भीष्म साहनी

भीष्म साहनी की जीवनी

भीष्म साहनी की जीवनी, साहित्य, बाल साहित्य, भाषा शैली, विशेष तथ्य एवं संपूर्ण जानकारी

पूरा नाम- भीष्म साहनी

जन्म-8 अगस्त, 1915 ई.

जन्म भूमि-रावलपिण्डी (वर्तमान पाकिस्तान)

मृत्यु-11 जुलाई, 2003

मृत्यु स्थान-दिल्ली

पिता- हरबंस लाल साहनी

माता- लक्ष्मी देवी

पत्नी-शीला

कर्म-क्षेत्र-साहित्य

विषय-कहानी, उपन्यास, नाटक, अनुवाद।भाषा-हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत, पंजाबी

भीष्म साहनी जीवनी साहित्य : रचनाएं

भीष्म साहनी के कहानी संग्रह

भाग्य रेखा-1953

चीफ़ की दावत-1956

पहला पाठ-1957

अपने अपने बच्चे-1957

भटकती राख-1966

पटरियाँ-1973

‘वाङचू’-1978

शोभायात्रा-1981

निशाचर-1983

मेरी प्रिय कहानियाँ

अहं ब्रह्मास्मि

अमृतसर आ गया

इन्द्रजाल

पाली- 1989

डायन-1998

खून का रिश्ता

भीष्म साहनी जीवनी साहित्य
भीष्म साहनी जीवनी साहित्य

भीष्म साहनी के उपन्यास

झरोखे-1967 (निम्न मध्यवर्गीय परिवार की दुःख पीड़ाओं का अंकन)

कड़ियाँ-1970 (पुरुष प्रधान समाज में स्त्री के हिस्से आनेवाली पीड़ाओं और अत्याचारों का अंकन)

तमस-1973 (पंजाब विभाजन पर)

बसन्ती-1980 (यह उपन्यास महानगरीय जीवन की खोखली चमक-दमक पर आधारित)

मायादास की माड़ी-1988

कुन्ती-1993

नीलू ,निलीमा, निलोफर-2000

भीष्म साहनी के नाटक संग्रह (साहनी जी ने कुल छह नाटक लिखे)

हानूस-1977 (इसकी रचना चेकोस्लोवाकिया की पृष्ठभूमि पर की गई है।)

कबिरा खड़ा बाज़ार में-1981 (महान संत कबीर के जीवन के आधार पर मध्यकालीन भारत के समाज में विद्यमान विद्रूपता को अभिव्यक्त किया है।)

माधवी-1984 (महाभारत की कथा के एक अंश को आधार बनाया गया है। यह ययाति की पुत्री माधवी के जीवन की कथा है।)

मुआवज़े-1993 (सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि को आधार बनाकर लिखा गया है)

आलमगीर-1996 (औरंगजेब के चरित्र पर आधारित)

मेरा रंग दे बसंती चोला-1999 (जलियांवाला बाग हत्याकांड पर आधारित नाटक)

भीष्म साहनी के बाल साहित्य

गुलेल का खेल

वापसी

अनुवाद : टालस्टाय के उपन्यास ‘रिसरेक्शन’ सहित लगभग दो दर्जन रूसी पुस्तकों का सीधे रूसी से हिंदी में अनुवाद

भीष्म साहनी की आत्मकथाएं

बलराज माई ब्रदर्स

आज के अतीत

भीष्म साहनी के पुरस्कार एवं सम्मान

साहित्य अकादमी पुरस्कार-1975

लेखक शिरोमणि पुरस्कार-1975

सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार-1983

पद्मभूषण-1998

भीष्म साहनी संबंधी विशेष तथ्य

‘तमस’ उपन्यास के लिए इनको 1975 ई.मे साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ| इसी उपन्यास पर फिल्म भी बनी है

‘आलमगीर’ और ‘रंग दे बसंती चोला’ इनके मात्र दस्तावेजी नाटक बनकर रह गए थे।

भारत विभाजन के बाद ये अमृतसर आकर रहने लगे।

इनके भाई बलराज साहनी बॉलीवुड में फिल्म अभिनेता रहे।

भीष्म साहनी ने भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) में भी काम किया। बाद में अमृतसर में अध्यापक पद पर काम किया|

ये दिल्ली विश्वविद्यालय में साहित्य के प्रोफेसर भी रहे|

साहनी प्रगतिशील लेखक संघ और अफ्रो-एशियाई लेखक संघ से भी जुड़े रहे|

भीष्म साहनी ने 1965 से दो साल तक ‘नयी कहानी पत्रिका’ का संपादन किया|

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आधुनिक काल के साहित्यकार

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