निर्मल वर्मा

निर्मल वर्मा का जीवन-परिचय

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जन्म -3 अप्रॅल, 1929, शिमला

मृत्यु -25 अक्तूबर, 2005, दिल्ली

पिता- नंद कुमार वर्मा

कर्म-क्षेत्र – साहित्य

भाषा -हिन्दी

विद्यालय – सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली

शिक्षा -एम.ए. (इतिहास)

काल-आधुनिक काल

अकहानी आन्दोलन के प्रवर्तक-1960

प्रयोगवादी या आधुनिकताबोधवादी उपन्यासकार

साहित्यिक परिचय

रचनाएं

उपन्यास

वे दिन (1964)

लाल टीन की छत (1974)

एक चिथड़ा सुख (1979)

रात का रिपोर्टर (1989)

अंतिम अरण्य (2000)

कहानी संग्रह

परिंदे (1959)

जलती झाड़ी (1965)

पिछली गर्मियों में (1968)

बीच बहस में (1973)

मेरी प्रिय कहानियाँ (1973)

कव्वे और काला पानी (1983)

सूखा तथा अन्य कहानियाँ (1995)

ग्यारह लंबी कहानियां-2000 (प्रतिनिधि कहनी संग्रह)

एक दिन का मेहमान

संपूर्ण कहानियाँ (2005)

कहानियाँ : निर्मल वर्मा का जीवन-परिचय

परिंदे

लंदन की एक रात

कुत्ते की मौत

लवर्स

बुख़ार

सुबह की सैर

कव्वे और काला पानी

सूखा

डायरी व यात्रा-संस्मरण

चीड़ों पर चाँदनी (1963)

हर बारिश में (1970)

धुँध से उठती धुन (1977)

रिपोर्ताज

प्राग: एक स्वप्न

निबंध : निर्मल वर्मा का जीवन-परिचय

शब्द और स्मृति (1976)

संस्कृति, समय और भारतीय उपन्यास

कला, मिथक और यथार्थ

परंपरा और इतिहास बोध

रचना की जरूरत

साहित्य में प्रसंगिकता का प्रश्न

रेणु :समग्र मानवीय दृष्टि

अज्ञेय: आधुनिकता की पीड़ा

हमारे समय का नायक

हर बारिश में-1970

कला का जोखिम (1981)

ढलान से उतरते हुए (1985)

भारत और यूरोप : प्रतिश्रुति के क्षेत्र (1991)

इतिहास स्मृति आकांक्षा (1991)

शताब्दी के ढलते वर्षों में (1995)

दूसरे शब्दों में (1995)

अन्त और आरम्भ (2001)

साहित्य का आत्मकथ्य-(2005)

सर्जनापथ के सहयात्री-(2006)

नाटक

तीन एकान्त (1976)

वीक एण्ड

धूप का एक टुकड़ा

डेढ़ इंच ऊपर

अनुवाद

कुप्रिन की कहानियाँ (1955)

रोमियो जूलियट और अँधेरा (1962)

झोंपड़ीवाले (1966)

बाहर और परे (1967)

बचपन (1970)

आर यू आर (1972)

पुरस्कार और सम्मान : निर्मल वर्मा का जीवन-परिचय

1999 में साहित्य में सम्पूर्ण योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया।

2002 में भारत सरकार की ओर से साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण दिया गया।

निर्मल वर्मा को मूर्तिदेवी पुरस्कार (1995)

साहित्य अकादमी पुरस्कार (1985) (कौवे और काला पानी कहानी पर)

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

विशेष तथ्य : निर्मल वर्मा का जीवन-परिचय

निर्मल वर्मा की कहानी ‘माया दर्पण’ पर 1973 में फ़िल्म बनी जिसे सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म का पुरस्कार मिला।

बीबीसी द्वार इनपर डाक्यूमेंट्री फिल्म प्रसारित हुई थी |

हैडिलबर्ग विश्वविद्यालय दक्षिण एशिया के निमंत्रण पर ‘भारत और यूरोप प्रतिश्रुति के क्षेत्र’ व्याख्यानमाला में निर्मल ने एक नई स्थापना रखी थी। कहा कि भारत और यूरोप दो ध्रुवों का नाम है। एक दूसरे से जुड़ कर भी ये दो अलग वास्तविकताएं हैं जिनको खींच कर या सिकोड़ कर मिलाया नहीं जा सकता।

आदिकाल के साहित्यकार

भक्तिकाल के प्रमुख साहित्यकार

आधुनिक काल के साहित्यकार

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