पर्यायवाची शब्द न से

न अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द

न अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द  Paryayvachi Shabd | समानार्थी शब्द | All Hindi Synonyms | Paryayvachi shabd kise kahte hai | Paryayvachi shabd ka arth | | पर्यायवाची शब्द का अर्थ |

पर्यायवाची शब्द न से

नंगा – अनावृत्त, नग्न, दिगम्बर, वस्त्रहीन।

नकटा – अनासिकी, नाक-कटा, बिगत नासिकी।

नकल – अनुकरण, अनुकृति, अभिनय, प्रतिलिपि, स्वाँग।

नकली – असत्य, कूट, जाली, झूठा, बनावटी।

नकारना – अस्वीकार करना, न मानना, मुकरना।

नक्श – अंकित, आकृति, खचित, चित्रित, स्वरूप।

नक्शा – आकृति, गढन, ठप्पा, ढाँचा, बनावट, मानचित्र, रेखा-चित्र।

नक्षत्र – उडु, तारा, तारिका, नखत, भ।

नक्षत्रों का समूह – उडुगण, तरैया, नखतावली।

नख – करज, कूटस्थ, खपुर, चक्रकारक, चक्रनख, चक्री, द्वीपिनख, नखांक, व्यालाधु।

नखरा – अदा, चटक-मटक, चपलता, चुलबुलापन, चुलबुलाहट, चोचला, ठसक, नाज, हाव-भाव।

नखी – कोलदल, खुर, नखरी, नागहनु, पण्यविलासिनी, बदरीवच, रूप्य, शुक्ति, शंख, शंखनख, हट्टविसासिनी, हनु।

नगपति – नगेश, नगेंद्र, पर्वतराज, पर्वतेश्वर, शैलेन्द्र, हिमालय।

नगर – नगरी, निगम, पत्तन, पुटभेदन, पुर, पुरी।

नजर – दृष्टि, निगाह।

नट – कृशाश्वी, जायाजीव, नर्त्तक, भरतपुत्रक, रंगजीव, रंगावतारक, शैलूष।

नत्थ – नकबेसर, नथिया, नथुनी, बेसर।

नदी – अधगा, अपगा, आपगा, ऋषिकुल्या, कल्लोलिनी, कूलकंषा, कूलवती, जम्बालिनी, जलधिगा, जलमाला, तटिनी, तरंगवती, तरंगिणी, तलोदा, द्वीपवती, धारावती, धुनि, धुनी, नै, नद, निम्नगा, निर्झरिणी, निर्झरी, नोचगा, प्रवाहिनी, फूलंकषा, रजवती, रोधवक्ता, लहरी, वाहिनी, विरेका, शर्करी, शैबलिनी, शैवलिनी, शैवालिनी, शैलजा, श्रोती, समुद्रपत्नी, सरि, सरित, सरिता, सिंधुगामिनी, स्रवन्ती, स्रवती, स्रोतवती, स्रोतस्वती, स्रोतस्विनी, हृदिनी।

ननद – नंद, नंदा, ननदी, ननान्दा, ननान्दरि, पतिस्वसा।

नभअंतरिक्ष, अंतरीक्ष, अंबर, अंभ, औंधा घड़ा, अक्षर, अनंग, अनंत, अब्ज, अभ्र, अर्श, आकाश, आसमान, उडुपथ, ख, खगोल, गगन, घनाश्रय, चर्ख, तारापथ, त्रिपिष्टप, द्यु, द्यावा, द्यो, द्यौ, दिव, नभस्थल, नाक, नील, नीलनिलय, नीलाकाश, पुष्कर, फलक, बुलन्द, भुवन, मरुत्पथ, मरुद्वर्त्म, महाबिल, महाशून्य, मेघपथ, मेघवर्त्म, मेघवेष्म, मेरूपृष्ठ, लोकलाश, व्योम, वायुमण्डल, वितान, वियतू, विष्णुपद, विहाय, शून्य, शून्यसर्वतोमुख, सुरवर्त्म, सोमधारा, स्वर्गपथ।

नम – आर्द्र, गीला, तर, भीगा।

पर्यायवाची शब्द न से

नमक – क्षार, जलरस, नोन, लवण, लावण्य, सर्वरस।

नमक(कँचिया) – कँचिया नोंन, काचगल, काचसंभव, काचलवण, काचसौवर्चल, काचोद्भव, काललवण, कुरुविन्द, चेत्थ, त्रिकूट, नील, नीलक, नीलकाचोद्भव, पाकजका, पाक्याह्व, लवण, हयगंध।

नमक(काला) – अक्ष, कृष्णलवण, कोद्रविक, चौहार कोड़ा, तिलक, दुर्गन्ध, पाक्य, मेचक, रुचक, रुच्य, शूलनाशक, सोचर नोंन, सौवर्चल, हृदयगंध।

नमक(खारा) – ऊषरज, ऊषरलवण, औषरक, खारी नूँन, खारी नोंन, बहुलगुण, मिश्रक, सांभार, सार्वगुण, सार्वसंसर्गलवण।

नमक(संचर या कटीला) – आसुर, कटीला नोंन, काललवण, कृत्रिमक, क्षार, खंड, खंडलवण, द्राविडक, पाक्य, विट, विड, विडगंध, विडलवण, सांचर नोंन, सुपाक्य।

नमक(समुद्री) – कडकसागरज, त्रिकूट, पाँगा, लवणाब्धिज, वशिर, वासर, समुद्र नोंन, सामुद्रज, सामुद्रिक।

नमक(साँभर) – गड़देशज, गड़ाख्य, गड़लवण, गडोत्थ, पृथ्वीज, महारम्भ, रौमक, रौमलवण, वसुक, शाकम्भरीय, शुभ्र, संबरोद्भव, सांभर, सांभर नोंन, सामर।

नमक(सेंधा) – नादेय, माणिबन्ध, माणिमन्थ, लवणोत्तम, वशिर, शिवात्मज, सन्धव, सितशिव, सिन्धुदेशज, सिन्धुपल, सिन्धुमंथज, सिन्धुलवण, सिन्धूज, सिन्धूद्भव, सिन्धूभव, सेंधा नमक।

नमकीन – नमकयुक्त, लवणमय, लवणयुक्त, लावणिक।

नमूना – खाका, ढाँचा, बनगी।

नम्र – विनयी, विनयशील, विनीत, शिष्ट, सुशील।

नया – अभिनव, नव, नवल, नवीन, नवेला, नव्य, नूतन, प्रत्यग्र।

नरआदमी, इंसान, काम्य, जन, धव, नृ, पंचजन, पुरुष, मनुज, मनुपुत्र, मनुष्य, मानस, मानव, मानुष, मर्त्य, व्यक्ति, सौम्य।

नरक – दुर्गति, नारक, निरय, यमपुर, यमलोक, यमालय, रौरव, संघात।

नरम – कोमल, धीमा, मंदा, मुलायम, लघुपाक, लचीला।

नर्कट – देवनाल, धमन, नट, नटी, नरसल, नरसाल, नर्त्तक, नल, नलोत्तम, महानल, लालवंश, वन्य, विभीषण, सुरद्रम, सुरनाल, स्थूलदण्ड, स्थूलनाशक।

नर्त्तक – चारण, केलक, तालरेचनक, नट, पोटगल।

नर्त्तकी – चारणी, नटी, मंचतारिका, मंचनायिका, लसिका, लस्या।

नर्मदा – मेकलसुता, रेवा, सोमोद्भवा।

नवनीत – नवनि, नवनी, नवनीतक, मक्खन

नवयुवक – किशोर, कुमार, तरुण, नौजवान, वर्धमान, यौवनोन्मुख।

नष्ट – अपचित, अवसान, क्षय, तबाह, ध्वंस, ध्वस्त, नाश, निर्मूल, पतन, प्रलय, मृत, बरबाद, भ्रष्ट, विध्वंस, विनाश, संहार, समाप्त।

नहर – अल्पा, कुल्या, कृत्रिमासरि।

Paryayvachi Shabd न से

नाई – अंतवसायी, क्षुरी, क्षौरकार, क्षौरी, ग्रामणी, चन्द्रिल, छत्री, दिवाकीर्त्ति, नखकुट्ट, नाऊ, नाऊठाकुर, नापित, न्यायी, भाण्डपुट, मुंड, मुंडी, वात्सीसुत, हजाम, हज्जाम

नाक – घ्राण, नकुट, नक्र, नसा, नस्त, नासा, नासिका, प्राणरन्ध्र।

नाक – इज्जत, प्रतिष्ठा, मान।

नाखून – कररुह, नख, नखर, नष, नँह, पुनर्भव।

नागअहि, आशीविष, उरग, कंचुकी, कचाकु, कनक, करदर्प, कर्णहीन, काकोदर, काल, कालिंग, कुंडली, कुंभीनस, गूढपद, गोकर्ण, चक्री, चक्षुश्रा, तक्षक, तार्क्ष्य, तामस, दंतशूक, दर्पी, दर्वीकर, दीर्घजिह्वा, दीर्घपृष्ठ, दुष्ट-जंतु, द्विरसन, पन्नग, पवनाश, पवनाशन, पातालनिलय, पुंडरीक, पृथाकु, फणधर, फणिक, फणी, बिलेशय, भवंग, भवंगा, भुजंग, भुजंगम, भुजग, भोग, भोगी, मणिधर, मणिवर, लेलिहान, वासुक, विषधर, व्याल, व्यालि, सरीसृप, सर्प, साँप, सारंग, सुरा, स्थूलास्य, हरि।

नागकेशर – इमाख्य, चांपेय, कनकाह्वय, केशर, केसरी, नागकिंजलक, नागपुष्प, नागीय, नागेश्वर, पिंजर, पुन्नागकेशर, पुष्पचेरन, फणीकेशर, फलक, भुजंगाख्य, राजपुष्प, रुक्म, हेम।

नागरमोथा – अर्णोद, अब्द, उच्चटा, कक्षोत्था, कच्छरूहा, कच्छोला, कलापिनी, कशेरू, कुटन्नट, कुरुबिल्व, कुरूविन्दाख्या, क्रोडेष्टा, गांगेय, गुंद्रा, ग्रंथि, चक्रांक्षा, चारुकेसरा, चूडाला, नागर, नागरमुस्ता, नागरोत्थ, नादेयी, पिंडमुस्तक, बल्या, भद्रकाशी, भद्रमुस्त, भद्रमुस्ता, भद्रमुस्तक, भद्रमोथा, मोथा, वराही, वारिद, वृषघ्मांक्षी, शिशिरा, श्रीभद्रा, सुंगधिग्रंथिका, हिमा।

नाघना – उल्लंघन करना, छलाँग मारना, डाकना, फलाँग मारना, लाँघना।

नाजुक – कोमल, मसृण, मृदुल, सुकुमार, स्निग्ध।

नाटा – ठिगना, बौना, वामन, हृस्व।

नाट्यशाला – अभिनयस्थल, नाचघर, नाटकघर, नाटकभूमि, नृत्यशाला, रंगभूमि, रंगमंच, रंगालय, रंगशाला, रंगस्थल।

नाता – रिश्ता, लगाव, वास्ता, संबंध।

नाती – कुतप, दोहिता, दौहित्र, नप्ता, नात।

नातिन – दोहिती, दौहित्रा, नप्ती, नतिनी।

नाद – आवाज, ध्वनि, शब्द, संगीत।

नाना – नन्ना, मातामह, मातृपिता, मातृमह।

नानी – आई, मातामहपत्नी, मातामही, मातृमही, मातृमाता।

नाप – परिमाण, पैमाना, मानदण्ड, माप।

नाभि – उदरावर्त, ढूढो, ढोढी, तुन्दकूपी, पेडू, बोड़री, बोड़ी।

नाम – अभिख्या, अभिधान, आख्या, कीर्ति, ख्याति, प्रसिद्धि, यश, शीर्षक, संज्ञा।

नामर्द – क्लीव, नपुंसक, पुंसत्वहीन।

नामी – नामधारी, नामवाला, प्रख्यात, प्रसिद्ध, मशहूर, लब्धप्रतिष्ठ, विख्यात, विश्रुत।

Paryayvachi Shabd न से

नारंगी – ऐरावत, किर्मिर, किर्मीरत्वक्, गंधपत्र, चक्राधिवासी, त्वक्सुगन्ध, नागरंग, नागर, नागरूक, नारंग, मुखप्रिय, योगरंग, वक्रवास, वरिष्ठ, शंतरा, सुरंग।

नारद – देवर्षि, ब्रह्मपुत्र, ब्रह्मर्षि, ब्रह्मसू।

नारियल – उच्चतरु, करकाम्भा, कूर्चशीर्षक, कूर्चशेखर, कूर्चशेषर, कौशिकफल, खोपरा, जटाफल, जलकरंक, जुंग, तुंग, तृणराज, तृणफलनलिनी, तोयगर्भ, त्र्यक्षफल, त्र्यम्बकफल, त्रिणराज, दक्षिणात्य, दुरारुह, दृढनीर, दृढ़फल, नाड़िकेल, नाड़ीकेल, नारकेर, नारिकेर, नारिकेल, नारेल, नीलतरु, फलकेशर, फलमुण्ड, फलास्थि, मंगल्य, महाफल, मुण्डफल, मुत्कुण, मृदुफल, रसफल, लांगली, वरफल, विश्वामित्रप्रिय, शिराफल, सदाफल, सामुद्र, सुतुंग, सुभंग, स्कन्धतरु, स्कन्धफल।

नारी – अंगना, अबला, औरत, कलत्र, कांता, काम्या, कामिनी, चंचला, जनी, तणा, तन्वंगी, तरुणी, तिय, त्रिया, नरी, नतांगी, नार, पौरुषी, प्रमदा, बारा, भात्रिनी, मनुजा, मल्ला, महिला, मादा, मानवी, मानिनी, युवती, योषा, योषिता, रमणी, ललना, वनिता, वामा, वासिता, वासुरा, सुदर्शना, सुनयना, सोम्या, स्त्री

नाव – उडुप, उत्प्लव, कश्ती, किश्ती, कोल, जलयान, डोंगी, तरंड, तरंडी, तरंत, तरणी, तरनी, तरिका, तरी, नावर, नैया, नौ, नौका, पठावनी, पतंग, पनसुय्या, पादालिन्द, पोत, बन-वाहन, बार्व्वट, बेड़ा, बेड़ी, भौली, वहन, वहित्र, वाघू, होड़।

नाविक – कर्णधार, केवट, कैवर्त, खेवट, खेवनहार, खेवैया, जालक, तारक, तारणहार, दाश, धीवर, नाविक, नावी, नौसाध्यजन, मछुआ, मल्लाह, महागिर, माझी, माँझी

नाशपाती – अमृतफल, नास्पाती, महाबदर, रुचिफल।

नाहक – निष्प्रयोजन, बेकार, बेमतलब, वृथा, व्यर्थ।

निंदा – अपकीर्ति, अपयश, अपवाद, अयश, बदनामी, बुराई, भर्त्सना।

निकट – आसन्न, करीब, नजदीक, निकटस्थ, पास, पास का, सन्निकट, समीप, समीप का, साथ-साथ।

निकालना – काढना, खदेड़ना, दुरदुराना, बहिष्कृत करना, बाहर करना, भगाना।

निकेतन – अयन, असन, आगर, आगार, आयतन, आलय, आवास, आश्रप्रद, आश्रम, आस्पद, ओक, कमरा, केत, कोठरी, गृह, गेह, घर, घरौना, धाम, निकेत, निधान, निलय, निवेश, निवास, निवास-स्थान, निःशांत, परिध, परिवास, प्रागार, प्रासाद, पुर, बखरी, भवन, भौन, मंदिर, मकान, मातृभूमि, वस्य, वास, वास-स्थान, वेश्म, शरन, शाला, शिविर, सदन, सद्म, साध, सौध, स्थान, हर्म्य।

निखारना – उजराना, उजलाना, खंगारना, थिराना, धोना, साफ करना, स्वच्छ करना।

न अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के Paryayvachi Shabd

निखिल – अखिल, तमाम, सब, समूचा, सारा, संपूर्ण।

निगलना – गटक जाना, गपक जाना, घूँटना, घोंट जाना, लील जाना।

निगोड़ा – अकर्मण्य, अभागा, निठल्ला, निराश्रम, बेकार, भाग्यहीन।

निचोड़ – अभिप्राय, आशय, तात्पर्य, सार, सारवस्तु, सारांश।

निजी – अपना, खुद का, व्यक्तिगत, स्वकीय, स्वीय।

निडर – दिलावर, दिलेर, निधड़क, निर्भय, निर्भीक, निःशंक, बेखौफ, बेधड़क, साहसी, हिम्मती।

निढाल – अशक्त, उत्साहहीन, थका-माँदा, शिथिल, सुस्त।

नितंब – चूत, चूतड़, श्रोणी।

नित्य – अनपायिनी, अनांतर, अनवरत, अनश्वर, अनुदिन, अविरत, अविरल, अश्रांत, ध्रुव, नितप्रति, निरंतर, निरवधि, प्रतिदिन, रोज, शाश्वत, संतत, सतत, सदा, सदैव, सनातन, सर्वदा, हमेशा, हर रोज

निथारना – गारना, निचोड़ना, पसाना, फरियाना, साफ करना।

निदेश – आज्ञा, आदेश, निर्देश, हुक्म।

निधि – अजायबघर, आकर, कोष, कोषाकार, खजाना, गोदाम, निधान, भंडार, संग्रह, संपत्ति।

निपट – एकदम, एकमात्र, नितान्त, निरा, बिल्कुल, विशुद्ध, सरासर।

निपुण – अच्छा, अक्लमंद, अनुभवी, आप्त, कर्मण्य, कामिल, काबिल, गुणी, गुरु, चतुर, चरबाँक, चालाक, दक्ष, धुरंधर, नटवर, नागर, निष्णात, पंडित, पारंगत, पटु, पेशक, पुण्यशील, प्रवीण, प्राज्ञ, प्रौढ, माहिर, योग्य, विज्ञ, विदग्ध, शातिर, शिल्पी, श्रेष्ठ, सजग, सयाना, साधक, सिद्ध, सिद्धहस्त, सुघड़, सुजान, सुविज्ञ, सूत्थान, हातिम, हुन्नरमंद, होशियार।

निबटना – खत्म होना, खाली होना, चुकना, तय होना, निर्णीत होना, निबेड़ना, निमटना, निपटना, निवृत्त होना, पूरा होना, भुगतना, समाप्त होना।

निबाहना – निर्वाह करना, पूरा करना, समाप्त करना, सिद्ध करना।

निभृत – एकांत, जनशून्य, निर्जन, विजन, वीरान, सुनसान।

निमंत्रण – आह्वान, न्योता, बुलावा।

निमित्त – उद्देश्य, कारण, लक्ष्य, लिए, शकुन, सगुन, हेतु।

नियति – दैव, दैव्य, प्रारब्ध, भाग्य, भावी, होनी।

नियम – कानून, नीति, विधान, सिद्धांत।

नियराना – नगिचाना, निकट आना, पास आना, समीप आना।

नियुक्त – आज्ञाप्त, आदिष्ट, तैनात, निर्दिष्ट, बँधा हुआ, लगा हुआ, संलग्न।

निरंतर – अटूट, अनवरत, अविचल, अविच्छिन, अविरल, अविराम, लगातार, सतत्, सदा, सदैव, हमेशा।

निरपेक्ष – अलग, उदासीन, तटस्थ, निरालंब, निराश्रित, बेपरवाह, बेफिक्र, लापरवाह।

Paryayvachi Shabd न अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द

निरर्थक – अर्थशून्य, अर्थहीन, असंगत, निष्प्रयोजन, निष्फल, फिजूल, बेकार, बेमतलब, व्यर्थ।

निरा – एकदम, एकमात्र, केवल, खालिस, निपट, नितान्त, बिल्कुल, विशुद्ध, शुद्ध।

निराला – अद्भुत, अद्वितीय, अनूठा, अनोखा, अपूर्व, बेजोड़, विलक्षण।

निरोध – अवरोध, रुकावट, रोक, संयम।

निर्जीव – निष्प्राण, निष्प्रभाव, प्राणरहित, प्राणहीन, मुर्दा, सारहीन।

निर्णय – निश्चय, फैसला।

निर्दय – दयाहीन, निष्ठुर, निर्भय, बेदर्द, बेरहम।

निर्दोष – अदोष, दोषरहित, दोषहीन, निरपराध, बेकसूर, बेगुनाह।

निर्धन – अकिंचन, कंगाल, गरीब, दीन, दुर्गत, दरिद्र, दुर्विध, धनहीन, निस्व, रंक, विपन्न, श्रीहीन।

निर्भर – अवलंबित, आश्रित, पूरा, पूर्ण, युक्त।

निर्मल – अमल, पवित्र, पावन, विमल, शुद्ध, साफ, स्वच्छ।

निर्मली – अंबुप्रसाद, कत, कतकरेणु, कात्थ, क्तक, गुच्छपल, चक्षुष्य, छेदनीय, तिक्तफल, तिक्तमरिच, तोंयप्रसादन, पयःप्रसादी, पायपसारी, रुच्य, लेखनात्मक, शोधनात्मक, श्लक्ष्ण।

निर्लज्जता – अमर्यादा, निस्संकोच।

निलय – अयन, असन, आगर, आगार, आयतन, आलय, आवास, आश्रप्रद, आश्रम, आस्पद, ओक, कमरा, केत, कोठरी, गृह, गेह, घर, घरौना, धाम, निकेत, निकेतन, निधान, निवेश, निवास, निवास-स्थान, निःशांत, परिध, परिवास, प्रागार, प्रासाद, पुर, बखरी, भवन, भौन, मंदिर, मकान, वस्य, वास, वास-स्थान, वेश्म, शरन, शाला, शिविर, सदन, सद्म, साध, सौध, स्थान, हर्म्य।

निवारण करना – दूर करना, बचाना, मना करना, रोकना, वर्जना, वारण करना, हटाना।

निवेदन – अनुनय, गुजारिश, प्रार्थना, विनती, विनय।

निशाकादम्बरी, कोटर, कौमुदी, क्षपा, चन्द्रिकयान्वित, ज्योत्स्नी, तमस्विनी, तमिस्रा, तमी, तामसी, त्रिभामा, त्रियामा, दोषा, नक्त, निश, निशि, निशी, निशीथ, निशीथिनी, यामा, यामिनी, रजनी, राका, रात, रात्रि, रैन, विभा, विभावरी, शपा, शर्बरी, शर्वरी, श्यामा, सारंग, सिता, हरिद्रा।

न अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द

निशाकर – अंबुज, अंभोज, अंशुमाली, अब्ज, अमीकर, अमृतद्युति, अमृत, अमृतबंधु, अमृतवपु, आंनददायक, औषधीश, इंदु, उडुप, ऋक्षराज, कलंकधर, कलाधर, कलानिधि, कुमुदनाथ, कुमुदवान्धव, क्षपाकर, क्षयनाथ, गौर, ग्लौ, चन्द्र, चन्द्रक, चंद्रमा, चंदा, चन्द्रिकाकान्त, चाँद, जंवातृक, जलज, तमोपति, तारापति, तुषारकिरण, दधिसुत, द्विजराज, द्विजेष, नक्षत्रेश, निशानाथ, निशाधीश, निशापति, निशिनायक, निशिपालक, पूर्णमास, मंथी, मयंक, मरीचिमाली, मृगांक, मृगपति, मेश, रजनीपति, रजनीश, रमणीय, राकापति, राकेन्दु, राकेश, विधु, विश्व विलोचन, शशांक, शशधर, शशि, शुभ्रांशु, सारंग, सिंधुनन्दन, सिंधुसुत, सुंदर, सुखग, सुधाकर, सुधाघट, सुधाधर, सुधानिधि, सुधांशु, सितकर, सोम, सोमराज, हरि, हिमकर, हिमरोम, हिमांशु, हियभानु, हियकर, हियवान।

निशाचर – अगिर, अदेव, अयोमुख, असुर, अस्रप, आशर, इन्द्रारि, कटप्रू, कर्बुर, कीलाप, कीलालय, कौणप, क्रव्याद, क्षपाट, तमचर, तमिचर, दनुज, दमुल, दानव, दितिसुत, दुर्जय, दैत्य, दैतेय, धूम्रकेशी, नरधिष्मण, निकषात्मज, निशिचर, नृचश, नैऋत, पलाशपलाशी, पूर्वदेव, भूत, मनुजाद, मायावी, यातु, यातुधान, रक्ष, रजनीचर, राक्षस, शुक्रशिष्य, सन्ध्याबल, सुरद्विट, सुरारि।

निशान – चिह्न, दाग, धब्बा, संकेत।

निश्चय – ठीक, तय, निचय, निर्णय, निर्णयन, पक्का, फैसला, संकल्प, सिद्ध।

निषेध – मनाही, बाधा, रुकावट, वर्जन।

निष्ठा – निर्वाह, प्रवृति, यकीन, लगाव, विश्वास, श्रद्धा।

निष्पत्ति – अंत, इति, पक्वावस्था, परिपाक, पूर्णता, मीमांसा, समाप्ति, सिद्धि।

निसेनी – जीना, सीढी, सोपान।

निस्तारना – उद्धार करना, उबारना, छुटकारा देना, त्राण करना, बचाना, मुक्त करना।

निस्स्तब्धता – खामोशी, चुप, नीरवता, शांति, सन्नाटा।

निहुरना – झुकना, नत होना, नमित होना, नवना, दबना, मुड़ना, वारण करना।

नींद – निद्रा, शयन, संवेश, सुप्त, सुप्ति, सुषोपति, सुषुप्ति, स्वाप, स्वप्न।

नीति – उचित, नय, न्याय, यथार्थ, व्यवहार।

नूपुर – गुँगिया, गूँगी, छल्ला, तुलाकोटि, पादकटक, पादांगुद, मंजीर, हंसक।

नीबू(कागजी) – अम्लजम्भीरी, अम्लसार, जन्तुमारी, दन्ताघात, निम्बुक, निम्बूक, बह्नीदीप्य, मातुलुग, रोचक, शोधन।

नीबू(जम्भीरी या कमला) – कन्ना नीबू, कमला नीबू, गंभीर, जंतुजित, जम्बीर, जम्भ, जम्भक, जम्भर, जम्भिर, जम्भी, जम्भीर, जम्भल, दन्तकर्षण, दन्तशठ, दन्तहर्षक, दन्तहर्षण, मीठा नीबू, बिहारी नीबू, मुखशोधी, रेवत, रोचनक, वक्त्रशोधी।

नीबू(बिजौरा) – अम्लकेशर, जन्तुघ्न, दन्तुरच्छद, पूरक, फलपूरक, बीजक, बीजपूर, बीजपूर्ण, बीजफलक, मातुलुंग, रुचक, रोचनफल, सुकेशर, सुफूर।

न अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द

नीम – अरिष्ट, काकफल, कीकट, कीटक, कीरेष्ट, कैटर्य, चीर्णपर्ण, छर्दिघ्न, धर्दन, निम्ब, निम्बक, निम्बन, नियमन, निर्यास, नेता, नेतर, पक्ककृत, पारिभद्रक, पिचुमद, पिचुमंद, पीतसार, पीतसारक, पूकमालक, पूयारिपर्णचीर, प्रभद्र, बहुपुष्प, महातिक्तय, मालक, रविप्रिय, राजभद्रक, रेष्ट, वनेष्ट, वरत्वच, वारण, वाल्वच, वावेणीर, विबंध, विशीर्णपर्ण, शीत, शीर्षपर्ण, शीर्षपर्णी, शुकप्रिय, सर्वतोभद्र, सुभद्र, सुमना, हिंगु।

नीरस – अरुचिकर, अस्वाद, फीका, बेजायका, बेरस, रसहीन, शुष्क, सूखा।

नील – अक्लीका, काला, काली, कृष्णा, कुत्सला, क्लीतकिका, गंधपुष्पा, चारटिका, तुत्था, तूणी, दूली, दोला, नलिनी, नीला, नीली, नीलपुष्पिका, भद्रा, भारवाही, मधुपर्णिका, मेघवर्णा, मोचा, रंगपत्री, रंजनी, विजया, वृन्त्तिका, व्यंजनकेशी, शोधिनी, श्यामा, श्रीफली, स्थिररंगा, स्थिरारागा।

नीलकंठ – किकीदिव, किकीदिवी, चाष, चास।

नीलम – असितरत्न, असिरत्न, इन्द्रनील, तृणग्राही, नील, नीलक, नीलमणि, नीलाश्मा, नीलशौपल, मच्छोद्भव, मसार, महानील, शनिप्रिय, शौरिरत्न, सुनीलक, हरिनील।

नीहार – ओस, कोहरा, कुंझटिका, तुषार, तुहिन, तुहिन-कण, तुहिल, निशाजल, नीहारकण, मिहिका, शबनम, शीत, हैम।

नृत्य – तांडव, नटन, नर्त्तन, नाच, नृत्त, नृत, नृति, लास, लास्य, लास्यक।

नेता – अगुआ, अग्रसर, अधिपति, नायक, प्रधान, प्रमुख, मुखिया, संचालक, सरदार।

नेत्र – अँखड़ी, अँखिया, आँख, आँखड़ी, अंबक, अखिया, अक्ष, अक्षि, ईक्षण, ऐन, गो, गोलक, चख, चक्षु, चक्षुसू, चर्मचक्षु, चश्म, ज्योति, मजीठ, दर्पण, दर्शन, दीठ, दीदा, दृक्, दृग्, दृश्, दृशा, दृष्टि, देवदीप, नज़र, नयन, नयना, नीथ, नेत्र, नैन, नैना, प्रेक्षण, रक्षिणी, लोचन, लोयन, विलोचन, वीक्षण, विश्वंकर, वीदा।

नेनुआ – ऐमी, घीयातोरई, घोषक, धामार्गव, महत्पुष्पा, महाकोशातकी, महाफला, सपीतिका, हस्तिघोषा, हस्तिपर्ण।

नेवला – नकुल, पिंगल, बभ्रु, लोहितानन, सर्पहा, सर्पारि, सूचीवदन।

नेवारी – अतिमोदा, गन्धनलया, ग्रीष्मभवा, ग्रीष्मोद्भवा, गुच्छपुष्पा, ग्रैष्मिका, ग्रैष्मी, देवलता, नवमालिका, नेपाली, नेमाली, नेवाड़ी, नेवाली, प्रहसन्ती, भद्रवर्म, मधुगंधा, राजादनदला, वनजा, वनमल्लिका, वसन्तजा, वासन्ती, शिखरिणी, शुचिमल्लिका, सप्तला, सुकुमारा, सुगंधा, सुवसन्ता, सूक्ष्मपुष्पिका।

नोनियाँ – अश्मरी, कुलफा, घोलिका, पथरी, बृहल्लोणी, लोणा, लोणी, लोनी।

न अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द

नौकर – अर्थचर, अनुग, अनुगामी, अनुचर, अनुजीवी, अभिसर, आज्ञाकारी, उपस्थाता, कर्मचारी, किंकर, खिदमतगार, गुलाम, गोप्यक, गोला, चाकर, चेट, चेटक, चेरा, चौरा, जीवक, टहलवा, टहलुआ, टहलू, ताबेदार, दास, दासक, दासजन, धीवर, परिकर्मा, परिचर, परिचारक, प्रैष्य, भगत, भृत्य, वृषल, सहचर, सहचारी, सहाय, सेवक, सेवाजन, सेवादार, सेवी, हाजरिया।

नौसादर – अमृतक्षार, क्षारश्रेष्ठ, चूलिकालवण, नरसार, बजरक्षार, बज्रक्षार, विदारन, सादर।

न्याय – औचित्य, निर्णय, विवेक।

न्यायाधीश – अक्षदर्शक, धर्मराज, धर्माधिकारी, न्यायक, न्यायकर्त्ता, न्यायमूर्ति, प्राड्विवाक।

न्यायालय – अदालत, कचहरी, न्यायभवन, न्यायमंदिर, न्यायशाला।

न्योछावर – अर्पण, उत्सर्ग, त्याग, दान, प्रदान, बलिहार, समर्पण।

अं-अँ के पर्यायवाची शब्द (भाग-1)

अ के पर्यायवाची शब्द (भाग-2)

‘आ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-3)

‘इ, ई’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-4)

‘उ एवं ऊ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-5)

‘ऋ, ए तथा ऐ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-6)

‘ओ औ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-7)

पर्यायवाची शब्द Paryayvachi Shabd

क के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Synonym | भाग-8

क्ष के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-9

ख के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-10

ग के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-11

घ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-12

च के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-13

छ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-14

ज के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-15

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ट के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-17

ठ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-18

ड के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-19

ढ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-20

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द के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-23

ध के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-24

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हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख पद्धतियाँ

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख पद्धतियाँ

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख पद्धतियाँ चार रही हैं। साहित्य, समाज, विज्ञान, संस्कृति, भूगोल, मानव विकास आदि सभी क्षेत्रों इतिहास और विकास को समझने के लिए उसका विश्लेषण करना आवश्यक है।

लेखन पद्धति क्या है?, इतिहास लेखन की सबसे विकसित पद्धति, साहित्य का इतिहास लेखन, हिंदी लेखन की विधियाँ, विधेयवादी इतिहास लेखन पद्धति के जनक, हिंदी साहित्य का इतिहास दर्शन, hindi sahitya ka itihas lekhan ki parampara,hindi sahitya ke itihas lekhan ki paddhatiyan,hindi sahitya ka itihas lekhan ki paddhati ।,hindi sahitya ke itihas lekhan ki padhtiyan,hindi sahitya ke itihas lekhan padhytiyan,hindi sahitya itihas lekhan ki parmpara,hindi sahitya itihas lekhan ki parampara,hindi sahitya itihas ki paddhatiyan
हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख पद्धतियाँ

विश्लेषण करने वाले विद्वानों का पृथक-पृथक दृष्टिकोण होता है। साहित्येतिहास लेखन में भी साहित्येतिहासकारों का अपना दृष्टिकोण रहा है। यह दृष्टिकोण मुख्य रूप से चार प्रकार के हैं, जिन्हें साहित्येतिहास लेखन की पद्धति या प्रणाली कहा जाता है।

यह पद्धति या प्रणाली वर्णानुक्रम प्रणाली, कालानुक्रमी प्रणाली, वैज्ञानिक प्रणाली और विधेयवादी प्रणाली हो सकती है इसके अतिरिक्त विद्वानों ने कुछ गौण प्रणालियों का भी जिक्र किया है।

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की चार पद्धतियाँ

1 वर्णानुक्रम पद्धति

इस पद्धति में रचनाकारों का विवरण उनके नाम के प्रथम वर्ण के क्रम से दिया जाता है। उदाहरण के लियेए सूरदासए भिखारीदास और जयशंकर प्रसाद का समय भले ही भिन्न हो किंतु उनका क्रम इस प्रकार होगा जयशंकर प्रसादए भिखारीदासए सूरदास। यह पद्धति शब्दकोश लेखन की तरह होती है। अतः इसे ऐतिहासिक दृष्टि से असंगत माना जाता है क्योंकि यह इतिहास लेखन नहीं, बल्कि शब्दकोश लेखन है।

गार्सा द तासी ने इस्तवार द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी और शिवसिंह सेंगर शिवसिंह सरोज ने अपने ग्रंथों में इसका प्रयोग किया है।

2 कालानुक्रमी पद्धति

इसमें रचनाकारों का विवरण उनके काल; समयद्ध के क्रम से दिया जाता है। रचनाकार की जन्मतिथि को आधार बनाया जाता है। सभी रचनाकारों की जन्मतिथि या जन्मवर्ष का सटीक पता लगाना भी एक दुष्कर कार्य है। ऐसी स्थिति में एक मोटा-मोटा अनुमान भर लगाया जाता है, इस स्थिति में यह पद्धति उपयोगी नहीं है।

साहित्येतिहासकार का उद्देश्य केवल कवियों का परिचय कराना नहीं होता वरन् तात्कालिक परिस्थितियों को सामने लाना भी होता है, जिसके कारण वह विशिष्ट साहित्य रचा गया। इस दृष्टिकोण से भी यह पद्धति उपयोगी नहीं है।

इस पद्धति से लिखे ग्रंथ भी वर्णानुक्रम पद्धति की तरह कवि वृत्त-संग्रह मात्र होते हैं।

जॉर्ज ग्रियर्सन ने अपने इतिहास ग्रंथ द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ नॉर्दन हिंदुस्तान और मिश्रबंधुओं ने अपने इतिहास ग्रंथ मिश्र इंदु विनोद में इस पद्धति का प्रयोग किया है।

ग्रियर्सन के साहित्येतिहास ग्रन्थ में विधेयवादी पद्धति के कुछ आरंभिक सूत्र भी मिलने लगते हैं। इस संबंध में डॉ नलिन विलोचन शर्मा का निम्नलिखित मत महत्त्वपूर्ण है― हिंदी के विधेयवादी साहित्येतिहास के आदम प्रवर्तक शुक्ल जी नहीं प्रत्युत ग्रियर्सन हैं।

3 वैज्ञानिक पद्धति

यह पद्धति के मुख्यतः शोध पर आधारित है। इसमें साहित्येतिहासकार निरपेक्ष एवं तटस्थ रहकर वैज्ञानिक तरीके से तथ्य संकलन कर उसे क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत करता है।

हिंदी साहित्य में डॉ गणपति चंद्रगुप्त ने अपना साहित्येतिहास ग्रंथ हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास इसी पद्धति के आधार पर लिखा है।

इतिहास लेखन में सिर्फ तथ्य संकलन की ही नहीं, बल्कि उनकी व्याख्या एवं विश्लेषण की भी आवश्यकता होती है। जो कि इस पद्धति में नहीं हो पाता है अतः इस पद्धति को भी अनुपयुक्त माना जाता है।

4 विधेयवादी पद्धति

इस पद्धति में साहित्य की व्याख्या कार्य-कारण सिद्धांत के आधार पर होती है। इस पद्धति के जनक फ्रेंच विद्वान इपालित अडोल्फ़ तेन (Taine) ने इसे सुव्यवस्थित सिद्धांत के रूप में स्थापित किया।

तेन ने इस पद्धति को तीन शब्दों के माध्यम से स्पष्ट किया- जाति (Race), वातावरण (Milieu) आरक्षण विशेष (Moment)।

इस पद्धति के अनुसार, “किसी भी साहित्य के इतिहास को समझने के लिये उससे संबंधित जातीय परंपराओं, राष्ट्रीय और सामाजिक वातावरण एवं सामयिक परिस्थितियों का अध्ययन विश्लेषण आवश्यक है।

इस पद्धति में साहित्य इतिहास की प्रवृत्तियों का विश्लेषण युगीन परिस्थितियों के संदर्भ में किया जाता है।

इसे इतिहास-लेखन की व्यापक, स्पष्ट एवं विकसित पद्धति माना गया है, क्योंकि इसके द्वारा साहित्य की विकास प्रक्रिया को बहुत कुछ स्पष्ट किया जा सकता है।

हिंदी में सर्वप्रथम रामचंद्र शुक्ल ने इस पद्धति का सूत्रपात किया।

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख पद्धतियाँ

इस संदर्भ में आचार्य शुक्ल लिखते हैं― “प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्तियों का संचित प्रतिबिंब होता है। …… आदि से अंत तक इन्हीं चित्तवृत्तियों की परंपरा को परखते हुए साहित्य परंपरा के साथ उसका सामंजस्य बिठाना ही साहित्य कहलाता है।”

उनके बाद रामस्वरूप चतुर्वेदी, बच्चन सिंह आदि विख्यात साहित्येतिहासकारों ने इस प्रणाली को आगे बढ़ाया।

रामस्वरूप चतुर्वेदी का कथन यहां स्मरणीय है- “कवि का काम यदि ‘दुनिया में ईश्वर के कामों को न्यायोचित ठहराना है’ तो साहित्य के इतिहासकार का काम है कवि के कामों को साहित्येतिहास की विकास प्रक्रिया में न्यायोचित दिखा सकना।” –(संदर्भ: ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ सं. डॉ. नगेंद्र, डॉ. हरदयाल)

कतिपय अन्य प्रणालियां

कुछ अन्य विद्वानों ने साहित्येतिहास लेखन की कुछ अन्य प्रणालियों का भी जिक्र किया है जो निम्नलिखित हैं―

नारीवादी पद्धति

हिन्दी साहित्य में सुमन राजे ने श्हिन्दी साहित्य का आधा इतिहासश् नारीवादी पद्धति के आधार पर लिखा है।

समाजशास्त्रीय पद्धति

समाजशास्त्रीय पद्धति कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धांत पर आधारित है।

इन पद्धतियों के अतिरिक्त साहित्य के इतिहास लेखन की कई और आधुनिक पद्धतियाँ हैं जिनमें रूपवादी, संरचनावादी, उत्तर संरचनावादी और उत्तर आधुनिकतावादी प्रमुख है।

उक्त सभी पद्धतियों में प्रथम चार पद्धतियां विशेष महत्वपूर्ण हैं जिन के आधार पर हिंदी साहित्य में विशेष काम हुआ है।

रीतिकाल की पूरी जानकारी

रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ

रीतिकालीन छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ

पर्यायवाची शब्द (महा भण्डार)

रीतिकाल के राष्ट्रकवि भूषण का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय

अरस्तु और अनुकरण

कल्पना अर्थ एवं स्वरूप

राघवयादवीयम् ग्रन्थ

भाषायी दक्षता

हालावाद विशेष

संस्मरण और रेखाचित्र

कामायनी के विषय में कथन

कामायनी महाकाव्य की जानकारी

नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ

नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ

रीतिकाल में काव्यशास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना हुई। यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के विभिन्न अंगों को लेकर लिखे गए। इनमें से कुछ ग्रंथ सर्वांग निरूपक ग्रंथ थे जबकि कुछ विशेषांग निरूपक थे। इस आलेख में नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ की पूरी जानकारी मिलेगी।

विशेषांग निरूपक ग्रंथों में ध्वनि संबंधी ग्रंथ, रस संबंधी ग्रंथ, अलंकार संबंधी ग्रंथ, छंद शास्त्र संबंधी ग्रंथ, इत्यादि ग्रंथों का प्रणयन हुआ।

नायक नायिका संबंधी रीतिकाल के ग्रंथ, नायक नायिका भेद के ग्रंथ, नायक नायिका संबंधी रीतिकालीन काव्य ग्रंथ, नायक नायिका भेद, नायिका भेद का वर्णन, नायक नायिका भेद की रचनाएं, नायिका भेद का ग्रंथ, नायक नायिका भेद का इतिहास, नायिका भेद किसकी रचना है, नायक नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य ग्रंथ, nayak nayika bhed
नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ

1. हिततरंगिनी (1541 ई.) ― कृपाराम

2. साहित्य लहरी (1550 ई.) – सूरदास

3. रस मंजरी (1591 ई.) – नंददास

4. रसिकप्रिया (1591 ई.) – केशवदास

5. बरवे नायिका भेद (1600 ई.) – रहीम

6. सुंदर श्रृंगार निर्णय (1631 ई) – सुंदर

7. सुधानिधि (1634 ई.) – तोष

8. कविकुलकल्पतरु (1680 ई) – चितामणि

9 भाषा भूषण (1650 ई) – जसवन्त सिंह

10. रसराज (1710 ई) – मतिराम

11. रसिक रसाल (1719 ई.) – कुमारमणि शास्त्री

12. भावविलास, रसविलास, भवानीविलास एवं सुखसागर तरंग (18वीं शती का उत्तराद्धी – देव

13. रस प्रबोध (1742 ई.) – रसलीन

14. श्रृंगार निर्णय (1750 ई.)- भिखारीदास

15. दीप प्रकाश (1808 ई.) – ब्रह्मदत्त

16. जगद्विनोद (1810 ई.) – पद्माकर

17. नवरस तरंग (1821 ई.) – बेनी प्रवीन

18. व्यंग्यार्थ कौमुदी (1825 ई.) –प्रतापसाहि

19. रसिक विनोद (1846 ई.) ― चन्द्रशेखर वाजपेयी

20. रस मोदक हजारा (1848 ई.) – स्कन्दगिरि

नायक-नायिका भेद संबंधी रीतिकालीन काव्य-ग्रंथ

21. श्रृंगार दर्पण (1872 ई.)– नन्दराम

22. महेश्वर विलास (1879 ई.) – लछिराम

23. रस कुसुमाकर (1872 ई.) –प्रतापनारायण सिंह

24. रसमौर (1897 ई.) – दौलतराम

25. रसवाटिका (1903 ई.) – गंगाप्रसाद अग्निहोत्री

26. भानु काव्य प्रभाकर (1910 ई.) – जगन्नाथप्रसाद

27. हिन्दी काव्य में नवरस (1926 ई.) – बाबूराम बित्थरियाका

28. रूपक रहस्य (1931 ई.) – श्यामसुंदरदास

29. रसकलश (1931 ई.) – हरिऔध

30. नवरस (1934 ई.) – गुलाबराय

31. साहित्यसागर (1937 ई.) – बिहारीलाल भट्ट

32. काव्यकल्पद्रुम (1941 ई.) – कन्हैयालाल पोद्दार

33. ‘ब्रजभाषा साहित्य नायिका-भेद’ (1948 7ई.) – प्रभुदयाल मीतल

उक्त ग्रंथों में से कतिपय ग्रंथों में नायिका भेद के अतिरिक्त ‘रस’ का भी वर्णन मिलता है, लेकिन प्रमुखता नायिका भेद की ही रही है अतः यहां पर वह ग्रंथ भी शामिल किए गए हैं जिनमें नायिका भेद तथा रस दोनों का वर्णन मिलता है

रीतिकाल की पूरी जानकारी

रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

पर्यायवाची शब्द (महा भण्डार)

रीतिकाल के राष्ट्रकवि भूषण का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय

अरस्तु और अनुकरण

कल्पना अर्थ एवं स्वरूप

राघवयादवीयम् ग्रन्थ

भाषायी दक्षता

हालावाद विशेष

संस्मरण और रेखाचित्र

कामायनी के विषय में कथन

कामायनी महाकाव्य की जानकारी

रीतिकालीन छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ

रीतिकालीन छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ

रीतिकाल में काव्यशास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना हुई। यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के विभिन्न अंगों को लेकर लिखे गए। इनमें से कुछ ग्रंथ सर्वांग निरूपक ग्रंथ थे जबकि कुछ विशेषांग निरूपक थे। इस आलेख में रीतिकालीन छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ की जानकारी।

विशेषांग निरूपक ग्रंथों में ध्वनि संबंधी ग्रंथ, रस संबंधी ग्रंथ, अलंकार संबंधी ग्रंथ, छंद शास्त्र संबंधी ग्रंथ, इत्यादि ग्रंथों का प्रणयन हुआ।

छंद ― छंदशास्त्र की व्यवस्थित परंपरा का सूत्रपात छंदशास्त्र के प्रवर्त्तक पिगलाचार्य के छंद सूत्र’ (ई. पू. 200 के लगभग) से माना जाता है।

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रीतिकालीन छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ

रीतिकालीन हिन्दी के छंदशास्त्र संबंधी ग्रंथ

1. छंदमाला – केशवदास (हिंदी में छंदशास्त्र की प्रथम रचना)

2. वृत्तकौमुदी / छंदसार (पिंगल-संग्रह) – मतिराम

3. छंदविचार (17वीं श.ई. पूर्वा.) – चिंतामणि

4. वृत्तविचार (1671 ई.)- सुखदेव

5. छंदविलास या श्रीनाग पिंगल- (1703 ई.) – माखन

6. छंदोर्णव (1742 ई.) – भिखारीदास

7. छंदसार (1772 ई.) – नारायणदास

8. वृत्तविचार (1799 ई.) दशरथ

9. वृत्ततरंगिणी (1816 ई.) रामसहाय

10. वृत्तचंद्रिका (1801 ई.) कलानिधि

11. छंदसारमंजरी (1801 ई.) पद्माकर

12 पिंगलप्रकाश (1801 ई.) नंदकिशोर

13. छंदोमंजरी (1883 ई.) गदाधर भट्ट

14. छंदप्रभाकर (1922 ई.) जगन्नाथ प्रसाद भानु

15. रसपीयूषनिधि (1737 ई.) सोमनाथ

16. शब्दरसायन – देव

17. फजल अली प्रकाश फजल

आधुनिक युग के छंदशास्त्रीय ग्रंथ

18. पिंगलसार – नारायण प्रसाद

19. पद्म रचना – रामनरेश त्रिपाठी

20. नवीन पिंगल – अवध उपाध्याय

21. छंदशिक्षा – परमेश्वरानंद

22 पिंगल पीयूष – परमानंद शास्त्री

23. हिंदी छंद प्रकाश – रघुनंदन शास्त्री

रीतिकाल की पूरी जानकारी

रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

पर्यायवाची शब्द (महा भण्डार)

रीतिकाल के राष्ट्रकवि भूषण का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय

अरस्तु और अनुकरण

कल्पना अर्थ एवं स्वरूप

राघवयादवीयम् ग्रन्थ

भाषायी दक्षता

हालावाद विशेष

संस्मरण और रेखाचित्र

कामायनी के विषय में कथन

कामायनी महाकाव्य की जानकारी

अलंकार निरूपक रीतिकालीन ग्रंथ

अलंकार निरूपक रीतिकालीन ग्रंथ

रीतिकाल में काव्यशास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना हुई। यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के विभिन्न अंगों को लेकर लिखे गए। इनमें से कुछ ग्रंथ सर्वांग निरूपक ग्रंथ थे जबकि कुछ विशेषांग निरूपक थे। इस आलेख में अलंकार निरूपक रीतिकालीन ग्रंथ की पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।

विशेषांग निरूपक ग्रंथों में ध्वनि संबंधी ग्रंथ, रस संबंधी ग्रंथ, अलंकार संबंधी ग्रंथ, छंद शास्त्र संबंधी ग्रंथ, इत्यादि ग्रंथों का प्रणयन हुआ।

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अलंकार निरूपक रीतिकालीन ग्रंथ

1. कविप्रिया और रसिकप्रिया ― केशवदास ―

‘कविप्रिया’ में अलंकारों का वर्गीकरण प्रमुख रूप से हुआ है। इसका उद्देश्य काव्य-संबंधी ज्ञान प्रदान करना था अलंकारवादी कवि केशव ने अलंकार का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए कहा था कि भूषण बिनु न विराजई कविता, वनिता मित्त।

2. भाषाभूषण ― जसवंत सिंह ―

इसमें अलंकारों का लक्षण और उदाहरण 212 दोहों में वर्णित हुआ है। भाषाभूषण की शैली चंद्रालोक की शैली है।

3. अलंकार पंचाशिका (1690 ई.), ललितललाम ― मतिराम ―

अलंकार पंचाशिका कुमायूँ-नरेश उदोतचंद्र के पुत्र ज्ञानचंद्र के लिए लिखी गई थी जबकि ललितललाम बूँदी नरेश भावसिंह की प्रशंसा में सं. 1716 से 45 के बीच लिखा गया। जिसके क्रम व लक्षण को शिवराज भूषण में अक्षरश: अपनाया गया है।

अलंकार निरूपक रीतिकालीन ग्रंथ

4. शिवराज-भूषण ―

भूषण आलंकारिक कवि कहे जाते हैं। इसके पीछे ‘शिवराज-भूषण’ (1653 ई.) रचना है, जो आलंकारिक है।

5. रामालंकार, रामचंद्रभूषण, रामचंद्रामरण (1716 ई. के आसपास) ― गोप ―

गोप विरचित तीनों रचनाएँ चंद्रालोक की पद्धति पर विरचित हैं।

6. अलंकार चंद्रोदय (1729 ई. रचनाकाल) रसिक सुमति ―

इसका आधार ग्रंथ कुवलयानंद है।

7. कर्णाभरण (1740 ई. रचनाकाल) ― गोविन्द ―

इसकी रचना भाषाभूषण की शैली पर हुई है।

8. कविकुलकण्ठाभरण ― दुलह ―

‘कविकुलकण्ठाभरण’ का आधार ग्रंथ चंद्रलोक एवं कुवलयानंद है।

9. भाषाभरण (रचनाकाल 1768 ई) ― बैरीसाल ―

इस ग्रंथ का आधार कुवलयानंद एवं इसकी वर्णन-पद्धति भाषाभूषण के समान है।

10. चेतचंद्रिका (स. 1840-1870 शुक्लजी के अनुसार) ― गोकुलनाथ

11. पद्माभरण ― पद्माकर ―

पद्माकर द्वारा रचित ‘पद्माभरण’ के आधार चंद्रालोक, भाषाभूषण, कविकुलकण्ठाभरण और भाषाभरण इत्यादि रचनाएँ है।

12. याकूब खां का रसभूषण 1718 ई. एवं शिवप्रसाद का रसभूषण 1822 ई ―

अलंकार और रस दोनों के लक्षण और उदाहरण प्रस्तुत किये गए हैं।

13. काव्यरसायन ― देव का ‘काव्यरसायन’ ग्रंथ एक प्रसिद्ध आलंकारिक ग्रंथ है।

14. अन्य ग्रंथ ― अलंकार गंगा (श्रीपति)

कंठाभूषण (भूपति)

अलंकार रत्नाकर (बंशीधर)

अलंकार दीपक (शंभुनाथ)

अलंकार दर्पण (गुमान मिश्र, हरिनाथ रतन, रामसिंह)

अलंकार मणिमंजरी (ऋषिनाथ)

काव्याभरण (चंदन)

नरेंद्र भूषण (भाण)

फतेहभूषण (रतन)

अलंकार चिंतामणि (प्रतापसाहि)

अलंकार आभा (चतुर्भुज)

अलंकार प्रकाश (जगदीश) इत्यादि।

आधुनिक युग के आलंकारिक-ग्रंथ

1. रामचंद्र भूषण (1890 ई.) लछिराम

2. जसोभूषण / जसवंत भूषण (1950 ई.) ― कविराजा मुरारिदान

3. काव्य प्रभाकर – जगन्नाथ प्रसाद ‘भानु’

4. भारती भूषण-अर्जुनदास केडिया

5. अलंकार मंजरी / मंजूषा – कन्हैयालाल पोद्दार

6. साहित्य परिजात (1940) – पं. शुकदेव बिहारी मिश्र और भतीजे प्रतापनारायण

7. काव्य दर्पण ― रामदहिन मिश्र ― पाश्चात्य अलंकारों – मानवीकरण, ध्वन्यर्थ व्यंजना, विशेषण-विपर्यय को स्वीकार किया।

रीतिकाल की पूरी जानकारी

रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

पर्यायवाची शब्द (महा भण्डार)

रीतिकाल के राष्ट्रकवि भूषण का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय

अरस्तु और अनुकरण

कल्पना अर्थ एवं स्वरूप

राघवयादवीयम् ग्रन्थ

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हालावाद विशेष

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रीतिकाल के रस ग्रंथ

रीतिकाल के रस ग्रंथ

रीतिकाल में काव्यशास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना हुई। यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के विभिन्न अंगों को लेकर लिखे गए। इनमें से कुछ ग्रंथ सर्वांग निरूपक ग्रंथ थे जबकि कुछ विशेषांग निरूपक थे। इस आलेख में जानेंगे रीतिकाल के रस ग्रंथ की पूरी जानकारी।

विशेषांग निरूपक ग्रंथों में ध्वनि संबंधी ग्रंथ, रस संबंधी ग्रंथ, अलंकार संबंधी ग्रंथ, छंद शास्त्र संबंधी ग्रंथ, इत्यादि ग्रंथों का प्रणयन हुआ।

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रीतिकाल के रस ग्रंथ

1. रसिकप्रिया ― केशवदास प्रथम रसवादी आचार्य है

इनकी ‘रसिकप्रिया’ एक प्रसिद्ध रस ग्रंथ है।

2. सुंदर श्रृंगार , 1631 ई. ― सुंदर कवि ―

शाहजहाँ के दरबारी कवि सुंदर ने श्रृंगार रस और नायिका भेद का वर्णन इसमें किया है।

3. श्रृंगार मंजरी ― चिंतामणि ―

हिंदी नायिका-भेद के ग्रंथों में ‘श्रृंगार मंजरी’ का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। ‘कविकुलकल्पतरु’ इनकी रसविषयक रचना है। इस ग्रंथ में उन्होंने अपना उपनाम मनि (श्रीमनि) का प्रयोग 60 बार किया है।

4. सुधानिधि 1634 ई. ― तोष ―

रसवादी आचार्य तोष निधि ने 560 छंदों में रस का निरूपण (सुधानिधि 1634 ई.) सरस उदाहरणों के साथ किया है।

5. रसराज ― मतिराम ―

इस ग्रंथ में नायक-नायिका भेद रूप में श्रृंगार का बड़ा सुंदर वर्णन हुआ है।

6. भावविलास, भवानीविलास, काव्यरसायन― देव ―

देव ने केवल श्रृंगार रस को सब रसों का मूल माना है, जो सबका मूल है। इन्होंने सुख का रस शृंगार को माना। काव्य रसायन में 9 रसों का विवेचन भरतमुनि के नाट्यशास्त्र पर हुआ है।

7. रसिक रसाल 1719 ई. ― कुमारमणि भट्ट

8. रस प्रबोध 1798 सं. (1741 ई.) रसलीन ―

इनकी रसनिरूपण संबंधित रचना ‘रसप्रबोध’ में 1115 दोहो में रस का वर्णन है। रसलीन का मूल नाम सैयद गुलाब नबी था।

रीतिकालीन रस ग्रंथ

9. रसचंद्रोदय (विनोद चंदोद्रय दूसरा नाम) ― उदयनाथ कवीन्द्र

10. रस सारांश, श्रृंगार निर्णय ― दास

11. रूप विलास ― रूपसाहि

12. रसिक विलास (1770 ई.) ― समनेस

13. श्रृंगार शिरोमणि (1800 ई.) ― यशवंत सिंह

14. रसनिवास (1782 ई.) ― रामसिंह

15. पद्माकर – ‘जगद्विनोद’ काव्यरसिकों और अभ्यासियों के लिए कंठहार है।

इसकी रचना इन्होंने महाराज प्रतापसिंह के पुत्र जगतसिंह के नाम पर की थी।

16. रसिकगोविन्दानन्दघन ― रसिक गोविंद – काव्यशास्त्र विषयक इनका एकमात्र ग्रंथ है।

17. नवरस तरंग ― बेनी प्रवीन ―

इनका ‘नवरस तरंग’ सबसे प्रसिद्ध श्रृंगार-ग्रंथ है, जिसे शुक्ल ने मनोहर ग्रंथ कहा है। श्रृंगारभूषण, नानाराव प्रकाश-बेनी की अन्य कृतियाँ है।

18. रसिकनंद, रसरंग ― ग्वाल ―

शुक्लर्जी ने लिखा है कि – ‘रीतिकाल की सनक इनमें इतनी अधिक थी कि इन्हे ‘यमुनालहरी’ नामक देवस्तुति में भी नवरस और षड्ऋतु सुझाई पड़ी है।’

19. महेश्वरविलास ― लछिराम ―

महेश्वरविलास नवरस और नायिका-भेद पर आधारित रचना है।

20. रसकुसुमाकर (1894 ई.) ― प्रतापनारायण सिंह –

अयोध्या के महाराज प्रतापनारायण सिंह की ‘रसकुसुमाकर में श्रृंगार रस का सुंदर विवेचन मिलता है।

21. रसकलस (1931 ई.) ― अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ―

हरिऔध की ‘रसकलस’ रचना रीति-परंपरा पर रस-संबंधी एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। हरिऔधजी ने अदभुत रस के अंतर्गत रहस्यवाद की गणना की है। यह इस ग्रंथ की नवीनता है।

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रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

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रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

रीतिकाल में काव्यशास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना हुई। यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के विभिन्न अंगों को लेकर लिखे गए। इनमें से कुछ ग्रंथ सर्वांग निरूपक ग्रंथ से थे जबकि कुछ विशेषांग निरूपक थे। रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ।

विशेषांग निरूपक ग्रंथों में ध्वनि संबंधी ग्रंथ, रस संबंधी ग्रंथ, अलंकार संबंधी ग्रंथ, छंद शास्त्र संबंधी ग्रंथ, इत्यादि ग्रंथों का प्रणयन हुआ।

रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ
रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

1. कुलपति ― रस रहस्य (1670 ई.) ―

हिंदी रीतिशास्त्र के अंतर्गत ध्वनि के सर्वप्रथम आचार्य कुलपति मिश्र माने जाते हैं।

2. देव ― काव्यरसायन (1743 ई.) ―

देव ने ‘काव्यरसायन’ नामक ध्वनि-सिद्धांत निरूपण संबंधित ग्रंथ लिखा। इसका आधार ध्वन्यालोक ग्रंथ है। इसी ग्रंथ में अभिधा और लक्षणा का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए लिखा- “अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लक्षणालीन ।
अधम व्यंजना रस कुटिल, उलटी कहत नवीन।” ( काव्य रसायन)

3. सूरति मिश्र ― काव्य सिद्धांत (18वीं सदी का उतरार्द्ध) ―

इस ग्रंथ पर मम्मट के काव्यप्रकाश का प्रभाव है। इनका काव्य-संबंधी परिभाषा निजी एवं वैशिष्ट्यपूर्ण है।

4. कुमारमणि भट्ट ― रसिक रसाल (1719 ई.) ―

यह काव्यशास्त्र का एक श्रेष्ठ ग्रंथ है।

5. श्रीपति ― काव्यसरोज (1720 ई.) –

यह मम्मट के काव्यप्रकाश पर आधारित ग्रंथ है।

रीतिकाल के ध्वनि ग्रंथ

6. सोमनाथ ― रसपीयूषनिधि (1737 ई.) ―

सोमनाथ ने भरतपुर के महाराज बदनसिंह हेतु रसपीयूषनिधि की रचना की थी।

7. भिखारीदास ― काव्यनिर्णय (1750 ई.)

इसमें 43 प्रकार की ध्वनियों का निरूपण हुआ है।

8. जगत सिंह ― साहित्य सुधानिधि, (1801 ई.) ―

भरत, भोज, मम्मट, जयदेव, विश्वनाथ, गोविन्दभट्ट, भानुदत्त, अप्पय दीक्षित इत्यादि आचार्यों के ग्रंथों का आधार लेकर यह ग्रंथ सृजित हुआ है।

9. रणधीर सिंह ― काव्यरत्नाकर ―

‘काव्यप्रकाश’ और ‘चंद्रलोक’ के आधार पर तथा कुलपति के रस रहस्य’ ग्रंथ का आदर्श ग्रहणकर ‘काव्यरत्नाकर’ की रचना हुई।

रीतिकालीन ध्वनि ग्रंथ

10. प्रताप साहि ― व्यंग्यार्थ कौमुदी ―

यह व्यंग्यार्थ प्रकाशक ग्रंथ है, जिसमें ध्वनि की महत्ता प्रतिपादित हुई है।

11. रामदास ― कविकल्पद्रुम, (1844 ई.) ―

रामदास ने ध्वनि विषयक ग्रंथ ‘कविकल्पद्रुम’ या ‘साहित्यसार लिखा।

12. लछिराम रावणेश्वर ― कल्पतरु (1890) ―

लछिराम ने गिद्धौर नरेश महाराज रावणेश्वर प्रसाद सिंह के प्रसन्नार्थ 1890 ई. में ध्वनि विषयक रावणेश्वर कल्पतरु’ लिखा।

13. कन्हैयालाल पोद्दार ― रसमंजरी ―

यह ‘रस’ से संबंधित रचना है परन्तु इसका ढाँचा ‘ध्वनि’ पर निर्मित हुआ है। यह रचना गद्य में है जबकि इसके उदाहरण पद्यमय है। इस ग्रंथ पर मम्मट के ‘काव्यप्रकाश’ का प्रभाव है।

14. रामदहिन मिश्र ― काव्यालोक ―

यह आधुनिक काल का एक काव्यशास्त्रीय ग्रंथ है।

15. जगन्नाथ प्रसाद भानु ― काव्यप्रभाकर ―

यह आधुनिक काल का एक काव्यशास्त्रीय ग्रंथ है जिसकी रचना 1910 ई. में हुई।

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पर्यायवाची शब्द (महा भण्डार)

रीतिकाल के राष्ट्रकवि भूषण का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय

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पर्यायवाची शब्द ध से

ध अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द

ध अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द  Paryayvachi Shabd | समानार्थी शब्द | All Hindi Synonyms | Paryayvachi shabd kise kahte hai | Paryayvachi shabd ka arth | | पर्यायवाची शब्द का अर्थ |

पर्यायवाची शब्द ध से

धंधा – उद्यम, उद्योग, कामकाज, कारोबार, रोजगार, व्यवसाय।

धक्का – आघात, झोंका, टक्कर, ठोकर, मुसीबत, विपत्ति, संकट।

धड़कना – कांपना, डरना, थर्राना, थरथराना, दहलना, धड़धड़ाना, धुकधुकाना, फड़कना।

धतूरा – उन्मत, कंटफल, कनक, कनंकाय, कनकाह्वय, कलम, कितव, खर्जूघ्न, खरदूषण, खल, घंटिक, घटापुष्प, तूरी, देविका, धत्तूर, धस्तूर, ध्रुस्तूर, धूर्त, धूर्तकृत, पुरीमोह, मत्त, मदकर, मदन, मदनक, मन्दार, महामोही, मातुल, मातुलक, मोहन, शठ, शिवप्रिय, शिवशेखर, शैव, श्याम, हरवल्लभ।

धधकना – जल उठना, प्रज्वलित होना, भभकना।

धनंजय – अनघ, अर्जुन, ऐंद्र, कपिध्वज, कर्णारि, किरीटी, कुन्तीसुत, कौन्तेय, गांडीवी, गांडीवधन्वा, गाण्डीवधर, गाण्डीवधारी, गुडाकेश, जिष्णु, धन्वी, धनुर्धर, नर, पाण्डुनंदन, पार्थ, फलगुन, फाल्गुन, बृहन्नला, भारत, विजय, विजयरथ, वीभत्सु, श्वेतवाहन, शक्रात्मज, शक्रनंदन, शब्दभेदी, सव्यसाची

धन – अर्थ, ऋक्थक, जायदाद, दौलत, द्रव्य, पूँजी, मुद्रा, भोग्य, रिक्थ, वसु, वित्त, विभव, संपत्ति, सम्पदा, लक्ष्मी, श्री, हिरण्यकांचन।

धनी – अमीर, ऐश्वर्यवान, ऐश्वर्यशाली, धनवान, धनवाला, धनाढ्य, धनिक, मालदार, लक्ष्मीपति, लक्ष्मी-संपन्न।

धनियाँ – अल्लका, कुनटी, कुस्तुम्बुरी, छत्रा, जनप्रिय, धनिक, धन्य, धन्याक, धाना, धान्यक, धान्यबीज, निःसार, वितुन्नक, वेधक, वेशष, शाकयोग्य, सूक्ष्मपत्र, हृदयगंधा।

धनुर्धर – कमनैत, तीरन्दाज, धन्वी, धनुष्मान, धनुर्भृत्, धानुष्क, निषंगी।

धनुष – कमान, कार्मुक, कोदंड, चाप, तारक, धन्वा, धनु, धनुस्, धनुही, पिनाक, विशिखासन, शरासन।

धनुष की डोर – चिल्ला, प्रत्यंचा, मुर्वी, मौर्वी, शिजिनी।

धन्य – पुण्यवान, प्रशंसनीय, श्लाघ्य, सुकृति।

धन्यवाद – आभार, तारीफ, प्रशंसा, बड़ाई, मेहरबानी, वाहवाही, शाबासी, शुक्रिया।

धब्बा – चिह्न, दाग, निशान।

धब्बा – ऐब, कलंक, दोष, लांछन।

धमकाना – घुड़कना, झिड़कना, डराना, डांटना, धमकी देना, भय दिखाना।

 Paryayvachi Shabd पर्यायवाची शब्द

धरती – अग्निगर्भा, अचलकीला, अचला, अनन्ता, अदिति, अब्धिमेखला, अवनी, अर्णवनेमि, आदिमा, आद्या, इड़ा, इड़िका, इरा, इला, इलिका, इहलोक, उदधिवस्त्रा, उरा, उर्वरा, उर्वि, ऊर्वी, काश्यपी, कुंभिनी, कु, क्रीड़ाकान्ता, क्षमा, क्ष्मा, क्षांता, क्षिति, क्षोणी, खंडनी, खगवती, गंधवती, गह्वरी, गिरिकर्णिका, गो, गोत्रा, गोलक, गोला, गौ, जगत, जगती, जगद्वहा, जमीन, जल-थल, जीवधानी, ज्या, तृणधरी, थली, देहिनी, द्वीपवती, द्विरा, धरणि, धरणी, धरणीधरा, धरा, धरातल, धरित्र, धरित्री, धात्री, धारणी, धारयित्री, धारिणी, धेनु, नेमि, पहुमि, पारा, पिरथी, पुहिम, पुहुमी, पृथवी, पृथिवी, पृथ्वी, पृथिवी, पृथु, भद्रा, भुअन, भुइँ, भुई, भुव, भुवन, भुवि, भू, भूतधात्री, भूतल, भूमा, भूमि, भूर्लोक, मधुजा, मनुष्यलोक, मर्त्यलोक, महाकान्ता, महास्थली, महि, मही, मेदिनी, रत्नगर्भा, रत्नवती, रसा, रेणुका, रोदसी, लोक, वरा, वसुधा, वसुन्धरा, वसुमति, वसुमती, वाराही, विपुला, विश्वम्भरा, विश्वा, वीजप्रसू, शैलधारा, श्यामा, सप्तद्वीपा, सप्तलोकी, सप्तार्णव, समुद्रनेमि, समुद्रांबरा, सर्वसहा, सहा, सागरधरा, सागरांता, सागराम्बरा, सारँग, सुरभि, स्थली, स्थिरा, हरिप्रिया।

धरोहर – अमानत, उपनिधि, खातक, खादक, थाती, धराउर, निक्षेप, न्यास, प्रतिभूति।

धर्म – पंथ, मजहब, मत, मार्ग, संप्रदाय।

धर्म – कर्त्तव्य, पुण्य, सत्कर्म, सदाचार, सुकृति।

धर्मराज – अंतक, औदुम्बर, कंक, कर्मकर, काल, कीनाश, कृतांत, कोपन्त, जीवनपति, जीवितेश, दण्डाधर, दघ्न, धर्म, धर्मराइ, धर्मराज, नरदण्डधर, परेतराट्, पितृपति, भीमशासन, महिषध्वज, महिषवाहन, मृत्युपति, यम, यमराज, यमुनाभ्राता, वैवस्वत, शमन, शीर्णपाद, श्राद्धदेव, समवर्ति, सूर्यपुत्र, हरि।

धव (एक प्रकार का पेड़) – कषाय, गोर, दृढतरु, धावा, धुरन्धर, धों, नंदितरु, पांडुतरु, पिशाचवृक्ष, पीतफल, मधुरत्वक्, शकटाख्य, शुष्कवृक्ष, शुष्कांग, स्थिर।

धवल – आकर्षक, उजला, निर्मल, मनोहर, श्वेत, सफेद, साफ, सुन्दर, स्वच्छ।

धाक – आतंक, ख्याति, दबदबा, प्रसिद्धि, रोब, शोहरत।

धान – अक्षत, अन्न, अमृत, आद्य, एकदल, कशिपु, खाद्यान्न, गल्ला, चाउर, चावल, जीवनधन, जीवनसाधन, तंडुल, तंदुल, दाना, धान्य, धान, नाज, बीज, ब्रीहय, ब्रीहि, भात, भूसी, भोग्य, भोगार्ह, लवेटिका, वरेणुक, वीज्य, व्रीहि, शस्य, शाली, स्तम्भकरि, स्तम्भकारि।

धाम – तीर्थ, देवस्थान, पुण्यस्थान।

धाय – आया, उपमाता, दाई, धात्री।

धार – किनारा, छोर, नोंक, सिरा।

धारा – जल-धारा, प्रवाह, बाढ।

धिक्कारना – अपवाद करना, तिरस्कार करना, निन्दा करना, फटकारना।

Paryayvachi Shabd पर्यायवाची शब्द

धी – अक्ल, दिमाग, प्रज्ञा, बुद्धि, मति, मेधा, विवेक।

धीरज – अचंचलचित्तता, ढाढस, तोष, धीरता, धैर्य, मनस्थिरता, संतोष, सब्र, स्थिरता।

धीवर – कर्णधार, केवट, कैवर्त, खेवट, खेवनहार, खेवैया, जालक, तारक, तारणहार, दाश, नाविक, नौसाध्यजन, मछुआ, मल्लाह, महागिर, माँझी

धुआँ – धूआँ, धूम, धूम्र।

धुंध – कुहरा, कुहासा, कोहरा, नीहार।

धुन – झुकाव, तरंग, मौज, लगन, लगाव, लहर।

धुनियाँ – धुनका, बेहना।

धूप – आतप, घाम, घर्म, द्योत, निदाघ।

धूम – आयोजन, उत्सव, चहल-पहल, ठाटबाट, समारोह, हलचल, हल्ला।

धूमकेतु – उल्का, केतुग्रह, पुच्छल तारा।

धूर्त – कितव, चालबाज, छद्मी, छली, जिह्मा, दम्भी, प्रतारक, मायावी, वंचक, व्याजी।

धूल – खेह, गर्द, धूर, धूलि, धूसर, धूसरी, पांशु, पाँस, पिंजल, मिट्टी, मृदा, मृत्तिका, माटी, रज, रेणु, वातकेतु, वातध्वज, संचरा।

धृष्ट – उद्दंड, उद्धत, गुस्ताख, ढीठ, निर्लल्ज, प्रगल्भ, बेहया।

धेनु – अर्जनी, अदिति, अनडुही, अघ्ना, अघन्या, अनुस्तरणी, अही, इज्या, इडा, इला, उषा, उस्रा, ऋषभी, ऋषिभि, कपिला, कल्याणी, गऊ, गय्या, गवय, गाय, गाव, गावड़ी, गैया, गो, गोमाता, गोरू, गौ, गौरी, चतुस्तना, जगती, जननी, तंति, तंपा, तंबिका, तनया, द्विडा, दोह्य, दोग्धी, दोग्ध्री, दौग्धी, धात्री, धेनुका, निलिंपिका, पयस्विनी, पावनी, पीवरी, पृथ्वी, बकर, बलभद्रा, बहुला, भद्रा, भूरिमही, भ्रदा, महा, मही, माता, माहेंद्री, माहेयी, रिषभी, रेवती, रोहिणी, वशा, वहती, वृषा, शक्वरी, शृंगिणी, सरस्वती, सवित्री, सुरभि, सुरभितनया, सुरभिवच्छा, सुरभी, सौरभेयी, सौरी।

धोखा – कपट, काट, कूटता, कूटकर्म, चकमा, छद्म, छल, ठगई, ठगी, दगा, दगाबाजी, धूर्त्तता, धोखेबाजी, प्रपंच, प्रलंभ, प्रवंचना, फंद, फरेब, बहाना, बेईमानी, भुलावा, भ्रम, मक्कारी, मिस, वंचना, व्याज, शठता।

धोखेबाज – कपटी, कुटिल, चालबाज, ठग, मक्कार।

धोती – अंतरीय, अधोंशुक, उपसंव्यान, धौत, धौतपरिधान।

धोना – पखारना, प्रक्षालन करना, शुद्ध करना, संघालना, साफ करना।

Paryayvachi Shabd पर्यायवाची शब्द

धोबिन – निर्णेजकी, बरेठन, बरेठिन, रजकी, रजकपत्नी, शौचेयी।

धोबी – कर्मकीलक, धावक, निणेजक, बरेठा, रजक, शौचेय।

ध्यान – एकाग्रता, ख्याल, तन्मयता, तल्लीनता, मनोयोग, लीनता।

ध्येय – अभिप्राय, उद्देश्य, प्रयोजन, मकसद, लक्ष्य।

ध्रुव – अचल, अटल, दृढ, निश्चित, पक्का, स्थिर।

ध्वंस – क्षति, क्षय, नष्ट, नाश, विनाश।

ध्वज – अंक, केतु, चिन्ह, झंडा, निशान, ध्वजा, पताका, वैजयन्ती।

ध्वस्त – खंडित, टूटा-फूटा, नष्ट- भ्रष्ट, पराजित, भग्न, हारा हुआ।

अं-अँ के पर्यायवाची शब्द (भाग-1)

अ के पर्यायवाची शब्द (भाग-2)

‘आ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-3)

‘इ, ई’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-4)

‘उ एवं ऊ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-5)

‘ऋ, ए तथा ऐ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-6)

‘ओ औ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-7)

पर्यायवाची शब्द Paryayvachi Shabd

क के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Synonym | भाग-8

क्ष के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-9

ख के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-10

ग के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-11

घ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-12

च के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-13

छ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-14

ज के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-15

झ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-16

ट के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-17

ठ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-18

ड के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-19

ढ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-20

त के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-21

थ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-22

द के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-23

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पर्यायवाची शब्द द से

द अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के पर्यायवाची शब्द

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पर्यायवाची शब्द द से

दंग – आश्चर्यचकित, आश्चर्यान्वित, चकित, भौचक्का, विस्मित, स्तब्ध, हक्का-बक्का, हैरान।

दंग- घबराहट, डर, भय।

दंगा – उत्पात, उपद्रव, ऊधम, गुलगपाड़ा, झगड़ा, फ़साद, लड़ाई, शोरगुल, हुल्लड़।

दंड(1) – जुर्माना, सजा।

दंड(2) – डंडा, मस्तूल, लाठी, सोटा।

दंड(3) – घड़ी, घटिका, घटी।

द्वंद्व – उधेड़बुन, कशमकश, दुविधा।

दंश – डंक, दंशन।

दक्ष – कुशल, चतुर, निपुण, ब्रह्मा का पुत्र, होशियार।

दक्ष – दक्षिण, दाहिना।

दक्षिण – अवाची, दक्खिन, दक्ष, दच्छिन।

दखल – अधिकार, कब्जा, पहुँच, प्रवेश, हस्तक्षेप।

दफा – आवृत्ति, बार, बेर, मर्तबा।

दफ्तर – कार्यालय, आफिस।

दबदबा – आतंक, खौफ, डर, प्रभाव, भय, रोब-दाब।

दम – जान, जिंदगी, प्राण, श्वास, साँस।

दमक – आभा, चमक, चमचमाहट, द्युति।

दया – अनुकंपा, अनुग्रह, करुणा, कृपा, तरस, दयालुता, प्रसाद, मेहरबानी, रहम, संवेदना, सहानुभूति, सांत्वना।

दयावान – कारुणिक, कृपालु, दयालु, सूरत।

दयाहीन – अकरुण, कठोर, निर्दय, बेदर्द, बेरहम, संवदेनाशून्य, हृदयहीन।

दरख्त – तरु, द्रुम, पेड़, विटप, वृक्ष।

दरजी – छिपी, तुन्नवाय, सूचिक, सूत्रभिद, सौचि, सौचिक।

दरिद्र – अकिंचन, कंगाल, गरीब, दीन, निर्धन, निस्व, फटीचर, फटेहाल, भिक्षुक, भिखारी, रंक।

दरियादिल – उदार, दानी, दानशील, फ़राख़दिल।

दरवाजा – कपाट, किवाड़, किवार, द्वार, पल्ला, मुहाना।

दर्जा – कक्षा, कोटि, पद, पदवी, वर्ग, श्रेणी, सीमा, हद।

दर्द – अवसाद, आर्त्त, करक, कष्ट, कृच्छ्र, क्लेष, क्षोभ, खँभार, खेद, ग्लानि, तकलीफ, दुःख, पीड़ा, यंत्रणा, यातना, विषण्णता, विषाद, वेदना, व्यथा, शाल, शूल, शोक, संकट, संताप, साद।

दर्प – अक्खड़पन, अभिमान, अहंकार, उदंडता, गर्व, घमंड, दबदबा, प्रभाव, मान।

दर्पण – आइना, आरसी, ऐना, मुकुर, शीशा।

दर्रा – घाटी, दरज, दरार, पहाड़ी रास्ता।

दर्शन – आलोकन, ईक्षण, दीदार, निध्यान, निमालन, निर्वर्णन, भेंट, मुलाकात, साक्षात्कार।

दल – गिरोह, गुट, झुंड, समूह।

दल – तमाल-पत्र, पंखुड़ी, पत्र, पत्ता।

दलना – कुचलना, खंडित करना, तोड़ना, ध्वस्त करना, नष्ट करना, पीसना, मसलना, मीड़ना, रौंदना।

दवा – इलाज, औषध, औषधि, चिकित्सा, दवाई, दारू, पाचक, भेषज, रसायन।

पर्यायवाची शब्द द से

दवात – दावात, बोरकना, मसिकूपिका, मसिदानी, मसिधान, मसिधानी, मसिपात्र, मसिमणि, मस्याधार, मेलानन्दा, मेलान्धु, वर्णकुपिका।

दशरथ – अवधेश, कौशलपति, दशस्यंदन, दिगस्यन्दन, रघुवंशमणि।

दशा – अवस्था, चित्त, स्थिति, हालत, हालात।

दस्ता – छड़ी, टुकड़ी, डंडा, दल, समूह, सोंटा।

दस्तावेज – अधिकारपत्र, क़ानूनी-कागज, प्रपत्र, प्रलेख।

दस्तूर – चलन, परंपरा, प्रथा, रीति-रिवाज।

दस्यु – कजाक, गनीम, छापामार, डकैत, डाकू, डिंगर, धाड़ायत, धाड़ैत, पाटच्चर, बटमार, बागी, मोषक, राहजन, लूटेरा, लूंठक, सार्थहा, साहसिक, स्तेन, हर्ता।

दस्यु – अनार्य, असुर, म्लेच्छ, राक्षस।

दहन – अंगार, अग्नि, अनल, अपित्त, अरुण, आग, आत्मा, आशुशुक्षणि, ईर्ष्या, उल्का, उषर्बुध, ऊष्मा, और्वि, कामाग्नि, कुन्त, कुतप, कृपीटयोनि, कृशानु, कील, गरमी, घृतकेश, चिनगारी, चित्रभानु, जलन, जातवेद, ज्योति, ज्वलन, ज्वाला, डाह, तनूनपात्, तपन, ताप, त्रिधाम, दग्धद्रुम, दमुन, दमुना, दव, दवारी, द्रुतासन, देवपात्र, देववाहन, द्यु, धनंजय, धनद, धूम्रकेतु, धूमध्वज, पवनवाहन, पांचजन्य, पाचन, पाथ, पावक, पावन, पिंगल, पुण्डरीक, पृथु, प्राण, बड़वाग्नि, बहनी, बर्हि, बसुन्दर, बहुल, बाड़व, बृहद्, बृहद्भानु, ब्राह्मण, भारत, भास्कर, भुव, भूरितेजस्, मनु, रोहिताश्व, लपट, लवर, लौ, वह्नि, वायुसख, वासदेव, वीतिहोत्र, विभावसु, वृक, वैश्वानर, शिखा, शिखी, शिखीधनंज, शुक्र, शुचि, शुष्भ, सप्तार्चि, सप्तजिह्व, हर, हरि, हव, हवन, हव्यवाहन, हिरण्यरेत, हुतभुक, हुताशन।

दहलना – आतंकित होना, काँपना, डरना, थर्राना, भयभीत होना, शंकाक्रांत होना, शंकित होना।

दही – क्षीरज, घनेतर, दधि, दधिद्रप्स, पयस्य, मंगल्य, विरल।

दहशत – आतंक, खौफ, डर, भय।

दाँत – कुंज, दंत, द्विज, दंश, दशन, द्विज, मुखक्षुर, मुखखुर, मुखज, मुखनुर, रद, रदन।

दाँव – अवसर, दफा, पारी, बार, मर्तबा, मौका।

दाई – आया, उपमाता, धात्री, धाय।

दाख – अँगूर, किशमिश, द्राक्षा, मुनक्का।

दाग़ – अंक, कलंक, चिह्न, धब्बा, निशान।

दाग – जलन, डाह, दाह कर्म।

दाद – खसरा, दद्रू, दिनाय, पाम, पामा, विचर्चिका।

दादा – आजा, आर्यक, पितामह, बाबा।

दादी – आजी, अय्या, आर्या, पितामही।

दादुर – भेक, मंडूक, मेंढक।

पर्यायवाची शब्द द से

दान – अंहति, अतिसर्जन, अपवर्जन, उत्सर्जन, क्षणन, त्याग, दाय, निर्वपण, प्रतिपादन, प्रदान, प्रदेशन, प्रादेशन, वश्राणन, वितरण, विसर्ग, विसर्जन, विहापित, स्पर्श, स्पर्शन।

दानपात्र – दातव्य, दानार्ह, देनेयोग्य।

दानव – अगिर, अदेव, अयोमुख, असुर, अस्रप, आशर, इन्द्रारि, कटप्रू, कर्बुर, कीलाप, कीलालय, कौणप, क्रव्याद, क्षपाट, तमचर, तमिचर, दनुज, दमुल, दितिसुत, दुर्जय, दैत्य, दैतेय, धूम्रकेशी, नरधिष्मण, निकषात्मज, निशाचर, निशिचर, नृचश, नैऋत, पलाशपलाशी, पिशाच, पूर्वदेव, भूत, मनुजाद, मायावी, यातु, यातुधान, रक्ष, रजनीचर, राक्षस, शुक्रशिष्य, सन्ध्याबल, सुरद्विट, सुरारि।

दाना – अनाज, अन्न, कण, कन, चर्वण, चबैना, रवा।

दानी – उदार, दनुद, दयालु, दाता, दातार, दातृ, दानकर्त्ता, दानवीर, दानशील, दानशौण्ड, दानसागर, दानीय, दायक, दायी, दारु, देनेवाला, बहुप्रद, महान, महाशय, मुचिर, वदान्य।

दाम – कीमत, धन, पैसा, मूल्य, रुपया, सिक्का।

दामाद – जंवाई, जंवाय, जमाई, जलाई, जामाता, जामातृ, दमाद, दुहितृपति, दुहितःपति, यामाता।

दाल – दलहन, द्विदल, दोदल, पहित, पहिती, विदलान्न, शिंबिजा, शिंबीधान्य, सूप।

दालचीनी – उत्कट, कामवल्लभ, गुडत्वच, चोल, तज, त्वच, दारुचीनी, दारुलिता, बहुगंध, भृंग, मुखशोधन, रामेष्ट, लटपर्ण, वनप्रिय, वर, वरांग, वल्य, विज्जुल, शकल, सिंहल, सुरस, सूतकट, सैंहल, हृद्य।

दावा – अधिकार, गर्व, घमंड, जोर, मुकदमा।

दास – अर्थचर, अनुग, अनुगामी, अनुचर, अभिसर, आज्ञाकारी, उपस्थाता, कर्मचारी, किंकर, खिदमतगार, गुलाम, गोप्यक, गोला, चाकर, चेट, चेटक, चेरा, चौरा, जीवक, टहलवा, टहलुआ, टहलू, ताबेदार, दास, दासक, दासजन, धीवर, नौकर, परिकर्मा, परिचर, परिचारक, प्रैष्य, भगत, भृत्य, वृषल, शूद्र, सहचर, सहचारी, सहाय, सेवक, सेवाजन, सेवादार, सेवी, हाजरिया।

दासी – अनुगामिनी, अनुचरी, कनीज, किंकरी, खवास, गोली, चरी, चाकरनी, चारि, चेटि, चेरी, टहलनी, दाई, धाय, नौकरानी, परिचारिका, बंदी, बंदेरो, बांदी, बिधिकरनी, भृत्या, वृषली, सहाया, सेविका, हंजा।

दाह – जलन, डाह, तपन, ताप।

दाहिना – दाएं, दक्षिण, दायां, दाहना, दाहिन।

दिक्पाल – दिग्पति, दिगाधिप, दिगेश, दिशाधिप, दिशीश।

दिगांतर – कोण, दिक्कोण, दिशाओं का मध्यवर्ती कोना।

दिग्गज – दिक्स्तम्भ, दिशिकुंजर।

दिखावटी – दर्शनार्थ, दिखाऊ।

Paryayvachi Shabd पर्यायवाची शब्द

दिन – अह्न, आह्न, अहः, अर्हि, घस्र, दिवस, दिवा, दिहाड़ा, दिहाड़ी, प्रमान, याम, वार, वासक, वासर।

दिमाग – बुद्धि, भेजा, मगज, मस्तिष्क, समझ।

दिल – अंतस, चित्त, जियट, मन, हृदय।

दिलावर – उत्साही, बहादुर, वीर, शूर, साहसिक, साहसी, हिम्मती।

दिलासा – आश्वासन, ढाढस, तसल्ली, धैर्य।

दिवंगत – परलोकवासी, मरहूम, मृत, स्वर्गीय।

दिव्य – अलौकिक, प्रकाशमान, लोकातीत, लोकोत्तर।

द्वितीया का चन्द्रमा – नवचन्द्र, बालविधु, वक्रचन्द्र।

दिशा – ओर, ककुम्, काष्ठा, तरफ, दिक्, हरित।

दीक्षा – उपनयन, गुरुमंत्र, मंत्रोपदेश, यज्ञकर्म, यजन, संस्कार।

दीदा – अँखड़ी, अँखिया, आँख, आँखड़ी, अंबक, अखिया, अक्ष, अक्षि, ईक्षण, ऐन, गो, गोलक, चख, चक्षु, चक्षुसू, चर्मचक्षु, चश्म, ज्योति, मजीठ, दर्पण, दर्शन, दीठ, दृक्, दृग्, दृश्, दृशा, दृष्टि, देवदीप, नज़र, नयन, नयना, नीथ, नेत्र, नैन, नैना, प्रेक्षण, रक्षिणी, लोचन, लोयन, विलोचन, वीक्षण, विश्वंकर, वीदा।

दीन – अकिंचन, गरीब, निर्धन, बेचारा, मलिन, विपन्न, संतप्त, हीन।

दीनता – अधीनता, कार्पण्य, दारिद्रय, दुःख, दैन्य, सिधाई।

दीपक – अग्निशिख, आलोक, कज्जलतरु, कुलिक, गृहमणि, चिराग, ज्योति, ज्योत्स, तिमिरहर, दशेन्धन, दीप, दीया, दोषातिलक, नयनोत्सव, प्रकाश, प्रदीप, शिखातरु, स्नेहारा।

दीप्ति – आब, आभा, उजाला, कान्ति, चमक, ज्योति, झलक, झलमल, झलमलाहट, झिलमिलाहट, तड़क-भड़क, ताब, दमक, प्रकाश, प्रभा, रोशनी, लहक।

दीर्घ – ऊँचा, बड़ा, लंबा, विशाल, विस्तृत।

दीवाली – दीपमाला, दीपमालिका, दीपावली, दीपोत्सव।

दुकान – पण्य, पण्यशाला।

दुःख – अनुताप, अवसाद, आर्त्त, आपत्ति, करक, कष्ट, कृच्छ्र, क्लेश, क्षोभ, खँभार, खेद, ग्लानि, तकलीफ, दर्द, परिताप, पीड़ा, यंत्रणा, यातना, रंज, विषण्णता, विषाद, वेदना, व्यथा, व्याधि, शाल, शूल, शोक, संकट, संताप, साद।

दुदुम्भी – आनक, डंका, ढक्का, दमामा, नगाड़ा, नौबत, पटह, पटहा, भेरी।

दुपट्टा – उत्तरासग, उत्तरीय, उपवस्त्र, चादर, दुकूल, प्रावर, प्रावार, बृहतिका, वृहती, संव्यान।

दुम – पुच्छ, पूँछ।

दुर्गम – औधट, कठिन, दुर्जेय, दुस्तर, विकट।

दुर्गममार्ग – कंटकाकीर्ण मार्ग, कान्तार, कापथ, क्लिष्ट पथ, कुपथ, कुमार्ग, कुराह, दुष्पथ, प्रान्तर, विपथ।

Paryayvachi Shabd पर्यायवाची शब्द

दुर्गा – अंबा, अंबिका, अन्नपूर्णा, उमा, कल्याणी, कामाक्षी, कालिका, काली, कुमारी, गिरिजा, गौरी, चंडिका, चंडी, चामुण्डा, चित्रा, ज्वाला, नंदनंदिनी, नारायणी, पर्वतवाहिनी, पार्वती, बहुभुजा, भवानी, मंगला, महाकाली, महागौरी, महामाया, महाशक्ति, रुद्राणी, वैष्णवी, शांभवी, शिवानी, शेरावाली, सिंहवाहिनी, सुभगा, सुभद्रा, सुरसुंदरी।

दुर्जन – असज्जन, असाधु, खल, खोटा, दुष्ट, दुष्टजन, नीच, पतित, पामर, शठ।

दुर्दशा – अवस्था, खराब, दशा, दुर्गति, बुरी, हालत।

दुर्गन्ध – दुर्गन्धि, दुष्टगंध, पूतिगंध, पूतिगंधि।

दुर्बल – अशक्त, कमजोर, कृश, निर्बल।

दुर्बोध – अगम्य, कठिन, क्लिष्ट, गूढ, दुर्गम, दुर्बोध्य।

दुर्भिक्ष – अकाल, दुकाल, दुष्काल, सूखा।

दुर्लभ – अनोखा, दुष्प्राप्य, विलक्षण।

दुर्वचन – अश्लील, असामंजस, कठोर, कर्कश वचन, कुबोल, कुवचन, ग्राम्य, तब्ध, निष्ठुर, परुष।

दुश्मन – अरि, बैरी, रिपु, वैरी, शत्रु।

दुविधा – असमंजस, आगा-पीछा, ऊहापोह, कशमकश, खटका, धर्मसंकट, मन की अस्थिरता, संदेह, संशय।

दुःशील – अभद्र, अविनीत, अशिष्ट, उद्दंड।

दुष्कर – कठिन, दुसाध्य, दूभर, मुश्किल।

दुष्ट – अधम, अपचारी, असाधु, कदाशय, कपटी, कमीन, काक, काला, कीच, कुटिल, कुत्सित, कुसीद, कुमति, कुमाणस, क्रूरात्मा, खल, खोटा, दुराचारी, दुर्जन, दुर्मति, दुष्ट, दुष्टात्मा, दोषग्रस्त, धूर्त, निकृष्ट, नीच, पलीद, पातकी, पाजी, पापी, पामर, पिशुन, बुरा, वंचक, शठ, शैतान, हरामी।

दुहाई – घोषणा, पुकार।

दुहेड़ी – गोदोहनी, गोदोहनपात्र, दूध दोहने का पात्र, दोहनी, पारी।

दूत – अतिसर्पक, चटुक, चर, चार, धापक, धावन, प्रणिधि, संदेशवाहक, संदेशहर, संदेशिया।

दूध – अमृत, अवदोह, उधस्थ, क्षीर, गोरस, दुग्ध, दोहज, दोहापनय, पय, पीयूष, बालजीवन, सरस, स्तन्य।

दूध का फेन – क्षीरहिण्डीर, शार्कर।

दूब – अनंता, अनुवल्लिका, अमरा, अमरी, अमृता, कच्छरुहा, कच्छान्तरुहा, कांडा, गण्डदूर्वा, गुणा, गौरी, चित्रा, जया, तिक्तपर्वा, दुर्मरा, दूर्वा, धूर्ता, नंदा, प्रचण्डा, भार्गवी, भूतहन्त्री, मंगल्या, महावरा, महौषधि, रुहा, वामिनी, विजया, विद्या, शकुलाक्षी, शतग्रन्थि, शतपर्वा, शतपर्विका, शतमूला, शतवल्ली, शष्य, शांता, शाद्वल, शाम्भवी, शिवा, शिवेष्टा, शीतकुम्भी, शीतला, शीता, शुभा, श्यामा, श्यामकाण्डा, सहस्रवीर्या, सुरवल्लभा, सूचिपत्रा, स्वच्छा, हरसालिका, हरिता, हरितालिका, हरिताली।

पर्यायवाची शब्द Paryayvachi Shabd

दूर – अनत, अन्यत्र, अरल, अलग, न्यारा, परे, पृथक, भिन्न, विगत, विलग।

दूरदर्शी – दूर की सोचने वाला, दूरदर्शक।

दृढ – अटल, कड़ा, ठोस, दृष्टि, निडर, निर्भय, पुष्ट, मजबूत, पुष्ट, प्रगाढ, विचार, शक्तिशाली, सिद्ध, स्थायी।

दृष्टि – अवलोकन, आलोकन, कटाक्ष, चितवन, टक, ताक, दर्शन, नजर, निगाह, निरीक्षण।

देखना – अवलोकना, अवलोकन करना, खोजना, घूरना, ढूँढना, जाँच करना, ताकना, दर्शन करना, दृष्टिगत होना, दृष्टिगोचर करना, नजर आना, निखरना, निगरानी रखना, निरीक्षण करना, निहारना, पेखना, प्रत्यक्ष होना, लखना, साक्षात् होना।

देना – उत्सर्ग करना, उत्सर्जन करना, दान करना, निर्वपण करना, प्रदान करना, बाँटना, वितरण करना, समर्पण करना, सौंपना।

देर – अतिकाल, अरसा, अवेर, विलंब।

देवता – अग्निजिह्व, अग्निमुख, अजय, अजर, अदिति, अदितिनंदन, अदितिसुत, अनिमेष, अमर, अमर्त्य, अमृतान्धा, अमृतबंधु, अमृताशन, अमृतेश, अस्वप्न, आकाशचारी, आदितेय, आदित्य, ऋभु, क्रतुभुक, गीर्वाण, गोर्वाण, त्रिदश, त्रिदिवेश, त्रिवौकस, दानवारि, दिदिवेश, दिवौकस, देव, देवक, नंदन, निर्जर, बहिर्मुख, भगवान, भट्टारक, लेख, वसु, विबुध, विवुध, विष्वरूप, वृन्दारक, सुपर्वा, सुमना, सुर।

देवनदी – अध्वगा, अमरतरणि, अलकनन्दा, आपगा, गंगा, गिरिजा, गिरिनन्दिनी, घात्री, जह्वनन्दिनी, जाह्नवी, त्रिधारा, त्रिपथगा, त्रिपथगामिनी, त्रिपदगा, त्रिस्रोता, देवगंगा, देवपगा, देवापगा, देवसरि, ध्रुवनंदा, नंदिनी, नदीष्वरी, निर्जरनदी, पापमोचनी, पावनी, पुण्यतीया, पुरन्दरा, भगवती, भगीरथी, भागीरथी, भानुमति, भीष्मसू, भुवनपावनी, मंदाकिनी, विद्यगंगा, विपथगा, विवुधनदी, विवुधा, विष्णुपदी, सुरदीर्घिका, सुरधनी, सुरध्वनि, सुरनदी, सुरसरि, सुरसरिता, सुरसिंधु, सुरापगा, स्वर्गंगा, स्वर्गापगा, स्वर्णदी, हरमौलिबिहारिणी।

देवमंदिर – देवगृह, देवथान, देवस्थान, देवालय, प्रासाद, मंदिर।

देवबाला – अप्सरा, देववधू, देवांगना, मेनका।

देवर – द्वितीयवर, देवा, देवान, देवार, देवृ, देवल्लि, पतिभ्राता।

देववृक्ष – कल्पतरु, कल्पद्रुम, कल्पवृक्ष, कामतरु, तरुराज, तरुसुरराज, देवकाष्ठ, देवतरु, देवदारु, परलोकतरु, पारिजात, पीतदारु, भद्रक, भद्रकाष्ठ, मन्दार, शक्रदारु, शांभव, शिवदारु, सुरतरु, सुरद्रुम, सुरलोकद्रुम, स्निग्धतरु, हरिचंदन।

देवसदन – देवालय, देवलोक, मंदिर, सुरलोक, स्वर्ग।

देवसभा – देवसमाज, शुभा, सुधर्मा, सुधर्मी।

देशाटन – देशभ्रमण, पर्यटन, यात्रा, विहार।

देह – काय, काया, गात, घट, जीवनावास, तन, बदन, वपु, विग्रह, शरीर।

देहरी – गृहावगृहणी, ड्योढी, डेहरी, देहली।

Paryayvachi Shabd

देहाती – ग्रामवासी, ग्रामीण, ग्राम्य।

द्वेष – खार, दुश्मनी, द्वेषण, बैर, विद्वेष, विरोध, वैर, शत्रुता।

दैत्य – अक्ष, अगिर, अदेव, अयोमुख, असुर, अस्रप, अहि, आशर, इन्द्रारि, कटप्रू, कर्बुर, कीलाप, कीलालय, कौणप, क्रव्याद, क्षपाट, खर, चंड, तमचर, तमिचर, तामिस्र, दनुज, दमुल, दानव, दितिसुत, दुर्जय, दैतेय, धूम्रकेशी, नरधिष्मण, निकषात्मज, निशाचर, निशिचर, नृचश, नैऋत, पलाशपलाशी, पिशाच, पुण्यजन, पूर्वदेव, भूत, मनुजाद, मायावी, यातु, यातुधान, रक्ष, रजनीचर, राक्षस, शुक्रशिष्य, सन्ध्याबल, सुरद्विट, सुरारि, सुरशत्रु।

द्वैत – जोड़ा, द्वय, यमल, युग, युगल, युति।

दैनिक – नित्य, प्रतिदिन, रोज।

दोगला – अधर्मज, वर्णसंकर, संकर, हरामी।

दोपहर – दिनार्द्ध, दिनयौवन, मध्याह्न, दुपहरिया।

दोष – अपराध, अवगुण, ऐब, कसूर, कुसूर, खामी, खराबी, जुर्म, पातक, पाप, बुराई, विकार।

दोहद – गर्भ, गर्भावस्था।

दौड़ना – गतिमान होना, धावना, पलायन करना, भजना, भागना, भाजना, वेगवान होना, सवेग चलना।

द्रव – गीला, तरल, द्रवण, द्रवत्व, बहाव।

द्रव्य – दौलत, धन, पैसा, रुपया, वित्त, विभूति, सम्पत्ति, सम्पदा, समृद्धि।

द्रव्य – चीज, पदार्थ, वस्तु, सामग्री, सामान।

द्वीप – जलाशय के बीच का स्थल भाग, टापू, रेता, रेती।

द्रोपदी – कृष्णा, द्रुपदसुता, नित्ययौवना, पांचाली, याज्ञसेनी, वेदिजा, सैरंध्री।

अन्य सभी लिंक

अं-अँ के पर्यायवाची शब्द (भाग-1)

अ के पर्यायवाची शब्द (भाग-2)

‘आ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-3)

‘इ, ई’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-4)

‘उ एवं ऊ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-5)

‘ऋ, ए तथा ऐ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-6)

‘ओ औ’ के पर्यायवाची शब्द (भाग-7)

क के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Synonym | भाग-8

क्ष के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-9

ख के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-10

ग के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-11

घ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-12

च के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-13

छ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-14

ज के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-15

झ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-16

ट के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-17

ठ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-18

ड के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-19

ढ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-20

त के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-21

थ के पर्यायवाची शब्द | समानार्थी | Hindi Synonym | भाग-22

भक्तिकाल – उदय संबंधी मत

भक्तिकाल के उदय संबंधी मत

विभिन्न विद्वानों की दृष्टिकोण से भक्तिकाल के उदय संबंधी मत

1. ईसाईयत की देन – जॉर्ज ग्रियर्सन

2. अरबों की देन – डॉ. ताराचंद

भक्तिकाल का उद्भव और विकास, भक्तिकाल का उदय और विकास, भक्तिकाल का नामकरण, भक्तिकाल का इतिहास, भक्तिकाल का समय, bhaktikal ka samay, bhaktikal ka uday
भक्तिकाल के उदय संबंधी मत

3. बाह्य आक्रमण की प्रतिक्रिया का परिणाम – रामचंद्र शुक्ल

कथन ― “देश में मुसलमानों का राज्य प्रतिष्ठित हो जाने पर हिंदू जनता के हृदय में… पौरुष से हताश जाति के लिए भगवान की शरणागति में जाने के अलावा दूसरा मार्ग ही क्या था?” ― हिंदी साहित्य का इतिहास

शुक्ल जी की भक्ति डॉ रामकुमार वर्मा ने भी भक्ति आंदोलन को बाह्य आक्रमण की प्रतिक्रिया का परिणाम माना है। उन्होंने लिखा है कि ―

“हिंदुओं में मुसलमानों से लोहा लेने की शक्ति नहीं थी……… इस असहाय अवस्था में उनके पास ईश्वर से प्रार्थना करने के अतिरिक्त कोई साधन नहीं था।“

4. भारतीय परंपरा का स्वतःस्फूर्त विकास – हजारी प्रसाद द्विवेदी

कथन ― “अगर इस्लाम नहीं आया होता तो भी इस साहित्य का बारह आना वैसा ही होता जैसा आज है। बौद्ध तत्त्ववाद बौद्ध धर्म लोकधर्म का रूप ग्रहण कर रहा था, जिसका निश्चित चिह्न हम हिंदी-साहित्य में पाते हैं।”

5. भक्तिकाव्य पराजय की क्षति का पूरक-बाबू गुलाबराय

कथन ― “पराजय की मनोवृत्ति मनुष्य को या तो विषय-विलास में लीन करती है या अपनी आध्यात्मिक श्रेष्ठता के प्रदर्शन में क्षतिपूर्ति ढूँढ़ने की प्रेरणा देती है।”

राष्ट्रव्यापी स्वरूप : भक्तिकाल – उदय संबंधी मत

भक्ति आंदोलन का स्वरूप राष्ट्रव्यापी था दक्षिण में अलवार (ये वैष्णव संत थे इनकी कुल संख्या 12 थी, इनमें आंडाल/आंदाल नाम की एक महिला संत भी थी) नयनार (ये शैव संत थे और भगवान शिव को अपना आराध्य मानते थे। इनकी कुल संख्या 63 थी)

आचार्यों द्वारा,

महाराष्ट्र में वारकरी संप्रदाय (ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम),

उत्तर भारत में रामानंद, वल्लभाचार्य,

बंगाल में चैतन्य,

असम में शंकरदेव,

उड़ीसा में पंचसखा (बलराम, अनंददास, यशोवंतदास, जगन्नाथदास, अच्युतानंद) के द्वारा भक्ति आंदोलन को स्थापित किया तथा आगे बढ़ाया गया।

भक्ति-साहित्य का उद्गम स्थान –

द्रविड़ (दक्षिण भारत) ― ‘भक्ति द्राविड उपजी लाए रामानंद।’

दक्षिण भारत से भक्ति को उत्तर भारत लाने का श्रेय रामानंद को है।

भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्णकाल कहने वाले विद्वान ― जॉर्ज ग्रियर्सन।

भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्णयुग कहने वाले विद्वान ― बाबू श्यामसुन्दरदास
कथन ― “जिस युग में कबीर, जायसी, सूर और तुलसी जैसे सुप्रसिद्ध कवियों और महात्माओं की दिव्य वाणी उनके अन्तःकरण से निकलकर देश के कोने-कोने में फैली थी, उसे साहित्य के इतिहास में सामान्यतया भक्तियुग कहते हैं। निश्चय ही यह हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग है।”

इस संदर्भ में डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय का यह मत भी द्रष्टव्य है –

“यदि भक्तिकाव्य को ही साहित्य मान लिया जाये तो यह काल हिन्दी साहित्य का तथा सारे विश्व साहित्य का निश्चय ही स्वर्णयुग है ।”

पर्यायवाची शब्द (महा भण्डार)

रीतिकाल के राष्ट्रकवि भूषण का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय

अरस्तु और अनुकरण

कल्पना अर्थ एवं स्वरूप

राघवयादवीयम् ग्रन्थ

भाषायी दक्षता

हालावाद विशेष

संस्मरण और रेखाचित्र

कामायनी के विषय में कथन

कामायनी महाकाव्य की जानकारी

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