क्रिया Kriya

क्रिया Kriya

क्रिया शब्द के उदाहरण | क्रिया Kriya की परिभाषा, क्रिया के भेद, क्रिया किसे कहते हैं? अकर्मक क्रिया, सकर्मक क्रिया, क्रिया की पहचान का अचूक सूत्र : क्रिया परिभाषा भेद उदाहरण

परिभाषा

वे शब्द, जिनके द्वारा किसी कार्य का करना या होना पाया जाता है उन्हें क्रिया पद कहते हैं।

संस्कृत में क्रिया रूप को धातु कहते हैं, हिन्दी में उन्हीं के साथ ना लग जाता है जैसे लिख से लिखना, हँस से हँसना।

भेद

कर्म, प्रयोग तथा संरचना के आधार पर क्रिया के विभिन्न भेद किए जाते हैं –

1. कर्म के आधार पर क्रिया Kriya

कर्म के आधार पर क्रिया के मुख्यतः दो भेद किए जाते हैं (i) अकर्मक क्रिया (ii) सकर्मक क्रिया।

अकर्मक क्रिया

वे क्रियाएँ जिनके साथ कर्म प्रयुक्त नहीं होता तथा क्रिया का प्रभाव वाक्य के प्रयुक्त कर्त्ता पर पड़ता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे- कुत्ता भौंकता है।
सीता हँसती है।
गीता सोती है।
बालक रोता है।
आदमी बैठा है।

क्रिया परिभाषा भेद उदाहरण
क्रिया परिभाषा भेद उदाहरण

कुछ और अकर्मक क्रिया ऐसी हैं, जिनका प्रायः कभी कभी अकेले कर्त्ता से पूर्णतया प्रकट नहीं होता। कर्ता के विषय में पूर्ण विधान होने के लिए इन क्रियाओं के साथ कोई संज्ञा या विशेषण आता है। इन क्रियाओं को अपूर्ण अकर्मक क्रिया कहते हैं और जो शब्द इनका आशय पूरा करने के लिए आते हैं उन्हें पूर्ति कहते हैं। “होना”, “रहना,” “बनना,” “दिखना”, “निकलना”, “ठहरना इत्यादि अपूर्ण अर्मक क्रियाएँ हैं। उदा०–“लड़का चतुर है।” साधु चोर निकला।” “नौकर वीर रहा ।” “आप मेरे मित्र ठहरे।” “यह मनुष्य विदेशी दिखता है। इन वाक्यों मे “चतुर”, “चोर”, “बीमार” आदि शब्द पूत्ति हैं।

सकर्मक क्रिया

वे क्रियाएँ, जिनका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्ता पर न पड़ कर कर्म पर पड़ता है। अर्थात् वाक्य में क्रिया के साथ कर्म भी प्रयुक्त हो, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे- राम दूध पी रहा है।
सीता खाना बना रही है।

सकर्मक क्रिया के दो उपभेद किये जाते हैं

(अ) एक कर्मक क्रिया

जब वाक्य में क्रिया के साथ एक कर्म प्रयुक्त हो तो उसे एककर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे- विपिन खेल कर रहा है।

(आ) द्विकर्मक क्रिया

जब वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त हुए हों तो उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – अध्यापक जी छात्रों को हिन्दी पढ़ा रहे हैं। इस वाक्य में पढ़ा रहे हैं क्रिया के साथ छात्रों एवम् हिन्दी दो कर्म प्रयुक्त हुए है अतः पढ़ा रहे हैं द्विकर्मक क्रिया है।

2. प्रयोग तथा संरचना के आधार पर क्रिया Kriya

वाक्य में क्रियाओं का प्रयोग कहाँ किया जा रहा है किस रूप में किया जा रहा है, इसके आधार पर भी क्रिया के निम्न भेद होते हैं

(I) सामान्य क्रिया

जब किसी वाक्य में एक ही क्रिया का प्रयोग हुआ हो, उसे सामान्य क्रिया कहते हैं। जैसे –

सुरेश जाता है।

मीता आई।

(ii) संयुक्त क्रिया

जो क्रिया दो या दो से अधिक भिन्नार्थक क्रियाओं के मेल से बनती है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। जैसे

चंपा ने खाना बना लिया।

राज ने पत्र लिख लिया।

(iii) प्रेरणार्थक क्रिया

वे क्रियाएँ, जिन्हें कर्ता स्वयं न करके दूसरों को क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है, उन क्रियाओं को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे–

राहुल, विवेक से पत्र लिखवाता है।

अनीता, सविता से पानी मंगवाती है।

(iv) पूर्वकालिक क्रिया

जब किसी वाक्य में दो क्रियाएँ प्रयुक्त हुई हों तथा उनमें से एक क्रिया दूसरी क्रिया से पहले सम्पन्न हुई हो तो पहले सम्पन्न होने वाली क्रिया पूर्व कालिक क्रिया कहलाती है। जैसे-

धर्मेन्द्र पढ़कर सो गया।

यहाँ सोने से पूर्व पढ़ने का कार्य हो गया अतः पढ़कर क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाएगी। (किसी मूल धातु के साथ कर लगाने से पूर्वकालिक क्रिया बनती है।)

(V) नाम धातु क्रिया

वे क्रिया पद, जो संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि से बनते है, उन्हें नामधातु क्रिया कहते हैं।

जैसे-रंगना, लजाना, अपनाना, गरमाना, चमकाना, गुदगुदाना।

(vi) कृदन्त क्रिया

वे क्रिया पद जो क्रिया शब्दों के साथ प्रत्यय लगने पर बनते हैं, उन्हें कृदन्त क्रिया पद कहते हैं जैसे

चल से चलना, चलता, चलकर।

लिख से लिखना, लिखता, लिखकर।

(vii) सजातीय क्रिया

वे क्रियाएँ, जहाँ कर्म तथा क्रिया दोनों एक ही धातु से बनकर साथ प्रयुक्त होती हैं। जैसे-भारत ने लड़ाई लड़ी।

(viii) सहायक क्रिया

किसी भी वाक्य में मूल क्रिया की सहायता करने वाले पद को सहायक क्रिया कहते है। जैसे-अरविन्द पढ़ता है। राजु ने अपनी पुस्तक मेज पर रख दी है। उक्त वाक्यों में है तथा दी है सहायक क्रिया हैं।

3. काल के अनुसार क्रिया Kriya

जिस काल में कोई क्रिया होती है, उस काल के नाम के आधार पर क्रिया का भी नाम रख देते हैं। अतः काल के अनुसार क्रिया तीन प्रकार की होती है

(i) भूतकालिक क्रिया

क्रिया का वह रूप, जिसके द्वारा बीते समय में (भूतकाल में) कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है। जैसे-

सुनीता गयी।
सौरभ खेल रहा था।

(ii) वर्तमानकालिक क्रिया

क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा वर्तमान समय में कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है। जैसे-

प्रदीप खाना खाता है।

पूजा खाना बना रही है।

(iii) भविष्यत्कालिक क्रिया

क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा आने वाले समय में कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है। जैसे –

मिताली कल जयपुर जायेगी।

रमेश विद्यालय जायेगा।

अकर्मक-सकर्मक क्रिया Kriya की पहचान का अचूक सूत्र

1 क्रिया से पहले क्या शब्द लगाकर प्रश्न बनाते हैं, यदि उत्तर आए तो वह क्रिया सकर्मक क्रिया होती है अन्यथा क्रिया अकर्मक होती है।

जैसे- लोग रामायण पढ़ते हैं।

उक्त वाक्य में पढ़ते हैं क्रिया पद है यदि इससे पहले क्या शब्द लगाकर एक प्रश्न बना लिया जाए तो प्रश्न बनेगा क्या पढ़ते हैं? तो इस प्रश्न का उत्तर हमें रामायण प्राप्त होता है इसलिए पढ़ने की क्रिया का फल लोग पद पर न पड़कर रामायण पर पड़ता है, इसलिए यहां क्रिया सकर्मक क्रिया है और रामायण इस वाक्य में कर्म पद है।

2 यदि क्या शब्द लगाकर प्रश्न करने पर प्रत्यक्ष उत्तर नहीं आता है लेकिन कोई काल्पनिक उत्तर आए तो भी क्रिया सकर्मक होगी।

यदि उत्तर में कर्ता ही प्राप्त होता है तो क्रिया सकर्मक नहीं होगी।

विद्यार्थी पढ़ते हैं।

उक्त वाक्य में क्रिया के साथ क्या लगाकर प्रश्न बनायें तो प्रश्न का कोई प्रत्यक्ष उत्तर नहीं प्राप्त होता है,

परन्तु इसका काल्पनिक उत्तर प्राप्त हो सकता है। अतः यहाँ पर सकर्मक क्रिया है।

3 प्रकृति द्वारा होने वाली क्रिया अथवा स्वतः होने वाली क्रियाएं सदैव अकर्मक होती है अथवा

जिस क्रिया का कोई कर्ता नहीं होता वह सदैव अकर्मक क्रिया होती है। जैसे-

फूल खिलता है।

उक्त वाक्य में जब क्या पद लगाकर प्रश्न बनाया जाएगा तो प्रश्न बनेगा क्या खिलता है?

वहां पर हमें इसका उत्तर प्राप्त नहीं होता है।

यदि हम इस प्रश्न का उत्तर फूल करेंगे तो फूल स्वयं कर्ता है कर्म नहीं है और दूसरी बात कि यह स्वतः होने वाली क्रिया है,

फूल स्वयं खिल रहा है, अतः यहां अकर्मक क्रिया होगी।

अन्य उदाहरण

बूंद-बूंद से घड़ा भरता है।
उक्त वाक्य में भी यदि क्या पद लगाकर प्रश्न बनाया जाए तो प्रश्न बनेगा क्या भरता है?

और इसका सीधा सा उत्तर मिलता है घड़ा भरता है।

परंतु घड़ा स्वतः भर रहा है उसको भरने वाला अर्थात उसका कोई कर्ता नहीं है

अतः स्वतः होने वाली क्रिया अकर्मक क्रिया होगी।

यदि इसी वाक्य को यह कर दिया जाए राम बूंद-बूंद से घड़ा भरता है।

तब राम इसका कर्ता हो जाएगा।

उस स्थिति में यह क्रिया सकर्मक क्रिया हो जाएगी।

कुछ क्रियाएँ प्रयोग के अनुसार सकर्मक और अकर्मक दोनो होती हैं, जैसे, खुजलाना, भरना, लजाना, भूलना, घिसना, बदलना, ऐठना, ललचाना, घबराना, इत्यादि । उदा०

“मेरे हाथ खुजलाते हैं ।” – अकर्मक क्रिया

“उसका बदन खुजलाकर उसकी सेवा करने में उसने कोई कसर नहीं की।” – सकर्मक क्रिया

“खेल-तमाशे की चीजें देखकर भोले भाले आदमिया का जी ललचाता है।” – अकर्मक क्रिया

“राकेश अपने सामान की खरीदारी के लिये मोहन को ललचाता है।” – सकर्मक क्रिया

“बूंद बूंद करके तालाब भरता है ।” – अकर्मक क्रिया

“प्यारी ने ऑँखें भरके कहा।” – सकर्मक क्रिया

“गेहूं पिसता है।“ – अकर्मक क्रिया

“गेहूं पीसता है।“ – सकर्मक क्रिया

इनको उभय-विध धातु कहते हैं।

स्रोत – हिन्दी व्याकरण – पं. कामताप्रसाद गुरु

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