्हैया के प्रेम में बुत परस्ती भी करने को तैयार है।

चित का अड़ीला उनका गोपाल सब देवताओं में न्यारा है जिसके लिए ये मुगलानी हिन्दुआनी हो गई थी।

‘बदनामी भी सहूंगी मैं’ कि घोषणा करने वाली ताज ने वास्तव में कितने कष्ट सहे होंगे इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है।

मुस्लिम कवियों के राधा-कृष्ण, सीता राम आदि के प्रति प्रेम से उन्हें किन कष्टों को सहन करना पड़ा होता।

इस बात का अनुमान आधुनिक रसखान (जिनका वास्तविक नाम ‘रशीद’ लुप्त हो गया जिनके नाम पर रायबरेली में मार्ग है) के कवि एवं लेखक पुत्र इफ्तिखार अहमद खां ‘राना’ से लेखक आलोचक डाॅ. रामप्रसाद मिश्र की बातचीत से लगाया जा सकता है।

‘राजा’ के अनुसार- उन्हें राम तुलसी प्रेमी होने के कारण कठिनाई होती है। फिर भी रहीम, रसखान, ताज बेगम, नजीर अकबराबादी इत्यादी की परम्परा जीवंत है।(8)

राधा के वल्लभ

जगत के खेवनहार श्रीहरि ने पापी से पापी पर भी अपनी कृपा की है और उन्हें इस संसार सागर से उबारा राधा के वल्लभ ताज के भी वल्लभ प्राण प्यारे प्रियतम हो गये है जो उनको इस संसार की मझधार से पार लगाने वाले है-

ध्रुव से, प्रहलाद, गज, ग्राह से अहिल्या देखि,
सौरी और गीध थौ विभीषन जिन तारे हैं।

पापी अजामील, सूर तुलसी रैदास कहूँ,
नानक, मलूक, ‘ताज’ हरिही के प्यारे हैं।

धनी, नामदेव, दादु सदना कसाई जानि,
गनिका, कबीर, मीरां सेन उर धारे हैं।

जगत की जीवन जहान बीच नाम सुन्यौ,
राधा के वल्लभ, कृष्ण, वल्लभ हमारे हैं।(9)

शेख की कविताओं में भावों की उत्कृष्टता

ताज कृष्ण प्रेम में काफिर होने वाली पहली या आखिरी मुस्लिम औरत नहीं इनके अलावा शेख नामक रंगरेजिन भी है जो कृष्ण की भक्त थी।

ये आलम की पत्नी थी और कपड़े रंगने का काम किया करती थी।

आलम पहले ब्रह्मण थे परन्तु बाद में शेख से प्रेम होने के कारण मुस्लिम हो गये।

हुआ यूं की एक बार आलम ने अपनी पगड़ी शेख को रंगने के लिए दी तो उस पगड़ी के एक छोर मंे एक कागज का टुकड़ा बंधा हुआ था।

जिसमें दोहे का एक चरण लिखा हुआ था शेख ने उसी कागज पर दोहे को पूरा कर दिया और कागज वैसी ही वापिस बांध दिया और रंगी हुई पगड़ी आलम को दे दी।

अपने दोहे की पूर्ति देखकर आलम रंगरेजिन शेख की कला पर मोहित हो गया और दोनों में प्रेम हो गया फलस्वरूप आलम ने इस्लाम कबूल कर लिया शेख और आलम दोनों मिलकर कविताएं करते थे।

 

शेख की कविताओं में भावों की उत्कृष्टता विद्यमान है।

राधारानी जो सौन्दर्य वर्णन शेख ने किया है, उस उत्कृष्टता तक पहुंचने में बड़े बड़े कवि पीछे छूट गये है।

शेख उस अलौकिक अनुपम और शब्दातीत सौन्दर्य का जो शब्द चित्र रचा है वह कदाचित किसी साधारण कवि के वश कि बात नहीं है-

सनिचित चाहे जाकी किंकिनी की झंकार
करत कलासी सोई गति जु विदेह की

शेख भनि आजू है सुफेरि नही काल्ह जैसी
निकसी है राधे की निकाई निधि नेह की

फूल की सी आभा सब सोभा ले सकेलि धरी
फलि ऐहै लाल भूलि जैसे सुधि गेह की

कोटि कवि पचै तऊ बारनिन पावै कवि
बेसरि उतारे छवि बेसरि बेह की(10)

श्रीहरि से सहायता की गुहार

ताज कि तरह ही शेख को भी अपने बंशी बजैया, रास रचैया पार लगैया-कृष्ण कन्हैया पर अटूट विश्वास है कवयित्री श्रीहरि से सहायता की गुहार करती है-

‘सीता सत रखवारे तारा हूँ के गुनतारे
तेरे हित गौतम के तिरियाऊ तरी है

हौ हूं दीनानाथ हौ अनाथ पति साथ बिनु
सुनत अनाधिनि के नाथ सुधि करी है

डोले सुर आसन दुसासन की ओर देखि।
अंचल के ऐंचत उधारी और धरी है।

एक तै अनेक अंग धाई संत सारी संग
तरल तरंग भरी गंग सी है ढरी है।’(11)

सनातन धर्म के प्रति समर्पण : मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम Muslim Kaviyon ka Krishan Prem

इस्लाम में अवतारवाद में विश्वास नहीं किया जाता है।

लेकिन उक्त पद में शेख ने कृष्ण को अनेक रूप स्वीकार किये है।

यहां ईश्वर के अनेक रूपों को स्वीकार करने यह सिद्ध हो जाता है कि शेख भले ही मुस्लिम हो लेकिन पूरी तरह से अपने आप को भारतीय मान्यताओं तथा सनातन धर्म के प्रति समर्पित कर लिया है।

चूंकि आलम और शेख रीतिकालीन कवि है इसलिए उनके काव्य पर रीतिकालीन छाप स्पष्ट देखी जा सकती है शेख के मुक्तकों में राधाकृष्ण के प्रेम और विरह के चित्र अधिक प्राप्त होते है।

इन्होंने स्थान-स्थान पर राधा के सौन्दर्य, उनके नाज-नखरे तथा वियोग की स्थिति को चित्रित किया है।

शेख का वर्णन बड़ा ही उम्दा किस्म का है।

 

काव्य के स्थान के अनुसार देखे तो निश्चित रूप से उन्हें उच्च स्थान दिया जा सकता है।

जो कदाचित् कुछ भक्तिकालीन कवियों को भी दुर्लभ है।

ऋतु वर्णन में भी शेख का काव्य उच्च कोटी का है-

‘‘घोर घटा उमड़ी चहूं ओर ते ऐसे में मान न की जे अजानी
तू तो विलम्बति है बिन काज बड़े बूंदन आवत पानी

सेख कहै उठि मोहन पै चलि को सब रात कहोगी कहानी
देखुरी ये ललिता सुलता अब तेऊ तमालन सो लपटानी’’(12)

उच्च कोटी के कवि शेख

शेख की तरह आलम भी उच्च कोटी के कवि थे कविताओं में प्रायः कृष्ण के हर रूप का वर्णन बड़ा ही हृदयहारी बन पड़ा है।

कृष्ण को साधने वाले अनेक कवियों में मौलाना आजाद आजीमाबादी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।

कृष्ण भक्ति से सराबोर इस कवि को कृष्ण से आगे कृष्ण से अलग कुछ सूझता ही नहीं।

इन्हें कृष्ण की बांसुरी में वो आग नजर आती है जो सारे जहां को रोशन किये हुए है।

ये प्रेम की ठण्डी आग है जिसमें कवि भी जल रहा है।

कन्हैया तो उनके हृदय में बसा हुआ है उसे खोजने के लिए काशी मथुरा जाने की दरकार नहीं है-

‘बजाने वाले के है करिश्में
जो आप है महज बेखुदी में

न राग में है न रंग में है
जो आग है उसकी बांसुरी में है

हुआ न गाफिल रही तलासी
गया न मथुरा गया न काशी

मै क्यों कही की खाक उड़ता
मेरा कन्हैया तो है मुझी में’(13)

रसखान : मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम Muslim Kaviyon ka Krishan Prem

रसखान वास्तव में रस की खान है।

कृष्ण की जैसी भक्ति और काव्य रचना रसखान ने की है वह ऊँचाई विरले कवि ही प्राप्त कर सके हैं।

‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’ के अनुसार रसखान दिल्ली में निवास करते थे।

उनकी प्रीति एक साहुकार के पुत्र से थी।

उनकी यह आसक्ति वैष्णव भक्तों के प्रोत्साहन से कृष्ण भक्ति में परिवर्तित हो गई।

वैष्णवों द्वारा प्रदत कृष्ण चित्र लिये ये दिल्ली से ब्रज प्रदेश पहुंचे।

कृष्ण दर्शन की लालसा में अनेक मंदिरों की खाक छानते रहे।

अंततः गोविन्द कुण्ड में श्री नाथ जी के मंदिर में भक्त वत्सल भगवान कृष्ण ने इन्हें दर्शन दिये।

तदुपरान्त स्वामी विट्ठलनाथ जी ने अपने मंदिर में रसखान को बुलाया और वहीं वे कृष्ण लीला गान करते हुऐ कृष्ण भक्ति में निष्णात हुए।

इनके जन्म और मृत्यु के बारे में पर्याप्त मतभेद विद्यमान है।

रसखान उस ‘अनिवार’ प्रेम पंथ के यात्री है जो कमल तन्तु से भी कोमल और तलवार की धार से भी तेज जितना ही सीधा उतना ही टेढ़ा है।

 

‘‘कमल तन्तु सौ क्षीणहर कठिन खड़ग को धार
अति सूधो टेढो बहुर प्रेम पंथ अनिवार’’(15)

रसखान प्रेम का सुन्दर विस्तृत चित्रण करते हुए कहते है कि प्रेम वह नहीं है।

जिसमें दो मन मिलते है प्रेम वह है जिसमें दो शरीर एक हो जाए अर्थात् अपना शरीर अपना न होकर कृष्ण का हो जाये और कृष्ण का शरीर अपना हो जाये।

यही प्रेम की परिभाषा रसखान ने दी है-

‘‘दो मन इक होते सुन्यो पै वह प्रेम न आहि
होई जबै इै तन इक सोई प्रेम कहाइ।’’(16)

रसखान का अद्वैत प्रेम

इस प्रकार रसखान ने प्रेम अद्वैत को स्वीकारा है।

जिसमें दो का कोई स्थान नहीं है। आपका कृष्ण प्रेम जगत विख्यात है कृष्ण के प्रेम में रसखान वो सब कुछ बनना चाहते है जिसका संबंध किसी ना किसी रूप में कृष्ण से रहा है।

रसखान का प्रेम निश्छल है निर्विकार है।

जिसमें केवल विशुद्ध अपनापा है लाग लपेट के लिए कोई स्थान नहीं है।

‘‘मानुष हौ तो वही रसखानि, बसौ ब्रज गोकुल गांव के ग्वारन।’’लिखकर रसखान ने अपनी इच्छाओं को जग जाहिर किया है।

जीवन के प्रत्येक रूप में वे श्रीकृष्ण का सामीप्य ही चाहते है।

गोपी बनकर गायों को वन-वन चराना चाहते है।

कृष्ण की मोरपंख का मुकुट और गुंज की माला धारण करना चाहते है।

वो श्री कृष्ण का हर स्वांग कर लेना चाहते है-

‘‘मोर पंख सिर उपर राखिहौ, गुंज की माला गरे पहिरौंगी
ओढि पीताम्बर ले लकुटी बन गोधन ग्वारिन संग फिरोगी

भाव तो ओहि मेरो रसखानि, सो तेरे किये स्वांग करोंगी
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरान धरौंगी।’’(17)

मौलाना आजाद अजीमाबादी

कृष्ण की जिस बांसुरी में मौलाना आजाद अजीमाबादी को आग नजर आ रही थी।

वही बांसुरी रसखान की गोपियों के लिए सब कामों में बाधा पहुंचाती है।

कही वह सौतन की तरह जी सांसत में लाती है तो गोपिका जल का मटका तक नहीं भर पाती है।

उनके मन में यही होता है कि सारे बांस कट जाये ना रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी

‘‘जल की न घट गरै मग की न पग धरें
घर की न कछु करै बैठी भरै साँसुरी
एकै सुनि लौट गई एकै लोट पोट भई
एक निके दृगन निकसि आये आँसुरी
कहै रसनायक सो ब्रज वनितानि विधि
बधिक कहाये हाय हुई कुल होंसुरी
करिये उपाय बांस डारिये कटाय’’(18)

रसखान का साहित्यिक पक्ष

नहि उपजैगो बाँस नाहि बाजै फेरि बाँसुरी।

रसखान का साहित्यिक पक्ष बहुत ऊँचा है तो इनकी भक्ति भी उच्च कोटि की है।

यकीनन हिन्दी साहित्य का कृष्ण भक्ति काव्य रसखान के बिना अधूरा है।

कृष्ण की बाल लीला वर्णन की तुलना सूर के बाललीला वर्णन से सहज ही की जा सकती है-

धूरी भरे अति सोहत स्याम जू
तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी

खेलत खात फिरे अंगना पग
पैंजनियां कटि पीरी कछौटी

बा छवि को ‘रसखानि’ विलोकति
बारत काम कला निज कोटी

काग के भाग बड़े सजनी
हरि हाथ सौ ले गयो माखन रोटी(19)

धूल से भरे रसखान के बालकृष्ण किसी भी तरह से सूर के बाल गोपाल से कम नहीं है।

सिर पर बनी सुन्दर चोटी बताती है कि सूर के कृष्ण चोटी बढाने के लिए बार-बार दूध पीते है।

अपनी मैया से बार-बार पूछते है- ‘मैया कबहूं बढेगी चोटी पर अजहूं है छोटी’

यह चोटी रसखान तक आते-आते बड़ी हो चुकी है।

उनके सुन्दर रूप पर वे रसखान कामदेव की करोड़ो कलाएं न्यौछावर करने को तैयार है।

रहीम की भाषाशैली : मुस्लिम कवियों का कृष्ण-प्रेम Muslim Kaviyon ka Krishan Prem

‘रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून
पानी गये ना ऊबरे मोती मानस चून’’

ऐसा अमर काव्य रचने वाले अब्र्दुरहीम खानखाना बाबर के विश्वस्त साथी और अकबर के संरक्षक बैरम खां के पुत्र थे।

रहीम बहुभाषाविद् थे।

अरबी, फारसी, तुर्की, संस्कृत आदि भाषाओं पर रहीम का अच्छा अधिकार था।

रहीम को साहित्य का जितना ज्ञान था उतने ही कुशल वे सेनानायक भी थे।

उन्होंने कई युद्धों में भाग लिया और विजय प्राप्त की।

हिन्दी साहित्य की अमर निधि माने जाने वाले रहीम के दोहे आम जन में लोकोक्ति की तरह काम में लिये जाते है।

भक्ति और नीति का अमर काव्य रचने वाले रहीम ने युद्धों से समय निकाल कर साहित्य साधना की है।

कहा जाता है कि इनके पास अपार धन था दानी प्रवृत्ति होने के कारण सारा धन समाप्त हो गया।

फलस्वरूप इनका अंतिम समय बड़े कष्ट में बीता अमीरी में साथ देने वाले मित्रों ने मुँह मोड़ लिया लेकिन रहीम को इसका कोई दुःख नहीं था।

 

उन्हें तो बस अपने कृष्ण कन्हैा पर भरोसा था-

‘रहीम को ऊ का करै, ज्वारी चोर लबार
जा के राखनहार है माखन चाखन हार।’(20)

रहीम को जुआरी चोर से कोई भय नहीं है।

उनके रखवाले तो स्वयं माखन चोर कृष्ण है।

रहीम को चकोर रूपी मन रात दिन कृष्ण रूपी चंद्रमा को निहारता है।

उनका मन ठीक उसी तरह से कृष्ण में रम चुका है।

जैसे चकोर का मन चाँद में लगता है-

‘‘तै रहीम मन अपनो कीनो चारो चकोर
निसि बासर लाग्यो रहे कृष्ण चंद की ओर’’(21)

हजरत नफीस

हजरत नफीस को तो कन्हाई की आँखे और मुखड़ा इतना पसंद है कि बस उसे ही देखना चाहते है-

‘कन्हैया की आँखें, हिरण सी नसीली कन्हैया की शोखी, कली-सी रसीली’’

मिया वाहिद अली

मिया वाहिद अली को नंदलाल की ऐसी लगन लगी है कि वे दुनिया छोडने को उतारू है।

कृष्ण की मुस्कान, मुरली की तान, उनकी चाल कंचन की भाल धनुष जैसे सुन्दर नयनों पर वाहिद अपनी लगन लगाये रखना चाहता है-

‘‘सुन्दर सुजान पर मंद मुस्कान पर
बांसुरी की तान पर ठौरन ठगी रहे

मूरति बिसाल पर कंचन की माल पर
खजन सी चाल पर खौरन सजी रहे

भौंहे धनु मैनपर लोने जुग नैन पर
प्रेम भरे बैन पर ‘वाहिद’ पगी रहे

चंचल से तन पर साँवरे बदन पर
नंद के ललन पर लगन लगी रहे।’’(22)

मिया नजीर

आगरा के प्रसिद्ध कवि मिया नजीर का कृष्ण प्रेम बड़ा ही बेनजीर है।

मुरली की धुन ने उनको बेसुध किया।

कान्हा की बाँसुरी की धुन ऐसी है नर-नारी रिसी मुनी सब यह जयहरि जय हरि कह उठे है-

‘‘कितने तो मुरली धुन से हो गये धुनी
कितनों की खुधि बिसर गयी, जिस जिसने धुन सुनी
क्या नर से लेकर नारिया, क्यारिसी और मुनी

तब कहने वाले कह उठे, जय जय हरि हरि
ऐसी बजाई कृष्ण कन्हाइया ने बांसुरी’’(23)

मौलाना जफर अली साहब

सच्चिदानंद स्वरूप श्रीकृष्ण की महिमा, उदारता तथा रूपमाधुरी के वर्णन अगणित मुस्लमान कवियों ने भी किया है।

आधुनिक मुस्लिम कवियों ने भी अनेक ऐसे कवि हुये हैं जिनको श्रीकृष्ण के प्रति अथाह प्रेम है।

अनेक मुसलमान गायक वादक और अभिनेता बिना किसी भेदभाव के कृष्ण के पुजारी है।

पंजाब के मौलाना जफर अली साहब की आरजू भी अब सुन ले-

‘‘अगर कृष्ण की तालीम आम हो जाये
तो काम फितनगारो का तमाम हो जाये

मिट जाये ब्राह्मण और शेख का झगड़ा
जमाना दोनो घरों का गुलाम हो जाये

विदेशी की लड़ाई की छज्जी उड़ जाए
जहाँ पर तेग दुदुम का तमाम हो जाये

वतन की खाक से जर्रा बन जाए चांद
बुलंद इस कदर उसका मुकाम हो जाये

है इस तराने में बांसुरी की गूंज
खुदा करे वह मकबूल आम हो जाए’’(24)

अंततः

कृष्ण भक्ति में रमने वाले ये कवि तो कुछ उदाहरण मात्र है।

इनके अलावा ऐसे सैकड़ों कवि और कवयित्रियां है जिन्होंने कृष्ण से प्रेम किया है।

हिन्दी साहित्य के खजाने में अपना हिस्सा दान किया है।

ऐसे लेखक और कवि वर्तमान संकीर्ण और धार्मिक उन्माद के वातावरण में समन्वय स्थापित करने का काम करते है।

इन कवियों ने बिना किसी लाग लपेट के कृष्ण को अपना आराध्य माना है।

उन्मुक्त भाव से कृष्ण भक्ति करके धार्मिक सहिष्णुता का परिचय दिया है।

आधुनिक हिन्दी साहित्य के जनक भारतेन्दु हरिश्चंद्र का यह कथन उचित प्रतीत होता है कि- ‘‘इन मुस्लमान हरिजजन पै कोटिक हिन्दु वारियै’’

संदर्भ ग्रंथ-

(1)हिन्दी साहित्य का इतिहास, संपादक- डाॅ. नगेन्द्र, प्रकाशक-मयूर पेपर बेक्स, नोएडा
(2)‘लाम’ (ل ) उर्दू का एक अक्षर होता है। जिसकी शक्ल इस प्रकार होती है की पहले एक सीधी खड़ी लकीर खींचकर उसके नीचे के सीरे को बांये तरफ गोलाई के साथ उपर थोड़ा ले जाकर छोड़ दिया जाता है। उसकी शक्ल लगभग बालों की लटों (ل ) की जैसी हो जाती है।
(3)मुस्लिम कवियों का कृष्ण काव्य, बलदेव प्रसाद अग्रवाल, प्रकाशक- बलदेव प्रसाद अग्रवाल एंड संस अजमेर
(4)शिव सिंह सरोज के अनुसार 1652 वि., मिश्र बंधु विनोद के देवीप्रसाद द्वारा अनुमानित 1700 वि. (1643 ई.) का उल्लेख मिलता है।
(5)सानुबंध- मासिक उन्नाव, दिस. 1987 ई. के अंक में बनवारीलाल वैश्य कृत लेख ‘ताज का कृष्णानुराग’

(6)गीताप्रेस-गोरखपुर से प्रकाशित ‘कल्याण’पत्रिका का अंक भाग संख्या 28 (www.ramkumarsingh.com से प्राप्त आलेख के अनुसार)
(7)मुस्लिम कवियों का कृष्णकाव्य- बलदेव प्रसाद अग्रवाल एंड संस, अजमेर
(8)हिन्दी साहित्य का वस्तुनिष्ठ इतिहास- डाॅ. रामप्रसाद मिश्र, प्रकाशक- सतसाहित्य भंडार, नई दिल्ली।
(9)मुस्लिम कवियों का कृष्णकाव्य- बलदेव प्रसाद अग्रवाल, प्रकाशक- बलदेव प्रसाद अग्रवाल एण्ड संस, अजमेर।
(10)वही
(11)वही
(12)वही
(13)मुस्लिम कवियों की कृष्ण भक्ति- स्वामी पारसनाथ तिवाड़ी, कल्याण पत्रिका, गीताप्रेस गोरखपुर
(14)दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता
(15)रसखान रचनावली- विद्यानिवास मिश्र, प्रकाशक- वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली
(16)वही
(17)वही
(18)वही
(19)वही
(20)हिन्दी साहित्य का वस्तुनिष्ठ इतिहास- डाॅ. रामप्रसाद मिश्र, सतसाहित्य भंडार, नई दिल्ली।
(21)वही
(22)स्वामी पारसनाथ सरस्वती- कल्याण पत्रिका, गीताप्रेस गोरखपुर
(23)वही
(24)वही

हाइकु (Haiku) कविता

संख्यात्मक गूढार्थक शब्द

मुसलिम कवियों का कृष्णानुराग

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मानवाधिकार आयोग Human Rights – राज्य मानव अधिकार आयोग

राज्य मानव अधिकार आयोग – Human Rights

मानवाधिकार आयोग Human Rights | इतिहास, गठन, मुख्यालय, स्थापना, आयोग के सदस्य | राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग | Manvadhikar Aayog

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य स्तर पर राज्य मानव अधिकार आयोग को स्थापित करने की व्यवस्था है।

अधिनियम के अध्याय 5 की धारा 21 से 29 तक मेंराज्य मानवाधिकार आयोग के गठन शक्तियां एवं कार्यों का विस्तृत वर्णन किया गया है।

राजस्थान की राज्य सरकार ने दिनांक 18 जनवरी 1999 को एक अधिसूचना जारी कर राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग का गठन किया, यह आयोग मार्च 2000 से क्रियाशील हो गया था।

आयोग में मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के प्रावधानों के अनुसार एक पूर्णकालिक अध्यक्ष तथा चार सदस्यों का प्रावधान है।

राज्य मानव अधिकार आयोग का गठन (धारा 21) : मानवाधिकार आयोग Human Rights

(1) कोई राज्य सरकार, इस अध्याय के अधीन राज्य आयोग को प्रदत शक्तियों का प्रयोग करने के लिए और सौपे गए कृत्यों का पालन करने के लिए एक निकाय का गठन कर सकेगी जिसका नाम…………………(राज्य का नाम) मानव अधिकार आयोग होगा।

(2) राज्य आयोग ऐसी तारीख से, जो राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे, निम्नलिखित से मिलकर बनेगा, अर्थात् –

(क) एक अध्यक्ष, जो किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति रहा है। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधित) 2019 के अनुसारअध्यक्ष पद के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ उच्चन्यायालय के अन्य न्यायाधीश भी योग्य होंगे

(ख) एक सदस्य, जो किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश है या रहा है. या राज्य में जिला न्यायालय का न्यायाधीश है या रहा है, और जिसे जिला न्यायाधीश के रूप में कम से कम सात वर्ष का अनुभव है,

(ग) एक सदस्य, जो ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किया जाएगा जिन्हें मानव अधिकारों से संबंधित विषयों का ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है,

(3) एक सचिव होगा, जो राज्य आयोग का मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा और वह राज्य आयोग की ऐसी शक्तियों का प्रयोग है और ऐसे कृत्यों का निर्वहन करेगा, जो राज्य आयोग उसे प्रत्यायोजित करे।

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधित) 2006 के अनुसार राजस्थान में राजस्थान मानव अधिकार आयोग की सदस्य संख्या एक अध्यक्ष तथा दो पूर्णकालिक सदस्यों को मिलाकर कुल तीन सदस्य है

(4) राज्य आयोग का मुख्यालय ऐसे स्थान पर होगा जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे।

(5) कोई राज्य आयोग केवल संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 2 और सूची 3 में प्रगणित प्रविष्टियों में से किसी से संबंधित विषयों की बाबत मानव अधिकारों के अतिक्रमण किए जाने की जांच कर सकेगा:

परन्तु

यदि किसी ऐसे विषय के बारे में आयोग द्वारा या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन सम्यक रूप से गठित किसी अन्य आयोग द्वारा पहले से ही जांच की जा रही है तो राज्य आयोग उक्त विषय के बारे में जांच नहीं करेगा।

राज्य आयोग उस तारीख से जिसको मानव अधिकारों काअतिक्रमण गठित करने वाले कार्य का किया जाना अभिकथित है एक वर्ष की समाप्ति के पश्चात किसी विषय की जाँच नहीं करेगा (अर्थात एक वर्ष से अधिक पुराने मामले की जाँच नही करेगा)।

(6) दो या दो से अधिक राज्य सरकार, राज्य आयोग के अध्यक्ष या सदस्य की सहमति से, यथास्थिति, ऐसे अध्यक्ष या सदस्य को साथ-साथ अन्य राज्य आयोग का सदस्य नियुक्त कर सकेगी यदि ऐसा अध्यक्ष या सदस्य ऐसी नियुक्ति के लिए सहमति देता है।

परन्तु उस राज्य की बाबत जिसके लिए, यथास्थिति, सामान्य अध्यक्ष या सदस्य या दोनों नियुक्त किए जाने है इस धारा के अधीन की गई प्रत्येक नियुक्ति धारा 22 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट समिति की सिफारिशें अभिप्राप्त करने के पश्चात् की जाएगी।

राज्य आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति (धारा 22) : मानवाधिकार आयोग Human Rights

(1) राज्यपाल अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त करेगाः

परन्तु इस उपधारा के अधीन प्रत्येक नियुक्ति ऐसी समिति की सिफारिशें प्राप्त होने के पश्चात् की जाएगी, जो निम्नलिखित से मिलकर बनेगी, अर्थात् :

(क) मुख्य मंत्री – अध्यक्ष

(ख) विधान सभा का अध्यक्ष – सदस्य

(ग) उस राज्य का गृहमंत्री – सदस्य

(घ) विधानसभा में विपक्ष का नेता – सदस्य :

( जहां किसी राज्य में विधान परिषद है, वहा उस परिषद् का सभापति और उस परिषद में विपक्ष का नेता भी समिति के सदस्य होंगे )

शपथ-  राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को शपथ राज्य उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश दिलाता है

आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों का पद त्याग या पदच्युति

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 अध्याय 5 की धारा 23 में राज्य आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को पदच्युत करने से संबंधित उपबंध किए गए हैं-

विशेषराज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है परंतु उन्हें पद से हटाने की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास होती है।

(1) अध्यक्ष या कोई सदस्य राज्यपाल को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लिखित सूचना द्वारा अपना पद त्याग सकेगा।

(1क) उपधारा (2) के अनुसार आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा निम्नलिखित में से किसी आधार पर पदच्युतकियाजा सकता है-

सिद्ध कदाचार/दुर्व्यवहार।

अक्षमता के आधार पर।

उक्त प्रकार से पदच्युत किये जाने से पूर्व राष्ट्रपति द्वारा-

उच्चतम न्यायालय को निर्देशित किया जाएगा।

विहित प्रक्रिया द्वारा उच्चतम न्यायालय द्वारा मामले की जांच की जाएगी।

जांच की रिपोर्ट राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।

जांच रिपोर्ट में अध्यक्ष या सदस्य के विरुद्ध सिद्ध कदाचार/दुर्व्यवहार अथवा अक्षमता सिद्ध होने पर राष्ट्रपति उन्हें पदच्युत कर सकता है।

(2) उपधारा (1क) के अनुसार आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा निम्नलिखित में से किसी आधार पर पदच्युतकियाजा सकता है-

दिवालिया घोषित कर दिया गया हो।

किसी लाभ के पद पर हो विकृत चित्त हो या सक्षम न्यायालय द्वारा इस प्रकार घोषित कर दिया गया हो।

मानसिक और शारीरिक दुर्बलता के कारण पद पर बने रहने के अयोग्य हो गया हो।

किसी ऐसे अपराध के लिए जो राष्ट्रपति की राय में नैतिक अपराध के लिए जो राष्ट्रपति की राय में नैतिक पतन वाला हो दोष सिद्ध हो गया हो और उसे कारागार की सजा दे दी गयी हो।

राज्य आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की पदावधि (धारा 24) : मानवाधिकार आयोग Human Rights

(1) अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया कोई व्यक्ति, अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक या सत्तर वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक, इनमें से जो भी पहले हो, अपना पद धारण करेगा। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधित) 2019 के अनुसार अध्यक्ष का कार्यकाल 3 वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु जो भी पहले होतक का होगा तथा वह 5 वर्ष के लिए पुनः नियुक्ति का पात्र भी होगा

(2) सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया कोई व्यक्ति, अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक अपना पद धारण करेगा तथा पांच वर्ष की और अवधि के लिए पुनर्नियुक्ति का पात्र होगा। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधित) 2019 के अनुसार सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु जो भी पहले होतक का होगा

परन्तु यह कि कोई भी सदस्य सत्तर वर्ष की आयु प्राप्त (पूर्ण) करने के बाद पद को धारण नहीं करेगा।

(3) अध्यक्ष या कोई सदस्य, अपने पद पर न रह जाने पर, किसी राज्य की सरकार के अधीन या भारत सरकार के अधीन किसी भी और नियोजन का पात्र नहीं होगा।

कतिपय परिस्थितियों में सदस्य का अध्यक्ष के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन

अध्यक्ष की मृत्यु, पदत्याग या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्ति की दशा में राज्यपाल, अधिसूचना द्वारा, सदस्यों में से किसी एक सदस्य को अध्यक्ष के रूप में तब तक कार्य करने के लिए प्राधिकृत कर सकेगा जब तक ऐसी रिक्ति को भरने के लिए नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो जाती।

जब अध्यक्ष छुट्टी पर अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तब सदस्यों में से एक ऐसा सदस्य, जिसे राज्यपाल, अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त प्राधिकृत करे, उस तारीख तक अध्यक्ष के कृत्यों का निर्वहन करेगा जिस तारीख को अध्यक्ष अपने कर्तव्यों को फिर से संभालता है।

राज्य आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा के निबन्धन और शर्ते (धारा 26) : मानवाधिकार आयोग Human Rights

अध्यक्ष और सदस्यों को संदेय वेतन और भत्ते तथा उनकी सेवा के अन्य निबंधन और शतें ऐसी होंगी, जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएं:

परन्तु अध्यक्ष किसी सदस्य के वेतन और भत्तों में तथा सेवा के अन्य निबंधनों और शर्तों में उसकी नियुक्ति के पश्चात् उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

राज्य आयोग के अधिकारी और अन्य कर्मचारिवृन्द (धारा 27)

(1) राज्य सरकार, आयोग को-

(क) राज्य सरकार के सचिव की पंक्ति से अनिम्न पक्ति का एक अधिकारी, जो राज्य आयोग का सचिव होगा।

(ख) ऐसे अधिकारी के अधीन, जो पुलिस महानिरीक्षक की पक्ति से नीचे का न हो, ऐसे पुलिस और अन्वेषण कर्मचारिवृन्द तथा ऐसे अन्य अधिकारी और कर्मचारिवृन्द, जो राज्य आयोग के कृत्यों का दक्षतापूर्ण पालन करने के लिए आवश्यक हो, उपलब्ध कराएगी।

(2) ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए, जो राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त बनाए जाए. राज्य आयोग, ऐसे अन्य प्रशासनिक, तकनीकी और वैज्ञानिक कर्मचारिवृन्द नियुक्त कर सकेगा, जो यह आवश्यक समझे।

(3) उपधारा (2) के अधीन नियुक्त अधिकारियों और अन्य कर्मचारिवृन्द के वेतन, भत्ते और सेवा की शर्तें ऐसी होगी, जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाए।

राज्य आयोग की वार्षिक और विशेष रिपोर्ट (धारा 28) : मानवाधिकार आयोग Human Rights

(1) राज्य आयोग, राज्य सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा

(2) राज्य सरकार, राज्य आयोग की वार्षिक और विशेष रिपोर्ट को

राज्य आयोग की सिफारिशों पर की गई या की जाने के लिए

प्रस्तावित कार्रवाई के ज्ञापन सहित और सिफारिशों की अस्वीकृति के कारणों सहित,

यदि कोई हो, जहां राज्य विधान-मंडल दो सदनों से मिलकर बनता है

वहां प्रत्येक सदन के समक्ष,

या जहां ऐसा विधान-मंडल एक सदन से मिलकर बनता है वहां उस सदन के समक्ष, रखवाएगी।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से संबंधित कतिपय उपबंधों का राज्य आयोगों को लागू होना (धारा 29)

धारा 9, धारा 10, धारा 12, धारा 13, धारा 14, धारा 15, धारा 16, धारा 17 और धारा 18 के उपबंध राज्य आयोग को लागू होंगे और वे निम्नलिखित उपांतरणों के अधीन रहते हुए प्रभावी होंगे, अर्थात्

(क) “आयोग’ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे “राज्य आयोग के प्रति निर्देश हैं,

(ख) धारा 10 की उपधारा (3) में, “महासचिव” शब्द के स्थान पर “सचिव’ शब्द रखा जाएगा.

(ग) धारा 12 के खंड (च) का लोप किया जाएगा,

(घ) धारा 17 के खंड (6) में से “केन्द्रीय सरकार या किसी” शब्दों का लोप किया जाएगा।

पूछे जाने वाले प्रश्न : मानवाधिकार आयोग Human Rights

राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग:

राजस्थान में मानव अधिकारों के प्रभावी संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों का बोध राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के क्रिया-कलापों से होता है।

इसका गठन मार्च 1999 में हुआ था मार्च 2000 में आयोग क्रियाशील हुआ।

मानव अधिकार क्या हैं? 

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2(घ) के अनुसार ‘‘मानवअधिकारों’’ से तात्पर्य संविधान द्वारा प्रत्याभूत अथवा अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं में अन्‍तर्निहित उन अधिकारों से है जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा से आशय संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 16 दिसम्बर,1966 को अभिस्वीकृत, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्रसंविदा से है।

राज्य आयोग के कार्य एवं उसमें निहित शक्तियां : राज्य मानव अधिकार आयोग

आयोग निम्नलिखित सभी या किन्हीं कृत्यों का निष्पादन करेगा, अर्थात्-

(क) स्वप्रेरणा से या किसी पीड़ित या उसकी ओर से किसी व्यक्ति द्वारा उसे प्रस्तुत याचिका पर

(1) मानव अधिकारों के उल्लंघन या उसके अपशमन की, या

(2) किसी लोक सेवक द्वारा उसउल्लंघन को रोकने में उपेक्षा की शिकायत की जांच करेगा,

(ख) किसी न्यायालय के समक्ष लम्बित मानव अधिकारों के उल्लंघन के किसी अभिकथन वाली किसी कार्यवाही में उस न्यायालय की अनुमति से हस्तक्षेप करेगा,

(ग) राज्य सरकार को सूचना देने के अध्यधीन,

राज्य सरकार के नियन्त्रणाधीन किसी जेल या किसी अन्य संस्था का,

जहॉं पर उपचार,सुधार या संरक्षण के प्रयोजनार्थ व्यक्तियों को निरूद्ध किया जाता है या

रखा जाता है निवास करने वालों की जीवन दशाओं का अध्ययन करने एवं

उस पर सिफारिशें करने के लिए निरीक्षण करेगा,

(घ) मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए संविधान या तत्समय प्रवृत्त किसी कानून द्वारा या उसके अधीन प्रावहित सुरक्षाओं का पुनर्वालोकन करेगा तथा उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सिफारिशें करेगा,

(ड) उन कारकों का, जिसमें उग्रवाद के कृत्य भी हैं,

मानव अधिकारों के उपयोग में बाधा डालते हैं,

पुनरावलोकन करेगा एवं उपयुक्त उपचारात्मक उपायों की सिफारिश करेगा,

(च) मानव अधिकारों ने क्षेत्र में अनुसंधान एवं उसे प्रोन्नत करेगा

(छ) समाज के विभिन्न खण्डों में मानव अधिकार साक्षरता का प्रसार करेगा तथा प्रकाशकों,

साधनों (मीडिया) सेमीनारों एवं अन्य उपलब्ध साधनों के माध्यम से

इन अधिकारों के संरक्षण के लिए उपलब्ध सुरक्षाओं के प्रति जागरूकता को विकसित करेगा,

(ज) मानव अधिकारों के क्षेत्र में कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों एव संस्थाओं के प्रयत्नों को प्रोत्साहन देगा,

(झ) ऐसे अन्य कृत्य करेगा जिन्हें वह मानव अधिकारों के संवर्धन के लिए आवश्यक समझेगा।

आयोग में निहित जांच से संबंधित शक्तियां : मानवाधिकार आयोग Human Rights

अधिनियम के अंतर्गत किसी शिकायत की जांच करते समय आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अंतर्गत निम्नलिखित मामलों में, सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त होंगी:-

(क) गवाहों को सम्मन जारी करके बुलाने तथा उन्हें हाजिरी हेतु बाध्य करने एवं उन्हें शपथ दिलाकर परखने के लिए,

(ख) किसी दस्तावेज का पता लगाने और उसको प्रस्तुत करने के लिए,

(ग) शपथ पत्र पर गवाही देने के लिए,

(घ) किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से किसी सरकारी अभिलेख अथवा उसकी प्रतिलिपि की मांग करने के लिए,

(ड) गवाहियों तथा दस्तावेजों की जॉंच हेतु कमीशन जारी करने के लिए,

(च) निर्धारित किए गए किसी अन्य मामले के लिए।

क्या आयोग के पास अपना अन्वेषण दल है?

जी हॉं। मानव अधिकारों के हनन से संबंधित शिकायतों की जांच करने के लिए आयोग के पास अपना अन्वेषण दल है।

अधिनियम के अंतर्गत आयोग को इस बात की भी छू प्राप्त है कि वह राज्य सरकार के किसी अधिकारी अथवा अभिकरण की सेवाओं का उपयोग कर सके।

क्या आयोग स्वायत्तशासी निकाय है? 

जी हॉं। आयोग की स्वायतत्ता इसके सदस्यों की नियुक्त के ढंग,

उनके कार्यकाल की स्थिरता और सवैधानिक गारंटी,

उनको दी गर्इ पदवी और आयोग के लिए,

जिसमें अन्वेषण अभिकरण भी शामिल है,

स्टाफ की नियुक्ति का तरीका,

कर्मचारियों का दायित्व और उनके कार्य-निष्पादन से स्वयं स्पष्‍ट होता हो जाती है।

आयोग की वित्तीय स्‍वायत्तता का वर्णन अधिनियम की धारा 33 में किया गया है।

अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित एक समिति जिसमें विधान सभा के अध्यक्ष,

गृहमंत्री एवं विधान सभा के विपक्ष के नेता है सदस्य हैं कि अनुशंसा पर राज्यपाल द्वारा की जाती है।

आयोग द्वारा शिकायतों की जाँच किस प्रकार से की जाती है? 

मानव अधिकारों के हनन से संबंधित शिकायतों की जाँच करते समय

आयोग राज्य सरकार अथवा उनके अधीन किसी अन्य प्राधिकरण

अथवा संगठन से निर्दिष्टतारीख तक आयोग को सूचना या रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती तो

वह अपनी ओर से स्वयं शिकायत की जाँच कर सकता है।

दूसरी और ऐसी सूचना या रिपोर्ट प्राप्त होने पर आयोग यदि संतुष्ट हो जाता है कि

अब आगे कोर्इ जाँच करने की जरूरत नहीं है

अथवा संबंधित राज्य सरकार या प्राधिकारी द्वारा अपेक्षित जाँच शुरू कर दी गई है तो वह,

आम तौर से, ऐसी शिकायत पर आगे जाँच नहीं करेगा तथा तदनुसार शिकायतकर्ता को तत्संबंधी कार्रवाई की सूचना दे देगा।

जाँच के बाद आयोग क्या कार्रवाई कर सकता है?

जाँच पूरी होने के पश्चात् आयोग निम्नलिखित में से कोई भी कार्रवाई कर सकता है:

(1) जाँच से आयोग को जहाँ यह पता चलता है कि लोक सेवक द्वारा मानव अधिकारों का हनन किया गया है अथवा उसने ऐसे हनन को रोकने की उपेक्षा की है तो ऐसी स्थिति मे आयोग राज्य अथवा प्राधिकारी को संबंधित व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के खिलाफ अभियोजन अथवा ऐसी अन्य कार्रवाई शुरू करने की, जो उचित हो, अनुशंसा कर सकता है,

(2) आयोग उच्चतम न्यायालय या संबंधित उच्च न्यायालय से ऐसे निर्देशों,

आदेशों अथवा रिपोर्टों के लिए,

जो भी वह न्यायालय आवश्यक समझें, अनुरोध कर सकता है,

(3) आयोग पीड़ित व्यक्ति अथवा उसके परिवार के सदस्यों को,

जिसे भी आयोग आवश्यक समझे,

राज्य सरकार अथवा प्राधिकारी से अंतरिम सहायता तत्काल देने की अनुशंसा कर सकता है।

शिकायत किस भाषा में की जा सकती है?

शिकायतें हिन्दी, अंग्रेजी अथवा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किसी भाषा में भेजी जा सकती है।

शिकायतें अपने आप में पूर्ण होनी चाहिए। शिकायतों के लिए कोई फीस नहीं ली जाती।

आयोग जब भी आवश्यक समझे आरोपों के समर्थन में और अधिक सूचना भेजने तथा शपथ-पत्र दाखिल करने की मांग कर सकता है।

स्वविवेक से तार तथा फैक्स द्वारा भेजी गर्इ शिकायतें भी स्वीकार कर सकता है।

आयोग द्वारा किसी प्रकार की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की जाती?

आमतौर से निम्नलिखित प्रकार की शिकायतों पर आयोग द्वारा कार्रवार्इ नहीं की जाती:

(क) ऐसी घटनाएं जिनकी शिकायतें उनके घटित होने के एक साल बाद की गई हों,

(ख) ऐसे मामले जो न्यायालय में विचाराधीन हों,

(ग) ऐसी शिकायतें भी, जो अस्पष्ट, बिना नाम अथवा छद्म नाम से की गई हों,

(घ) ऐसी शिकायतें जो ओछेपन की परिचाय कहों,

(ड) ऐसी शिकायतें जो सेना से सम्बन्धित मामलों के बारे में हो।

(च) यदि किसी शिकायत पर अन्य सक्षम आयोग द्वारा पूर्व में ही कार्यवाही आरम्भ की जा चुकी हो।

(छ) ऐसी शिकायत जो मूलरूप से किसी अन्य आयोग/अधिकारी/प्राधिकारी को संबोधित की गई हो

आयोग द्वारा प्राधिकारी/राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट/अनुशंसाओं के बारे में उनका क्या दायित्व है?

आयोगद्वारा प्राधिकारी/राज्य सरकार को भेजी गई सामान्य प्रकार की शिकायतों पर अपनी टिप्पणी की गई कार्रवाई की सूचना आयोग का एक महीने के भीतर भेजनी होती है

आयोग के अब तक कार्यों का केन्द्र बिन्दु (फोकस) क्या है?

आयोगके कार्य क्षेत्र में सभी प्रकार के वे मानव अधिकार आते हैं जिनमें नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं।

आयोग हिरासत में हुई मौतों, बलात्कार, उत्पीड़न, पुलिस और जेलों में ढांचागत सुधार, सुधार गृहों, मानसिक अस्पतालों की हालत सुधारने के मामलों पर विशेष ध्यान दे रहा है।

समाज के सबसे अधिक कमजोर वर्ग के लोगों के अधिकारों का संरक्षण करने की दृष्टि से,

14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को आवश्यक तथा निशुल्क शिक्षा प्रदान करने,

गरिमा के साथ जीवन व्यतीत करने,

माताओं और बच्चों के कल्याण हेतु प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की,

आयोग ने सिफारिशें की हैं।

समानता और न्याय का हनन कर,

नागरिकों के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों,

विस्थापित हुए लोगों की समस्याएं और भूख के कारण लोगों की मौंतें,

बाल श्रमिकों का शोषण, बाल वेश्यावृत्ति,

महिलाओं के अधिकारों आदि पर आयोग ने अपना ध्यान केन्द्रित किया है।

आयोग द्वारा शुरू किए गए अन्य प्रमुख कार्य:

अपनी व्यापक रूप से बढ़ती हुई जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने शिकायतों की जॉंच के अलावा निम्नलिखित कार्यों को भी अपने हाथ में लिया है

नागरिक स्वतंत्रताएं : मानवाधिकार आयोग Human Rights

(1) पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने के अधिकार के दुरूपयोग को रोकने के लिए दिशा-निर्देश।

(2) जिला मुख्यालय में ‘‘मानव अधिकार प्रकोष्‍ठ’’ की स्थापना।

(3)हिरासत में हुई मौतों, बलात्कार और मानवीय उत्पीड़न को रोकने के उपाय।

(4) व्यवस्थागत सुधार 1- पुलिस, 2- जेल, 3- नजर बन्दी केन्द्र।

(5) माताओं में अल्परक्तता और बच्चों में जन्मजात मानसिक अपंगता की रोकथाम।

(6) एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के मानव अधिकार।

(7) मानसिक अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधार

(8) हाथ से मैला ढोने की प्रथा समाप्त करने के लिए प्रयास।

(9) गैर-अधिसूचत और खानाबदोश जनजातियों के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए सिफारिशें करना।

(10) जनस्वास्थ्य प्रदूषण नियंत्रण, खाद्य पदार्थो में मिलावट की रोकथाम, औषधियों में मिलावट व अवधिपार औषधियों पर रोक।

(11) धर्म, जाति, उपजाति आदि के बहिष्कार के मामलात

(12) मानव अधिकारों की शिक्षा का प्रसार और अधिकारों के प्रति जागरूकता में वृद्धि।

क्या आप चाहतें हैं कि आपके परिवाद/शिकायत पर आयोग द्वारा शीघ्र प्रभावी कार्यवाही हो? 

यदि हां तो कृपया अपने परिवाद/शिकायत में यथा सम्भव निम्न सूचना अवश्य अंकित करें:-

(क) पीडित व्यक्ति का नाम, पिता/पति का नाम, जाति, निवास का पता-गांव/शहर, डाकघर, पुलिस थाना जिले सहित।

(ख) जिस व्यक्ति/अधिकारी/कार्यालय के विरूद्व शिकायत, उसका पूरा विवरण।

(ग) शिकायत/घटना/उत्पीड़न का पूरा विवरण (घटना, स्थान, तारीख, महीना वर्ष सहित)

(घ) घटना की पुष्टि करने वाले साक्षियों के नाम-पता, यदि ज्ञात हो तो

(ड) घटना की पुष्टि में दस्तावेजी सबूत, यदि कोई हो तो,

(च) यदि किसी अन्य अधिकारी/कार्यालय/मंत्रालय को शिकायत भेजी हो तो उसका नाम एवं उस पर यदि कोई कार्यवाही हुई हो तो उसका विवरण।

(छ) क्या आपने पूर्व में इस आयोग या राष्ट्रीय आयोग में इस विषय में शिकायत की हैं , यदि हां तो उसका विवरण एवं परिणाम।

(ज) क्या इस मामले में किसी फौजदारी/दीवानी/राजस्व अदालत में या विभागीय कोई कार्यवाही हुई या लंबित है , हां तो उसका विवरण। (उद्धृत– पूछे जाने वाले प्रश्न http://rahe.rajasthan.gov.in)

स्रोत:-

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993, मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधित) 2006, मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधित) 2019

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मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2019 के प्रमुख संशोधन, राष्ट्रीय राज्य मानव अधिकार आयोग का संगठन, कार्यकाल, शक्तियां संघ शासित क्षेत्र

प्रमुख संशोधन

1- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का संगठनात्मक ढांचा

(क) मूल अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष केवल सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हो सकता है। संशोधन के बाद उच्चतम न्यायालय का कोई भी पूर्व न्यायाधीश आयोग का अध्यक्ष हो सकता है।
(ख) मूल अधिनियम में ऐसे दो पूर्णकालिक सदस्यों का प्रावधान था, जिन्हें मानव अधिकारों की व्यापक समझ हो। संशोधन के पश्चात ऐसे सदस्यों की संख्या तीन होगी जिनमें से एक सदस्य महिला सदस्य होना आवश्यक है।
(ग) मूल संविधान में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोगए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोगए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोगए राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष ही मानव अधिकार आयोग के सदस्य होते हैं। संशोधन के पश्चात राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोगए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष तथा दिव्यांगों के लिए मुख्य आयुक्त को भी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का सदस्य नियुक्त किया जा सकता है।

2- राज्य मानव अधिकार आयोग का संगठनात्मक ढांचा

मूल अधिनियम में राज्य मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश को ही नियुक्त किया जा सकता है।

संशोधन के पश्चात उच्च न्यायालय का कोई भी पूर्व न्यायधीश राज्य मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त हो सकता है।

3- कार्यकाल

मूल अधिनियम में राष्ट्रीय तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु;

जो भी पहले होद्ध पूर्ण होने तक होता था।

संशोधन के पश्चात कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु;

जो भी पहले हो, कर दिया गया है तथा अध्यक्ष पुनः नियुक्ति का पत्र भी होगा।

4- शक्तियां

मूल संविधान में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के महासचिव तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के सचिव उनकी शक्तियों का उपयोग करते थे जो उन्हें सौंपी जाती थी। संशोधन के बाद महासचिव और सचिव अध्यक्ष के अधीन सभी प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकेंगे, किंतु इनमें न्यायिक शक्तियां शामिल नहीं है।

5 संघ शासित क्षेत्र

संशोधन के बाद संघ शासित क्षेत्र से संबंधित मामलों को केंद्र सरकार राज्य मानव अधिकार आयोग को सौंप सकती है,

किंतु संघ शासित क्षेत्र दिल्ली से संबंधित मामले राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा निपटाए जाएंगे।

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भारत का विधि आयोग (Law Commission, लॉ कमीशन)

मानवाधिकार (मानवाधिकारों का इतिहास)

मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019

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